मंगलवार, 27 जुलाई 2021

ओलंपिक में भारत को गोल्ड दिलाएगी गुड़िया

सोनम मलिक मिट्टी व सड़क पर अभ्यास करके बनी इंटरनेशल पहलवान ओ.पी. पाल.रोहतक। भारतीय कुश्ती की टीम में सोनम मिलक सबसे युवा महिला पहलवान है। अपने दांव-पेंच से विरोधी पहलवान को चित करने की तकनीक, जज्बे और जुनून ने उसे देश के लिए ओलंपिक में 62 किलोग्राम वर्ग में अपना जौहर दिखाने का मौका मिला है। गुडिया के नाम से पुकारी जाने वाली भारतीय महिला पहलवान सोनक से देश को पदक की उम्मीद है, जिसके लिए वह लगातार अभ्यास करके पसीना बहा रही है। सोनीपत जिले में गोहाना तहसील के छोटे से गांव में जन्म 15 अप्रैल 2002 को जन्मी सोनम मलिक में इतनी गजब की फुर्ती और ताकत है, जिसके सामने प्रतिद्वंदी के हौसले पस्त हो जाते हैं। पांच बार भारत केसरी का खिताब जीतने वाली सोनम ने अपने इस सफर से पहले अपनी रोल मॉडल और रियो ओलंपिक में कांस्य पदक लाने वाली साक्षी मलिक को भी चार बार पटखनी देककर हराया है। इसी ताकत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती युवा पहलवान सोनम मलिक, उसके परिजनों के साथ पूरे देश को भरोसा है कि गुड़िया टोक्यो ओलंपिक से गोल्ड लेकर स्वदेश लौटेगी। उसे गुरुमंत्र देने वाले कोच अजमेर मलिक को भी उम्मीद है कि जिस प्रकार से गुड़िया की तैयारी अच्छी चल रही है, उससे पदक की उम्मीदों को नकारा नहीं जा सकता। सोनम ऐसी पहलवान है जिसे मिट्टी पर ही प्रशिक्षित करना पड़ता था। बारिश के दिनों में कीचड़ होने पर पहलवानों को सड़कों पर तक अभ्यास करना पड़ा है। इसी जुनून ने सोनम को एक अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। गुड़िया ने लड़कों के साथ कुश्ती करके उन्हें भी चित किया है। -----दस साल की उम्र में शुरू की पहलवानी----- भारतीय महिला पहलवान सोनम मलिक ने महज दस साल की उम्र यानि वर्ष 2012 में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। गांव मदीना के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्पोर्ट्स अकादमी में शुरू से ही अभ्यास करती आ रही सोनम मलिक ने अकादमी के संचालक और कोच अजमेर मलिक से पहलवानी के तकनीकी गुर सीखे। कोच अजमेर मलिक ने हरिभूमि से बातचीत करते हुए बताया कि सोनम मिलिक का दृढ़ संकल्प और जुनून ही रहा है कि इस युवा महिला पहलवान ने वर्ष 2016 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की नेशनल स्कूल गेम्स में स्वर्ण हासिल कर कैरियर की शुरूआत की थी। सेना में सूबेदार रहे रिटायर्ड कोच अजमेर मलिक ने बताया कि सोनम मलिक को गुडिया के नाम से पुकारते हैं, जिसका ओलंपिक तक सफर करने और देश का नाम रोशन करने का सपना संजोया था। टोक्यों ओलंपिक के लिए भारतीय कुश्ती टीम में गुडिया का के चयन का श्रेय उसके राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तकनीकी दांव पेंच के साथ शानदार प्रदर्शन को है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों कजाखस्तान में एशियन ओलंपिक क्वालिफिकेशन मैच में जीत हासिल कर सोनम मलिक ने ओलंपिक में जगह बनाई, लेकिन उसी दौरान उसके घुटने में चोट लग गई थी, जिसके कारण पौलेंड में लगे शिविर के बजाए वह गांव के इसी स्टेडियम में चिकित्सकों की निगरानी और उनकी देखरेख में अभ्यास करके पसीना बहा रही है। ----विरासत में मिली पहलवानी---- भारतीय महिला पहलवान के पिता राजेन्द्र मलिक और चचेरा भाई नेशनल स्तर के पहलवान रहे हैं। परिवार की इस विरासत को चार चांद लगाने के लिए सोनम उर्फ गुड़िया ने ओलंपिक तक की मंजिल हासिल की। सोनम की इस काबलियत को लेकर उसके गांव और परिवार में खुशी का माहौल है। कोच भी गुड़िया के ओलंपिक में कुश्ती के लिए चुने जाने से बेहद प्रफुल्लित हैं, जिनकी शिष्या सबसे बड़ी प्रतियोगिता ओलंपिक में देश के लिए पदक लाने का लक्ष्य साधे हुए है। सोनम मलिक को भी पूरी उम्मीद है कि वह देश, प्रदेश और अपने गांव को रोशन करने के लिए पूरी ताकत झौंक देगी। उसके प्रदर्शन को देखते हुए पूरे देश की निगाहें भी उसके ओलंपिक में होने वाले मुकाबले पर टिकी होंगी। ----जब मुश्किलों ने घेरा---- कोच अजमेर बताते हैं कि सोनम के सामने एक वक्त ऐसा आया जब वर्ष 2017 में एक टूर्नामेंट के दौरान वह चोटिल हो गईं। यह चोट इतनी ज़बरदस्त थी कि उसका लिंब पैरालिसिस की स्थिति में पहुंच गया। ऐसी हालत में वह हाथ तक भी नहीं हिला पा रही थीं। यही नहीं इजाल कर रहे डॉक्टरों को भी उससे कोई उम्मीद नहीं बची थी और शुगर मिल में गाड़ी चालक पिता महंगा इलाज कराने की हालत में नहीं थी। यह उसकी किस्मत थी कि वह आयुर्वेदिक दवाईयों से छह महीने बाद फिर मैट पर लौट आईं। ------------------ कुश्ती में प्रमुख उपलब्धियां--------- 2019- कैडेट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक 2019-कैडेट एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक 2018-कैडेट एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक 2018-कैडेट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक 2017- कैडेट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक 2017-वर्ल्ड स्कूल गेम्स में स्वर्ण पदक 2017-कैडेट एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक। 17July-2021

टोक्यो ओलंपिक: पदक का सूखा खत्म करने उतरेगी सीमा पूनिया

चौथी बार ओलंपिक का सफर करने वाली इकलौती एथेलीट ओ.पी. पाल.रोहतक। जब तक जीतो नहीं तब तक लड़ना मत छोड़ो और ना हार मानो..यही लक्ष्य लेकर चक्का फेंक में भारतीय एथेलीट टीम में शामिल सीमा अंतिल टोक्यो ओलंपिक जा रही है। चौथी बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही राजीव पुरस्कार से सम्मानित सीमा से पिछले तीन ओलंपिक में पदक के सूखे को खत्म करने की उम्मीद है। भारतीय एथेलीट टीम में चक्का फेंक में नए मीट रिकार्ड के साथ टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सीमा अंतिल का जन्म 1983 में सोनीपत जिले के खेवड़ा गांव निवासी विजय पाल के परिवार में हुआ। टोक्यों ओलंपिक में वह लगातार चौथी बार ओलंपिक में हिस्सा ले रही है। पिछले तीन वर्ष 2004 के एथेंस ओलिंपिक, 2012 के लंदन ओलिंपिक और 2016 के रियो ओलिंपिक में सीमा के हाथ निराश लगी थी, लेकिन इस बार जिस प्रकार से वह तैयारी कर रही है, उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि इस बार वह ओलंपिक से खाली हाथ नहीं लौटेगी। मसलन वह पिछले तीन साल से देश व विदेश में लगन से प्रशिक्षण ले रही हैं। चक्का फेंक में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पदक हासिल करके देश व हरियाणा का नाम रोशन करने वाली सीमा अंतिल को 2010 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली, जो आज डीएसपी पद पर तैनात है। परिजनों के अनुसार स्टेडियम में पहली बार डिस्कस देखा और आजमाने के लिए फेंका तो 22 मीटर की दूरी तय की। जब वर्ष 1995 में अंडर-14 जूनियर नेशनल में 28.28 मीटर की दूरी नाप कर नया रिकार्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता, तो उसने पीछे मुडकर नहीं देखा। -----उम्मीदों पर टिकी हैं निगाहें----- हरियाणा के खेवड़ा गांव निवासी सीमा अंतिल के पिता विजय पाल सिंह बेटी सीमा के ओलंपिक में हिस्सेदार बनाए जाने से परिवार समेत खुश है। पिता को पूरी उम्मीद है कि उनकी बेटी इस बार देश के लिए मेडल जरूर लेकर आएगी। सीमा की मां प्रकाशी देवी और भाई अमित का कहना है कि देश का झंडा बुलंद करने के लिए वह लगातार जीतोड़ मेहनत कर रही है। सीमा के लगातार मेहनत करके पसीना बहाने के साथ उसके प्रदर्शन को देखते हुए कोच अमित को भी भरोसा है की टोक्यो ओलंपिक में सीमा अंतिल उम्दा प्रदर्शन करके पदक हासिल करेगी। कोच की माने तो उसने जिस प्रकार चुनौतियों का सामना किया है और साल 2000 में डोपिंग विवाद के बाद उसके कैरियर थम सा गया था। इसके बावजूद उसने हार नहीं मानी और दो साल बाद फिर से उम्मीदों को ऐसा जगाया कि दो साल बाद हुई चैंपियनशिप में कांस्य पदक लिया। टोक्यो ओलंपिक के लिए सीमा दो साल मास्कों में प्रशिक्षण लेने के बाद पटियाला में ट्रेनिंग ले रही है। ------खेल से परिवार का गहरा नाता----- सीमा अंतिल के परिवार में उसके बड़े भाई आनंद पाल अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान तो दूसरे भाई अमित पाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में स्वर्ण पदक में हिस्सेदार रहे। दोनों भाइयों की इन उपलब्धियों ने ही सीमा को खेल के लिए प्रेरित किया और स्टेडियम जाना शुरू किया। स्कूल स्तर पर सीमा ने नेशनल में लंबी कूद, शाटपुट और ऊंची कूद में पदक जीते हैं। इसके बावजूद उसने चक्का फेंक स्पर्धा को अपने कैरियर का हिस्सा बनाया। डिस्कस थ्रो करने की तकनीक का इस्तेमाल करने में माहिर सीमा ने इंटर-स्टेट नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 63.72 मीटर तक की दूरी तय की। साल 2006 में हरियाणा राज्य सरकार ने सीमा अंतिल को भीम अवार्ड से सम्मानित किया था। -----विवादित हुआ वैवाहिक जीवन----- अंतरराष्ट्रीय एथलीट सीमा अंतिल अब मेरठ की बहू नहीं कहलाएंगी? लेकिन पिछले तीन सालों से पति अंकुश पुनिया व सीमा अंतिल के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सीमा ने फेसबुक पर अपने नाम के आगे से पुनिया सर नेम हटा लिया है। तलाक प्रक्रिया कोर्ट में चल रही है, लेकिन अभी हुई नहीं है। इसकी पुष्टि खुद सीमा ने फेसबुक आईडी की डिटेल में खुद की है। --------------------- अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां---- 2002- विश्व जूनियर चैंपियनशिप मेंकांस्य पदक 2006-कामनवेल्थ गेम्स मेलबर्न में रजत पदक 2010-कामनवेल्थ गेम्स दिल्ली में कांस्य पदक 2014-एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक 2014-कामनवेल्थ गेम्स ग्लास्गो में रजत पदक 2014-एशियन गेम्स इंचियोन में रजत पदक 2018-कामनवेल्थ गेम्स गोल्ड कोस्ट में रजत पदक 2018-एशियन गेम्स जकार्ता में कांस्य पदक 2021-बेलारूस नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक। 16July-2021

संतोष यूनिवर्सिटी ग़ाज़ियाबाद के संस्थापक चेयरमैन डॉ. पी महालिंगम, पुत्र सन्तोष की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों का ऋण लेकर वापस नहीं करने का मामला पहले भी ऋण लेकर न देने के रहे हैं मामले हरिभूमि न्यूज : गुरुग्राम अपर सत्र न्यायालय गुरुग्राम ने बुधवार को फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों का ऋण लेकर डकारने के मामले में संतोष यूनिवर्सिटी ग़ाज़ियाबाद के संस्थापक चेयरमैन डॉ. पी. महालिंगम,उनके पुत्र डॉ. सन्तोष महालिंगम तथा एक अन्य आरोपित पुधुर मनिकोम की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने को डॉ. महालिंगम परिवार के लिए झटका माना जा रहा है। ज्ञात हो कि पीएम फिनकैप लिमिटेड के निदेशक राजेश गुलाटी ने 2 जुलाई को डीएलएफ थर्ड थाने में संतोष यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी, 34 और 506 के अंतर्गत आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें संतोष यूनिवर्सिटी के फाउंडर चेयरमैन डॉ. पी. (परमशिवम) महालिंगम, उनके पुत्र व निदेशक डॉ. सन्तोष महालिंगम, संतोष ट्रस्ट तथा महाराज जी एजुकेशनल ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य डॉ. पुधुर मनिक्कम के अलावा शर्मिला आनंद को नामजद करते हुए संतोष ट्रस्ट तथा महाराज जी एजुकेशनल ट्रस्ट बोर्ड को आरोपी बनाया। गुलाटी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि आरोपियों ने उक्त नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से मार्च 2015 में रसूकदारी का प्रमाण देते हुए राजनैतिक और अन्य प्रसिद्ध हस्तियों के साथ फोटो दिखाकर तथा अन्य साजिशों के तहत उनकी कम्पनी से 35 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इस कर्ज की एवज में उन्होंने अकबरपुर, बेहरामपुर, मिर्जापुर की कृषि भूमि तथा प्रताप विहार के 272 फ्लैट के दस्तावेज सिक्योरिटी के रूप में कम्पनी के पास रखे थे। आरोपियों ने एग्रीमेंट में 30 सितंबर 2015 तक ब्याज सहित ऋण चुकता करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन आरोपियों ने निर्धारित समय से ऋण चुकता नहीं किया। इसके विपरीत ऋण की अदायगी की मांग करने पर विभिन्न आपराधिक तरीकों से दबाव बनाने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं आरोपी विभिन्न राजनीतिक हस्तियों के नाम पर धमकाने में लग गये। ----महालिंगम परिवार को बड़ा झटका----- पुलिस में पंजीकृत शिकायत के आधार पर एसीपी ने आरोपियों को 5 जुलाई को पूछताछ के लिए तलब भी किया था। इसके बजाए संतोष यूनिवर्सिटी के संस्थापक चेयरमैन डॉ. पी. महालिंगम,उनके पुत्र डॉ. सन्तोष महालिंगम तथा अन्य अन्य आरोपित पुधुर मनिक्कम की अग्रिम जमानत के लिए गुरुग्राम अपर सत्र न्यायाधीश माननीया शशि चौहान के न्यायालय में अर्जी दायर की। बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद सत्र न्यायालय ने तीनों आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने छह पेज के आर्डर में कहा है कि आरोपियों पर जो आरोप लगाए गए हैं, वह गम्भीर अपराध प्रवृत्ति के हैं। आईपीसी की धारा 467 में आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसलिए मामला आरोपियों को अग्रिम जमानत योग्य नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने अग्रिम अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत के इस आदेश से महालिंगम परिवार को बड़ा झटका लगा है। ----मेडिकल कालेज व अस्पताल पर नीलामी की तलवार--- गौरतलब है कि इसी प्रकार की साजिश के तहत संतोष ग्रुप ने हाउसिंग व अरबन डवलपमेंट कॉरपोरेशन यानि हुडको से भी वर्ष 1995 में 75 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। जिसकी राशि चुकता न करने पर संतोष ट्रस्ट तथा महाराज जी एजुकेशनल ट्रस्ट की सिद्धार्थ विहार स्थित 63 एकड़ भूमि समेत पांच अन्य संपत्तियों पर हुडको अपने कब्जे में ले चुकी है। अब हुडको संतोष मेडिकल कालेज व अस्पताल को भी नीलामी करने की कार्यवाही शुरू की है। इसी प्रकार संतोष ट्रस्ट ने हुडको के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उल्टे मई 2015 में 455 करोड़ रुपये की वसूली करने के आदेश दे दिये थे। यह बात भी जग ज़ाहिर है कि संतोष विश्वविद्यालय गज़ियाबाद की स्वामी वाली कम्पनी सालों से देनदारी के अनेक मुक़द्दमों में बुरी तरह से फँसी हुई है। देनदारी के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने तो यहाँ तक भी टिप्पणी कर दी कि महालिंगम तो आदतन क़ानून का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति है। यह भी ज्ञात हो कि संतोष अस्पताल चेन्नई क़र्ज़ की देनदारी न करने के कारण दिवालिया घोषित होने की प्रक्रिया में है। इस अस्पताल को क़र्ज़ देने वाली कम्पनी मुथूत फ़ाइनैन्स ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया है। संतोष अस्पताल चेन्नई की डीसीबी बैंक की भी बड़ी देनदारियाँ हैं। 16July-2021

