रेलवे जोनों व मंडलों में 160 बुनियादी कामों की पहचान, हजारों श्रमिकों को
मिलेगा रोजगार
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्यों में
रोजगार के अवसर देने के लिए शुरू किये गये 'गरीब कल्याण रोज़गार अभियान' को मिशन मोड़ पर चलाने
के लिए भारतीय रेलवे ने कमर कस ली है। रेलवे ने छह राज्यों के चिन्हित 116 जिलों
में रेलवे जोनो ने बुनियादी ढांचों के करीब 160 कामों की पहचान की है, जिनमें 31
सितंबर तक 1800 करोड़ रुपये खर्च करके करीब आठ लाख मानव दिवसों के लिए हजारों
श्रमिकों को रोजगार दिया जाएगा।
रेल मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि रेलवे बोर्ड के
अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने 'गरीब कल्याण रोज़गार अभियान' की प्रगति के बारे में रेलवे जोनों के महाप्रबंधकों, मंडल रेलवे प्रबंधकों,
प्रबंध निदेशकों और रेलवे की सार्वजनिक संस्थाओं व हितधारकों के साथ वीडियों
कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक की। इस बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा 20 जून को लॉच
किये गये 'गरीब कल्याण
रोज़गार अभियान' में छह राज्यों
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और झारखंड के 116 चिन्हित जिलों में रेलवे द्वारा इस दिशा में
शुरू की गई गतिविधियों की जानकारी ली। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष यादव ने सभी रेलवे
जोनों के महाप्रबंधकों को निर्देश दिये कि इस अभियान के लिए इन रेलवे जोनों व
मंडलों में रेलवे के बुनियादी ढांचों के लिए पहचान किये गये करीब 160 कामों को
मिशन मोड़ तेज कराया जाए। बैठक में
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष यादव ने जोनल रेलवे को निर्देश दिया कि वे प्रत्येक जिले के साथ-साथ राज्यों में
भी नोडल अधिकारी नियुक्त करें, ताकि राज्य
सरकार के बेहतर समन्वय स्थापित करके इस अभियान को तेजी
से चलाया जा सके। यादव ने जोनल स्तर पर रेलवे प्रशासन को यह भी निर्देश दिया, कि प्रवासियों की परियोजनाओं में
लगे रहने और तदनुसार भुगतान करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य किया जाना सुनिश्चित किया
जाए। जोनल रेलवे
को यह भी निर्देश दिया गया है कि
वह मनरेगा
के तहत
प्रस्तावित कार्यों को जोन स्तर पर मंजूरी देते हुए आंचलिक
रेलवे की दैनिक आधार पर कार्यों की
निगरानी तय
करेंगे। इसके लिए सभी रेलवे जोनों को ऐसे कार्यो की अक्टूबर 2020 तक हर शुक्रवार को रेल मंत्रालय को रिपोर्ट प्रस्तुत
प्रस्तुत
करने के भी निर्देश दिये गये हैं।
मनरेगा के जरिए कामों को मंजूरी
रेलवे बोर्ड ने इस अभियान को दिशा देने के लिए रेलवे के क्रासिंग के लिए
एप्रोच सड़कों का समतलीकरण, निर्माण, रखरखाव, रेलवे ट्रैक के किनारे जलमार्ग,
खाईयों और नालों का विकास तथा सफाई, रेलवे स्टेशनों के लिए एप्रोच सडक निर्माण,
मौजूदा रेलवे तटबंधों व कटिंग की मरम्मत व चौड़ीकरण, रेलवे की भूमि सीमा में
वृक्षारोपण के अलावा मौजूदा तटबंधों, कटों और पुलों के संरक्षण जैसे अनेक कार्यो
को मनरेगा के माध्यम से कराने के लिए मंजूरी दी। रेलवे का मानना है कि इस तरह के
कामों को मनरेगा के जरिए कराने से हजारों श्रमिकों को रोजगार करने का मौका मिलेगा।
रेल मंत्रालय ने बताया कि रेलवे के मिशन मोड पर चलने वाले इस अभियान में अक्टूबर
के अंत तक करीब 8 लाख मानव दिवस रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें
हजारों श्रमिकों को शामिल किया जाएगा। रेलवे ने इसके लिए 1800 रुपये खर्च करने का
अनुमान लगाया है।
50 हजार करोड़ का है अभियान
गौरतलब हो कि माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े पैमाने पर 50 हजार करोड रुपये के इस
रोजगार
अभियान की शुरुआत की है, ताकि कोरोना संकट के दौरान अपने अपने घरों को लौटे प्रवासी श्रमिकों को
