बुधवार, 22 नवंबर 2017

जल्द लागू होगी रेलमार्ग पर टीपीडब्ल्यूएस प्रणाली



ट्रेनों के आपस में टकराने का नहीं होगा खतरा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में रेलवे ट्रेक पर ट्रेनों के टकराने के खतरे से निपटने के लिए ऐसी विदेशी तकनीक लागू की जाएगी, जिसमें खतरा भांपते ही ट्रेन में खुद ब्रेक लग जाएंगे। इस जर्मन तकनीक ‘ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निंग सिस्टम’पहले दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर लागू करने की तैयारी की जा रही है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर ट्रेन रक्षा एवं चेतावनी प्रणाली के रूप में जर्मन की इस तकनीक ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निंग सिस्टम(टीपीडब्लूएस) का इस्तेमाल किया जाएगा है। यह विदेशी तकनीक ट्रेन चालक और सिगनल पर नजर रखेगी, जिसके तहत ट्रेक पर खतरा भांपते ही इस तकनीक के जरिए चलती ट्रेन को संकेत मिलेंगे और खुद ही ब्रेक लग जाएंगे। रेलवे के अनुसार उत्तर मध्य रेलवे ने इस तकनीक को पहले दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर गाजियाबाद से मुगलसराय तक पांच खंडों में लगाने की तैयारी कर ली है, जिसके लिए जल्द ही टेंडर होंगे। रेलवे ने यह कदम रेल सुरक्षा और संरक्षा के मद्देनजर उठाया है। इस तकनीक की सफलता के बाद इस तकनीक को तमाम रेलवे मार्गो पर लागू करने की योजना है। इस प्रणाली को गाजियाबाद-टूंडला, टूंडला-कानपुर, कानपुर-इलाहाबाद, इलाहाबाद-मुगलसराय और आगरा-ग्वालियर रेल खंडो पर लगाया जाएगा।
ऐसे लागू होगी तकनीक
रेलवे के अनुसार टीपीडब्ल्यूएस के तहत गाजियाबाद से मुगलसराय तक हर सिगनल के पास ट्रांसमीटर लगेगा। वहीं ट्रेन के इंजन में रिसीवर लगाया जाएगा। इस ट्रांसमीटर के संपर्क में आते ही रिसीवर को सिगनल मिलेगा, जिसके अनुसार रिसीवर ट्रेन की गति की गणना करेगा और यदि गति पांच किमी. तक ज्यादा मिली, तो तत्काल चेतावनी के लिए इंजन में लगा बजर बज उठेगा। यही नहीं यदि ट्रेन की गति 10 किलोमीटर ज्यादा मिली तो ट्रेन को ब्रेक लगाकर रोक देगा। खासबात है कि इस तकनीक में चालक की लापरवाही गडबड़ी का भी पता लग सकेगा। दरअसल यह तकनीक सिगनल पर नजर भी नजर रखेगी और यह भी निगरानी करेगी कि ट्रेन चालक ने सिगनल का पालन किया या नहीं। यदि चालक सक्रिय या सतर्क नहीं हुआ तो यह प्रणाली अपने आप ट्रेन रोक देगी।
पर्यावरण संरक्षण को कसी कमर
केंद्रीय रेल मंत्री एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि सरकार कोयले का परिवहन बेहतर और अधिक पर्यावरणनुकूल तरीके से करने पर विचार कर रही है। उन्होंनेक कोयले का परिवहन करने वाले सभी ट्रकों और रेल वैगनों को कवर करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में 65 प्रतिशत बिजली उत्पादन के लिए कोयले का इस्तेमाल हो रहा है। वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार देशभर में कोयले की ढुलाई को बंद रेल वैगनों और ट्रकों से करने की योजना को अंजाम दे रही है। इसका कारण है कि कारखानों और बिजलीघरों को कोयला पहुंचाने में खुले ट्रकों और वैगनों को भी वायु प्रदूषण बढ़ने की एक वजह माना जा रहा है।
22Nov-2017

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