रविवार, 19 नवंबर 2017

चुनाव आयोग के फैसले को कोर्ट में चुनौती देगा शरद गुट?

गुजरात में चुनाव चिन्हऑटो रिक्शापर उम्मीदवार उतारने का निर्णय
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली। 
जदयू पर हक जताने के मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग के निर्णय से निराश हुए बागी शरद गुट अब अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। वहीं भाजपा के खिलाफ गुजरात में कांग्रेस के साथ गठजोड़ करके शरद गुट ऑटो रिक्शा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में रहा है।
केंद्रीय चुनाव आयोग के नीतीश गुट के पक्ष में आए फैसले और अपनी याचिका खारिज होने से निराश शरद गुट ने दिल्ली हाई कोर्ट में जाने का निर्णय लिया है। इस बारे में जदयू के बागी नेता अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि हम चुनाव आयेाग के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और हम दिल्ली हाइकोर्ट से इसके खिलाफ अपील करेंगे। वहीं शरद यादव के सहयोगी जावेद रजा ने चुनाव आयोग के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने पर हो रहे विचार की पुष्टि करते हुए कहा इस आदेश के खिलाफ शरद गुट के नेताओं के बीच उच्च न्यायालय जाने के अलावा कई अन्य विकल्प के कानूनी पहलुओं पर विचार विमर्श किया जा रहा है। इसलिए चुनाव आयोग के इस फैसले से नीतीश कुमार को ज्यादा उत्साहित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह फैसला बदल भी सकता है और उन्हें उम्मीद है कि चुनाव आयोग द्वारा किसी दबाव में दिये गये इस फैसले के खिलाफ अदालत कानूनी आधार पर उचित निर्णय देगी।
अलग पार्टी बनाएंगे शरद
चुनाव आयोग के फैसले के बाद शनिवार को यहां शरद यादव ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि आयोग ने यह फैसला किसी दबाव में आकर लिया है, जिससे वह कतई संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा फैसला आने की उन्हें पहले ही आशंका थी, इसलिए गुजरात चुनाव में अपने उम्मीदवारों को ऑटो रिक्शा के चुनाव चिन्ह पर अलग पार्टी से चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर ली थी, लेकिन मीडिया के पूछे जाने पर उन्होंने पार्टी का नाम उजागर करने से इंकार कर दिया है, बल्कि कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ तालमेल करके गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
राज्यसभा सदस्यता पर संकट
दूसरी ओर चुनाव आयोग से शरद गुट को मिले झटके के बाद अब शरद यादव और अली अनवर अंसारी की राज्यसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। चुनाव आयोग द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू का पार्टी अध्यक्ष माने जाने पर शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता पर सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं। हालांकि नीतीश गुट ने पहले से ही राज्यसभा में बागी हुए इन दोनों नेताओं की राज्यसभा से सदस्यता खत्म करने की मांग के लिए पत्र दे रखा है, जहां इनकी सदस्यता का मामला अभी विचाराधीन है। चुनाव आयोग के निर्णय के बाद अब संभावना है कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू इस मामले पर अपना फैसला जल्द सुना सकते हैं।
19Nov-2017 

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