मंगलवार, 27 जुलाई 2021

संतोष यूनिवर्सिटी ग़ाज़ियाबाद के संस्थापक चेयरमैन डॉ. पी महालिंगम, पुत्र सन्तोष की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों का ऋण लेकर वापस नहीं करने का मामला पहले भी ऋण लेकर न देने के रहे हैं मामले हरिभूमि न्यूज : गुरुग्राम अपर सत्र न्यायालय गुरुग्राम ने बुधवार को फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों का ऋण लेकर डकारने के मामले में संतोष यूनिवर्सिटी ग़ाज़ियाबाद के संस्थापक चेयरमैन डॉ. पी. महालिंगम,उनके पुत्र डॉ. सन्तोष महालिंगम तथा एक अन्य आरोपित पुधुर मनिकोम की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने को डॉ. महालिंगम परिवार के लिए झटका माना जा रहा है। ज्ञात हो कि पीएम फिनकैप लिमिटेड के निदेशक राजेश गुलाटी ने 2 जुलाई को डीएलएफ थर्ड थाने में संतोष यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी, 34 और 506 के अंतर्गत आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें संतोष यूनिवर्सिटी के फाउंडर चेयरमैन डॉ. पी. (परमशिवम) महालिंगम, उनके पुत्र व निदेशक डॉ. सन्तोष महालिंगम, संतोष ट्रस्ट तथा महाराज जी एजुकेशनल ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य डॉ. पुधुर मनिक्कम के अलावा शर्मिला आनंद को नामजद करते हुए संतोष ट्रस्ट तथा महाराज जी एजुकेशनल ट्रस्ट बोर्ड को आरोपी बनाया। गुलाटी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि आरोपियों ने उक्त नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से मार्च 2015 में रसूकदारी का प्रमाण देते हुए राजनैतिक और अन्य प्रसिद्ध हस्तियों के साथ फोटो दिखाकर तथा अन्य साजिशों के तहत उनकी कम्पनी से 35 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इस कर्ज की एवज में उन्होंने अकबरपुर, बेहरामपुर, मिर्जापुर की कृषि भूमि तथा प्रताप विहार के 272 फ्लैट के दस्तावेज सिक्योरिटी के रूप में कम्पनी के पास रखे थे। आरोपियों ने एग्रीमेंट में 30 सितंबर 2015 तक ब्याज सहित ऋण चुकता करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन आरोपियों ने निर्धारित समय से ऋण चुकता नहीं किया। इसके विपरीत ऋण की अदायगी की मांग करने पर विभिन्न आपराधिक तरीकों से दबाव बनाने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं आरोपी विभिन्न राजनीतिक हस्तियों के नाम पर धमकाने में लग गये। ----महालिंगम परिवार को बड़ा झटका----- पुलिस में पंजीकृत शिकायत के आधार पर एसीपी ने आरोपियों को 5 जुलाई को पूछताछ के लिए तलब भी किया था। इसके बजाए संतोष यूनिवर्सिटी के संस्थापक चेयरमैन डॉ. पी. महालिंगम,उनके पुत्र डॉ. सन्तोष महालिंगम तथा अन्य अन्य आरोपित पुधुर मनिक्कम की अग्रिम जमानत के लिए गुरुग्राम अपर सत्र न्यायाधीश माननीया शशि चौहान के न्यायालय में अर्जी दायर की। बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद सत्र न्यायालय ने तीनों आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने छह पेज के आर्डर में कहा है कि आरोपियों पर जो आरोप लगाए गए हैं, वह गम्भीर अपराध प्रवृत्ति के हैं। आईपीसी की धारा 467 में आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसलिए मामला आरोपियों को अग्रिम जमानत योग्य नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने अग्रिम अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत के इस आदेश से महालिंगम परिवार को बड़ा झटका लगा है। ----मेडिकल कालेज व अस्पताल पर नीलामी की तलवार--- गौरतलब है कि इसी प्रकार की साजिश के तहत संतोष ग्रुप ने हाउसिंग व अरबन डवलपमेंट कॉरपोरेशन यानि हुडको से भी वर्ष 1995 में 75 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। जिसकी राशि चुकता न करने पर संतोष ट्रस्ट तथा महाराज जी एजुकेशनल ट्रस्ट की सिद्धार्थ विहार स्थित 63 एकड़ भूमि समेत पांच अन्य संपत्तियों पर हुडको अपने कब्जे में ले चुकी है। अब हुडको संतोष मेडिकल कालेज व अस्पताल को भी नीलामी करने की कार्यवाही शुरू की है। इसी प्रकार संतोष ट्रस्ट ने हुडको के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उल्टे मई 2015 में 455 करोड़ रुपये की वसूली करने के आदेश दे दिये थे। यह बात भी जग ज़ाहिर है कि संतोष विश्वविद्यालय गज़ियाबाद की स्वामी वाली कम्पनी सालों से देनदारी के अनेक मुक़द्दमों में बुरी तरह से फँसी हुई है। देनदारी के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने तो यहाँ तक भी टिप्पणी कर दी कि महालिंगम तो आदतन क़ानून का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति है। यह भी ज्ञात हो कि संतोष अस्पताल चेन्नई क़र्ज़ की देनदारी न करने के कारण दिवालिया घोषित होने की प्रक्रिया में है। इस अस्पताल को क़र्ज़ देने वाली कम्पनी मुथूत फ़ाइनैन्स ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया है। संतोष अस्पताल चेन्नई की डीसीबी बैंक की भी बड़ी देनदारियाँ हैं। 16July-2021

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