सोमवार, 29 जून 2020

कोरोना संकट: 18 राज्यों के निवाले का सहारा बना हरियाणा व पंजाब


देशभर में आपूर्ति हुए खाद्यान्न में 62.5 लाख टन इन दोनों राज्यों से हुआ लदान
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में कोरोना संकट के कारण देशव्यापी लॉकडाउन शुरू होते ही भारतीय रेलवे की मालवाहक ट्रेने चौबीसों घंटे खाद्यान्न और आवश्यक सामानों की आपूर्ति करती रही है, जिसके लिए 111.02 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न समेत 180 मिलियन टन से भी ज्यादा आवश्यक वस्तुओं का लदान मालगाड़ियों में किया गया। अनाज जैसे खाद्यान्न की आपूर्ति में सबसे ज्यादा 62.5 लाख टन खाद्यान्न का उठान हरियाणा व पंजाब के उत्तर रेलवे परिवहन स्टेशनों से किया गया है, जिसकी आपूर्ति देश के 18 राज्यों में की गई।
उत्तर रेलवे व उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में कोरोना संकट में लॉकडाउन से पहले 'जनता कर्फ्यू' के बाद यानि 22 मार्च से भारतीय रेलवे ने देशभर में तमाम यात्री रेल सेवा को रद्द कर दिया था, लेकिन कोरोना संकट व लॉकडाउन की वजह से देशभर के लोगों को आवश्यक सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी मालगाड़ियों का परिचालन जारी रखा हुआ है। कोरोना के खिलाफ जंग में भारतीय रेलवे ने सक्रिय भागीदारी करते हुए खाद्यान्न, नमक, चीनी, खाद्य तेल, प्याज, फल और सब्जियां, पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला, उर्वरक आदि आवश्यक सामानों का लदान करके उसकी देशभर में आपूर्ति को सुनिश्चित किया हुआ है। महाप्रबंधक चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा देश में 80 करोड़ गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के मुफ्त में अनाज, चावल व दालें जैसी खाद्य सामग्री करने का ऐलान किया गया था, जिसके लिए देशभर में आपूर्ति किये गये खाद्यान्न में उत्तर रेलवे के परिवहन स्टेशनों से हरियाणा व पंजाब के अन्न भंडारों से अकेले 62.5 लाख टन खाद्य अनाज की निकासी करके लदान किया गया है, जिसकी आपूर्ति देश के 18 राज्यों में की गई। हालांकि कोरोना महामारी व लॉकडाउन के कारण मालवाहक ट्रेनों में ट्रकों के अभाव में खाद्यान्न का लदान किसी चुनौती से कम नहीं था। इसके बावजूद रेलवे ने खाद्यान्न रेकों के प्रेषण, कर्मचारिरयों की व्यवस्था और उन्हें इस संकट की खड़ी में प्रेरित करके इस काम को अंजाम दिया गया, जिसमें दिव्यांगों ने भी रेकों के लदान व उतारने में अहम भूमिका निभाई है। रेलवे के अनुसार एक अप्रैल से आठ जून तक हरियाण और पंजाब से 47.06 लाख टन से अधिक चावल और 15.4 लाख टन से अधिक गेहूं राज्यों की आवश्यकता के अनुसार आपूर्ति किया गया था। देशभर में भारतीय रेलवे के खाद्यान्न के लदान की तुलना में उत्तर रेलवे के इन दोनों राज्यों ने 206 फीसदी अधिक खाद्य्रान्न का इस दौरान लदान किया है।
चुनौती पूर्ण था लदान का काम 
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने कहा कि देश में चूंकि लॉकडाउन की अवधि चार बार आगे बढ़ाई गई और केंद्र सरकार गरीबों के लिए निशुल्क अनाज वितरण करने का ऐलान कर चुकी थी, इसलिए 80 करोड़ लाभार्थियों के हिसाब से बढ़ती अनाज की मांग को पूरा करने के लिए अनाज की कमी वाले राज्यों को केंद्र सरकार ने क्रेडिट पर एफसीआई से तीन माह का स्टॉक उठाने की अनुमति दी, तो रेलवे पर खाद्यान्न के लदान और उसकी आपूर्ति का दबाव कहीं ज्यादा हो गया। चौधरी ने कहा कि चूंकि ढकी हुई रेक में माल ढुलाई को हतोत्साहित किया जा रहा था, इसलिए देशभर से खाली रेक की पर्याप्त आपूर्ति की व्यवस्था करना और उन्हें उन्हें अनाज लदान के लिए पंजाब और हरियाणा के परिवहन स्टेशनों तक ले जाना बेहद कठिन काम था। हरियाणा और पंजाब देश के प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक राज्यों में है, इसलिए अनाज की मांग को पूरा करने के लिए भारत के अन्य क्षेत्रों में मौजूद रेक के प्रवाह को उत्तर की ओर मोड़ दिया गया, जिसमें रेकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए वैगनों के रखरखाव पैटर्न को भी बदलना पड़ा इस दबाव के बावजूद उत्तर रेलवे को इन दोनों राज्यों से अपने परिवहन स्टेशनों पर प्रतिदिन मालगाड़ियों में 15 रेकों की लदान को बढ़ाकर साढ़े तीन गुना से भी ज्यादा करना पड़ा। उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को रिकार्ड 54 रेक का सर्वाधिक लदान किया गया।
किस राज्य में कितना अनाज भेजा
उत्तर रेलवे के हरियाणा व पंजाब के परिवहन स्टेशनों से लॉकडाउन के दौरान 2218 रेकों में हुए 62.47 लाख टन खाद्यान्न के लदान के बाद 18 राज्यों में उसकी आपूर्ति की गई। इन राज्यों में छत्तीसगढ़ में 0.05 लाख टन, असम में 9.25, बिहार में 12.29, गोवा में 0.21, गुजरात में 4.03, जम्मू-कश्मीर में 0.94, झारखंड में 0.42, कर्नाटक में 9.79, केरल में 0.24, महाराष्ट्र में 9.78, नागालैंड में 0.70, ओडिशा में 0.24, राजस्थान में 2.64, पश्चिम बंगाल में 2.05, तमिलनाडु में 1.15, तेलंगाना में 0.05, यूपी में 8.60 और उत्तराखंड में 0.05 लाख टन अनाज की आपूर्ति की गई रेलवे के अनुसार राज्यों की आवश्यकता के अनुसार स्थलों की व्यवस्था के लिए भारतीय खाद्य निगम के साथ सावधानीपूर्वक पूर्व योजना बनाई जा रही थी। लोडिंग और ऑफ-लोडिंग के लिए टर्मिनल रिलीज और स्थानीय प्रशासन के साथ श्रम उपलब्धता के लिए गृह मंत्रालय के साथ भी शीर्ष स्तर पर समन्वय बनाए रखा गया और इस मुहिम को अंजाम तक जारी रखा हुआ है।
22June-2020

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