बुधवार, 10 जून 2020

राज्य जितनी ट्रेनों की मांग करेगें, रेलवे हर समय चलाने को तैयार



प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे ने दावा किया कि प्रवासियों की घर वापसी के लिए रेलवे लगातार श्रमिक विशेष ट्रेनें चला रहा है और राज्य की मांग और आवश्यकता के अनुसार रेलवे 24 घंटे श्रमिक विशेष ट्रेने चला रहा है।
दरअसल मंगलवार को लॉकडाउन के कारण देश में जगह जगह से पलायन कर रहे प्रवासियों खासतौर से श्रमिकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को 15 दिन के भीतर उन्हें उनके पैतृक स्थलों और उनके लिए कौशल के आधार पर रोजगार मुहैया कराने की योजना तैयार करने के निर्देश दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बार रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा कि भारतीय रेलवे राज्यों द्वारा आवश्यक के रूप में श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से प्रवासियों के आरामदायक और सुरक्षित आवागमन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। रेलवे एक मई से ही लगातार प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 24 घंटे श्रमिक विशेष ट्रेने चला रहा है, जिसमें अब तक भारतीय रेलवे 60 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गंतव्य राज्य में निकटतम स्थल तक पहुंचा चुका है, जिसके लिए अब तक 4347 से अधिक श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष यादव ने कहा कि रेलवे आवश्यकतानुसार राज्यों की मांग पर 24 घंटे जितनी भी ट्रेनों की मांग करेगा, रेलवे उतनी ही ट्रेने तत्काल मुहैया कराएगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड राज्यों की सरकारों से बार-बार आग्रह भी कर रहा है कि वह जितनी भी ट्रेनों की मांग होगी, उन्हें बादस्तूर चलाना जारी रखेगा। रेल मंत्रालय ने राज्य सरकारों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के बारे में उनकी आवश्यकताओं को इंगित करने और यह देखने का अनुरोध भी किया है कि रेल मोड द्वारा अवशिष्ट व्यक्तियों के आंदोलन की अनुमानित मांग को अच्छी तरह से निर्धारित किया गया है। वहीं भारतीय रेलवे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन के लिए पहले से ही प्रवासियों केआवागमन और उन्हें सफर के दौरान तमाम आवश्यक सुविधाएं मुफ्त में मुहैया कराता आ रहा है।
राज्यों को लिखा तीसरा पत्र
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद यादव ने कहा कि लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों व अन्य लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के संबन्ध में सुप्रीम कोर्ट के मंगलवार को जारी आदेशों के अनुपालन में रेलवे बोर्ड ने राज्यों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखकर इस बात पर जोर दिया है कि प्रवासियों को उनके गृह स्थान या राज्य तक पहुंचाने के लिए वे नोडल अधिकारियों के जरिए रेलवे से आवश्यकतानुसार ट्रेनों की मांग करें, जिसके लिए भारतीय रेलवे अनुरोध के 24 घंटे के भीतर वांछित संख्या में ट्रेनें मुहैया कराएगा। रेलवे क अनुसार इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के 28 मई के आदेशों के अनुपालन में 29 मई और फिर 3 जून को राज्यों को इसी विषय पर जोर देते हुए रेलवे राज्यों को पत्र लिख चुका है। भारतीय रेलवे ने राज्यों को यह भी आश्वासन दिया है कि वह भविष्य में दी जाने वाली किसी भी आवश्यकता के लिए अतिरिक्त श्रमिक स्पेशल ट्रेन प्रदान करेगा, जिसमें रेलवे किसी भी अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए तैयार है, जो एक छोटे से नोटिस पर दिए गए अनुमानों से अधिक क्षमता से रेलवे श्रमिकों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर से केंद्र व राज्य सरकारों को प्रवासियों खासकर श्रमिकों को उनके पैतृक गांव पहुंचाने और कौशल के आधार पर उनके लिए रोजगार की योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिये हैं। न्यायालय ने लॉकडाउन की वजह से पलायन कर रहे सभी श्रमिकों को 15 दिन के भीतर उनके पैतृक स्थान पहुंचाने के साथ उनके पुनर्वास और कौशल का आकलन करने के बाद श्रमिकों के लिए रोजगार योजनाएं तैयार करने के भी आदेश दिये हैं। न्यायाल ने अपने आदेश में केंद्र को यह भी निर्देश दिये कि प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिये अतिरिक्त रेलगाड़ियों की मांग किये जाने के 24 घंटे के भीतर राज्यों को ट्रेनें उपलब्ध करायी जायें। सुप्रीम कोर्ट के इसी निर्देश के अनुपालन में रेलवे बार्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जा रही श्रमिक विशेष ट्रेनों के संचालन को जारी रखने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए राज्यों को इस संबन्ध में पत्र लिखा है।
10June-2020




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