बुधवार, 4 अगस्त 2021

ओलंपिक में हॉकी का जादू बिखरेने का तैयार हैं हरियाणा की बेटियां

हरेक खिलाड़ी अपनी अपनी तकनीकी खेल में हैं माहिर ओ.पी. पाल.रोहतक। हरियाणा में लड़कियों का 1000 पुरुषों पर सिर्फ 877 महिला यानि लैंगिक अनुपात भले ही आज देश में सबसे खराब हो। बावजूद इसके हरियाणा की बेटियां खेल जगत में खूब नाम कमा रही हैं। बात हो रही है टोक्यो आंलंपिक में हरियाणा की लाड़ली रानी रामपाल की कप्तानी में हिस्सा लेने वाली 16 सदस्यीय भारतीय महिला हॉकी टीम की, जिसमें हरियाणा की नौ ऐसी खिलाड़ी शामिल हैं, जिनके हाथों में हॉकी स्टीक का जादू ओलंपिक में पूरी दुनिया देखेगी। खास बात ये है कि हरीयाणवी खिलाड़ी अपनी अपनी अलग तकनीक से खेल के मैदान में बेहतर से बेहतर आलराउंडर प्रदर्शन करने में माहिर हैं। ------सविता पूनिया:----- भारतीय महिला हॉकी टीम में सविता पूनिया सबसे बहतरीन गोलकीपर है, जिसके नाम दुनिया की नंबर-1 गोलकीपर का खिताब है और अर्जुन अवार्ड से सम्मान भी मिल चुका है। रियो ओलांपिक के बाद लगातार टोक्यो ओलंपिक की टीम में शामिल सविता पूनिया सिरसा जिले के जोधका गांव में महेंद्र पूनिया के परिवार में 11 जुलाई 1990 को जन्मी। परिवार में दादा रंजीत पूनिया ने अपनी पोती सविता पूनिया को छह साल की उम्र में हॉकी के लिए प्रोत्साहित किया। परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी, जिसके कारण गोलकीपिंग की किट भी रिश्तेदार से पैसे लेकर खरीदनी पड़ी। जब वह 18 साल की थी तो उसे नेशनल टीम में जगह मिली और 2009 में उसने जूनियर एशिया कप में टीम को कांस्य पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उसके कोच सुंदर सिंह ने उसकी प्रतिभा को पहचानते हुए उसे गोलकीपिंग का प्रशिक्षण दिया, जिसमें उसने दुनिया में महारथ हासिल की। परिवार में मां लीलावती, और भाई ही नहीं पूरे गांव को उम्मीद है कि वह टीम को विजयी बनाकर लौटेगी। -------------- नवनीत कौर:------ भारतीय हॉकी टीम में अग्रिम पंक्ति की खिलाड़ी नवनीत कौर का जन्म कुरुक्षेत्र जिले में शाहबाद मारकंडा में 26 जवरी 1996 को सरदार बूटा सिंह के परिवार में हुआ। जिसने पांच साल की उम्र में हॉकी स्टीक पकड़ी और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब तक 79 मैच खेले। उसकी स्कोरिंग पावर अच्छी होने के साथ डी के भीतर बेहतर प्रदर्शन रहा है। नवनीत फारवर्ड हॉकी खिलाड़ी हैं और उनके खेल में हॉकी की कलात्मकता का भरपूर समावेश है। डी के पास उसे गेंद मिली, तो मानों वह उसे विपक्षी गोल में तब्दील करने की क्षमता रखती है। वर्ष 2013 में जूनियर विश्वकप में उसके प्रदर्शन ने उसे 2014 में सीनियर टीम में जगह दिलाई। वर्ष 2018 में भी वह महिला विश्वकप में भारतीय टीम में रही, इसी दौरान एशिया कप, एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करने वाली नवनीत का सपना विश्व का सर्वश्रेष्ट स्ट्राइकर बनना है। ओलंपिक में पहली बार खेलने जा रही नवनीत का लक्ष्य बेहतर प्रदर्शन कर भारत को स्वरर्ण पदक दिलाना है। ------------ उदिता:----- टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल