ट्रेनों के 68,800 कोच को जैव-शौचालययुक्त करने
का लक्ष्य पूरा
एक साल में 200 रेलवे स्टेशनों
को मिला पर्यावरण प्रमाण पत्र
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारतीय रेल के विश्वस्तरीय
सुविधाओं से लैस करने की दिशा में कायाकल्प करने के लिए चलाई जा रही अत्याधुनिक
परियोजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने के लिए रेलवे जुटा हुआ है। रेलवे ने ट्रेनों में 68,800
कोचों को जैव-शौचालययुक्त करने के लक्ष्य को शत प्रतिशत पूरा करते हुए 2.45 लाख
400 जैव शौचालय लगाने का दावा किया है।
रेल मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ
रेल नेटवर्कों में से एक है, जिसमें रेलवे यात्रियों को विश्व स्तर की सुविधाएं प्रदान करने के लिए हर स्तर पर अपनी योजनाओं
को अंजाम दे रहा है। रेलवे
ने दावा किया है कि वर्ष 2019-20 के दौरान 14,916 रेल कोचों में 49,487 जैव-शौचालय लगाए गए। इसके साथ ही रेलवे ने 68,800
कोचों में
2,45,400
जैव शौचालयों
के 100
फीसदी लक्ष्य को भी हासिल कर लिया है। रेलवे के अनुसार 2 अक्टूबर 2019 को 150वीं गांधी जयंती के उपलक्ष्य में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के किसी
सामान का कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है।
स्वच्छता में सर्वश्रेष्ठ रेल
मंत्रालय

550 ट्रेनों में ओबीएचएस सुविधा
मंत्रालय के अनुसार राजधानी, शताब्दी, दूरंतो और अन्य महत्वपूर्ण लंबी
दूरी की मेल या एक्सप्रेस
रेलगाड़ियों सहित 1100 जोड़ी से
अधिक रेलगाड़ियों में यात्रा के दौरान शौचालयों, दरवाजों, गलियारों और यात्री डिब्बों की सफाई
के लिए ट्रेन पर हाउस कीपिंग सेवा (ओबीएचएस) की सुविधा मौजूद है। रेलवे अब 'कोच-मित्र' सेवा की मांग पर आधारित एसएमएस द्वारा
समर्थित ओबीएचएस सेवा अब 1060 जोड़ी से
अधिक ट्रेनों को कवर करेगी। एसी कोच के यात्रियों को दी जाने वाली चद्दरों की धुलाई
की गुणवत्ता में सुधार के लिए मशीनीकृत लॉन्ड्री स्थापित की जा रही है। वित्त वर्ष
2019-20
के आवंटन में 68 में से 8 मशीनीकृत लॉन्ड्री स्थापित की जा चुकी हैं। वहीं वर्ष 2019-20 के
दौरान 20 में से 8 स्थानों पर स्वचालित डिब्बे
धोने के संयंत्र (एसीडब्ल्यूपी) के अलावा रेलवे स्टेशनों पर पानी भरने के समय को कम करने के लिए 44 में 29 स्थानों पर त्वरित जल भरने की सुविधा
स्थापित की गई है।
06June-2020
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