टोक्यो ओलंपिक: युवा पहलवान दीपक पूनिया पदक का प्रबल दावेदार

अब तक किसी बड़ी प्रतियोगिता से नहीं लौटा खाली हाथ ओ.पी. पाल.रोहतक। भारतीय फ्रीस्टाइल पहलवान दीपक पूनिया से देश को उसके दांव-पेंच की बेहतरीन तकनीक वाली क्षमता को देखते हुए 29वें टोक्यो ओलंपिक में पदक की उम्मीद है। भारतीय कुश्ती टीम के सदस्यों में दीपक पूनिया 86 किग्रा भार वर्ग में इसलिए पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है कि वह आज तक किसी भी बड़ी प्रतियोगिता से खाली हाथ नहीं लौटा। हरियाणा के झज्जर जिले 19 मई 1999 को डेयरी किसान सुभाष पूनिया के परिवार में जन्मे दीपक पूनिया पांच साल की उम्र से ही गांव के अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच आजमाने लगा था। घर-घर दूध बेचने का काम करने वाले पिता सुभाष बेटे दीपक को दंगल दिखाने जाते थे। पिता का बेटे को एक रेसलर बनाने के लिए लगातार दिया जाने वाला प्रोत्साहन और बेटे की मेहनत का ही नतीजा है कि आज दीपक पूनिया ओलंपिक खेलों में भारत के झंडे को ऊंचा करने की तैयारी कर रहा है। वर्ष 2015 से दीपक के पिता हर दिन 60 किलोमीटर की यात्रा करके अपने बेटे को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दूध और फल देने जाने लगे। बाकी दीपक को कुश्ती के गुर सिखाने का काम उनके कोच वीरेन्द्र पहलवान ने किया, जिसकी वजह से दीपक पूनिया आज अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों की फेहरिस्त में सुर्खियों के साथ शामिल है। पहलवान दीपक पूनिया ने जब कुश्ती की शुरूआत की, तो उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था वह एक दिन वर्ल्ड मेडलिस्ट बन झज्जर का नाम रोशन करता। दीपक का तो केवल इतना सपना था कि वह पहलवानी के जरिए नौकरी हासिल कर परिवार को आर्थिक रूप से मजबूती दे सके। ------------पहले ही अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती में बने चैंपियन--------- भारतीय पहलवान दीपक पूनिया के कोच वीरेन्द्र पहलवान ने हरिभूमि से बातचीत में बताया कि विश्व कुश्ती रैंकिंग में नंबर दो के पहलवान दीपक पूनिया एक अनुशासित पहलवान है, जिसमें बड़े बड़े सूरमाओं को पटखनी देने की क्षमता है। दीपक को इस मुकाम तक लेजाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोच वीरेन्द्र ने कहा कि कुश्ती के खेल में दिमाग, ताकत, किस्मत और मैट पर शरीर का लचीलापन जरुरी है और दीपक के पास यह सबकुछ है। यही वजह रही कि वर्ष 2016 में अपनी पहली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैडेट चैंपियनशिप में चैंपियन बनकर लौटे 17 साल के दीपक ने फिर जूनियर विश्व चैम्पियन बनते ही अपने इरादे जाहिर कर दिये थे। इसके बाद दीपक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कोच ने बताया कि इसी प्रकार वर्ष 2019 में अपनी पहली सीनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 86 किग्रा वर्ग में दीपक पूनिया ने रजत पदक प्राप्त किया। यहां से ही उसे ओलपिंक कुश्ती टीम का टिकट मिला। उनका कहना है कि यदि टखने की चोट के कारण वह फाइनल में ईरान के महान पहलवान हसन याजदानी के खिलाफ हटते तो वह स्वर्ण पदक लेकर वह विजेता भी बन सकते थे। इसीउन्होंने बताया कि खास बात ये है कि अभी तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी बड़ी कुश्ती प्रतियोगिता से दीपक पूनिया खाली हाथ वापस नहीं लौटा। इसलिए ओलंपिक में दीपक पूनिया को पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। ---------छत्रसाल स्टेडियम में बनाया कैरियर------- कोच वीरेन्द्र सिंह का कहन है कि वर्ष 2014 पहलवानी का जज्बा लेकर हरियाणा के झज्जर दीपक पूनिया छत्रसाल स्टेडियम में आया था। वहां अन्य पहलवानों की तरह उसने भी ओलंपियन बनने का सपना संजोया, जो मुकाम हासिल करना इतना आसान नहीं होता। इसके बावजूद उनके संपर्क में दीपक में उन्होंने अन्य पहलवानों से कुछ अलग ही देखा। तभी से उन्होंने इसे कुश्ती के लिए आगे बढ़ाने के प्रयास किया और यह भी दिलचस्प पहलू है कि इस युवा पहलवान ने कहीं आगे जाकर मेहनत की। दीपक ने कुश्ती और प्रशिक्षण को जिस प्रकार अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया, उसी का नतीजा है कि आज दीपक पूनिया विश्व के पहलवानों की फेहरिस्त में विशेष स्थान बना चुका है। ---दीपक पूनिया की उपलब्धियां---- 2020 नई दिल्ली एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य 2019 नूर-सुल्तान विश्व चैंपियनशिप में रजत 2019 तेलिन विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण 2019 शीआन एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य 2018 ट्रनावा विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में रजत 2018 नई दिल्ली एशियाई जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण 2016 त्बिलिसी विश्व कैडेट चैंपियनशिप में स्वर्ण। 15July-2021

मंडे स्पेशल: पाताल में पहुंचा भू-जल स्तर, प्रदेश के 14 जिलों में तो हो गए हालात बद से बदतर

असर नहीं दिखा पा रही जल सुधार की योजनाएं पिछले पांच दशक से लगातार गिर रहा है भूजल स्तर पानी पर नही संभले तो बूंद बूंद को तरसेंगे हरियाणावासी ओ.पी. पाल.रोहतक। भू-जल को लेकर प्रदेश के हालात बद से बदतर हो गए हैं। राज्य के 14 जिलों में पानी पाताल में चला गया है। कुल 141 ब्लाक में से 85 ब्लाक की हालत ये है कि उन्हें रेड जोन में रखा गया है। सबसे ज्यादा बुरा हाल अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पानीपत और जींद जिलों में है, जिनके 64 ब्लॉक डार्क जोन श्रेणी रखे गए हैं। सरकार ने भूमिगत जल स्तर की कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन हालात में सुधार की बजाए बदहाली ज्यादा हो रही है। न तो जल दोहन से आमजन बाज आ रहे और न ही अफसर इस पर काबू पा रहे हैं। - हरियाणा में वैसे तो पिछले पांच दशक से भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है। दोहन होने की वजह से भूजल स्तर की स्थिति चिंताजनक हालातों में पहुंच गई र्है। इसके नियंत्रण के लिए राज्य सरकार जल सरंक्षण को लेकर विभिन्न योजनाएं भी चला रही है, लेकिन करोड़ो रुपये बहाने के बावजूद भूजल को धार नहीं दी जा सकी। केंद्र सरकार द्वारा देश में शुरू की गई अटल भूजल योजना को कार्यान्वित करने में प्रदेश में करोड़ो की रकम खर्च कर रही है। हाल ही सरकार ने अटल भूजल योजना में अटल पाइप लाइन स्कीम के तहत 725 करोड़ रुपये की योजना तैयार की है, जिसमें रेड जोन में शामिल जिलों के फिलहाल 36 ब्लाकों की 12.55 लाख हैक्टेयर भूमि को कवर करने की शुरूआत कर दी गई है। इस योजना के कार्यान्वयन में इन ब्लाकों की 1669 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है। इस गिरते भूजल स्तर में सुधार और जल संरक्षण को लेकर अब सरकार प्रदेश के हर ब्लॉक स्तर पर अलग से वाटर प्लान तैयार करने में जुट गई है। ऐसी योजना के इसके तहत वहां पीने के पानी और सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध किया जाएगा। ----------- 13 जिलों के 64 ब्लॉक डार्क जोन में-------- प्रदेश में भूजल स्तर के अत्याधिक दोहन की वजह से सर्वे के आधार पर 13 जिलों के 64 ब्लॉक को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। इन जिलों में अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पानीपत और जींद शामिल हैं। इन जिलों के ब्लॉकों में भिवानी के बाढड़ा, बहल, कैरू, लोहारू, तोशाम, फतेहाबाद का टोहाना, कैथल का गुहला, राजौंद, कुरुक्षेत्र के लाडवा, पिहोवा, शाहाबाद, पानीपत के बापौली, समालखा, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, करनाल, असंध, महेंद्रगढ़ में नांगल चौधरी, अटेली, कनीना, रेवाड़ी में खोल, सिरसा में ऐलनाबाद, गुरुग्राम व फरूखनगर, पटौदी, सोहना, यमुनानगर में जगाधरी, मुस्तफाबाद, रादौर, साढौ़रा, पलवल में हसनपुर, हथीन, होडल समेत 64 ब्लॉक डार्क जोन घोषित किए गए हैं। ----------- तेजी से गिर रहा भूजल स्तर---------- जल विशेषज्ञों के अनुसार प्रदेश में बीते 42 साल में भूजल का स्तर 60 फुट नीचे जा पहुंचा है। राज्य में जहां वर्ष 2000 में भूजल औसतन 31 फीट पर था। वहीं अब खासकर गुरुग्राम, फतेहाबाद, फरीदाबाद, कैथल, रेवाड़ी जिले में भूजल स्तर औसतन 88 फीट से नीचे गिर चुका है। यही नहीं इन जिलों के शहरी क्षेत्र में तो हालात और भी बद से बदतर है, जहां भूजल 120 फीट से नीचे दर्ज किया गया है। सूबे का 60 फीसदी इलाका डार्क जोन में शामिल हो गया है। गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ जिलों में ट्यूबवेल का कनेक्शन जारी करने में विशेष सावधानी बरती जा रही है। सबसे बुरा हाल कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ का है। यहां भूजल स्तर 90 फुट के करीब है। -------------- ऐसे गिर रहा है भूजल स्तर--------- प्रदेश के सात जिले ऐसे हैं, जहां जल भराव तथा जलीय लवणता की समस्या है। प्रदेश में लोगों द्वारा अंधाधुंध भूजल का इस्तेमाल के चलते वर्ष 2004 में राज्य के 114 ब्लाक में से 55 ब्लाक यानि 48 फीसदी रेड जोन में आ चुके थे। जिसके हालात इतने बद से बदतर हो गये कि फिलहाल प्रदेश के 141 ब्लाक में से 85 ब्लाक रेड जोन में पहुंच गए, जो कि राज्‍य का 60 प्रतिशत हिस्‍सा है। ---------- धान की खेती पर संकट----- भूजल पर सर्वे रिपोर्ट की माने तो कम होते भूजल की सबसे बड़ी वजह ट्यूबवेल से फसलों की सिंचाई मानी जा रही है। धान की खेती में पानी सबसे ज्यादा लगता है। एक एकड़ धान में करीब 26 बार पानी लगाने की जरूरत पड़ती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक किलोग्राम चावल पैदा करने के लिए करीब 5389 लीटर पानी की खपत होती है। हरियाणा गठन के समय प्रदेश में धान का रकबा 1.92 लाख हेक्टेयर था जो, बढ़कर 14 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है। इसे देखते हुए राज्य सरकार मक्का और अरहर की खेती को बढ़ावा दे रही है। हरियाणा तालाब प्राधिकरण की योजना के तहत प्रदेश में करीब 14 हजार तालाबों का पानी इस्तेमाल करने पर बल दे रहा है। ------- ढाकला गांव ने पेश की मिसाल----- प्रदेश में गिरते भूजल से बढ़तेक संकट को देखते हुए झज्जर जिले के गांव ढाकला के किसानों ने इस बार सामूहिक रूप से 3445 एकड़ भूमि में धान की खेती न करने का निर्णय लिया है। दरअसल जिन 36 ब्लॉकों को डार्क जोन घोषित किया गया था, उनमें यह गांव भी शामिल है। इस गांव के किसानों के निर्णय पर मुख्यमंत्री ने राज्य में जल संरक्षण व फसल विविधीकरण के लिए चलाई जा रही ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ के तहत सात हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन दिया जाएगा। -------------------- अटल भूजल योजना से होगा सुधार----- देश में भूजल संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही अटल भूजल योजना के तहत राज्य सरकार ने इन 14 जिलों को कवर करने का निर्णय लिया है। इस योजना में इन जिलों की 1669 ग्राम पंचायतें शामिल किया हैं। इस योजना में सामुदायिक भागीदारी के साथ ऐसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन में सुधार करने का प्रयास है। हरियाणा में योजना के तहत भूजल संसाधनों का हाइड्रोजियोलॉजिकल डाटा नेटवर्क तैयार किया जाएगा। -देवेंद्र सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग हरियाणा।

