केंद्र सरकार ने काली सूची में शामिल
विदेशी नागरिकों पर लगाया प्रतिबंध
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली
में निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात की गतिविधियों में शामिल
2500 विदेशी नागरिकों
के भारत आने पर 10 साल का प्रतिबंध
लगा दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक इनमें
से बहुत से विदेशी नागरिकों को पहले ही ब्लैकलिस्ट किया जा चुका था। ये सभी टूरिस्ट
वीजा पर भारत आए थे। देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन में
तब्लीगी जमात के लोग बड़ी संख्या में जुटे थे। उनकी वजह से अन्य लोगों में भी कोरोना
वायरस बहुत ज्यादा संख्या में फैल गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अप्रैल महीने में
तब्लीगी जमात के 960 विदेशी नागरिकों
को ब्लैक लिस्ट कर दिया था। साथ ही इनके वीजा को रद्द कर दिया गया था। गृह मंत्रालय
ने दिल्ली पुलिस व अन्य राज्यों की पुलिस से अपने-अपने क्षेत्र में रह रहे विदेशी नागरिकों
के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम व विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत कार्रवाई करने को कहा
था। गृह मंत्रालय ने ट्वीट कर इस कार्रवाई की जानकारी दी थी। दिल्ली के निजामुद्दीन
में हुए कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों में 1300 विदेशी नागरिकों की पहचान की गई थी। इनमें अमेरिका, फ्रांस और इटली के नागरिक शामिल थे। इनकी पहचान
कर इन्हें क्वारंटीन में भेजा गया था। निजामुद्दीन पश्चिम में तब्लीगी जमात मरकज कोरोना
वायरस का हॉटस्पॉट बन गया था। इस वजह से पूरे क्षेत्र को सील करना पड़ा था। कई सरकारी
एजेंसियों ने अपनी जांच में पाया कि 9000 से ज्यादा तब्लीगी
जमात के भारतीय सदस्यों ने देश के 20 राज्यों में कोरोना
संक्रमण फैला दिया था।
इन देशों के हैं नागरिक
सूत्रों से मिली जानकारी
के मुताबिक, काली सूची में डाले
गए विदेशियों में माली, नाइजीरिया, श्रीलंका, केन्या, जिबूती, तंजानिया, दक्षिण, अफ्रीका, म्यांमार, थाईलैंड,
बांग्लादेश, यूके ऑस्ट्रेलिया और नेपाल के नागरिक शामिल
हैं।
541 विदेशियों के खिलाफ साकेत कोर्ट में चार्जशीट दायर
दिल्ली पुलिस की क्राइम
ब्रांच ने बीते 28 मई को तबलीगी जमात
से जुड़े तीन देशों के 541 विदेशी नागरिकों
के खिलाफ दिल्ली की साकेत कोर्ट में 12 आरोप पत्र दायर
किए। कोर्ट 25 जून को मामले की
सुनवाई करेगी। दिल्ली पुलिस इससे पहले 32 देशों के 374 विदेशी नागरिकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर
चुकी है। अधिकारियों ने बताया कि तबलीगी जमात
के सदस्यों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने वीजा नियमों एवं महामारी संबंधी
कानून के तहत सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया तथा ऐसी लापरवाही की जो जानलेवा
बीमारी फैलाने की वजह बन सकती है।
05June-2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें