मंगलवार, 27 जुलाई 2021

टोक्यों ओलंपिक में मुक्के का दम दिखाने को तैयार मनीष कौशिक

अर्जुन अवार्डी मुक्केबाज को तिरंगा ऊंचा करने की है पूरी उम्मीद ओ.पी. पाल.रोहतक। 29वें टोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के चार मुक्केबाजों में तीन भिवानी जिले के हैं, जिनमें जिले के एक छोटे से गांव में किसान का बेटा मनीष कौशिक भी 63 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। इसी साल स्पेन में राष्ट्रमंडल खेलों धुरंधर मुक्केबाजों को धूल चटाकर स्वर्ण पदक हासिल करने वाले मनीष को पूरा भरोसा है कि वह देश का झंडा ऊंचा करके स्वर्ण पदक लेकर आएगा। भिवानी जिले के देवसर गांव में किसान सोमदत्त कौशिक के 25 वर्षीय बेटा और अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज मनीष कौशिक टोक्यो ओलंपिक में 63 किग्रा भार वर्ग का खिताब अपने नाम करने के लक्ष्य को लेकर जापान रवाना होने से पहले इटली में जमकर पसीना बहा रहा है। मनीष कौशिक के नाम मुक्केबाजी में कई ऐसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक ऐसे बेहतरीन रिकार्ड है, जिसमें उसने अच्छे नामी गरामी मुक्केबाजों को अपना दम दिखाकर धूल चटाई है। मनीष के पिता सोमदत्त का कहना है कि मनीष का ताकत और तकनीक पर फोकस रखता है, जिसके लिए वह लगातार अभ्यास करके पूरी तैयारी के बाद ही रिंग में उतरता है। उन्हें उम्मीद है कि मनीष टोक्यों ओलंपिक में गोल्ड लेकर अपने देश का झंडा ऊंचा रखेगा। -----बारह साल की उम्र में संजोया था सपना---- भिवानी के छोटे से गांव देवसर में एक साधारण किसान के परिवार में 11 जनवरी 1996 को जन्मे मनीष कौशिक ने अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज बनकर देश का झंडा बुलंद करने का सपना उस समय संजोया, जब वर्ष 2008 के ओलंपिक में उन्हीं के गांव मुक्ककेबाज जितेन्द्र और जिले के बिजेंद्र सिंह व अखिल का अपने घरों में लौटने पर शानदार स्वागत होते देखा। उसके परिजनों की माने तो उसने तभी से मुक्केबाजी को कैरियर बनाने का संकल्प कर लिया। यही संकल्प आज उसके परिवार, गांव, जिले, प्रदेश और राष्ट्र के लिए बुलंदियों पर देखा जा रहा। पिछले महीने जून में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात में ओलंपिक जाने वाले खिलाड़ियों में खासतौर से मनीष कौशिक का जिक्र किया था। मनीष कौशिक ने मुक्केबाजी के कैरियर की असल इबादत वर्ष 2015 में कतर के दोहा अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक लेकर लिखना शुरू कर दिया था, जो आज ओलंपिक का सफर करा रही है। इन्हीं बुलंदियों ने उन्हें वर्ष 2016 में भारतीय सेना में सहायक सूबेदार बना दिया। मनीष ने जब बाल्यावस्था में ही 32 किग्रा भार वर्ग में मनीष ने पहला पदक जीता, तो उसने फिर कभी पीछे मुडकर नहीं देखा और जिला व राज्य स्तर पर पदकों का घर में अंबार लगा दिया। ---प्रदर्शन ने दिखाई ओलंपिक की राह--- अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज मनीष कौशिक को मुक्केबाजी के वरिष्ठ कोच नरेंद्र राणा ने एक नजर में पहचान कर माना कि यदि ऐसे बेहतरीन मुक्केबाज भारत के पास होंगे तो ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिला सकता है। जिसने वर्ष 2016 में सीनियर कैंप के फाइनल में अनुभवी मुक्केबाज़ शिवा थापा को हराकर चैंपियन का खिताब हासिल किया। इस पर कोच ने उसे प्रोत्साहित किया, तो वर्ष 2016 में इस होनहार भारतीय मुक्केबाज़ ने कजाखिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज़ी टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल कर सबको चौंका दिया। मनीष के मौजूदा कोच कोच मनजीत सिंह का कहना है कि ऐसे एक नहीं, कई मौके आए जब मनीष ने अपने मुक्के के पंच से उम्मीद से ज्यादा दम दिखाया। कोच की माने तो पिछले शानदार प्रदर्शनों ने मनीष कौशिक के लिए ओलंपिक की राह को बेहद आसान बनाया। ----------------------- मुक्केबाजी में उपलब्धियां--- 2008-मुक्केबाजी का शुरू हुआ सफर। 2009-नेशनल कप ठाणे में 32 किग्रा में पहला स्वर्ण पदक। 2015-पहली बार सीनियर नेशनल बॉक्सिंग में रजत पदक। 2015-दोहा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक 2015-प्रेजीडेंट कप में कांस्य पदक। 2016-सेना में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हुए। 2018-ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत। 2019-नेपाल में साउथ एशियन गेम्स में रजत। 2019-विश्व मुक्केबाजी में कांस्य पदक। 2020-उपलब्धियों के लिए मिला अर्जुन अवार्ड। 2020-ओलंपिक क्वालिफाई मुकाबलों में हासिल किया टोक्यो ओलंपिक का कोटा। 2021-स्पेन में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक। 11July-2021

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