साक्षात्कार: सामाजिक समरसता की अलख जगाने में साहित्य की अहम भूमिका: बड़गूजर

हरियाणा के लोक कवियों को गुमनामी से बाहर लेकर आए
व्यक्तिगत परिचय
नाम: प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर 
जन्म: 20 मई 1971 
जन्म स्थान: गांव मलिकपुर, जिला सोनीपत (हरियाणा)
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), एम.फिल. (हिन्दी), एमएएमसी, पीजीडीटी, पीएच.डी., डी.लिट. 
सम्प्रति: प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग, अधिष्ठाता मानविकी एवं भाषा संकाय, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी (बिहार) 
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रियाणा में प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर साहित्य के क्षेत्र में सामाजिक समानता की अलख जगाने वाले इकलौते साहित्यकार हैं, जिन्होंने हरियाणा की लोक संस्कृति एवं लोक साहित्य के माध्यम से लोक-चेतना जगाने का काम किया है। हरियाणा साहित्य अकादमी ने प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर को साहित्य जगत में उत्कृष्ट भूमिका के लिए वर्ष 2019 के दो लाख रुपये के पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्होंने दलित चेतना के लिए साहित्य और हरियाणवी लोक साहित्य पर कुल 31 पुस्तकें लिखी हैं। जिनमें वे हरियाणा के अनेक लोक कवियों को गुमनामी से निकालकर प्रकाश में लेकर आए है। प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर ने सन 2011 में ‘महाशय दयाचंद मायना ग्रंथावली’ का सम्पादन किया था, जो हरियाणा ग्रंथ अकादमी से प्रकाशित है। राज्य सरकार ने हाल ही में उनकी देशप्रेम और समाज सुधार की रागणियों को देखते हुए हरियाणा साहित्य अकादमी के पुरस्कारों में महाशय दयाचंद मायना पुरस्कार को भी मान्यता दी है। लोक चेतना जागृत करने के लिए साहित्य के क्षेत्र में की गई समाज सेवा को लेकर हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर ने कई महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा किया है। खासकर इस आधुनिक युग में हरियाणा में घुले जातिवाद की मानसिकता को त्यागकर भेदभाव के बजाए योग्यता के आधार पर सामाजिक समानता का संदेश दिया है। 
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प्रख्यात साहित्यकार प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर ने हिंदी साहित्य में सामाजिक समता को महत्व देने का प्रयास किया। दरअसल हरियाणा में दलित समाज के खिलाफ घृणा और नफरत की लहर बरसों से देखी जाती रही है। हरियाणा की इसी जमीन से जुड़कर उन्होंने साहित्य लेखन में अपनी एक ऐसी पहचान बनाई है कि सर्वसमाज में दलितों का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित हुआ है। इस समाजसेवा के कार्यक्षेत्र में बड़गूजर ने राज्य में दलितों की बस्तियों में जाकर दलित बच्चों और युवाओं में शिक्षा की अलख जगाई और उन्हें स्कूलों में दाखिले भी दिलाने का कार्य किया। कैथल में एस.आर.डी. पब्लिक स्कूल के शुभारम्भ में भी प्रो. बडगूजर का विशेष योगदान रहा है। प्रो. बड़गूजर के साहित्य में दलित लेखन, कहानियों और कविताओं को लेकर उन्हें देशभर से चौतरफा साहित्यकारों, कवियों, रचनाकारों और बुद्धिजीवियों, उच्च शिक्षण संस्थाओं से दलित चेतना के कार्य के लिए सराहना मिल रही हैं। 
शोध पत्र लेखन व प्रस्तुतीकरण
साहित्यकार डा. बडगूजर ने 21 पुस्तकों का संपादन किया है, जिसमें हरियाणवी ग्रंथावली, रचनावली और रागनियों की ऐसी पुस्तकें भी शामिल है जिसमें समाज सुधार के लिए हरियाणवी संस्कृति व सभ्यता को वर्णित किया गया है। उनके साहित्य पर अनेक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं। सामाजिक चेतना पर दलित साहित्य का लेखन करने वाले डा. बड़गूजर ने देशभर के लेखकों, कवियों और रचनाकारों व उनकी पुस्तकों पर पीएच.डी. और एम.फिल. उपाधि के लिए किये गये शोध का निर्देशन भी किया है। ‘राजेंद्र बडगूजर के साहित्य में दलित यथार्थ’ विषय पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एम.फिल. पर लघु शोध प्रबंध, ‘कैथल जनपद का हिंदी साहित्य को योगदान’ विषय पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पीएचडी के शोध प्रबंध में इनकी रचनाएं शामिल हुई हैं। इसी प्रकार यूजीसी की अनुदान राशि से सम्पन्न डॉ. संजय जैन द्वारा लिखित शोध ग्रंथ ‘समकालीन कविता के मूल्य चेतना’ में ‘दलित चेतना के प्रतिबद्ध युवा हस्ताक्षर: राजेन्द्र बडगूजर’ उप विषय में ‘मनु का पाप’ कविता संग्रह को शामिल किया गया है। इसी प्रकार मेरठ विश्वविद्यालय में डॉ. सुशील कुमार शीलू द्वारा सम्पन्न शोध प्रबंध ‘हिंदी दलित कविता का आलोचनात्मक अध्ययन’ विषय के तहत इनकी रचनाएं शामिल हुई। यही नहीं साहित्य में दलित लेखन्, कहानी व कविताओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैँ। प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर के साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएच.डी. तथा एम.फिल. के शोध कार्य सम्पन्न हुए हैं। हरियाणवी लोक सहित्य पर इनके द्वारा सम्पादित पुस्तकों पर नए विमर्शो की शुरूआत हुई है। विशेष रूप से रागणी गायकी के क्षेत्र में छाप के मसले को इन्होने उजागर किया है।
प्रमुख पुस्तकें 
प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर की हरियाणवी लोक साहित्य पर सम्पादित 21 प्रमुख पुस्तकों के अलावा तीन कविता संग्रह-‘भीड़ी गलियां तंग मकान’, ‘कुछ मत कह देना!’ तथा ‘मनु का पाप’ शामिल है। जबकि दो कहानी संग्रह – ‘कसक: एक दलित टीस’ और ‘हमारी जमीन हम बोएंगे’ लिखी हैं। उनकी आलोचना पुस्तकों में ‘दलित साहित्य और विचारधारा’, ‘चिन्तन का परिपेक्ष्य और दलित साहित्य’, ‘हिन्दी दलित आत्मकथाओं में बचपन’, ‘हिंदी दलित आत्मकथाएं : एक सांस्कृतिक विश्लेषण’ और ‘दलित चेतना में गुरु रविदास का योगदान’ और ‘छापकटैया’ शामिल हैं।
पुरस्कार और सम्मान
हरियाणा साहित्य अकादमी ने प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर को दो लाख रुपये के सम्मान - 2019 पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया। इससे पहले अकादमी द्वारा उनके कविता संकलन ‘भीड़ी गलियां तंग मकान’ के प्रकाशन के लिए दस हजार रुपये की अनुदान राशि और कहानी ‘हमारी जमीन हम बोएंगे’ को प्रतियोगिता में नकद द्वितीय पुरस्कार दिया जा चुका है। प्रो. राजेन्द्र बड़गूजर को भारतीय दलित साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा 2003-04 में डा. अम्बेड़कर फैलोशिप अवार्ड से नवाजा जा चुका है। साहित्य सभा कैथल से वर्ष 2011 में ‘श्री अर्जुन दास मलिक स्मृति साहित्य सम्मान’ के अलावा उन्हें नेहरु युवा केंद्र सोनीपत द्वारा दो बार समाज सेवा के लिए सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा बजरंग मंडल हरियाणा द्वारा राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्य में सम्मानित किया जा चुका है। जबकि विभिन्न संस्थाओं में उन्हें अनेक सम्मान मिल चुके हैं। 12July-2021

टोक्यों ओलंपिक में मुक्के का दम दिखाने को तैयार मनीष कौशिक

अर्जुन अवार्डी मुक्केबाज को तिरंगा ऊंचा करने की है पूरी उम्मीद ओ.पी. पाल.रोहतक। 29वें टोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के चार मुक्केबाजों में तीन भिवानी जिले के हैं, जिनमें जिले के एक छोटे से गांव में किसान का बेटा मनीष कौशिक भी 63 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। इसी साल स्पेन में राष्ट्रमंडल खेलों धुरंधर मुक्केबाजों को धूल चटाकर स्वर्ण पदक हासिल करने वाले मनीष को पूरा भरोसा है कि वह देश का झंडा ऊंचा करके स्वर्ण पदक लेकर आएगा। भिवानी जिले के देवसर गांव में किसान सोमदत्त कौशिक के 25 वर्षीय बेटा और अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज मनीष कौशिक टोक्यो ओलंपिक में 63 किग्रा भार वर्ग का खिताब अपने नाम करने के लक्ष्य को लेकर जापान रवाना होने से पहले इटली में जमकर पसीना बहा रहा है। मनीष कौशिक के नाम मुक्केबाजी में कई ऐसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक ऐसे बेहतरीन रिकार्ड है, जिसमें उसने अच्छे नामी गरामी मुक्केबाजों को अपना दम दिखाकर धूल चटाई है। मनीष के पिता सोमदत्त का कहना है कि मनीष का ताकत और तकनीक पर फोकस रखता है, जिसके लिए वह लगातार अभ्यास करके पूरी तैयारी के बाद ही रिंग में उतरता है। उन्हें उम्मीद है कि मनीष टोक्यों ओलंपिक में गोल्ड लेकर अपने देश का झंडा ऊंचा रखेगा। -----बारह साल की उम्र में संजोया था सपना---- भिवानी के छोटे से गांव देवसर में एक साधारण किसान के परिवार में 11 जनवरी 1996 को जन्मे मनीष कौशिक ने अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज बनकर देश का झंडा बुलंद करने का सपना उस समय संजोया, जब वर्ष 2008 के ओलंपिक में उन्हीं के गांव मुक्ककेबाज जितेन्द्र और जिले के बिजेंद्र सिंह व अखिल का अपने घरों में लौटने पर शानदार स्वागत होते देखा। उसके परिजनों की माने तो उसने तभी से मुक्केबाजी को कैरियर बनाने का संकल्प कर लिया। यही संकल्प आज उसके परिवार, गांव, जिले, प्रदेश और राष्ट्र के लिए बुलंदियों पर देखा जा रहा। पिछले महीने जून में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात में ओलंपिक जाने वाले खिलाड़ियों में खासतौर से मनीष कौशिक का जिक्र किया था। मनीष कौशिक ने मुक्केबाजी के कैरियर की असल इबादत वर्ष 2015 में कतर के दोहा अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक लेकर लिखना शुरू कर दिया था, जो आज ओलंपिक का सफर करा रही है। इन्हीं बुलंदियों ने उन्हें वर्ष 2016 में भारतीय सेना में सहायक सूबेदार बना दिया। मनीष ने जब बाल्यावस्था में ही 32 किग्रा भार वर्ग में मनीष ने पहला पदक जीता, तो उसने फिर कभी पीछे मुडकर नहीं देखा और जिला व राज्य स्तर पर पदकों का घर में अंबार लगा दिया। ---प्रदर्शन ने दिखाई ओलंपिक की राह--- अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज मनीष कौशिक को मुक्केबाजी के वरिष्ठ कोच नरेंद्र राणा ने एक नजर में पहचान कर माना कि यदि ऐसे बेहतरीन मुक्केबाज भारत के पास होंगे तो ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिला सकता है। जिसने वर्ष 2016 में सीनियर कैंप के फाइनल में अनुभवी मुक्केबाज़ शिवा थापा को हराकर चैंपियन का खिताब हासिल किया। इस पर कोच ने उसे प्रोत्साहित किया, तो वर्ष 2016 में इस होनहार भारतीय मुक्केबाज़ ने कजाखिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज़ी टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल कर सबको चौंका दिया। मनीष के मौजूदा कोच कोच मनजीत सिंह का कहना है कि ऐसे एक नहीं, कई मौके आए जब मनीष ने अपने मुक्के के पंच से उम्मीद से ज्यादा दम दिखाया। कोच की माने तो पिछले शानदार प्रदर्शनों ने मनीष कौशिक के लिए ओलंपिक की राह को बेहद आसान बनाया। ----------------------- मुक्केबाजी में उपलब्धियां--- 2008-मुक्केबाजी का शुरू हुआ सफर। 2009-नेशनल कप ठाणे में 32 किग्रा में पहला स्वर्ण पदक। 2015-पहली बार सीनियर नेशनल बॉक्सिंग में रजत पदक। 2015-दोहा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक 2015-प्रेजीडेंट कप में कांस्य पदक। 2016-सेना में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हुए। 2018-ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत। 2019-नेपाल में साउथ एशियन गेम्स में रजत। 2019-विश्व मुक्केबाजी में कांस्य पदक। 2020-उपलब्धियों के लिए मिला अर्जुन अवार्ड। 2020-ओलंपिक क्वालिफाई मुकाबलों में हासिल किया टोक्यो ओलंपिक का कोटा। 2021-स्पेन में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक। 11July-2021

टोक्यो ओलंपिक: देश के लिए स्वर्ण पदक लेना ही महिला हॉकी टीम का लक्ष्य:नवजोत

तकनीकी तौर पर मैदान में सामंजस्य बनाने में माहिर है नवजोत कौर खेल इंडिया ने अर्जुन पुरस्कार के लिए किया नामित ओ.पी. पाल.रोहतक। भारतीय महिला हॉकी टीम की तेजतर्रार खिलाड़ी नवजोत कौर किसी पहचान की मोहताज नहीं है, जिसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल के मैदान में बेहतरीन तकनीकी और रक्षात्मक तौर पर बेहतर सामंजस्य, लंबे समय तक गेंद होल्ड करने में माहरत हासिल करते हुए भारतीय टीम की जीत में अहम योगदान दिया है। टोक्यो ओलंपिक में रानी रामपाल की अगुवाई में भारतीय महिला हॉकी टीम में मिडफिल्डर की भूमिका के लिए शामिल नवजोत को पूरा भरोसा है कि टोक्यो ओलंपिक में उनकी टीम भारत के लिए स्वर्ण पदक लेकर आएगी। 29वें टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक दिलाने के मकसद से भारतीय महिला हाकी टीम पिछले कई माह से बंगलूरू में हरेक खिलाड़ी पिछले अनुभवों के आधार पर सामने आई कमियों में सुधार करके रक्षात्मक तकनीकी के साथ अभ्यास करने में जुटी हुई हैं। हाल ही में अर्जुन पुरस्कार के लिए नामित हुई टीम इंडिया की मिडफिल्डर नवजोत कौर ने हरिभूमि से बात करते हुए कहा कि पूरी टीम की खिलाड़ी शारीरिक रूप से फिट है, क्योंकि अच्छा प्रदर्शन करने के लिए फिटनेस पहली कड़ी होनी चाहिए। अब तक 172 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुकी नवजोत कौर ने टीम इंडिया की जीत में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके प्रदर्शन के आधार पर उसे दूसरी बार ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाली टीम में शामिल किया गया। -----------पहले ही अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में लोहा मनवाया----------- हरियाणा के कुरुक्षेत्र के शाहबाद में सात मार्च 1995 को जन्मी नवजोत कौर को बचपन से ही हॉकी के खेल में रुचि थी और आठ साल की उम्र में वर्ष 2003 में उसने शाहबाद में मारकंडा अकादमी में कोच बलदेव से कोचिंग लेना शुरू किया। नवजोत ने अपनी प्रतिभा के सहारे स्कूल, स्टेट और नेशनल स्तर के हॉकी टूर्नामेंटों में अपने प्रदर्शन से भविष्य के इरादे जाहिर कर दिये। बहराल वर्ष 2011 में नवजोत राष्ट्रीय जूनियर अंडर-18 की टीम में चुनी गई और बैंकांक में हुए एशिया कप यानि पहले ही अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में 10 गोल दागकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, इस टूर्नामेंट में भारतीय जूनियर टीम कांस्य पदक लेकर स्वदेश लौटी। नवजोत को इस टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ स्कोरर का खिताब मिला। वर्ष 2013 में जापान एशिया कप के फाइनल मैच में चीन को हराकर भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक हासिल किया, जिसमें विजयी गोल उसी के नाम रहा। ---------जब कैरियर में आई मुश्किल---------- टीम इंडिया की सदस्य नवजोत ने बताया कि उसके पिता स. सतनाम सिंह एक मैकेनिक और माता मंजीत कौर ग्रहणी हैं। उसके छोटे भाई बलकार सिंह आस्ट्रेलिया में पढ़ रहा है और छोटी बहन सिमरनजीत कौर ने नर्सिंग कोर्स किया है। नवजोत ने बताया कि वर्ष 2012 में उसका चयन भारत की सीनियर महिला हॉकी टीम में हो गया, लेकिन इसी दौरान उसके पैर में आई चोट(इंजरी) ने उसकी मुश्किलें बढा दी। ऐसे मुश्किल दौर में घर पर माता-पिता के साथ मैदान में कोच बलदेव सिंह ने उसका हौंसला बढ़ाया। इस दौर से निकलने के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार भारतीय टीम में कड़ी मेहनत और खेल पर फोकस कर रही हैं। नवजोत कौर ने बताया कि वर्ष 2018 में एशिया कप के फाइनल मैच में चीन को शूटआउट में 5-4 से मात देकर स्वर्ण पदक हासिल किया, जिसमें विजयी गोल उसी के नाम रहा। यह जीत भारत को विश्व कप के लिए क्वालिफाई करने में कारगर साबित हुआ। ----------पिता के साथ कोच को बड़ा श्रेय----------- खेल जगत में हॉकी के रूप में बुलंदिया छू रही नवजोत ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सफलता तक पहुंचने का श्रेय माता-पिता विशेषकर पिता को है जिन्होंने उन्हें हमेशा सहयोग दिया है। वहीं कोच बलदेव की वजह से आज वह ओलंपिक खेल रही हैं, जिन्होंने अकादमी में हमेशा खेल की तकनीकियों और विपक्षी टीम की जरा सी कमजोरी का लाभ उठाने के गुर दिये। इन्हीं की बदौलत वह वर्ष 2015 में हुए महिला हॉकी विश्व लीग सेमीफाइनल में भी टीम का हिस्सा रहीं। वहीं उन्होंने 17वें एशियाई खेलों, 2016 रियो ओलंपिक, चौथे महिला एशियन चैपियंस ट्रॉफी में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। महिला विश्व हॉकी लीग राउंड-2 में भी वह शामिल थी। --------टीम इंडिया में उपलब्धियां---------- 2013-जूनियर वर्ल्ड कप में कांस्य पदक। 2014-में एशियाई गेम्स में कांस्य पदक। 2016-रियो ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन। 2016-एशिया ट्राफी में रजत पदक। 2017-एशिया कप हॉकी में स्वर्ण पदक। 2018-एशियाई गेम्स में रजत पदक। 10July-2021

