सोमवार, 9 अगस्त 2021

साक्षात्कार: हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं के फनकार माधव कौशिक

आधुनिक युग में बढ़ा हिंदी साहित्य का महत्व 
ओ.पी. पाल 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: माधव कौशिक 
जन्म: एक नवम्बर 1954 
जन्म स्थान: भिवानी(हरियाणा) 
शिक्षा: एम.ए.(हिन्दी), बी.एड., स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा, साहित्यवाचस्पति 
संप्रति: उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली एवं सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद, नई दिल्ली 
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हरियाणा साहित्य अकादमी ने वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिंतक माधव कौशिक को वर्ष 2019 के लिए सात लाख रुपये के ‘आजीवन साहित्य साधना सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। समाज को दिशा देने के लिए हिंदी साहित्य में मूलत: ग़ज़ल विधा के परोधाओं में शामिल कौशिक ने साहित्य के क्षेत्र में गजल संग्रह के साथ ही खंड काव्य, कथा संग्रह, कविता संग्रह, बाल साहित्य, नवगीत, बाल साहित्य व संपादन किया और पुस्तकों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। हिंदी साहित्य की अलग अलग विधाओं में अपनी रचनाओं को पाठको व श्रोताओं के समक्ष परोसेने में वह जीवन का उजला पक्ष व सकारात्मक सोच प्रभावी रुप से प्रस्तुत करते आ रहे हैं। हरियाणा में गजलों के बेहतरीन फनकार माने जाने वाले साहित्यकार माधव कौशिक ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान साहित्य के सफर में अपने अनुभवों को साझा किया है। 
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हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं के परोधा माधव कौशिक का कहना है कि आज के इस आधुनिक युग में साहित्य के प्रसार व प्रचार का विस्तार हुआ है। सोशल मीडिया व इंटरनेट पर हर भाषा की साहित्यक पुस्तके आसानी से मिल रही है। इससे आज की युवा पीढ़ी को साहित्य का अध्ययन करने में बहुत ही आसानी हो गई है। कौशिक ने कहा कि 15-16 साल की किशोर अवस्था में ही उन्हें किसी भी बात को कविता या गजल के रूप में कहने का शौक लगा, जो उनके लिए एक साहित्यकार के रूप में वरदान साबित हुई। उन्हें विभिन्न विधाओं में गजल संग्रह को मान्यता दी गई। माधव कौशिक द्वारा विभिन्न विधाओं में लिखे गये साहित्य पर शोधकार्य भी हुए, जिनमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कैथल विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से पीएचडी की गई। वहीं ‘सुनो राधिका-कथ्य और शिल्प’ व ‘माधव कौशिक की ग़जल-यात्रा’ विषय पर एमफिल. के लिए शोध भी हुए। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से ‘सबसे मुश्किल मोड़ पर-संवेदना और शिल्प’ तथा ‘नवगीतकार माधव कौशिक’ विषय के अलावा एम.एम.विश्वविद्यालय मुलाना, हरियाणा से ‘लौट आओ पार्थ -कथ्य और संरचना’ विषय पर एमफिल शोध किया जा चुका है। आकाशवाणी से अनुबंधित कवि माधव कौशिक की ये प्रतिभाशाली उपलब्धियां ही हैं, कि उनकी लिखी कुछ कविताएं हरियाणा में विश्वविद्यालयों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम शामिल हैं, तो वहीं उनकी सम्पादित पुस्तक ‘हरियाणा की प्रतिनिधि कविता’ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के एमए हिन्दी तथा सुनो राधिका खंड काव्य एमए पंजाबी पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई हैं। इसके अलावा जालंधर दूरदर्शन द्वारा ‘माधव कौशिक-कवि और कविता’ के अन्तर्गत टेलीफिल्म, ‘हरी-भरी हरियाली धरती’ टेली फिल्म के गीत एवं पटकथा का लेखन, ख्याति प्राप्त चित्रकार राम प्रताप वर्मा द्वारा ‘सुनो राधिका’ पर चित्र प्रदर्शनी उनकी उपलब्धियों का हिस्सा हैं। चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष माधव कौशिक ने अपनी रचनाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिखेरा है, जिन्होंने नौवें विश्व हिन्दी सम्मेलन जोहान्सबर्ग(दक्षिण अफ्रीका), विश्व लेखक सम्मेलन शारजहा (यूएई) में भारत और विश्व पुस्तक मेले आबूधाबी(यूएई) तथा मैक्सिको में राष्ट्रीय साहित्य अकादमी का प्रतिनिधित्व किया है। 
