सवा पचास लाख मतदाता लिखेंगे 338 प्रत्याशियों की किस्मत
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भाजपा और
कांग्रेस के बीच हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए एक-दूसरे पर वाकयुद्ध के
रूप में जारी चुनाव प्रचार मंगलवार शाम थम गया है, जहां अब नौ नवंबर को 68 सीटों
के लिए वोटिंग की जाएगी। इन सीटों पर सात प्रमुख दलों समेत कुल 338 प्रत्याशी अपनी
किस्मत आजमा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश
में हल्की ठंड और सर्द हवाओं में बीच राज्य की सत्ता हासिल करने के लिए प्रमुख
मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है, जिसके लिए चुनाव प्रचार के दौरा
इन दलों समेत अन्य दलों की अंधाधुंध चली चुनावी रैलियों और प्रचार पर मंगलवार शाम
को विराम लग गया है। भाजपा और कांग्रेस के 40-40 स्टार प्रचारकों ने नौ नवंबर को
होने वाले चुनाव के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में कोई कसर नहीं
छोड़ी, लेकिन सियासी दलों के वादों और रणनीतियों में कितना दम है इसका फैसला नौ
नवंबर गुरुवार को होने वाली वोटिंग के जरिए सूबे के मतदाता तय करेंगे। केंद्रीय
चुनाव आयोग के अनुसार राज्य में चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
19 महिलाओं की दांव पर किस्मत
चुनाव
आयोग के अनुसार हिमाचल प्रदेश में इन 68 विधानसभा सीटों के लिए होने वाली वोटिंग
के लिए कुल 7525 मतदान केंद्र बनाए गये हैं, जहां कुल 50 लाख 25 हजार 941 मतदाताओं
को राज्य में 19 महिलाओं समेत कुल 338 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करना है। इन
कुल मतदाताओं में 24 लाख 57 हजार 166 महिलाएं भी शामिल हैं। चुनाव में भाजपा और
कांग्रेस ने सभी 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि 42 सीटों पर बसपा भी
अपनी किस्मत आजमा रही है। इसके अलावा सीपीआईएम ने 14 और सीपीआई ने तीन, एनसीपी ने
तीन और सपा ने दो प्रत्याशियों का चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि पंजीकृत गैर
मान्यता प्राप्त दलों के 27 तथा 112 उम्मीदवार भी निर्दलीय रूप से अपनी किस्मत
आजमा रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से लाहौल एवं स्पीति सबसे बड़ा और मतदाताओं
की संख्या के आधार पर सबसे छोटा निर्वाचन क्षेत्र है। वहीं धर्मशाला में अधिकतम 12
उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जबकि झंडुता में सबसे कम, सिर्फ दो उम्मीदवार अपनी
किस्मत आजमा रहे हैं।
युवाओं के सहारे बुजुर्ग चेहरे
हिमाचल
प्रदेश में कुल सवा 50 लाख मतदाताओं में आधे से अधिक करीब 25.25 लाख यानि 51 फीसदी
मतदाता 18 से 40 आयु वर्ग के हैं। इन युवा मतदाताओं के भरोसे दोनों प्रमुख दलों
भाजपा और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के रूप में बुजुर्ग चेहरों को सामने किया है।
मसलन भाजपा ने दो बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके 73 वर्षीय प्रेम कुमार
धूमल का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित किया है। वहीं वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री
वीरभद्र सिंह पर एक बार फिर भरोसा जताया है। 83 वर्षीय वीरभद्र सिंह 6 बार राज्य के
मुख्यमंत्री रहे हैं। इस बार राज्य में युवाओं के हाथ में सत्ता की डोर मानी जा
रही है।
08Nov-2017
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