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बढ़ी पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा की मुश्किलें

रोहतक में डेवलपर को जारी की जमीन की होगी सीबीआई जांच हरिभूमि न्यूज.रोहतक। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में कांग्रेस शासनकाल के दौरान रोहतक में एक प्रोजेक्ट के लिए एक प्रॉपर्टी लिमिटेड कंपनी को अधिग्रहित जमीन के मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिये हैं। सुप्रीम कोट के इस निर्णय से भूमि आवंटन मामले में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कांग्रेस शासनकाल में हुई इस जमीन मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। पहले से ही राज्य में भूमि आवंटन के मामले में अदालतों में चल रहे मामलों का सामना कर रहे हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2002 रोहतक में सेक्टर-27 व 28 पर आवासीय व वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए 850.88 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव किया था। इसके बाद हुडा ने 8 अप्रैल 2003 को 444.11 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए अंतिम अधिसूचना जारी की, लेकिन अप्रैल 2005 में 422.44 एकड़ भूमि के लिए अवार्ड घोषित किया गया। अभी जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया चल ही रही थी कि इसी बीच रियल एस्टेट कंपनी उदार गगन प्रॉपर्टी ने अधिग्रहण प्रक्रिया से गुजर रहे कुछ किसानों से समझौता करके एग्रीमेंट कर लिया। 21 मार्च 2006 को उदार गगन प्रॉपर्टी ने हरियाणा के नगर योजनाकार विभाग के डायरेक्टर के पास लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया। उदार गगन प्रॉपटी को 280 एकड़ भूमि पर कालोनीनी विकसित करने के लिए लाइसेंस मिल गया और इस जमीन को अधिग्रहण प्रक्रिया से अलग कर दिया गया। इस पर किसानों ने आवाज उठाई तो यह यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चला गया। जिसके बाद अवैध रूप से भूमि के अधिग्रहण और खरीद का यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। इस मामले में 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए रियल एस्टेट कंपनी के पक्ष में जारी की गई सभी सेल डीड एग्रीमेंट रद्द कर दिए और इस प्रोजक्ट को भी रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय के आदेश पर इस प्रोजेक्ट के लिए जारी जमीन को जमीन को हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अपने कब्जे में ले लिया था। राज्य की मनोहर सरकार ने 13 मार्च 2018 को इस मामले को विधानसभा के पटल पर लाकर उद्दार गगन के जमीन मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया। लेकिन इसके बजाए इसकी जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा कराने के आदेश दिये। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2016 को अपने आदेश में राज्य सरकार को बिल्डर के अवैध रूप से दिये गये आवेदनों और उसे जमीन जारी करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की कार्रवाई की वैधता और प्रामाणिकता की जांच करने के लिए भी कहा था। जिसमें धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी करने की तिथि पर भूमि पर कानूनी तौर पर किसी का हक नहीं था। इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ जांच करने के भी उस समय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिये थे। 08July-2021

हरियाणा के 18वें राज्यपाल होंगे बंडारू दत्तात्रेय

भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार रहे अपने गृहक्षेत्र में ‘पीपुल्स लीडर’ के रूप में है उनकी पहचान हरिभूमि न्यूज.रोहतक। हरियाणा के 18वें राज्यपाल के रूप में 74 वर्षीय बंडारू दत्तात्रेय को नियुक्त किया गया है, जिन्हें हिमाचल के राज्यपाल पद से स्थानांतरित करके हरियाणा इसी पद पर भेजा गया है। दत्तात्रे हरियाणा में राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य का स्थान लेंगे। दत्तात्रे भाजपा के वरिष्ठ राजनेता और आरएसएस के प्रचारक भी रह चुके हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी आदेश के अनुसार बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश से स्थानांतरित करके हरियाणा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। चार बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित होकर संसद में पहुंचने वाले बंडारू दत्तात्रेय को दो साल पहले सितंबर 2019 में हिमाचल का राज्यपाल बनाया गया था। हैदाराबाद की सिकंदराबाद लोकसभा क्षेत्र में वे ‘पीपुल्स लीडर’ से पहचाने जाते हैं। भाजपा की राजनीति में वे केंद्र की मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी हैदराबाद में 12 जून 1947 को जन्मे बंडारू दत्तात्रेय ने उस्माहनिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद से बीएससी की डिग्री हासिल की हुई है। वे पहली बार 1991 में दसवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद वर्ष 1998 में वह हैदराबाद की सिकंदराबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार लोकसभा पहुंचे और अटल बिहारी वाजपयेयी सरकार में शहरी विकास मंत्री बने। वर्ष 1999 में हुए मध्यावधि चुनाव में फिर उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता, जिन्हें वाजपेयी सरकार में केंद्रीय रेल राज्यमंत्री बनाया गया। चौथी बार दत्तात्रेय साल 2014 में अपनी सिकंदराबाद सीट से ही चुनाव जीतकर मोदी केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री श्रम एवं रोजगार (स्वतंत्र प्रभार) का कार्यभार सौंपा गया, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्हें हिमाचल का राज्यपाल बनाकर भेजा गया। ----ऐसे शुरू हुआ उनका राजनैतिक सफर----- बंडारू दत्तात्रेय वर्ष 1965 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए थे। उन्होंने 1968 से 1989 तक आरएसएस प्रचारक के रूप में काम किया। वह लोक संघ समिति (जयप्रकाश नारायण आंदोलन) के संयुक्त सचिव थे। आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भेजा गया था। वह 1980 में भाजपा में शामिल हो गए। और आंध्र प्रदेश यूनिट के सचिव के तौर पर काम किया और दो बार आंध्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। दत्तात्रेय भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह हैं। वह 5 मार्च 2018 को वह हैदराबाद विश्वविद्यालय के न्यायालय के सदस्य बने। एक सितंबर 2017 को वह वित्त संबन्धी संसदीय स्थायी समिति के सदस्य बने। 2014 वह भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय घोषणा पत्र समिति के सदस्य बनाए गये। मई 2014 में उन्हें सिकंदराबाद से 16वीं लोकसभा चुनाव में वे फिर से निर्वाचित हुए। एक सितंबर 2014 से 9 नवंबर 2014 तक वह रेलवे पर स्थायी समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। -----जब परिवार में टूटा मुसीबत का पहाड़----- भाजपा राजनेता बंडारू दत्तात्रेय का वर्ष 1989 में वसंता से विवाह हुआ। उनके दो बच्चे बेटा वैष्णव बंडारू और बेटी विजया लक्ष्मी है। उनके परिवार पर उस समय मुसीबतों का का पहाड़ टूटा, जब 23 मई 2018 को हार्ट अटैक के कारण उनके बेटे का महज 21 साल की उम्र में निधन हो गया।

पीजीआई में सौ से कम हुए ब्लैक फंगस के मरीज

कोरोना की रिकवरी दर 97.75 प्रतिशत और संक्रमण दर 5.52 प्रतिशत जिले में 25,232 लोगों ने जीती जंग, उपचार के लिए बचे 23 सक्रीय मरीज दो नए कोरोना मरीज मिले, एक मौत के बाद मृतक संख्या 556 हुई पीजीआई में ब्लैक फंगस के दस मरीजों का हुआ आपरेशन हरिभूमि न्यूज.रोहतक। जिलें मे कोरोना का संक्रमण धीरे धीरे कम हो रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप अब उपचाराधीन सक्रीय मरीजों की संख्या तेजी से घटकर महज 23 रह गई है, जिनमें जिले के विभिन्न अस्पतालों में केवल 12 मरीज ही इलाज करा रहे हैं। वहीं रोहतक शहर के पीजीआई ट्रामा सेंटर पूरी तरह से कोरोना मरीजों से मुक्त हो चुका है, लेकिन पीजीआई में अभी भी ब्लैक फंगस के 99 मरीज भर्ती हैं। उधर ढलान पर आए करोना से ठीक होने वाले मरीजों के कारण अब रिकवरी दर बढ़कर 97.75 प्रतिशत हो गई। जबकि संक्रमण दर घटकर 5.52 प्रतिशत रह गई है। जिला प्रशासन ने जिलावासियों को सावधानी बरतने के लिए कोरोना बचाव के सभी उपायों के साथ सतर्क रहने की अपील की है। लोगों को चेताया गया है कि जिले में भले ही कोरोना संक्रमण की स्थिति ढ़लान पर हो, लेकिन वहीं मास्क लगाने और सामाजिक दूरी के साथ कोविड उचित व्यवहार को जीवन में अपनाकर सतर्क रहें। प्रशासन के सोमवार को जारी आंकड़ो के अनुसार पिछले 24 घंटे में जिले में जहां दो संक्रमण के मामले सामने आए, वहीं छह लोग संक्रमण मुक्त होकर अपने घरों को लौटे हैं। उधर पीजीआई के कोरोना का पिछले सप्ताह से एक भी मरीज नहीं है, लेकिन फंगस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। -------------------------------- ब्लैक फंगस के दस मरीजों का आपरेशन------- रोहतक स्थित भगवान ने पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के डॉक्टरों को यह बड़ी राहत मिली है। जहां एक भी कोरोना का मरीज नहीं है। वहीं पीजीआई के ईएनटी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आदित्य भार्गव, डॉ. जगत सिंह और डॉ. रमन बडेरा की टीम द्वारा लगातार किये जा रहे ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज और सेवा अब धीरे-धीरे अच्छे नतीजे दे रही है। मसलन सोमवार को पीजीआई में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या घटकर 99 रह गई है, जिनमें से दस मरीजों का आपरेशन किया गया है। पीजीआई के जनसंपर्क विभाग के कार्यकारी इंचार्ज डॉ गजेंद्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उम्मीद है कि अगले महीने में पीजीआई कोरोना की तरह ही ब्लैक फंगस मरीजों से भी मुक्त हो जाएगा। -----छह लोग संक्रमणमुक्त हुए------ जिले में पिछले 24 घंटे में कोरोना का इलाज करा रहे 6 लोग स्वस्थ्य होकर अपने घर पहुंचे हैं। इस प्रकार जिले में अब तक 25,232 लोग इलाज के बाद कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए हैं। इस दौरान संक्रमण के दो नए मामले दर्ज किये गये, जबकि एक कोरोना मरीज की मौत भी हो गई। इस प्रकार जिले में अब तक कोरोना संक्रमण ने 556 लोगों को अपने काल का ग्रास बनाया है। ------अस्पताल में 12 सक्रीय मरीज भर्ती--------- जिले में फिलहाल कोरोना वायरस से संक्रमित 23 सक्रीय मरीजों का इलाज चल रहा है, जिसमें 12 अस्पतालों और 11 अपने घरों में पृथकवास के बीच कोरोना का इलाज करा रहे हैं। जिला प्रशासन के अनुसार घरों में एकांतवास में रह रहे मरीजों को मैडिकल किट वितरित की गई है, जिनमें आवश्यक स्वास्थ्य उपकरण, दवाईयां एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाई व काढ़ा शामिल है। ---------दो नए संक्रमित मिले------ जिला प्रशासन के आंकड़ो के मुताबिक सोमवार को कोविड-19 के 735 सैंपल जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से केवल 2 सैंपल पॉजिटिव पाये गए, जबकि 310 सैंपल का परिणाम आना शेष है। जिला में अब तक कोरोना के 4,66,749 सैंपल लिए गए हैं, जिनमें से 25,811 सैंपल पॉजिटिव पाए गए तथा 4,40,628 सैंपल नेगेटिव पाये गए। अब तक जिले 4,64,547 व्यक्तियों को सर्वेलेंस पर रखा गया, जिनमें संक्रमितों के सम्पर्क में आए व्यक्ति भी शामिल है। --------------------- जिला में 3,032 का टीकाकरण------ जिला में महामारी से बचाव के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के तहत सोमवार को 3032 लोगों को करोना वैक्सीन की डोज दी गई। इन डोज में कोविशिल्ड की 2,307 तथा को-वैक्सीन की 725 डोज शामिल हैं। अब तक कोरोना वैक्सीन की 3,40,312 डोज दी जा चुकी है। इसमें हेल्थ केयर वर्कर को 21,480 तथा फ्रंटलाइन वर्कर को 13,542 डोज दी गई। वहीं 18 से 44 आयु वर्ग में 1,15,337, 45 से 60 आयु वर्ग में 89,563 तथा 60 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग में 1,00,390 लोगों को वैक्सीन का टीका लगाया जा चुका है। -डॉ. अनिलजीत त्रेहान, जिला टीकाकरण अधिकारी। 06July-2021

