मंगलवार, 30 जून 2020

रेलवे ने पटरी पर दौड़ाई मालवाहक 'सुपर एनाकोंडा' ट्रेन


भारतीय रेलवे के इतिहास में बना सबसे लंबी ट्रेन चलाने का कीर्तिमान
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे की विश्वस्तरीय सुविधाओं को बढ़ावा देने की एक पहल ने रेलवे के इतिहास में एक पन्ना और जुड गया है। इसमें तीन मालगाड़ियों को जोड़कर 177 वैगनों वाली बनाई ‘सुपर एनाकोंडा’ ट्रेन को पहली बार पटरी पर दौड़ाकर एक किर्तिमान कायम किया गया है।
रेल मंत्रालय के अनुसार दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने तीन मालगाड़यिों को जोड़कर देश में 177 वैगनों वाली मालगाड़ी तैयार करके उसे 'सुपर एनाकोंडा' ट्रेन
का नाम दिया और पहली बार इस दो किलोमीटर लंबी मालगाड़ी चलाने का रिकॉर्ड कायम कर दिया है। इससे पहले इस रेल मार्ग पर इस ट्रेन का बिना माल लदान यानि खाली मालगाड़ी को चलाकर ट्रायल किया गया था। मंत्रालय के अनुसार इस मालगाड़ी में एक करोड़ से ज्यादा कीमत का 15 हजार टन कोयला लादकर इसे भारतीय रेल के सबसे व्यस्त रूट में से एक माने जाने वाले ओडिसा के लाजकुरा और राउरकेला के बीच करीब 120 किमी मीटर चलाया गया। खासबात यह है कि माल लदान के साथ ‘सुपर एनाकोंडा’ ट्रेन ने कई मोड़ और चढ़ाई वाले रेल मार्ग पर यह सफर करीब सवा दो घंटे में पूरा किया है। मंत्रालय ने बताया कि तीन मालगाडियों को जोड़कर तैयार की गई इस ट्रेन में 6000 हॉर्स पावर के तीन इंजन को एक साथ इस्तेमाल किया गया है। इंजनों को जोड़ने की तकनीक में पहली ट्रेन के इंजन के पीछे उसके डिब्बे थे। उनके पीछे दूसरी ट्रेन का इंजन और डिब्बे तथा उनके पीछे तीसरी ट्रेन का इंजन और डिब्बे लगाए गये थे। तीनों ट्रेनों के अश्वशक्ति वाले इंजनों से इस विशाल लंबी ट्रेन ने पटरी पर दौडकर जो इतिहास रचा है उसे स्वयं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी सुपर एनाकोंडा' ट्रेन की संज्ञा दी है।
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तत्काल बुकिंग के बाद एक और राहत
भारतीय रेलवे ने विशेष ट्रेनों में सफर करने के लिए जहां टिकटों की तत्काल बुकिंग सेवा को बहाल किया है, वहीं उसके बाद अब एक और बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। रेल मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेलवे ने 30 राजधानी स्पेशल ट्रेनों समेत कुल 230 ट्रेनों में अग्रिम आरक्षण बुकिंग की अवधि को अब मौजूदा 30 दिन से बढ़ाकर 120 दिन करने का ऐलान किया है। इसके साथ इन सभी  ट्रेनों में पार्सल और सामानों की बुकिंग की भी अनुमति दी गई है। मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेलवे ने 12 मई से चल रही राजधानी श्रेणी की 30 विशेष ट्रेनों और 01 जून से चलने वाली 200 विशेष मेल एक्सप्रेस ट्रेनों  के लिए निर्देशों में यह संशोधन रेल यात्रियों को राहत देने के मकसद से किया है। रेलवे के अनुसार तत्काल बुकिंग स्टेशनों पर सीटों का तत्काल कोटा आवंटन आदि जैसी अन्य शर्ते नियमित चलने वाली ट्रेनों की तर्ज पर ही होंगी। 
01July-2020