उदिता का जन्म 4 जनवरी 1998 को हिसार में जसबीर सिंह के परिवार में हुआ। वह सातवीं कक्षा से ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। पहले उन्होंने स्कूल में हैंडबाल खेलना शुरू किया, लेकिन कोच नहीं था। इसके बाद एक दिन उन्होंने स्कूल मैदान में लड़कियों को हॉकी खेलते देखा तो हॉकी खेलने की ठान ली। हॉकी कैरियर में वर्ष 2015 में उसके परिवार पिता के बीमारी के कारण निधन से मुश्किल में था, लेकिन उदिता माता गीता देवी ने उसे हौंसला दिया। सीनियर टीम के लिए 2017 में पदार्पण करने वाली उदिता 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक विजेता टीम का हिस्सा थीं। अब बेहतर प्रदर्शन की बदौलत ओलंपिक में उसकी निगाहें टीम को गोल्ड मेडल दिलाने पर है। उदिता रक्षा पंक्ति में अग्रेसिव खेल में काफी बेहतर खेलने में माहिर है। बेटी से उसकी मां और कोच आजाद मलिक को भी ओलंपिक में गोल्ड मेडल मिलने की उम्मीद है। ------शर्मिला गोदारा:----- महिला हॉकी टीम में हिसार के कैमरी गांव में किसान सुरेश गोदारा के परिवार में जन्मी शर्मिला गोदारा पहली बार ओलंपिक में खेलेंगी। उसकी मां संतोष गृहणी है। आठ साल की उम्र में गांव के ही राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के हॉकी ग्राउंड से अपने करियर की शुरुआत करने वाली शर्मिला ने 2009 से 2012 तक राज्य स्तर पर मैच खेले। 2012 से 2016 तक चंडीगढ़ हॉकी एकेडमी में शर्मिला का चयन हो गया। शर्मिला का का कैरियर संघर्ष भरा रहा है, लेकिन उसने अपने प्रदर्शन की बदौलत राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक जीते हैं। 2016 से अब तक पूर्व भारतीय कप्तान, कोच व अर्जुन अवार्डी प्रीतम व उनके पति अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी कुलदीप सिवाच की देखरेख में शर्मिला खेली। शर्मिला पिछले दो-तीन साल से सोनीपत हॉकी एकेडमी में रहकर सोनीपत से ही खेल रही थी। ओलंपिक के लिए टीम के साथ शर्मिला ने जमकर पसीना बहाया। शर्मिला अग्रिम पंक्ति में खेलती है और स्पीड के साथ गेंद को आगे ले जाने में माहिर है। ------मोनिका मलिक:----- टोक्यो ओलंपिक के लिए चयनित भारतीय महिला हॉकी टीम की प्रमुख खिलाड़ी मोनिका मलिक का जन्म 5 नवंबर 1993 को सोनीपत जिले के गांव गामडी में तकदीर सिंह मलिक के परिवार में हुआ। मोनिका मलिक ने बचपन में गांव की गलियों में खेलते हुए पहली बार हॉकी पकड़ी थी। तब उनकी दादी चंद्रपति ने पहली ही नजर में पोती की प्रतिभा को परख लिया था। मोनिका के पिता उसे चंडीगढ़ ले गये, जहां वे चंडीगढ़ पुलिस में हैं। उसके बाद मोनिका ने लगातार मेहनत करके सीनियर टीम में जगह बनाई। इससे पहले उसने जिला व राज्य स्तर की जूनियर टीमों में खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। वर्ष 2013 में जर्मनी में हुए जूनियर महिला हाकी विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रही। मोनिका को मिड फील्डर के तौर पर लंबा अनुभव है और वह अटैकिंग खेल में बेहतर प्रदर्शन करने में माहिर है।--- 18July-2021

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