ओलंपिक में जाने से पहले हरियाणा ने रचा इतिहास, महाकुंभ में 31 महारथी

भारतीय कुश्ती दल में सभी सात हरियाणवी पहलवान नौ हरियाणा की खिलाड़ियों से सजी है महिला हॉकी टीम हरियाणा के सात खिलाड़ी दूसरी और एक तीसरी और एक चौथी बार ओलंपिक में ओ.पी. पाल. रोहतक। आगामी 23 जुलाई से जापान के टोक्यो में शुरू हो रहे ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों के 121 सदस्यीय दल में हरियाणा के 30 खिलाड़ी हरियाणा राज्य से हैं, जिनमें सात सदस्यीय भारतीय कुश्ती दल में सभी हरियाणा के पहलवान हैं। वहीं 16 सदस्य महिला हॉकी टीम में नौ खिलाड़ी हरियाणा की बेटियां ही हैं। हरियाणा के दस खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें ओलंपिक में खेलने का अनुभव है, जबकि चक्का फेंक में सीमा पूनिया चौथी बार, मुक्केबाज विकास कृष्ण तीसरी बार ओलंपिक का सफर तय करेंगे। बाकी आठ दूसरी बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगे। टोक्यो ओलंपिक के लिए जाने वाले भारतीय खिलाड़ियों के दल में सर्वाधिक 30 खिलाड़ी हरियाणा के हैं। इसके साथ ही ओलंपिक में खेलने से पहले खेल जगत में इतिहास रच रहे हरियाणा में कई ऐसे रोचक पहलू हैं। इनमें सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही है कि सात सदस्यीय भारतीय कुश्ती टीम के सभी 4 महिला व 3 पुरुष पहलवान हरियाणा के हैं, क्योंकि अन्य राज्यों के पहलवान ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाए। हरियाणा की दूसरी बड़ी उपलब्धि में महिला हॉकी टीम में पूर्व कप्तान रानी रामपाल समेत नौ खिलाड़ी हरियाणा की बेटियां हैं। ऐसे ही कई अन्य पहलू ओलंपिक खेलों को लेकर सुर्खियों में हैं। रियो ओलंपिक में हरियाणा की हिस्सेदारी में 7 महिला समेत 19 खिलाड़ियों ने विभिन्न स्पर्धाओं में हिस्सा लिया था, जिसके बाद खेलों के जज्बे के बीच इस बार दस और खिलाड़ियों का इजाफा हुआ है। टोक्यों में हरियाणा के 30 खिलाड़ियों में हरियाणा की 17 बेटियों ने 13 पुरुष खिलाड़ियों के मुकाबले भारतीय टीम में जगह बनाकर अपनी ताकत का अहसास कराया है। जहां तक ओलंपिक का अनुभव वाले खिलाड़ियों का सवाल है उसमें दस खिलाड़ियों में चक्का फेंक में सीमा पूनिया चौथी बार और मुक्केबाज विकास कृष्ण तीसरी बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, बाकी आठ खिलाड़ी रियो ओलंपिक के बाद टोक्यो में दूसरी बार ओलंपिक में भारतीय दल का हिस्सा बन रहे हैं। इन आठ खिलाड़ियों में सुरेंद्र, विनेश फौगाट, रानी रामपाल, सविता, मोनिका, नवजोत, संदीप शामिल हैं। -----हॉकी टीम में हरियाणवी छाप--------- टोक्यों ओलंपिक के लिए चुनी गई भारतीय महिला और पुरुष टीम में 11 खिलाड़ी हरियाणा से चुने गये हैं। इनमें 16 सदस्यीय महिला हॉकी टीम में पूर्व कप्तान रानी रामपाल समेत नौ खिलाड़ी हरियाणा की ही हैं, जिसमें रानी रामपाल, सविता पूनिया, मोनिका मलिक, नवजोत कौर, नवनीत कौर, नेहा गोयल, निशा, शर्मिला, उदिता शामिल हैं, इनमें पांच नवनीत कौर, नेहा गोयल, निशा, शर्मिला, उदिता ओलंपिक में डेब्यू करेंगी। वहीं प्रदेश के सुमित और सुरेंद्र कुमार टोक्यों ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम में शामिल किये गये हैं। ------टोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के खिलाड़ी---------- कुश्ती- बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया, रवि दहिया, विनेश फौगाट, अंशु मलिक, सोनम मलिक, सीमा शूटिंग- अभिषेक, संजीव राजपूत, यशस्विनी, मनु भाकर मुक्केबाजी- अमित पंघाल, विकास कृष्ण, मनीष, पूजा हॉकी- रानी रामपाल, सविता पूनिया, मोनिका मलिक, नवजोत कौर, नवनीत कौर, नेहा गोयल, निशा, शर्मिला, उदिता, सुमित, सुरेंद्र कुमार एथलेटिक्स-नीरज चोपड़ा, संदीप, राहुल। चक्का फेंक-सीमा पूनिया लॉन टेनिस- सुमित नागल 06July-2021

मंडे स्पेशल: बिजली खपत से ज्यादा उत्पादन क्षमता, फिर भी हाल बेहाल

राज्य के कई थर्मल पावर प्लांट बंद, वितरण व्यवस्था का विस्तार न होने से संकट में जनता अन्य प्रदेशों व निजी कंपनियों से बिजली खरीदकर मांग पूरी कर रही है सरकार ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश में बिजली का उत्पादन खपत से कम नहीं है। इसके बावजूद गर्मी के दिनों में राज्यवासी पसीने से तर-बतर हैं। एक ओर बंद पड़े थर्मल पावर प्लांटों ने पसीना निकाला, तो रही सही कसर बिजली वितरण व्यवस्था ने पूरी कर दी। कहीं ट्रांसफार्मर फूंके, तो कही केबल जलने से लोगों ने जागकर रात काटी। हालात ये रहे कि एक मिनट में बिजली किल्लत की तीन शिकायतें दर्ज की गई। जगह-जगह रास्ते रोके गये और लोगों ने जमकर नारेबाजी की। सूर्यदेव के तेवर कुछ नरम पड़े और देवराज प्रसन्न हुए तो राहत की सांस आई। प्रदेश में गर्मी बढ़ते ही बिजली की मांग बढ़ने लगी है। हालांकि हरियाणा के पावर प्लांटों में हो रहे बिजली उत्पादन की पूरी क्षमता से चलाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कई यूनिटें बंद पड़ी हैं। इसलिए प्रदेश में खासकर गर्मी के दिनों में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार करीब 5700 मेगावाट बिजली की खरीद करती है। आमतौर पर प्रदेश में चार से पांच हजार मेगावाट खपत है, लेकिन गर्मी के दिनों में बिजली की मांग करीब आठ हजार मेगावाट से बढ़कर इस बार 11 हजार से ज्यादा तक जा पहुंची। मसलन प्रदेश में बिजली की कमी नहीं है, लेकिन गर्मी के दिनों में बढ़ते लोड़ के कारण वितरण व्यवस्था का ढांचा उसके आधुनिकीकरण की याद दिलाता है। हालात ये हैं कि इस व्यवस्था के दुरस्त न होने का खामियाजा लोगों को बिजली कट के कारण पसीना बहाकर भुगतना पड़ रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि बिजली विभाग ने 8000 बिजली के खम्भे खरीदे हैं और जल्द ही खराब खम्भों को बदला जाएगा। जल्द ही प्रदेश में सभी पुरानी तारों को भी बदलने का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए 96 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। ------------------------- ऐसे पूरी हो रही है बिजली की मांग हरियाणा में जैसे जैसे अप्रैल माह में गर्मी बढ़ना शुरू हुई वैसे ही हर रोज 6500 मेगावाट से ज्यादा बिजली की खपत होना शुरू हो गई, जो बढ़ते बढ़ते एक जुलाई को 11732 मेगावाट तक रिकार्ड बना गई। पिछले साल जुलाई माह में अधिकतम 11400 मेगावाट बिजली की खपत हुई थी। प्रदेश में स्थिपित जहां कुछ बिजली उत्पादन प्लांट बंद है, तो चालू प्लांटों में क्षमता के अनुरूप बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने पहले से ही बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अन्य प्रदेशों और निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से अनुबंध किया हुआ है। प्रदेश में समस्या है कि थर्मल पावर प्लांटों में क्षमता से कम बिजली का उत्पादन हो रहा है और बिजली की बढ़ती मांग के बावजूद कई उत्पादन इकाई बंद पड़ी हैं। प्रदेश सरकार के अनुबंधों के तहत फिलहाल खरीदी जा रही बिजली में अदानी पावर लिमिटेड की तीन इकाईयों से 1424 मेगावाट प्रतिदिन खरीद का अनुबंध है, लेकिन फिलहाल एक इकाई से ही हर रोज करीब 650 मेगावाट बिजली मिल रही है। फरीदाबाद गैस प्लांट से 196 और पानीपत में सोलर प्लांट से 10 मेगावाट बिजली मिल रही है। वहीं हरियाणा के लिए एचपीजीसीएल से 2582, भाखड़ा से 846, सेंट्रल पावर से 2572 और निजी क्षेत्र से 5700 मेगावाट बिजली ली जाती है। --------------------- प्रदेश के थर्मल पावर प्लांटों की क्षमता----- प्रदेश में हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (एचपीजीसीएल) भारत में हरियाणा सरकार की बिजली उत्पादक कंपनी है। हरियाणा में नए उत्पादक स्टेशन स्थापित करने की जिम्मेदारी संभाल रहे निगम के छह पावर स्टेशन और परियोजनाएं पानीपत, यमुना नगर, हिसार और झज्जर जिलों में स्थित हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता 6032.2 मेगवाट है। बाकी सरकार अन्य प्रदेशों और निजी कंपनियों से खरीद करके प्रदेश में बिजली की मांग को पूरा कर रही है। पानीपत थर्मल पावर प्लांट की आठ में से चार ईकाईयों से 920 मेगावाट, राजीव गांधी थर्मल पावर स्टेशन, खेदड, हिसार की दो इकाईयों से 1200 मेगावाट उत्पादन चालू है। इंदिरा गांधी सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट, झज्जर की तीन यूनिट से 1500 मेगावाट, महात्मा गांधी थर्मल पावर प्लांट प्रोजेक्ट, झज्जर की दो इकाईयों से 1320 मेगावाट बिजली बन रही है। दीन बंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट, यमुनानगर की दो इकाई से 600 मेगावाट तथा डब्ल्यूवाईसी हाइड्रो इलेक्ट्रिक स्टेशन, यमुनानगर की चार इकाई से 62.40 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की क्षमता है। --------------------------- बिजली आपूर्ति की क्या है व्यवस्था----- प्रदेश में बिजली की आपूर्ति के लिए हरियाणा बिजली प्रसारण निगम, उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम और दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम बिजली का संप्रेषण करते हैं। प्रसारण निगम से मिलने वाली बिजली को उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम अपने तहत आने वाले करनाल, पानीपत, सोनीपत, जींद, रोहतक, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर व अंबाला सर्कल में औद्योगिक, ग्रामीण, शहरी, कृषि क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति करती है। इसी तरह दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम अपने हिसार, भिवानी, गुड़गांव, सिरसा, नारनौल, फरीदाबाद सर्कलों में कृषि, ग्रामीण, शहरी व औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति करता है। -------------- सौर ऊर्जा को बढ़ावा---- प्रदेश सरकार का दावा है कि ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाला हरियाणा देश का दूसरा राज्य है। राज्य सरकार का दावा है कि 'म्हारा गांव-जगमग गांव' योजना के तहत राज्य के करीब 5300 गांवों में 24 घंटे बिजली दी जा रही है। सरकार ने इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को रोशन करने के लिए छह हजार सोलर एलईडी स्ट्रीट लाइट, 12 वॉट की 5 हजार एलईडी और सीसीटीवी कैमरा वाली एक हजार हाईमास्ट एलईडी लाइट लगाने का निर्णय लिया गया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में यह भी ऐलान किया गया कि प्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड 77 मेगावॉट के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगा। इसके अलावा सरकार पंचकूला को ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करके शहर की 20 प्रतिशत बिजली की मांग को सौर ऊर्जा से पूरा करने का निर्णय लिया है। ----------------------- स्मार्ट मीटर का लक्ष्य अधूरा------ हरियाणा डिस्कॉम ने तीन वर्षों में 10 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस कार्य के लिए डिस्कॉम ने एनर्जी एफिशिएंट सर्विस लिमिटेड के साथ काम करने की योजना बनाई है। दिसंबर 2020 तक राज्य में 2.15 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। बिजली विभाग द्वारा खरीदे गये 10 लाख स्मार्ट मीटरों में से 2.75 लाख स्मार्ट मीटर गुरुग्राम, फरीदाबाद, करनाल और पंचकूला में लगाए गए हैं। इसके अलावा सरकार जल्द ही 20 लाख स्मार्ट मीटर और खरीने की योजना बना रही है। वहीं हरियाणा में बिजली के नव एवं नवीनीकरण के पहले चरण में 15000 ऑफ-ग्रिड सौर पंप और दूसरे चरण में 35000 ऑफ ग्रिड सौर पंप स्थापित किए जाने थे, सरकार ने एक साल में इस घोषणा का 75 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया है। ------------ पहली बार बना खपत का रिकार्--- ‘प्रदेश में गर्मी के दिनों में बिजली की मांग बढ़ जाती है, जिसकी विभाग द्वारा निगरानी की जाती है। इस माह के पहले दिन यानि एक जुलाई को ही प्रदेशे के इतिहास में सबसे ज्यादा बिजली की 2576.88 लाख लाख यूनिट के रिकॉर्ड खपत और 11732 मेगावाट बिजली का लोड दर्ज किया गया। इसके सबसे ज्यादा गुरुग्राम सबसे ज्यादा 1147 मेगावाट लोड़ दर्ज हुआ। सरकार की अग्रिम तैयारियों के कारण प्रदेश में बिजली की कमी जैसी कोई समस्या नहीं है। विभाग के अधिकारियों को निर्देश है कि बिजली की सुचारू उपलब्धता के लिए वितरण प्रणाली दुरस्त रखी जाए। इसी प्रकार राज्य के अधिकारियों के लिए दिशानिर्देश दिये गये हैं कि धान सीजन के दौरान सतर्क रहने और जनता व किसानों को निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। वहीं सरकार ने कोरोना काल के दौरान चार महीने की बिजली सिक्योरिटी को एक साल के लिए स्थगित कर जनता को राहत दी है। यानि जब तक कोरोना काल है तब तक बिजली पर कोई अधिभार नहीं लिया जाएगा। -रणजीत सिंह चौटाला, बिजली मंत्री, हरियाणा। 05July-2021

मंडे स्पेशल:सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने में जुटी सरकार!

