गृह मंत्रालय ने अचानक
बदला फैसला में संशोधन
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में जब एक जून को स्वदेशी
उत्पादों की बिक्री शुरू की गई, जिसके लिए विदेश ब्रांड के सामनों को डीलिस्ट किया
जाने लगा तो अचाननक गृहमंत्रालय ने करीब 1026 गैर स्वदेशी सामानों और कंपनियों को
डी-लिस्ट करने पर अपना फैसला बदलते हुए रोक लगा दी है।
गृह मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों
के लिए
केंद्रीय
पुलिस कल्याण भंडार की सीएपीएफ कैंटिनों से एक जून से हटाए जा रहे गैर स्वदेशी उत्पादों को
डी-लिस्ट करने पर रोक लगा दी है। मंत्रालय के अनुसार इससे पहले सीएपीएफ की कैंटीनों ने
डाबर, वीआईपी इंडस्ट्रीज, यूरेका फोर्ब्स, जकुआर, एचयूएल (फूड्स), नेस्ले इंडिया जैसी कंपनियों के एक हजार से अधिक उत्पादों को को कैंटिनों से हटाने का
निर्णय लिया गया था, इसके लिए एक जून से केवल स्वदेशी उत्पादों की बिक्री होनी थी,
लेकिन जब केपीकेबी की कैंटिनों से इन उत्पादों को हटाया जाने लगा तो सोमवार को ही
अचालन गृह मंत्रालय ने डी-लिस्ट की जा रही कंपनियों व उत्पादों के हटाने पर फिलहाल
रोक लगाने का फैसला किया। हालांकि सीएपीएफ कैंटीनों में अब संबंधित उत्पादों की बिक्री न होने की बात एक सरकारी आदेश
में कही गई थी। मंत्रालय के अनुसार कुछ खास उत्पादों में आयातित सामान का इस्तेमाल करने वाली और सूची से बाहर हुई
कंपनियों में डाबर इंडिया लिमिटेड, वीआईपी
इंडस्ट्रीज, नेस्ले इंडिया, ब्लू स्टार लिमिटेड, बोरोसिल ग्लास वर्क्स लिमिटेड, कोलगेट पामोलिव इंडिया लिमिटेड, यूरेका फोर्ब्स, जकुआर, एचयूएल (फूड्स) और अन्य कंपनियां शामिल हैं। आदेश में कहा गया था कि गैर स्वदेशी वस्तुओं
को खारिज या सूची से बाहर पूरी तरह कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के आधार पर
किया गया है। गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोरोना संकट
से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान करने के बाद गृहमंत्रालय ने
निर्णय लिया था कि एक जून से देश में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की कैंटिनों
यानि केंद्रीय
पुलिस कल्याण भंडारों पर स्वदेशी सामान की बिक्री की जाएगी।
देशभर में 1700 कैंटीन
गृह मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार वर्ष 2006 में स्थापित
किये गये सीएपीएफ कैंटिन के नेटवर्क को संचालित करने मुख्य संस्था है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कैंटीन
के तहत देशभर में 1700 से अधिक केंद्रीय पुलिस पैरामिलिट्री
कैंटीन (सीपीसीएफ) का संचालन
हो रहा
है। इन कैंटिनों में किराना का सामान, कपड़े, उपहार सामग्री और वाहन एवं अन्य
सामानों की बिक्री होती है। सीएपीएफ
की कैंटीन में सालाना करीब 2800 करोड़ रुपये
का व्यवसाय होता है। पुलिस बलों की
तैनाती वाले विभिन्न स्थानों पर 119 से ज्यादा
मास्टर कैंटीन और 1625 सहायक कैंटीन
हैं। केंद्रीय पुलिस कैंटीन का
इस्तेमाल सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल्स में सेवारत
लगभग 10 लाख कर्मियों के लगभग 50 लाख परिवार के सदस्य करते है।
तीन श्रेणियों में बांटे उत्पाद
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुसार केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार
(केपीकेबी)
ने गृहमंत्रालय के निर्णय के कार्यान्वयन की प्रक्रिया में गैर स्वदेशी उत्पादों
को श्रेणी-3 में रखते हुए उन्हें व कंपनियों को डी-लिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू
कर दी थी, जिन पर गृह मंत्रालय ने रोक लगा दी है। मंत्रालय के अनुसार केपीकेबी ने प्रतिबंधित किये जाने
वाले सभी उत्पादों
को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है। केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार में केवल श्रेणी-1 और श्रेणी-2 के अंतर्गत आने वाले स्वदेशी ब्रांड के सामान को रखा जा रहा है। जबकि श्रेणी-3 में आने वाले उन सामानों की बिक्री पर
रोक लगाने के लिए एक जून यानि
सोमवार से जिन उत्पादों को डीलिस्ट
करने की प्रक्रिया शुरू की गई उनमें विशुद्ध रूप से आयातित यानि विदेशी उत्पाद शामिल है। जबकि पहली दो श्रेणियों
में विशुद्ध
रूप से भारत में निर्मित उत्पाद और कच्चा माल
आयातित, लेकिन उत्पाद भारत में निर्मित
या असेंबल्ड वाले उत्पाद शामिल हैं।
02June-2020
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