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प्रमुख पुस्तकें---- 
साहित्यकार माधव कौशिक अपनी तीन दर्जन से ज्यादा पुस्तकें पाठकों को सौंप चुके हैं। उनके चर्चित ग़ज़ल संग्रह में आईनों के शहर में, किरण सुबह की, सपने खुली निगाहों के, हाथ सलामत रहने दो, आसमान सपनों का, नई सदी का सन्नाटा, सूरज के उगने तक, अंगारों पर नंगे पांव, खूबसूरत है आज भी दुनिया, सारे सपने बागी हैं, जला दो चिराग आंधी में, सपना सही सलामत दे, उड़ने को आकाश मिले, पानी पर तहरीर नई, नई उम्मीद की दुनिया और नई सुबह की नई कहानी प्रमुख हैं। उन्होंने दो काव्य खंड में सुनो राधिका व लौट आओ पार्थ (पुरस्कृत), कथा संग्रह में ठीक उसी वक्त (पुरस्कृत), रोशनी वाली खिड़की, माधव कौशिक की प्रतिनिधि कहानियां, कविता संग्रह में ‘सबसे मुश्किल मोड़ पर, एक अदद सपने की खातिर तथा कैण्डल मार्च’, बाल साहित्य में खिलौने मिट्टी के तथा आओ अंबर छू लें प्रमुख हैं। उनके तीन नवगीत में मौसम खुले विकल्पों का, जोखिम भरा समय है, तथा शिखर संभावना के उनके लेखन का उल्लेख करते हैं। यही नहीं गजलों के इन फनकार ने जस्टिस सुरेन्द्र सिंह की अंग्रेजी पुस्तक ‘क्षितिज के उस पार’ तथा डॉ. रमेश की पंजाबी पुस्तक आवाज़ के आकार का अनुवाद भी किया है। हरियाणा की प्रतिनिधि हिंदी कविता, समकालीन हिंदी गजल संग्रह तथा ख्वाब नगर जैसी पुस्तकों का संपादन तथा आलोचना के रूप में नवगीत की विकास यात्रा और कसौटी पर शब्द नामक पुस्तकों पर भी अपने पक्ष प्रस्तुत किये हैं। माधव कौशिक की चर्चित गजलों में हड्डियों में आग के, भरोसा क्या करे कोई, दुनिया वालो तुम क्या जानो, नज़र अब आदमीयत के, आंखों से बरसे अंगारे, नये लुभावने मंज़र, जिस दिन सूरज बदला लेगा, ख़ुश्बू के आस-पास और किसी साज़िश की साज़िश जैसी रचनाएं सुर्खियों में रही हैं। माधव कौशिक के साहित्य में अन्य साहित्यकारों, रचनाकारों व कवियों की पुस्तकों का विश्लेषण यानि समीक्षात्मक उल्लेख शामिल है। 
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 सम्मान व पुरस्कार---- 
गजलों मे फनकार माधव कौशिक को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आजीवन साहित्य साधना सम्मान-2019 से पहले महाकवि सूरदास सम्मान-2010 का वर्ष बाबू बाल मुकन्द गुप्त सम्मान-2005 पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा वर्ष 2020 में हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा उन्हें साहित्यवाचस्पति की उपाधि से अलंकृत करने के अलावा उन्हें राजभाषा रत्न-2003 का सम्मान भी दिया है। इसके अलावा हंस कविता सम्मान, रवीन्द्र नाथ वशिष्ठ सम्मान, अखिल भारतीय बलराज साहनी पुरस्कार, विश्व हिंदी सम्मेलन नई दिल्ली के सहस्त्राब्दी सम्मान पा चुके माधव कौशिक को भाषा विभाग पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि हिन्दी साहित्यकार सम्मान भी दिया जा चुका है। इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रदान किये गये दर्जनों पुरस्कार उनके रचनाकर्म की स्वीकार्यता पर मोहर लगाने के लिए काफी हैं।
संपर्क: मकान नं-3277, सेक्टर-45डी, चंडीगढ़-160047मोर्बाइल-9888535393
ई-मेल- k.madhav9@gmail.com 
09Aug-2021

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