प्रदेश के कई जिलों के सरकारी स्कूलों में नहीं हुआ एक भी दाखिला सरकार 25 से कम छात्र संख्या वाले 1057 स्कूलों को बंद करेगी ओ.पी. पाल.रोहतक। इसे कोराना महामारी की मार कहें या निजी स्कूलों की चमक धमक.., कि अभिभावक सरकारी स्कूलों से दूरी बना रहे हैं। प्रदेशभर के कई जिलों में सरकारी स्कूलों में एक भी बच्चें का दाखिला नहीं हो सका। इसकी भनक लगते ही प्रदेश सरकार भी एक्शन मोड़ में आई और सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के साथ सुविधाएं बढ़ाकर निजी स्कूलों को टक्कर देने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यही नहीं राज्य शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों को बिना एसएलसी विद्यार्थियों का दाखिला करने के निर्देश तक जारी कर दिये हैं और इसके लिए सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए शिक्षकों ने बच्चों के अभिभावकों से सीधा संपर्क साधना शुरू कर दिया है। हरियाणा प्रदेश में अरसे से सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम संतोष जनक नहीं रहा। मौजूदा राज्य सरकार ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए कई योजनाएं बनाई, जिसका मकसद बच्चों की पढ़ाई के लिए अभिभावकों को आकर्षित करना है। प्रदेश में भाजपा की पहली सरकार में शिक्षा मंत्री रहे राम विलास शर्मा के सियासीगढ़ महेन्द्रगढ़ के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट ज्यादा चिंताजनक देखा गया, जिसके बाद सरकार शिक्षा के प्रति एक्शन मोड में आई और हर साल के बजट में शिक्षा के लिए सर्वाधिक बजट जारी किया गया। इस साल के बजट में राज्य सरकार ने 18,410 करोड़ रुपये का बजट शिक्षा के लिए दिया, जो पिछले साल 19,639 करोड़ था। राज्य सरकार का दावा है कि इस साल के शैक्षणिक सत्र में सुधारात्मक और सरल शिक्षा योजना से प्रभावित होकर करीब दो लाख बच्चों ने निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के 14,400 सरकारी स्कूलों में से सर्वे कराने के बाद आई रिपोर्ट के आधार पर ऐसे 1,057 सरकारी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 25 से कम है। ------------------------ अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई------ प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर सुविधाएं देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। प्रदेश में खोले गये नए 136 राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ विद्यालयों और 1418 राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र शुरू हो गये हैं। इन स्कूलों में सरकार जहां विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, स्कूल ड्रेस दे रही है। वहीं कक्षा नौवीं से बारहवीं तक की छात्राओं के लिए आने जाने के लिए वाहन की सुविधा भी सरकार की तरफ से मुफ्त होगी। सीबीएसई से मान्यता वाले इन स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने की दिशा में हिंदी और अंग्रेजी मीडियम यानि सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में पहली से नौंवी के लिए अंग्रेजी माध्यम का एक सेक्शन शुरू किया जाएगा। पहली से पांचवीं तक अधिकतम 30, छठी से आठवीं तक 35 और नौवीं व 11वीं के लिए 40 सीटे उपलब्ध कराई जाएंगी। ------------------------------- 141 स्कूलों में पांच छात्र तक नहीं------ इस साल नए शैक्षणिक सत्र से पहले सरकार ने 1057 सरकारी स्कूल बंद करने का फैसला लिया है, जिनमें तमाम प्रयासों के बावजूद विद्यार्थियों की संख्या 25 का आंकड़ा नहीं छू पाई। ऐसे स्कूलों में 743 प्राथमिक स्कूल और 314 मिडिल स्कूल हैं। शिक्षा विभाग द्वारा बंद किये जाने वाले प्रदेश के इन 743 प्राथमिक स्कूलों में से 91 स्कूलों में पांच से कम, 120 स्कूलों में दस से कम, 204 स्कूलों में 11 से 15, 180 स्कूलों में 16 से 20 और 148 स्कूलों में छात्र संख्या 21 से 25 के बीच है। जबकि 314 मिडिल स्कूलों में से 50 में पांच से कम, 20 में दस से कम, 54 में 11 से 15, 89 में 16 से 20 और 101 मिडिल स्कूलों में 21 से 25 के बीच छात्र हैं। ऐसे स्कूलों के इन विद्यार्थियों को एक किलोमीटर के दायरे में संचालित दूसरे राजकीय प्राथमिक स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। वहीं इन स्कूलों में तैनात 1304 जेबीटी और मुख्य शिक्षकों, 763 टीजीटी और 167 ईएसएचएम को दूसरे अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। ------------------------------ सरकारी स्कूलों से दूरी की वजह------ जब प्रदेश सरकार प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की मुहिम में जुटी है तो ऐसे समय अकेले भिवानी जिले में 34 प्राइमरी स्कूल ऐसे पाए गये, जहां तमाम प्रयासों के बावजूद पहली कक्षा में एक भी बच्चें का दाखिला नहीं हुआ। इसका कारण अभिभावन सरकारी स्कूलों में बच्चों की शिक्षा में रूचि नहीं दिखा रहे हैं, जबकि पहली कक्षा में एसएलसी की जरूरत भी नहीं पड़ती। शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों की सूची भी जारी कि जिसमें भिवानी जिले के इन 34 स्कूलो में भिवानी खंड में 14, बवानीखेड़ा में 7, कैरू में 5, लोहारू और बहल में 3-3 तथा तोशाम व सिवानी खंड में 1-1 स्कूल शामिल है। शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों के प्रधानाचार्यो का सरकार ने जवाब तलब भी किया और आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये। ---------------------------------- ऐसे रही स्कूलों में दाखिले की स्थिति------ प्रदेश के इस नए सत्र में सरकारी स्कूलों में दाखिले नाममात्र के हुए हैं। प्रदेश के भिवानी में दो ,गुरुग्राम में पाँच, जींद में एक, कैथल में तीन, झज्जर में छह, यमुनानगर में 13, कुरुक्षेत्र में 9 ,पलवल में दो, रोहतक में तीन, अंबाला में दस, पंचकुला में 13, सिरसा में चार, दादरी में तीन, फ़तेहाबाद में पाँच, महेंद्रगढ़ में आठ, हिसार में तीन, रेवाड़ी में दो, सोनीपत में एक, करनाल जिले में दो बच्चों के पहली क्लास में दाखिले किये गये। जबकि फरीदाबाद, पानीपत और मेवात जिले में अभी तक एक भी बच्चें का दाखिला नहीं हो पाया। ----------------------- कारगर हुई शिक्षा विभाग की योजना----- प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंदी के इस दौर में भी प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से पूरी फीस की मांग करने लगे तो इससे त्रस्त अभिभावकों को शिक्षा विभाग की बिना एसएलसी (स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट) के दाखिला करने योजना से बल मिला, जिसमें शिक्षक सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अभिभावकों से संपर्क करके सरकारी स्कूल के पढ़ाने के फायदे बता रहे हैं। सरकार का दावा है कि इस प्रकार के अभियान से प्रदेश में कम से कम दो लाख ऐसे बच्चें सरकारी स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं, जो निजी स्कूलों में पढ़ रहे थे। ----------------------------- नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी--- प्रदेश सरकार हरियाणा के सरकारी स्कूलों का सुधार करने में नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी कर रही है। सरकार का प्रयास है कि बच्चों का रूझान निजी स्कूलों की बजाए सरकारी स्कूलों में बढ़े। विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार मौजूदा सरकारी स्कूलों में रैंकिंग के बाद हर तरह का बदलाव करने को तैयार है। ताकि सरकार का प्रयास है कि प्रदेश में राष्ट्रीय लक्ष्य 2030 से पहले वर्ष 2025 तक नई शिक्षा नीति लागू कर दी जाए। इसके लिए शिक्षा निदेशालय के निर्देशन में रैंकिंग पर शुरू हुई प्रक्रिया को अंजाम देने वाली अलग-अलग कमेटियों द्वारा सरकारी स्कूलों को ग्रीन, येलो तथा रेड श्रेणी में बांटा जा रहा है। इन कमेटियों में स्कूल प्रबंधक, अभिभावक, एनसीइआरटी के प्रतिनिधि तथा शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह श्रेणियां इन स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं तथा परीक्षा परिणाम पर आधारित होंगी। ----------------------- रैंकिंग के आधार पर होगा सुधार---- हरियाणा सरकार की रैंकिंग योजना में जो मापदंड तय किये गये हैं, उनके अनुसार पहली बार की रैंकिंग में रेड जोन में आने वाले स्कूलों को छह से आठ माह के भीतर सुधारा जाएगा। जबकि ग्रीन जोन की रैंकिंग वाले स्कलों को तीन से छह माह के भीतर सुधारा जाएगा। यह सभी कमेटियां अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को देंगी और मुख्यालय द्वारा यह रिपोर्ट शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी को सौंपी जाएंगी। इस सर्वे तथा रैंकिंग के लिए सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की एक एजेंसी की भी सेवाएं ली जाएंगी। ------------------------- रैंकिंग का यह होगा मापदंड - -- सरकार की इस योजना के लिए सर्वे में रैंकिंग का मूल्यांकन करने के लिए स्कूल का तीन साल का परीक्षा परिणाम देखा जाएगा। इसके अलावा अध्यापक व छात्र अनुपात, स्कूल का मौजूदा बुनियादी ढांचा, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्कूल बच्चों के अनुकूल हैं या नहीं, बच्चों को पढ़ाई के अनकुल माहौल मिलता है या नहीं, बच्चों के लिए पीने के पानी का प्रबंध, शौचालयों की दशा, लाइब्रेरी और लेबोरट्री की व्यवस्था, विद्यार्थी के स्कूल व घर के बीच का फासला तथा छात्राओं के मुकाबले महिला अध्यापकों की तैनाती की स्थिति देखी जाएगी। 28June-2021

साक्षात्कार: हिंदी से ही संस्कृति व सभ्यता का संरक्षण संभव: डा. रामफल गौड़

नई पीढ़ी को अपनी सामाजिक कविताओं के जरिए प्रेरित करने में जुटे 
व्यक्तिगत परिचय 
 नाम: डॉ. रामफल गौड़ 
 जन्म: एक अप्रैल 1965 
जन्म स्थान: गांव धनौरी, जिला जींद(हरियाणा) 
शिक्षा: एम.ए. (अंग्रेजी, इतिहास), बी.एड. 
 सम्प्रति: हरियाणा शिक्षा विभाग में अंग्रेजी प्रवक्ता 
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रियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पंडित लखमीचन्द सम्मान-2019 से नवाजे जाने वाले प्रख्यात साहित्यकार एवं लोकप्रिय कवि डॉ. रामफल गौड़ का मानना है कि इस तकनीकी और आधुनिक युग में समाती जा रही भारतीय संस्कृति, इतिहास और साहित्य के संरक्षण के लिए मां बोली यानि हिंदी को बढ़ावा देने की जरुरत है। इसलिए हिंदी भाषा को पाठ्यक्रमों में अनिवार्य विषय होना चाहिए। वैसे भी इस इंटरनेट के जमाने में सबकुछ हिंदी में समझना बेहद आसान हो गया है। पठन-पाठन और आपसी बोलचाल में यदि मातृभाषा हिंदी का उपयोग होगा, तो इस भौतिकवाद के युग में भी समाज और सभ्यता और खासकर हरियाणवी संस्कृति के विकास में भारतीय संस्कृति और साहित्य जगत की प्रासांगिकता को और भी सुदृढ़ किया जा सकता है। हरियाणवी संस्कृति और समाज को दिशा देने खासकर नई पीढ़ी को अपनी सामाजिक कविताओं के जरिए प्रेरित करने में जुटे डा. रामफल गौड़ ने हरिभूमि संवाददाता से हुई खास बातचीत में ऐसे कई पहलुओं को उजागर किया, जिनमें नई पीढ़ी को साहित्य और इतिहास के प्रति प्रेरित किया जा सके। हरियाणा के जींद जिले के धनौरी गांव में जन्मे साहित्य जगत के कवि डॉ. रामफल गौड़ हरियाणा शिक्षा विभाग के राजकीय सीनियर सेंकेण्डरी स्कूल, नरवाना में अंग्रेजी के प्रवक्ता हैं। जिनकी उच्च शिक्षा भी अंग्रेजी व इतिहास विषय में हुई है। इसके बावजूद भारतीय संस्कृति एवं सामाजिक सभ्यता के संरक्षण के लिए समाज को दिशा देने में हिंदी साहित्य और कविताओं के माध्यम से जुटे हुए हैं। डा. गौड़ को बचपन में अपने ही परिवार के बुजुर्गो से हिंदी साहित्य और कविताओं के लिखने की प्रेरणा मिली। उनका कहना है कि गांव में उनके परिवार में हरिकेश हरियाणवी संस्कृति और मां बोली में ही सांग और लोकगीत व कविताएं गाते रहे हैं। घर में भी मां और अन्य बुजुर्ग कहानियां और कविताएं सुनाते थे। बेशक उनकी उच्च शिक्षा में हिंदी विषय न रहा हो, लेकिन हिंदी यानि अपनी हरियाणवी संस्कृति के प्रति उनका लगाव कम होने के बजाए बढ़ता चला गया और आज वह अंग्रेजी विषय के प्रवक्ता होने के बावजूद हिंदी भाषा में साहित्य के जरिए समाज सेवा कर रहे हैं। आज की नई और युवा पीढ़ी को संदेश के रूप में डा. गौड ने कहा कि वे समाज के हित में साहित्य और इतिहास को अवश्य पढ़े। वहीं अपने शैक्षिक अध्ययन में भले ही अंग्रेजी या अन्य भाषा विषय लें, लेकिन अपनी हिंदी भाषा को अनिवार्य रूप से रखें, तभी वे देश व समाज में अपनी अहम भूमिका निर्वहन कर सकते हैं। 
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें
डॉ. रामफल गौड़ की अब तक प्रकाशित प्रमुख पुस्तकों में भजनमाला, श्रृंगार रस के संग, तारा रानी की कथा और अन्य हरियाणवी भेंटे, सांग वाटिका, सांग सौरभ, रफ्तार जमाने की, दिल का दर्पण और प्रतिदिन शामिल हैं। इनमें सांग वाटिका पुस्तक हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा अनुदान प्राप्त है। इसके अलावा डा. गौड दूरदर्शन और आकाशवाणी पर केई बार काव्य पाठ कर चुके है। काव्य पाठ के लिए उन्हें विभिन्न संस्थाएं काव्य पाठ के लिए उन्हें आमंत्रित करती रही हैं। उनकी जिनकी कविताए और रचनाएं देश के विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुई है।
प्रमुख पुरस्कार व सम्मान
हरियाणा साहित्य अकादमी ने हाल ही में जींद जिले के धनौरी गांव निवासी साहित्यकार डॉ. रामफल गौड़ को दो लाख रुपये के पंडित लखमीचन्द्र पुरस्कार-2019 से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। डॉ. गौड़ को इससे पहले दर्जनों पुरस्कार मिल चुके है, जिसमें अखिल भारतीय साहित्य परिषद का अजीत लाल चौपड़ा स्मृति सम्मान, पंडित हरिकेश पटवरी स्मृति सम्मान शामिल हैं। हिंदी साहित्य प्रेरक संस्था जींद द्वारा चन्द्रमती स्मृति साहित्य रत्न सम्मान, साहित्य सभा कैथल से बाबूराम गुप्ता स्मृति सम्मान, साझा साहित्य मंच करनाल से मनोहर सुगम स्मृति सम्मान, जिज्ञासा मंच हिसार से तारादत्त विलक्षण स्मृति सम्मान, जिला बार संघ करनाल से साहित्य पुरस्कार, म्हारी संस्कृति-म्हारा स्वाभिमान संस्था से संस्कृति रत्न सम्मान पा चुके हैं। डा. गौड़ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हरियाणवी भाषा समारोह में उपकुलपति और नरवाना उपमंडल प्रशासन द्वारा साहित्यक गतिविधियों के लिए सम्मानित होने के अलावा आरकेएसडी कॉलेज कैथल में विशिष्ट अतिथि सम्मान, मानव मित्रमंडल नरवाना से हरियाणा दिवस पर सम्मान पाने के साथ ग्राम सुधार समिति धनौरा जींद में संरक्षण का सम्मान भी हासिल कर चुके हैं।
प्रसिद्ध कविता
डा. गौड़ की कई ऐसी कविता रही, जो सामाजिक दृष्टि से सुर्खियां बनी है। ऐसी कविताओं में ‘मां की ममता को दर्शाने वाली ‘मां ममता की मूरत हो सै मम्मी सुनो विचार मेरा कड़ै गया मां मेरा बचपन कड़ै गया मां प्यार मेरा..’। नारी की सामाजिक स्थिति पर ‘देवी अबला पां की जूती, मिले खिताब हजार मनै, जिब तै बनी सृष्टि कितने ओटे अत्याचार मनै..’।‘चाल है हर दम नारी, फिर भी जीना से लाचारी जीना से लाचारी..’। ‘माता पिता तो नौकर बणगे, बालक बणे नवाब घणा के, मेज तले समझौता करते देक्खे से इंकलाब घणे। हरियाणवी मिट्टी की महिमा को दर्शाने वाली कविता में ‘माटी मरै, मिले माटी मैं, कितना अजब नजारा सै, बीच मैं माटी, अंत मै माटी, कौन से न्यारा माटी तै...’ शामिल हैं। 
28June-2021