सरकार की इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ाने की कवायद


इस्पात के समावेशी विकास के लिए किया इस्पाती इरादाका आह्वान
नियमित निगरानी के लिए जल्द गठित होगा एक कार्यदल
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में आत्मनिर्भर भारत के तहत केंद्र सरकार ने इस्पात के समावेशी विकास के लिए इस्पात के उपयोग को बढ़ाने का आव्हान किया है, जिसमें इस्पात के उपयोग की नियमित निगरानी के लिए एक कार्यदल का गठन किया जाएगा।
केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की अध्यक्षता में मंगलवार को ‘इस्पाती इरादा’ यानि निर्माण और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों पर ध्यान देते हुए इस्पात के उपयोग को बढ़ाने के विषय पर वेबिनार बैठक हुई। धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि भारत दुनिया में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो गुणवत्ता युक्त उत्पादों का निर्माण कर सकता है, लेकिन देश में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत का लगभग एक तिहाई है और इसे बढ़ाने के लिए भारत में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में एक समावेशी विकसित राष्ट्र होने का इस्पातीइरादाहै। उन्होंने कहा कि यह इरादा अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, गरीबों की स्थिति को सुधारने, पर्यावरण में सुधार और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प का प्रकटीकरण है। उन्होंने कहा कि सहयोगी ब्रांडिंग अभियान 'इस्पातीइरादा' का उद्देश्य देश में इस्पात के उपयुक्त उपयोग को बढ़ावा देना और उपयोग में आसान, पर्यावरण के अनुकूल, किफायती, सस्ती और मजबूत सामग्री के रूप में इस्पात के उपयोग को बढ़ाना है। प्रधान ने कहा कि देश में इस्पात के निरंतरता उपयोग की नियमित निगरानी के लिए जल्द ही एक कार्यदल का गठन किया जाएगाइस वेबिनार बैठक में इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, इस्पात सचिव प्रदीप त्रिपाठी एवं इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा विषय विशेषज्ञ, उद्योग के अग्रणी लोग, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं और नियामकों ने भी भाग लिया।
बुनियादी ढांचे में मेक इन स्टील
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमें इस्पात की खपत में वृद्धि के अवसरों और चुनौतियों की पहचान करने के साथ मंत्रालय पहले से ही इस्पात के अधिक उपयोग को लेकर बुनियादी ढांचे के विकास में विभिन्न विभागों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने निर्माण में अधिक इस्पात के इस्तेमाल के माध्यम से मेक इन स्टीलका आह्वान किया। भारत रेलवे, सड़क, नागरिक उड्डयन, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भविष्य के लिए बुनियादी ढाँचा बनाने पर ज्यादा जोर दे रहा है, जिससे देश में इस्पात की खपत को और गति मिलेगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में एक चौथाई खपत
इस वेबिनार को संबोधित करते हुए इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि देश में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत को बढ़ाने की व्यापक संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत राष्ट्रीय औसत का लगभग एक-चौथाई है। उन्होंने कहा कि इस्पात की खपत में वृद्धि आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करेगी, पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद करेगी और रोजगार के अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने 103 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन की घोषणा की है और इससे इस्पात की मांग बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस्पात उद्योग को निर्माण की लागत को कम करने के तरीके भी खोजने होंगे।
01July-2020

समावेशी शिक्षा के लिए डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना जरुरी: नायडू


शिक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र से सस्ती तकनीकी उपलब्ध कराने का आव्हान
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में सर्वव्यापी प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ माध्यमिक और उच्च शिक्षा को समावेशी बनाने के लिए सरकार को डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना चाहिए। देश में डिजिटल उपकरण से वंचित बच्चों के भविष्य को देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में सस्ती तकनीकी उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ' फ्यूचर ऑफ एजुकेशन-नाइन मेगा ट्रेंड्स' पुस्तक का लोकार्पण करते हुए इस प्रकार का आग्रह करते हुए कि तकनीकी प्रणाली ने न सिर्फ संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं, बल्कि हमें समाज में व्याप्त विशाल डिजिटल डिवाइड के प्रति भी आगाह किया है। देश में तकनीकी प्रणाली को सस्ता और सुलभ बनाने की जरूरत पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि अभी भी कितने ही बच्चों को डिजिटल उपकरण सुलभ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस अंतर को पाटना होगा, ताकि सर्वव्यापी प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ तथा माध्यमिक और उच्च शिक्षा को समावेशी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि आज भी देश में अनेक अभिभावक डिजिटल उपकरणों का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। डिजिटल डिवाइड के अंतर को समाप्त करने का काम बहुत व्यापक और दुरूह है जिसे के लिए निजी क्षेत्र को सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए। उन्होंने शिक्षा टेक्नोलॉजी से संबद्ध निजी क्षेत्र की कंपनियों से आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों की आवश्यकता को देखते हुए सस्ते शिक्षण साधन उपलब्ध कराएं। उन्होंने ने देश निर्माण में अपना योगदान देने तथा बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
जरुरतों के मुताबिक दें शिक्षा
उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब शिक्षण संस्थान डिजिटल माध्यम से पढ़ा रहे हैं, शिक्षक और विद्यार्थी क्लाउड प्लेटफॉर्म के माध्यम से संपर्क कर रहे हैं, शिक्षण सामग्री साझा कर रहे हैं और अपने प्रोजेक्ट्स पूरे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि परीक्षाएं भी ऑनलाइन ही ली जा रही है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रिएलिटी, ऑगमेंटेड रिएलिटी जैसी तकनीकें जल्दी ही कक्षाओं में पहुंच जाएंगी और विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के पढ़ने पढ़ाने के तरीकों को बदल कर रख देंगी। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे बदलती जरूरतों के अनुसार विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज ऑनलाइन प्रयोगशाला के माध्यम से विद्यार्थी कहीं से भी कोई भी मशीन का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज शिक्षक की भूमिका उनके विद्यार्थी के मार्गदर्शक, कोच, सहायक, परामर्शदाता और यहां तक कि उसके मित्र के रूप में है। नायडू ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिल कर विद्यार्थियों को हर स्तर पर अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य को साकार करने के नए उपाय खोजे।
01July-2020