शनिवार, 18 नवंबर 2017

चुनाव आयोग में ‘तीर’ की बाजी हारे शरद यादव



नीतीश के नेतृत्व वाले जदयू का होगा चुनाव चिन्ह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय चुनाव आयोग में असली जदयू और उसके चुनाव चिन्ह ‘तीर’ के मामले में नीतीश कुमार और शरद यादव गुट की जंग में आखिर शरद यादव गुट बाजी हार गये और आयोग ने जनता दल (यूनाइटेड) में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गुट को ही जद-यू के रूप में राजनीतिक दल की मान्यता दी है। वहीं आयोग ने नीतीश गुट को ही पार्टी का चुनाव चिन्ह 'तीर' इस्तेमाल करने का हक दे दिया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल(यू) के राजग में शामिल होने के फैसले से खिन्न वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद शरद यादव अपने समर्थकों के साथ बागी हो गये। दो गुटों में बंटी पार्टी के दोनों गुट जदयू और उसके चुनाव चिन्ह ‘तीर’ पर दावा करने लगे। जदयू की जंग केंद्रीय चुनाव आयोग तक पहुंची, जिसमें नीतीश गुट की और से पार्टी महासचिव केसी त्यागी और शरद गुट की ओर से गुजरात के विधायक छोटू भाई वसावा ने अपने-अपने गुट वाले जदयू को मान्यता और चुनाव चिन्ह ‘तीर’ पर हक जताते हुए याचिकाएं दायर की थी। नई दिल्ली स्थित निवार्चन सदन में बीते सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें  दोनों गुटों के नेताओं और वकीलों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपनी अपनी दलीलें पेश की। आयोग ने इस सुनवाई के बाद आज शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया है। आयोग के जारी पांच पृष्ठीय आदेश में साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जद-यू को सर्वाधिक विधायकों का समर्थन जिसे राजनीतिक दल की मान्यता दी जाती है, जिसे पार्टी के चुनाव चिन्ह 'तीर' का इस्तेमाल करने का अधिकार होगा। इस आदेश के साथ शरद गुट के छोटू भाई वसावा की याचिका को खारिज कर दिया। चुनाव आयोग के फैसले से शरद गुट के हाथ लगी निराशा को खासकर शरद यादव के लिए एक बड़ेक राजनीतिक झटके के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने बगावत करके अपना समानांतर संगठनात्मक ढांचा खड़ा करना शुरू कर दिया था।
शरद व अनवर पर लटकी तलवार
जदयू से बागी हुए राज्यसभा सांसद शरद यादव व अली अनवर अंसारी का नीतीश कुमार ने पार्टी से निकाल दिया था। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद दोनों नेताओं की राज्यसभा सदस्यता पर भी तलवार लटक गई है, जिसे लेकर पहले से ही राज्यसभा में नीतीश गुट ने सदस्यता खत्म करने के लिए कार्यवाही करने का अनुरोध किया हुआ है। आयोग के फैसले के बाद जदयू के याचिकाकर्ता एवं पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने बताया कि दोनों नेताओं की सदस्यता को लेकर राज्यसभा में मामला विचाराधीन है, जो राज्यसभा के सभापति के विवेक पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में दी गई चुनौती के साथ ही उनका दल अब इन दोनों नेताओं की सदस्यता को खत्म करने की मांग करेगा।

क्या था मामला
बिहार में महागठबंधन की सरकार गिरने और नीतीश कुमार के वापस राजग में जाने के बाद से ही शरद यादव ने पार्टी के खिलाफ बागी तेवर अपना लिया था और जेडीयू पर अपना दावा ठोकना शुरू कर दिया। बागी तेवरों के बाद नीतीश गुट ने शरद यादव व अनवर अली अंसारी के अलावा उनके समर्थको को पार्टी से निकाल दिया था। इसके बाद नीतीश व शरद गुट में असली-नकली जदयू को लेकर जंग शुरू हो गई। दोनों गुट एक दूसरे पर सियासी हमले भी करते रहे और एक दूसरे को नसीहत देते रहे। 
18Nov-2017

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