सोमवार, 26 जुलाई 2021

मंडे स्पेशल: हरियाणा में 1100 कार्यक्रमों में योगासन करेंगे 55 हजार लोग

सातवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस आज कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने का जिम्मा संभालेगा जिला प्रशासन प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में व्यायामशालाओं के निर्माण पर कर रही काम ओ.पी. पाल. रोहतक। अब तो विज्ञान भी मान चुका है कि योग इम्युनिटी बढ़ाने का सबसे कारगर और सरल साधन है। इस बार पूरी दुनिया 21 जून को ऐसे मौके योग दिवस मना रही है जब कोरोना से लड़ने के लिए मजबूत इम्युनिटी की सख्त जरूरत है। यही कारण है कि इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए खास तैयारी की गई है। मसलन प्रदेशभर में कोरोना प्रोटोकॉल के चलते 1100 से ज्यादा योग कार्यक्रम तो रखे गए है, लेकिन हर आयोजन में साधकों की संख्या केवल 50 ही होगी। सरकार, राज्य योग आयोग और समाजिक संगठन इस प्रयास में लगे हैं कि आम जन घर में ही रहकर योग के आसनों का अभ्यास करें। इसके लिए लगातार जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित होने के बाद योग को वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने बढ़ावा देने की दिशा में हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार व्यायामशालाओं का निर्माण करने का निर्णय लिया था। वहीं एक हजार योग शिक्षकों की भर्ती करने का भी ऐलान हुआ। सरकार के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार अभी तक करीब 300 योग एवं व्यायामशालाओं का निर्माण किया जा चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की दिशा में पहले चरण के 1000 पार्क-सह-व्यायमशालाओं की स्थापना पर काम जारी है। भविष्य में इनकी संख्या दोगुना करने पर भी विचार चल रहा है। जबकि इसके विपरीत प्रदेशभर के जिलों में हरिभूमि टीम की पड़ताल के बाद जो तथ्य सामने आए हैं उसमें किसी भी जिले में व्यायामशालाओं का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां निर्माण हुआ है तो वहां योग शिक्षक या किसी अन्य कर्मचारी की नियुक्ति तथा मूलभूत सुविधाओं के अभाव में व्यायामशालाएं खस्ता हालत में विरान अवस्था में हैं। पड़ताल के अनुसार जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जिन व्यायायामशालाओं का निर्माण हुआ है, वह या तो अधूरा है या फिर उनकी देखरेख और उनमें दी जाने वाली सुविधाओं के अभाव में उनकी भी हालत बद से बदतर होने के कगार पर है। हालांकि हरियाणा योग आयोग का गठन करके राज्य सरकार ने ग्रामीण स्तर पर योगशालाओं की स्थापना करने और योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति करने की योजना को सिरे चढ़ाने के प्रयासों को तेज कर दिया है, ताकि योग को जमीनी स्तर पर लोगों को अपने जीवन शैली का हिस्सा बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। ------------------- सरकार की ये भी है योजना---- प्रदेश में योगा और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए सरकार की यह भी योजना है। इसके तहत जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर पर योग प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें प्रशिक्षित शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक (पीटीआई) और शारीरिक शिक्षा में डिग्री धारक (डीपीई) योग प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण पहले चरण में 2,200 अध्यापकों को योग में प्रशिक्षित किया जाएगा। वहीं सरकार की प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र का नाम बदलकर ‘योग और आयुष केंद्र’ करने की योजना है, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा सभी जिला मुख्यालयों पर भी ‘योग और आयुष केंद्र’ स्थापित किए जाएंगे। इस योजना के तहत कुरुक्षेत्र के श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर का ध्यान योग केंद्र स्थापित किया जाएगा। योग परिषद को हरियाणा योग आयोग के रूप में स्थापित करके प्रदेश सरकार ने पहले ही विधेयक को मंजूरी दे दी है, ताकि अधिनियम के आधार पर योग को बढ़ावा दिया जा सके। ---------------------------- स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बना योग--- प्रदेश सरकार ने स्वस्थ्य के सबसे सरल साधन माने जाने वाले योग को बचपन से ही अपनी जीवन शैली में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में योग को हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों में एक अप्रैल 2021 से शैक्षणिक सत्र में योग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का ऐलान किया था, लेकिन कोरोना महामारी के कहर के बीच शिक्षण संस्थाएं बंद होने के कारण इसकी शुरूआत नहीं हो सकी। हालांकि राज्य में नैतिक शिक्षा के अलावा छात्रों को शैक्षणिक सत्र 2016-17 से योग पढ़ाया जा रहा है। ---------------------- कोरोना ने समेटा योग दिवस--- प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित होने वाले योग कार्यक्रमों को सीमित कर दिया है। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत प्रदेशभर में 1100 स्थानों पर योग कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। यानि राज्य सरकार के निर्देशों के तहत हरेक जिले में 50-50 योगा कार्यक्रम हो रहे हैं, जिनमें कोरोना महामारी के दिशानिर्देशों के तहत एक कार्यक्रम में योग करने के लिए केवल 50-50 साधकों को ही योगासन करने के लिए अनुमति दी गई। इस प्रकार प्रदेश के 22 जिलों में 55 हजार साधक ही योगासन के लिए हिस्सेदारी कर सकेंगे। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत योगा कार्यक्रम आयोजित करने की जिम्मेदारी जिला उपायुक्तों के कंधों पर है, तो कार्यक्रम में योग प्रशिक्षकों और कार्यक्रम स्थल पर अन्य सुविधाओं की व्यवस्था हरियाणा योग आयोग और आयुष विभाग कर रहा है। ---स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बना योग--- प्रदेश सरकार ने स्वस्थ्य के सबसे सरल साधन माने जाने वाले योग को बचपन से ही अपनी जीवन शैली में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में योग को हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों में एक अप्रैल 2021 से शैक्षणिक सत्र में योग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का ऐलान किया था, लेकिन कोरोना महामारी के कहर के बीच शिक्षण संस्थाएं बंद होने के कारण इसकी शुरूआत नहीं हो सकी। हालांकि राज्य में नैतिक शिक्षा के अलावा छात्रों को शैक्षणिक सत्र 2016-17 से योग पढ़ाया जा रहा है। ------- वर्जन महामारी में योग बेहतर उपाय----- योग का अर्थ है टू ज्वाइंट यानी जुड़ना या लगाव। हम जो भी कार्य करें उसे पूरी एकाग्रता के साथ करें। इस सृष्टि में चारों तरफ योग ही दिखाई दे रहा है। स्वस्थ व्यक्ति योग को जीवन पद्धति, रोगी व्यक्ति चिकित्सा पद्धति और योग साधक योग को कैवल्य प्राप्ति का साधन मानते हैं। कोरोना महामारी के समय लोगों ने प्रणायाम करके अपनी जीवन शक्ति यानी प्रतिरक्षी संस्थान को मजबूत किया। जिससे कि वे कोविड जैसी महामारी में भी स्वयं स्वस्थ रख पाए। आसन व सूर्य नमस्कार से शरीर को मजबूत बनाया। षटकर्म करके अपने शरीर की शुद्धता यानी सफाई की। योगनिद्रा, श्वासन, मकरासन आदि से अपनी पूरे शरीर का सूक्ष्म निरीक्षण किया। ध्यान के द्वारा अपने आप को उस परमपिता परमात्मा के साथ जोड़ा और इस प्रकार लोग योग द्वारा इस महामारी में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रुप से स्वस्थ रह सके और महामारी का शिकार होने से बच गए। हमें योग को अपनी दिनचर्या के अहम हिस्से के रुप में स्वीकार करना चाहिए जिससे कि हम शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रह सकें और किसी भी प्रकार के तनाव से मुक्त हो जाएं। -संगीता दलाल, असिस्टेंट प्रोफेसर योगा साइंस, महारानी किशोरी जाट कन्या महाविद्यालय --------------- शारीरिक व मानसिक विकास का सर्वांगीण उपाय है योग--- योग केवल व्यायाम की कला नहीं है, बल्कि यही शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का सर्वांगीण उपाय है। योग में मन पर नियन्त्रण सबसे महत्वपूर्ण है। हमारे शरीर में रोगों का मुख्य कारण है मन का अनियन्त्रित होना। पैसे की अन्धी भागदौड़ और उससे उत्पन्न मानसिक तनाव, वर्तमान युग में असाध्य रोगों को जन्म देता है। आज सुख-सुविधाओं के उपभोग तथा श्रम के अभाव के कारण मानव बिमार पड़ रहा है। खाने-पीने में असावधानी के कारण मोटापे का जिन्न भी बढ़ता जा रहा है। योग हमें सम्पूर्ण स्वास्थ्य की ओर ले जाता है। मन और तन दोनों को स्वस्थ बनाने की कला है योग। यम, नियम के पालन के अतिरिक्त योगासान, प्राणायाम भी मन पर नियन्त्रण करना सिखाते हैं। योग का शरीर के सभी अंगों, सभी ग्रन्थियों और सभी इन्द्रियों पर प्रभाव पड़ता है। प्राणायाम द्वारा अपनी सांसों पर और प्राणशक्ति पर नियन्त्रण करना आ जाता है। जिससे हमारी आयु लम्बी होती है। एक निरोगी, निरामय जीवन, एक ऐसा जीवन जो आपके अपने हाथ में है, आपको किसी डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, आप स्वयं अपने डॉक्टर बन सकते हैं। इसलिए योग को जीवन में अपनाओ ओर अपने जीवन को सफल बनाओ। -स्वामी आदित्यवेश, 21June-2021

कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम कसने की तैयारी में प्रशासन

गर्भधारण के शुरुआती दिन से ही की जाएगी ट्रैकिंग हरिभूमि न्यूज.रोहतक। प्रदेश सरकार के लिंगानुपात में सुधार की दिशा में फोकस करने की दिशा में जिले में प्रशासन ने भी कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीती पर लगाम लगाने के लिए ट्रैकिंग कराने का निर्णय लिया है, जिसके तहत महिला के गर्भधारण के शुरुआती दिन से ही ट्रैक करने का कार्य किया जाएगा। वहीं जिले में एनीमिया उन्मूलन के लिए प्रत्येक गांव व शहरी केंद्रों की मैपिंग की जाएगी। जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के पोषण अभियान के तहत जिला विकास भवन में बैठक में जिला उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि प्रदेश में लिंगानुपात में सुधार को लेकर सरकार का विशेष फोकस है और इसमें सुधार करना बेहद जरूरी है। उन्होंने निर्देश दिए कि पिछले लगभग एक वर्ष के दौरान के आंकड़े एकत्र जाएं। इस समयावधि में गर्भधारण के कितने मामले हैं और कितनी संख्या में बच्चों का जन्म हुआ है। इस बात की जांच की जाए कि इस दौरान कोई कन्या भ्रूण हत्या तो नहीं हुई है। वहीं उन्होंने महिला व बच्चों में एनीमिया उन्मूलन संबंधी दिशा-निर्देश भी जारी करते हुए कहा कि इस संबंध में मैपिंग करके आंकड़े प्रस्तुत किये जाएंगे। पूरे गर्भकाल के दौरान महिला में कितना खून था। अनिमिया में कितना उतार-चढ़ाव हुआ इसका आकलन किया जा सके। कोरोना महामारी के दौरान सर्वे की तर्ज पर अब महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा की जाएगी। ----एनिमिया उन्मूलन को होगी मैपिंग---- बैठक में उपायुक्त कहा कि एनीमिया उन्मूलन के संबन्ध में होने वाले इस सर्वे के कार्य में सीडीपीओ व सुपरवाइजर के अलावा स्वास्थ्य विभाग की एएनएम व आशा वर्कर भी शामिल होंगी। मैपिंग के इस कार्य के दौरान जिला के हर एक गांव के साथ-साथ शहरी केंद्रों पर भी टीमें पहुंचेगी। इस मैपिंग का उद्देश्य यही है कि एनीमिया का कितना फैलाव हुआ है। कोविड-19 प्रभाव कितना है, पोस्ट कोविड-19 स्थिति है, ऐसे सभी आंकड़े मैपिंग के माध्यम से तैयार किए जाएंगे। इसके साथ ही ये टीमें कोरोना महामारी के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य भी करेगी। ---पोषण अभियान पर हो फोकस---- उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्र एक प्रकार से प्ले स्कूल है और आंगनवाड़ी वर्कर एक अध्यापिका मानकर अपनी ड्यूटी का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जाए। बैठक में राशन की आपूर्ति, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, पोषण अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ तथा महिला व बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए। बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्र पाल, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश कुमार, मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी शैलेट जोश, महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी बिमलेश कुमारी मौजूद थे। 19June-2021

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रमों की तैयारी में जुटा प्रशासन