वहीं रोजगार मिल सके। खासतौर पर यह ग्रामीण लोक निर्माण अभियान के रूप में चलाया गया अभियान है। केंद्र सरकार ने प्रमुख रुप से एक दर्जन अलग-अलग केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों यानि ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन और राजमार्ग, खान, पेयजल और स्वच्छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़कें, दूरसंचार और कृषि मंत्रालय के जरिए इस
अभियान की शुरूआत की है। इसमें 25 सार्वजनिक निर्माण कार्यों और कार्यों से संबंधित कार्यान्वयन को तेज करते हुए श्रमिकों के लिए
रोजगार के अवसर पैदा किये जाने हैं।
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कोरोना: भूखमरी के कगार पर पहुंचे रेलवे खान-पान
वेंडर
रेलवे से खान-पान यूनिटों को खोलने की उठी मांग
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण पिछले कई महीनों से खान-पान
यूनिटें बंद पड़ी हुई है, जिसके कारण रेलवे स्टेशनों पर खान-पान वेंडर भूखमरी के
शिकार हैं। वहीं रेलवे में करीब एक दर्जन कानूनी उत्तराधिकारी के नाम लाइसेंस स्थानांतरण के मामले लंबितहोने से
ऐसे परिवार आर्थिक तंगी के शिकार हैं।
अखिल भारतीय रेलवे खान-पान वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवीन्द्र गुप्ता ने यह जानकारी देते हुए
बताया कि इस संबन्ध में उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक को लिखे पत्र में भूखमरी के शिकार हो रहे लाइसेंसिज वेडरों के
पारिवरिजनों की दयनीय स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है, जिसमें कानूनी उत्तराधिकारी के नाम
लाइसेंस स्थानांतरण करने की की मांग की गई है। ऐसे करीब एक दर्जन मामले उत्तर रेलवे मुख्यालय में लंबित
पड़े होने से वेंडरों की माली हालत कमजोर पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड द्वारा
कैटरिंग पॉलिसी
2010 एवं 2017 में किए गए प्रावधानों के अनुसार भारतीय रेल के सभी मण्डलों में कानूनी उत्तराधिकारी
के नाम स्थानांतरण किए गए हैं एवं किए जा रहे हैं। लेकिन उत्तर रेलवे के दिल्ली मण्डल में
कार्यरत लाइसेंसियों की मृत्यु पश्तात उनके परिवार
द्वारा नियुक्त कानूनी उत्तराधिकारी ने अपने नाम लाइसेंस स्थानांतरण करने के लिए सभी
आवश्यक दस्तावेजों के साथ प्रार्थना-पत्र
दिये हुए
हैं, जिन्हें दिल्ली मण्डल के सक्षम अधिकारी द्वारा नाम स्थानांतरण की संतुति के साथ उत्तर रेलवे के महाप्रबन्धक की मंजूरी के लिए अलग-अलग प्रार्थना-पत्र
अलग-अलग समय पर भेजे गए थे। लेकिन पिछले करीब 8-9 महीनों से महाप्रबन्धक कार्यालय
में ये
मामले लम्बित होने के कारण प्रभावित परिवार लगातार दिल्ली
एवं महाप्रबंधक कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
करोना संकट ने तोड़ी कमर
ऐसोसिएशन के अध्यक्ष रवीन्द्र गुप्ता ने कहा कि मार्च के बाद कोविड-19 की महामारी
ने पूरे देश में कोहराम
मचाया हुआ है। ऐसे में ये परिवार अपना कैसे भरण-पोषण कर रहे होंगे यह एक सोचनीय प्रश्न है? यह एक मानवीय प्रश्न यह भी है कि लाइसेंसी वैंडर की मृत्यु
होने की स्थिति में उसके परिजन यानि उत्तराधिकारी को वेंडर लाइसेंस का स्थानांतरण
न होने से ऐसे परिवार की आर्थिक हालत दयनीय होना तय है। दूसरी और रेलवे ने कोराना
संकट के कारण बंद पड़ी खान-पान यूनिटों को अभी तक नहीं खोला है, जिसके कारण
लाइसेंसी वेंडरों के सामने भूखमरी की स्थिति बनी हुई है। ऐसोसिएशन ने महाप्रबंधका
को लिखे पत्र में इन बंद पड़ी खान-पान यूनिटों को खोलने की भी मांग की है। गुप्ता
ने महाप्रबंधक
से अनुरोध किया है कि मानवीय
दृष्टिकोण अपनाते हुए रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में एवं माननीय उच्च न्यायालय
के स्थगन आदेश के परिपेक्ष्य
में कानूनी उत्तराधिकारी के नाम लाइसेंस स्थानांतरण करके इनके खान-पान यूनिटों को अविलम्ब चालू करने
के निर्देश जारी
करें, ताकि ताकि लाइसेंसी वेंडरों के परिवारों को भूखमरी से बचाया
जा सके।
25JUne-2020
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