मंगलवार, 27 जुलाई 2021

ओलंपिक में भारत को गोल्ड दिलाएगी गुड़िया

सोनम मलिक मिट्टी व सड़क पर अभ्यास करके बनी इंटरनेशल पहलवान ओ.पी. पाल.रोहतक। भारतीय कुश्ती की टीम में सोनम मिलक सबसे युवा महिला पहलवान है। अपने दांव-पेंच से विरोधी पहलवान को चित करने की तकनीक, जज्बे और जुनून ने उसे देश के लिए ओलंपिक में 62 किलोग्राम वर्ग में अपना जौहर दिखाने का मौका मिला है। गुडिया के नाम से पुकारी जाने वाली भारतीय महिला पहलवान सोनक से देश को पदक की उम्मीद है, जिसके लिए वह लगातार अभ्यास करके पसीना बहा रही है। सोनीपत जिले में गोहाना तहसील के छोटे से गांव में जन्म 15 अप्रैल 2002 को जन्मी सोनम मलिक में इतनी गजब की फुर्ती और ताकत है, जिसके सामने प्रतिद्वंदी के हौसले पस्त हो जाते हैं। पांच बार भारत केसरी का खिताब जीतने वाली सोनम ने अपने इस सफर से पहले अपनी रोल मॉडल और रियो ओलंपिक में कांस्य पदक लाने वाली साक्षी मलिक को भी चार बार पटखनी देककर हराया है। इसी ताकत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ती युवा पहलवान सोनम मलिक, उसके परिजनों के साथ पूरे देश को भरोसा है कि गुड़िया टोक्यो ओलंपिक से गोल्ड लेकर स्वदेश लौटेगी। उसे गुरुमंत्र देने वाले कोच अजमेर मलिक को भी उम्मीद है कि जिस प्रकार से गुड़िया की तैयारी अच्छी चल रही है, उससे पदक की उम्मीदों को नकारा नहीं जा सकता। सोनम ऐसी पहलवान है जिसे मिट्टी पर ही प्रशिक्षित करना पड़ता था। बारिश के दिनों में कीचड़ होने पर पहलवानों को सड़कों पर तक अभ्यास करना पड़ा है। इसी जुनून ने सोनम को एक अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। गुड़िया ने लड़कों के साथ कुश्ती करके उन्हें भी चित किया है। -----दस साल की उम्र में शुरू की पहलवानी----- भारतीय महिला पहलवान सोनम मलिक ने महज दस साल की उम्र यानि वर्ष 2012 में ही पहलवानी शुरू कर दी थी। गांव मदीना के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्पोर्ट्स अकादमी में शुरू से ही अभ्यास करती आ रही सोनम मलिक ने अकादमी के संचालक और कोच अजमेर मलिक से पहलवानी के तकनीकी गुर सीखे। कोच अजमेर मलिक ने हरिभूमि से बातचीत करते हुए बताया कि सोनम मिलिक का दृढ़ संकल्प और जुनून ही रहा है कि इस युवा महिला पहलवान ने वर्ष 2016 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की नेशनल स्कूल गेम्स में स्वर्ण हासिल कर कैरियर की शुरूआत की थी। सेना में सूबेदार रहे रिटायर्ड कोच अजमेर मलिक ने बताया कि सोनम मलिक को गुडिया के नाम से पुकारते हैं, जिसका ओलंपिक तक सफर करने और देश का नाम रोशन करने का सपना संजोया था। टोक्यों ओलंपिक के लिए भारतीय कुश्ती टीम में गुडिया का के चयन का श्रेय उसके राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तकनीकी दांव पेंच के साथ शानदार प्रदर्शन को है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों कजाखस्तान में एशियन ओलंपिक क्वालिफिकेशन मैच में जीत हासिल कर सोनम मलिक ने ओलंपिक में जगह बनाई, लेकिन उसी दौरान उसके घुटने में चोट लग गई थी, जिसके कारण पौलेंड में लगे शिविर के बजाए वह गांव के इसी स्टेडियम में चिकित्सकों की निगरानी और उनकी देखरेख में अभ्यास करके पसीना बहा रही है। ----विरासत में मिली पहलवानी---- भारतीय महिला पहलवान के पिता राजेन्द्र मलिक और चचेरा भाई नेशनल स्तर के पहलवान रहे हैं। परिवार की इस विरासत को चार चांद लगाने के लिए सोनम उर्फ गुड़िया ने ओलंपिक तक की मंजिल हासिल की। सोनम की इस काबलियत को लेकर उसके गांव और परिवार में खुशी का माहौल है। कोच भी गुड़िया के ओलंपिक में कुश्ती के लिए चुने जाने से बेहद प्रफुल्लित हैं, जिनकी शिष्या सबसे बड़ी प्रतियोगिता ओलंपिक में देश के लिए पदक लाने का लक्ष्य साधे हुए है। सोनम मलिक को भी पूरी उम्मीद है कि वह देश, प्रदेश और अपने गांव को रोशन करने के लिए पूरी ताकत झौंक देगी। उसके प्रदर्शन को देखते हुए पूरे देश की निगाहें भी उसके ओलंपिक में होने वाले मुकाबले पर टिकी होंगी। ----जब मुश्किलों ने घेरा---- कोच अजमेर बताते हैं कि सोनम के सामने एक वक्त ऐसा आया जब वर्ष 2017 में एक टूर्नामेंट के दौरान वह चोटिल हो गईं। यह चोट इतनी ज़बरदस्त थी कि उसका लिंब पैरालिसिस की स्थिति में पहुंच गया। ऐसी हालत में वह हाथ तक भी नहीं हिला पा रही थीं। यही नहीं इजाल कर रहे डॉक्टरों को भी उससे कोई उम्मीद नहीं बची थी और शुगर मिल में गाड़ी चालक पिता महंगा इलाज कराने की हालत में नहीं थी। यह उसकी किस्मत थी कि वह आयुर्वेदिक दवाईयों से छह महीने बाद फिर मैट पर लौट आईं। ------------------ कुश्ती में प्रमुख उपलब्धियां--------- 2019- कैडेट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक 2019-कैडेट एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक 2018-कैडेट एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक 2018-कैडेट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक 2017- कैडेट वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक 2017-वर्ल्ड स्कूल गेम्स में स्वर्ण पदक 2017-कैडेट एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक। 17July-2021

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