जिले में 50 स्थानों पर 50-50 लोगों के साथ होगा योग रोहतक शहर में छह स्थानों पर मनाया जाएगा योग दिवस हरिभूमि न्यूज.रोहतक। आगामी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जिले मे 50 स्थानों पर योगा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिला प्रशासन कार्यक्रमों की तैयारियों को अंतिम रूप देने मे जुटा हुआ है। रोहतक शहर में योगा कार्यक्रम के लिए छह स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है। जबकि जिले के तीनों उपमंडल क्षेत्र में 15-15 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 21 जून को जिला में 50 अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें कोरोना महामारी की वजह से प्रोटोकॉल के साथ महिलाओं समेत अधिकतम 50 लोगों को हिस्सा लेने की अनुमति होगी। जहां योगा के लिए कार्यक्रम आयोजित होंगे, उन्हें सेनिटाइज किया जा रहा है। सभी कार्यक्रम स्थल पर कोरोना प्रोटोकॉल के मद्देनजर 3 लेयर मास्क व सैनिटाइजर की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी, ताकि कोरोना संक्रमण के फैलाव की संभावना न रहे। मसलन कार्यक्रम में सभी लोगों को कोरोना महामारी दिशानिर्देशों की अनुपालना करना आवश्यक होगा और कम से कम छह फुट की सामाजिक दूरी बनाकर योगा करना होगा। यही नहीं सभी कार्यक्रम स्थलों पर सभी प्रकार की सुविधाओं जैसे पानी शौचालय योगा करने वालों के लिए रिफ्रेशमेंट सहित तमाम सुविधाएं प्रशासन द्वारा मुहैया करवाई जाएगीं। जिला उपायुक्त ने जिले में होने वाले इन कार्यक्रमों के समुचित प्रबंधों के लिए अधिकारियों व योग शिक्षकों की ड्यूटी निर्धारित कर दी है। कार्यक्रम के लिए 18 जून से रिहर्सल का आयोजन किया जाएगा। -------------------- नोडल अधिकारी नियुक्त------ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जिले में सभी योग कार्यक्रम अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्र पाल की निगरानी में आयोजित किये जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। योग कार्यक्रमों की तैयारियों के संबन्ध में गुरुवार को अतिरिक्त उपायुक्त ने उन सभी अधिकारियों के साथ बैठक की, जिन्हें कार्यक्रमों के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। जिले में अलग अलग स्थानों पर योग कार्यक्रम को कोरोना प्रोटोकॉल के अनुपालन की सुनिश्चिता करने पर बल दिया गया है। इस बैठक में नगराधीश ज्योति मित्तल, सीईओ जिला परिषद महेश कुमार, जिला राजस्व अधिकारी पूनम बब्बर, डीआईओ डॉ. जितेंद्र मलिक, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी, सतवीर फोगाट सहित सभी संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। ------------------------------ अतिरिक्त मुख्य सचिव की उपायुक्तों से चर्चा-------- गृह एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला के उपायुक्तों से चर्चा की। उन्होंने सभी जिलों में गहन रुचित के साथ इस कार्यक्रम को आयोजित करने पर बल देते हुए कहा कि जिले में सभी नागरिकों को इस दिन योगा करने के लिए प्रेरित किया जाए, क्योंकि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से योग दिवस से अच्छा कार्यक्रम और कोई हो नहीं सकता। इसलिए अपने घरों में में रहकर प्रत्येक व्यक्ति को योग को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। ---यूट्यूब पर प्रसारित होगा कार्यक्रम ---- मुख्यमंत्री के एपीएस एवं सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ अमित कुमार अग्रवाल ने कहा कि चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास पर कोरोना प्रोटोकॉल के मुताबिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसका प्रसारण यूट्यूब के माध्यम से होगा। उधर योग आयोग के चेयरमैन जयदीप आर्य ने भी योगा दिवस को लेकर सभी जिला उपायुक्तों को दिशा निर्देश जारी किए। --------------------------- अनुभवी योग शिक्षक कराएंगे योगा--- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रमों में शामिल होने वाले लोगों को योग कराने के लिए जिले में चिन्हित सभी कार्यक्रम स्थलों पर पतंजलि से विशेष तौर पर बुलाए गए अनुभवी योग गुरु व आयुष विभाग के कर्मचारी कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित लोगों को योगा का महत्व बताते हुए योगा सिखाएंगे। --------------------- हर कार्यक्रम स्थल पर एलईडी स्क्रीन--- जिले में सभी योग कार्यक्रम स्थलों पर एलईडी स्क्रीन लगाई जाएगी। नोडल अधिकारी के रूप में इसकी जिम्मेदारी डीआईओ जितेन्द्र मलिक को सौँपी गई है। कोरोना प्रोटोकॉल के कारण जो लोग कार्यक्रम स्थल पर नहीं जा पाएंगे, वे कार्यक्रम से दूर बैठने के बावजूद भी स्क्रीन पर देखकर योगा कर सकेंगे। ------------------------- रोहतक में यहां होंगे कार्यक्रम---- जिला मुख्यालय रोहतक शहर 6 स्थानों राजीव गांधी स्टेडियम, मानसरोवर पार्क, ताऊ देवी लाल पार्क, सिटी पार्क, हुड्डा कंपलेक्स पार्क व ओल्ड आईटीआई ग्राउंड स्थित पार्क को योगा कार्यक्रम के लिए चिन्हित किया गया है। जबकि इसके इसके अलावा सिंहपुरा खुर्द व्यामशाला, सुंदरपुर व्यामशाला व पीटीसी सुनारिया में भी योगा दिवस कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। कलानौर खंड में प्रमुंख रूप से चिन्हित स्थानों में गुडान, व्यामशाला कलानौर, व्यामशाला कटेसरा, व्यामशाला खैरेड़ी, व्यामशाला माडौदी रांगडान, व्यामशाला पटवापुर, व्यामशाला रिटोली, व्यामशाला सांगाहेड़ा, व्यामशाला बालंद, व्यामशाला नगर पालिका कलानौर व हूडा पार्क कलानौर में योग दिवस के कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। सांपला खंड में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सांपला, अनाज मंडी सांपला, महिला महाविद्यालय सांपला, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गढ़ी सांपला, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी सांपला, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नया बांस, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भैंसरू कलां, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भैंसरू खुर्द, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खरावड़, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय इस्माईला 11 बी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय इस्माईला 9 बी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गांधरा, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय समचाना व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय चुलियाना में योग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। महम उपमंडल क्षेत्र में आईटीआई मैदान महम, सुभाष पार्क महम, गिरोत्रा बैंकट हॉल महम, शुगर मिल महम, राजीव गांधी स्टेडियम महम, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय महम, सामुदायिक केंद्र मदीना गिंदरान, सर छोटू राम पार्क मोखरा, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मदीना, कोरसान व्यामशाला खरखड़ा बाजयान, व्यामशाला निडाना, व्यामशाला फरमाना बादशाहपुर, व्यामशाला बलम्बा व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय निंदाना शामिल है। 18June-2021

रेवाड़ी से समर्पित माल गलियारे पर दौड़ाई सैन्य ट्रेन

पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर रेवाडी से फुलेरा तक हुआ पूरा नई दिल्ली। हरियाणा और राजस्थान को जोड़ने वाले न्यू रेवाड़ी-न्यू फुलेरा खंड के बीच 430 किमी पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसके परीक्षण के लिए वाहनों और उपकरणों के साथ सैन्य ट्रेन की 65 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ाया गया। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन के उप महाप्रबंधक राजेश चौपड़ा ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि माल वाहक रेल गाड़ियों के लिए बनाए जा रहे पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के 430 किमी लंबे हिस्से को पूरा कर लिया गया है, जो हरियाणा के न्यू रेवाड़ी और राजस्थान के न्यू फुलेरा रेल खंड को जोड़ता है। इस माल गलियारे का ट्रायल करने के लिए इस कॉरिडोर पर सैन्य वाहनों और उपकरणों को लादकर सैन्य ट्रेन को 65 किमी प्रति घंटे की गति से चलाकर किया गया। इससे पहले गत सात जनवरी को 306 किलोमीटर रेवाड़ी-मदार खंड पर डबल डेकर ट्रेन को हरी झंडी देकर 07 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद फुलेरा तक 124 किमी लंबे कॉरिडोर का निर्माण पूरा करने के बाद 430 किमी लंबे पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर को चालू करने से पहले सैन्य ट्रेन को चलाकर इसका ट्रायल किया गया है। यह ट्रायल रन डीएफसी और भारतीय सेना की टीमों के निकट समन्वय में काम करने के कारण किया गया है। यह ट्रायल राष्ट्रीय संसाधनों के अनुकूलन और विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच सहज तालमेल हासिल करने के लिए ‘संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण’ का हिस्सा है। वहीं सशस्त्र बलों के सैन्य सामान और उसकी क्षमता को बढ़ाने में कारगर साबित होगा। चोपड़ा के अनुसार रोल ऑन-रोल ऑफ (आरओ-आरओ) सेवा पर स्वामित्व वाले रोलिंग स्टॉक को औपचारिक रूप दिया जा रहा है और तौर-तरीके विकसित किए जा रहे हैं। ये परीक्षण सशस्त्र बलों की संचालनात्मक तैयारी को बढ़ाने के मार्ग की शुरुआत करने में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रियाओं को स्थापित करेगी, कि योजना स्तर पर ही राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के विकास में सैन्य आवश्यकताओं को आपस में जोड़ा जाए। डीएफसी, भारतीय सेना और भारतीय रेलवे की बातचीत, डीएफसी को सशस्त्र बलों के मोबिलाइजेशन मैट्रिक्स में लाभ उठाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। कुछ स्थानों पर बुनियादी ढांचे का विकास करना और रक्षा के कदम को मान्य करने के लिए परीक्षण करना। रोल ऑन-रोल ऑफ (आरओ-आरओ) सेवा पर स्वामित्व वाले रोलिंग स्टॉक को औपचारिक रूप दिया जा रहा है और तौर-तरीके विकसित किए जा रहे हैं। ये परीक्षण सशस्त्र बलों की संचालनात्मक तैयारी को बढ़ाने के मार्ग की शुरुआत करने में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रियाओं को स्थापित करेगी, कि योजना स्तर पर ही राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के विकास में सैन्य आवश्यकताओं को आपस में जोड़ा जाए। अब तक कमीशन सेक्शन में कुल 4000 से अधिक ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं। पूर्वी डीएफसी में इसकी 3000 से अधिक ट्रेनें हैं और डब्ल्यूडीएफसी में 850 से अधिक ट्रेनें हैं। टोटल जीटीकेएम ने 30 लाख टन का आंकड़ा पार कर लिया है। खंड की कुछ ट्रेनें ईडीएफसी में 99.38 किमी प्रति घंटे और डब्ल्यूडीएफसी में 89.50 किमी प्रति घंटे की औसत गति प्राप्त कर रही हैं। ये गति किसी भी सबसे तेज मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में हैं।

मंडे स्पेशल: कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को कितने तैयार हैं हम!

63 हजार बच्चों की जिम्मेदारी कैसे संभालेगा एक विशेषज्ञ चिकित्सक संक्रमित बच्चों के लिए सीएचसी व पीएचसी में नहीं पीकू व नीकू वार्ड की व्यवस्था ओ.पी. पाल, रोहतक। प्रदेश में तांडव मचाने वाली कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर धीमी जरुर पड़ी है, लेकिन नहीं हुई है। इसी बीच तीसरी लहर को लेकर तरह तरह की आशंका व्यक्त की जा रही है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में सबसे अधिक प्रभावित बच्चें होंगे। क्योंकि हमारे पास उनके लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इससे इंकार कर रहे हैं। बावजूद इसके सरकार ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रदेशभर में बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों व सुविधाओं को दुरस्त किया जा रहा है। प्रदेश की तैयारियों हरिभूमि टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि प्रदेश में 16 साल तक की उम्र के 58 लाख से ज्यादा बच्चें हैं। जबकि राज्य के सरकारी अस्पतालों में बच्चों के लिए केवल 450 बेडों की व्यवस्था है, जबकि सरकारी अस्पतालों में 92 बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक है, जिसमें सर्वाधिक 13 डाक्टर रोहतक में है, बाकी जिलों में किसी भी विशेषज्ञ चकित्सक की संख्या दहाई तक नहीं है। मसलन यानी एक बाल रोग विशेषज्ञ पर करीब 63 हजार बच्चों की जिम्मेदारी है। वहीं प्रदेश में बच्चों के लिए महज छह विशेष एंबुलेंस उपलब्ध हैं,जिसमें तीन अंबाला, एक नारनौल और दो कैथल जिले में हैं। प्रदेश में पीएचसी-सीएचसी के स्तर पर बच्चों को भर्ती करने या विशेषज्ञ चिकिकत्सक के भी इंतजाम नहीं हैं। दिलचस्प बात है कि खुद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के अंबाला जिले में बच्चों के लिए 25 बेड और तीन सरकारी बाल रोग विशेषज्ञों की व्यवस्था है। प्रदेश में बच्चों के निजी अस्पतालों के बारे में पड़ताल की गई तो पता चला कि करीब 150 बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर मौजूद हैं। प्रदेश में बच्चों के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट और मेडिकल उपकरणों से लैस एंबुलेंस की कमी भी सामने आई है। प्रदेश में 14 जिले ऐसे हैं जहां बच्चों के लिए एंबुलेंस की सुविधा नहीं है। ----------------------- हजारों बच्चें हो चुके संक्रमित--- कोरोना की दूसरी लहर ने बच्चों, किशोरों, महिलाओं के साथ हर आयुवर्ग को अपना शिकार बनाया है। इसमें बच्चों के लिए अलग वार्ड न होने की वजह से करीब 40 हजार बच्चों में संक्रमण पाया गया, जिनमें से 7,068 बच्चे 5 साल से कम आयु के थे, जबकि पांच से 14 साल तक के संक्रमित बच्चों की संख्या 33,051 थी। इनमें से 26 बच्चों को मौत का शिकार बनना पड़ा। इसलिए तीसरी लहर की आशंका को हलके में नहीं लेना चाहिए। दरअसल दूसरी लहर प्रदेश के लोगों के लिए कितनी खतरनाक साबित हुई, खासकर अप्रैल और फिर मई माह में संक्रमित और उसके कारण हुई मौतों के आंकड़े गवाह हैं। इसी दूसरी लहर से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार ने तीसरी लहर से निपटने की दिशा में पहले से ही रोडमैप बनाकर तैयारियां शुरू करनी पड़ रही हैं। ------------------------------------- सीएचसी-पीएचसी में नहीं नीकू या पीकू वार्ड--- कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तैयारियां तो शुरू कर दी है, लेकिन प्रदेश के किसी भी सीएचसी व पीएचसी में नीकू व पीकू वार्ड नहीं है। यानि एक से 18 साल तक के बच्चों के लिए पीकू वार्ड यानि इंटेंसिव केयर यूनिट में आईसीयू बेड की व्यवस्था की जाती है, जबकि एक साल तक के नवजात शिशु के लिए नीकू वार्ड यानि नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट की व्यवस्था होती है। इन दोनों वार्डो में आक्सीजन की व्यवस्था की जाती है। ---------------------------- सीरो सर्वे में शामिल होंगे बच्चे--- कोरोना की संभावित तीसरी लहर की तैयारियों में जुटी प्रदेश सरकार 15 जून से तीसरे चरण का सीरो सर्वे कराएगी। पहले दो सर्वे में पुरुष व महिलाओं को शामिल किया गया था, लेकिन इस बार बच्चों को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि कितने लोगों में टीकाकरण का असर हुआ और एंटी बाडी बन चुकी है। इसी आधार पर बच्चों में एंटीबाडी का आकलन करने के लिए छह साल और उससे अधिक आयु के बच्चों को भी इस अध्ययन में शामिल किया गया है। --------------------- सरकार की है क्या तैयारी--- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मई के अंत में ही कोराना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर प्रदेश में सीएचसी व पीएचसी स्तर पर बच्चों के वार्ड एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं बढाने के लिए सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश जारी कर दिये थे। तीसरी लहर की आशंका के प्रति सचेत करते हुए मुख्यमंत्री ने इस तैयारी में सीएचसी पर एक एम्बुलेंस 24 घण्टे तैनात रखी रखने, गम्भीर मरीज को तत्काल जिला अस्पताल में भेजने, ज्यादा से ज्यादा लाईफ स्पोर्ट सिस्टम के साथ एम्बुलेंस को लैस करने जैसी व्यवस्था करने के भी आदेश दिये हैं। ---------------------- बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल--- कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के शिकार होने की आशंका को देखते हुए भारत में दो कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो गया है। हालांकि एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भारतीय या ग्लोबल स्टडी का हवाला देते हुए कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर कहर की आशंकाओं को खारिज किया है। इन अध्ययनों में बच्चों पर ज्यादा असर हाने का कोई जिक्र नहीं है। यह भी नहीं है कि वायरस की दूसरी लहर में भी बच्चों में संक्रमण के मामूली लक्षण पाए गये। ------------------ बचाव करना संभव--- विशेषज्ञों के अध्ययन में दुनियाभर के अनुभवों के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर का असर दूसरी लहर से काफी अलग होगा। यदि बेहतर तरीके से तैयारी होती है तो लोगों की जान बचाई जा सकती है। वैज्ञानिकों का मत है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर को तो नहीं जा सकता, लेकिन वैज्ञानिक स्तर पर इससे बचने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं बाल रोग विशेषज्ञ होने के साथ नीति आयोग के सदस्य(स्वास्थ्य) वीके पॉल का मत है कि बच्चे इस वायरस से बच नहीं सकते हैं, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है और वो भी दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं, हालांकि कुछ तथ्य एकदम साफ नहीं हैं कि बच्चों में संक्रमण तुलनात्मक रूप से कम होगा। 14June-2021