गुरुवार, 9 नवंबर 2017

आपदा प्रबंधन में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल



यूएवी को लेकर हुआ गंभीर विचार विमर्श
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
नागर विमानन द्वारा मानव रहित विमानों के इस्तेमाल पर जारी नागर विमानन नियम (सीएआर) ड्राफ्ट अधिनियम जारी करने के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ‘आपदा प्रबंधन में मानव रहित विमानों (ड्रोन) का प्रयोग’ करने पर बल दिया है, ताकि आपदा जोखिम में कमी लाने में मदद मिल सके।
गृह मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा आपदा प्रबंधन में मानव रहित विमानों (ड्रोन) का प्रयोग’ विषय पर यहां एक दिवसीय राष्ट्रीय विचार-विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मकसद आपदा प्रबंधन क्षेत्र में सभी हितधारकों की क्षमता में वृद्धि करना है, ताकि वे आपदा पूर्व तैयारी और प्रबंधन में यूएवी तकनीक यानि ड्रोन और इससे संबंधित तकनीक का उपयोग किया जा सकें।आपदा प्रबंधन में ड्रोन यानि यूएवी तकनीक के इस्तेमाल के महत्व पर फोकस करते हुए एनडीएमए के सदस्य आर के जैन ने कहा कि सभी हितधारको को त्वरित और कार्यकुशल आपदा प्रबंधन के लिए वर्तमान में उपलब्ध तकनीकों के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी हितधारक आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए यूएवी तकनीक के शोध व विकास में मिलकर काम करेंगे। इस मौके पर एनडीएमए के सदस्य डॉ. डीएन शर्मा ने कहा कि आपदा प्रबंधन के विभिन्न चरणों में यूएवी का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है, जो निश्चित रूप से आपदा से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने में मददगार साबित हो सकता है।
ऐसे मदद करेगी यूएवी तकनीक
इस कार्यक्रम में विचार विमर्श के बाद विशेषज्ञों ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए ड्रोन के इस्तेमाल से कई तरह से मदद मिल सकती है, जिसमें यूएवी तकनीक से आपदा ग्रस्त क्षेत्र में दुर्गम स्थानों की उच्च-क्षमता वाली रीयल-टाइम तस्वीर प्रदान की जा सकती हैं। इन तस्वीरों के आधार पर आपदा क्षेत्रों का सटीक नक्शा बनाया जा सकता है जिसमें राहत या बचाव के कार्य आसान होने के साथ उससे आपदा प्रबंधन की अन्य कार्यवाहियों को निश्चित करने में मदद मिलेगी। आपदा के बाद वाली स्थिति में भी यूएवी का इस्तेमाल कम समय में उच्च क्षमता वाले नक्शे बनाए जा सकते हैं, ताकि इससे आपदा प्रबंधन की गति त्वरित और प्रभावी की जा सके।
इन संस्थाओं ने की भागीदारी
इस कार्यक्रम में एनडीएमए के अधिकारियों, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (डीटीयू), अन्ना विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नेशनल एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, नगालैंड जीआईएस और रिमोट सेंसिंग सेंटर, नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एनईएसएसी) जैसे कई संगठनों के विशेषज्ञों के अलावा विभिन्न राज्यों के आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और अधिकारियों (एसडीएमए) ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
09Nov-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें