बुधवार, 22 नवंबर 2017

संसद के शीत सत्र: पक्ष-विपक्ष आमने-सामने



कांग्रेस ने सत्र में देरी को बताया लोकतंत्र का नुकसान                          
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में हो रही देरी के लिए कांग्रेस समेत विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर निशाने साध रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा केंद्र सरकार पर इसके लिए लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने का अरोप लगाया गया तो सत्तापक्ष ने इस पर पलटवार करके ऐसे आरोपों को बुनियाद करार दिया।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर चौतरफा हमले बोले और संसद के शीतकालीन सत्र में की जा रही देरी पर टिप्प्णी की है कि सरकार संसद के शीत सत्र को बेवजह विलंब करके लोकतंत्र का नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी के मुद्दे पर भी मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अहंकार से ग्रस्त मोदी सरकार ने बिना किसी ठोस कारण के संसद के शीत सत्र को नुकसान पहुंचा कर भारत के संसदीय लोकतंत्र पर गहरा आघात किया है। इससे पहले कांग्रेस और विपक्ष के अन्य नेता संसद सत्र में हो रही देरी पर मोदी सरकार पर विपक्ष की जवाबदेही से बचने का आरोप लगाते आ रहे हैं।
सोनिया का आरोप खारिज
सोनिया गांधी के इस आरोप को खारिज करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा कि इससे पहले भी कांग्रेसनीत केंद्र सरकार संसद के शीत सत्र चुनाव के कारणों से छोटा करती रही है। जेटली वर्ष 2011 में संसद के सत्र में की गई कटौती का जिक्र करते हुए कहा कि आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को खुद की शुरू की गई ऐसी परंपराओं की तरफ देखना चाहिए, जिसमें पहले भी चुनाव के कारण ऐसी परंपरा रही है कि जब भी चुनाव होते हैं तो उस दौरान संसद के सत्र में कटौती की जाती है। उन्होंने कहा कि जब संसद का शीतकालीन सत्र होगा तो कांग्रेस पूरी तरह से बेनकाब हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार संकेत मिल रहे हैं कि सरकार की योजना है कि संसद का शीतकालीन सत्र छोटा किया जाए, जिसे दिसंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू करके दस या 12 दिन बाद समाप्त कर दिया जाए। हालांकि ऐसे परंपरा भी रही है कि शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होकर दिसंबर के तीसरे सप्ताह में ही संपन्न होता रहा है।
21Nov-2017

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