मंगलवार, 27 जुलाई 2021

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बढ़ी पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा की मुश्किलें

रोहतक में डेवलपर को जारी की जमीन की होगी सीबीआई जांच हरिभूमि न्यूज.रोहतक। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में कांग्रेस शासनकाल के दौरान रोहतक में एक प्रोजेक्ट के लिए एक प्रॉपर्टी लिमिटेड कंपनी को अधिग्रहित जमीन के मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिये हैं। सुप्रीम कोट के इस निर्णय से भूमि आवंटन मामले में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कांग्रेस शासनकाल में हुई इस जमीन मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। पहले से ही राज्य में भूमि आवंटन के मामले में अदालतों में चल रहे मामलों का सामना कर रहे हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2002 रोहतक में सेक्टर-27 व 28 पर आवासीय व वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए 850.88 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव किया था। इसके बाद हुडा ने 8 अप्रैल 2003 को 444.11 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए अंतिम अधिसूचना जारी की, लेकिन अप्रैल 2005 में 422.44 एकड़ भूमि के लिए अवार्ड घोषित किया गया। अभी जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया चल ही रही थी कि इसी बीच रियल एस्टेट कंपनी उदार गगन प्रॉपर्टी ने अधिग्रहण प्रक्रिया से गुजर रहे कुछ किसानों से समझौता करके एग्रीमेंट कर लिया। 21 मार्च 2006 को उदार गगन प्रॉपर्टी ने हरियाणा के नगर योजनाकार विभाग के डायरेक्टर के पास लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया। उदार गगन प्रॉपटी को 280 एकड़ भूमि पर कालोनीनी विकसित करने के लिए लाइसेंस मिल गया और इस जमीन को अधिग्रहण प्रक्रिया से अलग कर दिया गया। इस पर किसानों ने आवाज उठाई तो यह यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चला गया। जिसके बाद अवैध रूप से भूमि के अधिग्रहण और खरीद का यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। इस मामले में 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए रियल एस्टेट कंपनी के पक्ष में जारी की गई सभी सेल डीड एग्रीमेंट रद्द कर दिए और इस प्रोजक्ट को भी रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय के आदेश पर इस प्रोजेक्ट के लिए जारी जमीन को जमीन को हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अपने कब्जे में ले लिया था। राज्य की मनोहर सरकार ने 13 मार्च 2018 को इस मामले को विधानसभा के पटल पर लाकर उद्दार गगन के जमीन मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया। लेकिन इसके बजाए इसकी जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा कराने के आदेश दिये। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2016 को अपने आदेश में राज्य सरकार को बिल्डर के अवैध रूप से दिये गये आवेदनों और उसे जमीन जारी करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की कार्रवाई की वैधता और प्रामाणिकता की जांच करने के लिए भी कहा था। जिसमें धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी करने की तिथि पर भूमि पर कानूनी तौर पर किसी का हक नहीं था। इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ जांच करने के भी उस समय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिये थे। 08July-2021

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