जल परिवहन से मिलेगा औद्योगिक
विकास को बल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सागरमाला परियोजना को तेजी से आगे
बढ़ाने पर जोर दिया है, ताकि इस परियोजना में औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहन मिल
सके। सरकार ने सागरमाला परियोजना के तहत भारतीय बंदरगाहों के आधुनिकरण करके 2025
तक जल परिवहन को दो गुना करने का लक्ष्य तय किया है।
केंद्रीय
जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वाइजैक पोर्ट से तटीय
समुद्र के रास्ते से अहमदाबाद-मुंबई तथा कोच्चि जाने वाले 2.30 लाख टन स्टील कार्गो
का डिजिटल शुभारंभ करते हुए यह बात कही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय इस्पात निगम
लिमिटेड (आरआईएनएल) अब तक सड़क और रेल परिवहन के माध्यम से 22 स्टॉक यार्ड को अपना
उत्पाद भेज रहा था, जबकि तटीय समुद्र के रास्ते से अब प्रतिवर्ष रेलमार्ग की तुलना
में 380 मिलियन टन किलोमीटर की बचत होगी और परिवहन खर्च में भी ज्यादा बचत होगी। उन्होंने कहा कि आरआईएनएल पोर्ट के समीप होने के
कारण यहां से विशाखापत्तनम से अहमदाबाद, मुंबई और कोच्चि स्थित अपने यार्डों में स्टील
भेजने के लिए एक वर्ष के लिए 75 करोड़ रुपये का एक समझौता पहले ही किया जा चुका
है। गडकरी ने कहा कि सागरमाला परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कहा गया है,
ताकि औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन दिया जा सके। उन्होंने कहा कि चीन और नीदरलैंड में
कुल परिवहन का 24 प्रतिशत समुद्र के जरिए होता है। जबकि भारत में जल परिवहन को
बढ़ावा देते हुए सागरमाला परियोजना के तहत कुल परिवहन के 6 प्रतिशत को बढ़ाकर 2025
तक 12 प्रतिशत का करने का रखा गया है। उन्होंने कहा कि जल परिवहन के नये युग की यह
पहल देश की अर्थव्यवस्था व औद्योगिक उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करेगा, जिसमें
रोजगार के अवसर सृजित होकर जीडीपी का बढ़ना तय है।
स्टील उद्योग को मिलेगी मदद: बीरेन्द्र सिंह
केन्द्रीय
स्टील मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने इस मौके पर कहा कि स्टील उद्योग की जरूरतों
को ध्यान में रखते हुए जहाजरानी मंत्रालय द्वारा जल मार्ग के विकास करने के इस
कदम में जहां बंदरगाहों के विकास से स्टील उद्योग को अत्यधिक सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि समुद्र के जरिए जल परिवहन के कम परिवहन खर्च के साथ समय और धन की
बचत के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति
भारत सरकार
की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देने तथा विदेशी पोत कारखानों
के मुकाबले समान अवसर उपलब्ध कराने के जरिए घरेलू जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करने
की नीति अपनाई थी। इसके लिए सरकार द्वारा दिसंबर 2015 में भारतीय पोत कारखाने के लिए
एक जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति को मंजूरी दी, जिसमें अप्रैल 2016 से एक दशक
के बीच प्रत्याभूत संविदाओं के लिए पोत कारखानों को 4 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय
सहायता देने का प्रावधान किया है। इसके
लिए जहाजरानी मंत्रालय ने हितधारकों के साथ परामर्श करके इस नीति के दिशा निर्देशों
में एक संशोधित समूह के साथ वेब आवेदन का एक नवीन संस्करण आरंभ कर दिया है ताकि
इसे कारगर बनाया जा सके।
03Nov-2017
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