मंगलवार, 24 अगस्त 2021

पैरा ओलंपिक: क्लब थ्रो में गुरु शिष्यो की तिगड़ी जलवा बिखेरने को तैयार

कोच अमित सरोहा के साथ पदक लाना ही धर्मबीर व एकता भ्याण का लक्ष्य 
 ओ.पी. पाल.रोहतक। टोक्यो पैरा ओलंपिक में गई भारतीय एथलीट दल में शामिल सोनीपत के अमित सरोहा शायद सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में शुमार हैं। हरियाणा के क्लब थ्रो स्पर्धा में हिस्सा लेने वाले तीन खिलाडि़यों में तीसरी बार ओलंपिक का सफर करने वाले सरोहा के साथ सोनीपत के धर्मबीर नैन व हिसार की एकता भ्याण से पदको की उम्मीद है। इस बार सबसे दिलचस्प बात ये है कि हरियाणा से क्लब थ्रो व डिस्कस थ्रो में शामिल तीन पैरा एथलीटों का आपस में गुरू-शिष्यों का रिश्ता है। यानि अमित सरोहा धर्मबीर व एकता के कोच भी हैं। 
अमित सरोहा
भारतीय दल के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में शामिल अर्जुन अवार्डी अमित सरोहा का यह लंदन व रियो के बाद तीसरा पैरालंपिक है। इससे पहले वे 2012 व 2016 पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पिछले तीन सालों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अमित सरोहा ने दिल्ली के जेएलएन स्टेडियम में जून में हुए पैरालंपिक के चयन ट्रायल में 29.87 मीटर की थ्रो करके टोक्यो पैरा ओलंपिक का टिकट पाया है। हालांकि कुछ दिन पहले कोरोना का शिकार बने सरोहा के लिए टोक्यो के चयन का ये सफर आसान नहीं था। 22 साल की उम्र में 2007 को उनका एक घातक एक्सीडेंट हुआ, जिसकी वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी में संकुचन और लकवा हो गया। इसके बाद अमित ने शरीर के ऊपरी हिस्से की ताकत और थ्रो बॉल और डिस्कस थ्रो में प्रशिक्षण शुरू करते हुए मूल रूप से क्लब थ्रो एफ -51 श्रेणी में खेलना शुरु किया। सरोहा दुर्घटना से पहले राष्ट्रीय स्तर के फील्ड हॉकी खिलाड़ी थे। उन्होंने डिस्कस थ्रो पैरा-इवेंट्स में भी ख्याति प्राप्त करते हुए 2010 में अमित ने एशियाई पैरा खेलों में डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीती, जो कई बार विश्व पैरा-एथलेटिक्स चैंपियनशिप के पदक विजेता बनकर उन्होंने पैरा डिस्कस थ्रो में भी पदक जीते हैं। अमित सरोहा की उपलब्धियों पर नजर दौड़ाएं तो वे 2010, 2014 व 2018 के पैरा एशियन गेम्स में दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीत चुके हैं। 2015 विश्व चैंपियनशिप में रजत लेने वाले सरोहा को 2013 में अर्जुन अवार्ड और 2012 में भीम अवार्ड से नवाजा जा चंका है। अब तक वे 26 अंतरराष्ट्रीय स्तरीय प्रतियागिताओं मे 26 और राष्ट्रीय स्तरीय 22 पदक हासिल कर चुके हैं। अब आत्मविश्वास और अनुभव के दम पर टोक्यो पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करने के लक्ष्य को लेकर अमित सरोहा देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेंगें।
धर्मबीर नैन
सोनीपत जिले के ही एथलीट धर्मबीर नैन ने भी रियो के बाद लगातार दूसरी बार टोक्यो पैरा ओलंपिक के लिए क्लब थ्रो और डिस्कस थ्रो स्पर्धा के लिए क्वालीफाई किया है। टोक्यो में अपने गुरु अमित सरोहा के साथ धर्मबीर देश के लिए पदक की खातिर बेहतर थ्रो फेंकने के लि उत्साहित हैं। सोनीपत के एक छोटे से गांव बधाना में जन्में धर्मबीर पिता की मौत के बाद खेती बाडी करके परिवार का गुजारा करते थे। लेकिन 2012 में एक दुर्घटना में उसे रीढ़ की हड्‌डी में काफी चोट आई। करीब दो साल तक के लंबे इलाज के बाद 2014 में हालत में थोड़ा सुधार हुआ, तो घर का काम करने लगा। लेकिन दिव्यांग हो चुके धर्मबीर को मां ने हौसला देकर खुद को साबित करने की सीख दी। एक पैरा एथलीट अमित सरोहा से मिलकर वह एथलीट बनने के लिए मेहनत करने लगा। कोच की भूमिका में सराहा ने उसे आर्थिक मदद भी दी। इस मेहनत ने धर्मबीर को महज दो साल में ही रियो पैरा ओलंपिक का सफर करा दिया। धर्मबीर ने इससे पहले ही फ्रेंच ओपन एथलेटिक्स में अपने इरादे जाहिर कर दिये थे।
एकता भ्याण
हिसार में सहायक रोजगार अधिकारी के पद पर तैनात एकता भ्याण टोक्यो पैरा ओलंपिक में क्लब थ्रो स्पर्धा में अपना कमाल दिखाने को तैयार है। एशिया में पहली रैंप पर एकता ने ओलंपिक के लिए कैटेगरी एफ-51 में कोविड के कारण घर पर रहकर कार्यालय का कार्य करने के साथ जमकर अभ्यास किया है। एकता पहले भी कई प्रतियोगिताओं में अपने प्रदर्शन से अपना इरादा बता चुकी है कि उसमें दिव्यांग के बावजूद पैरालंपिक खेलों में कुछ कर दिखाने की क्षमता है। एसका सपना देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल करना है। एकता भ्याण अब तक क्लब थ्रो में एशियन पैरागेम्स में स्वर्ण पदक, छह अंतरराष्ट्रीय पदक, आठ राष्ट्रीय पदक जीत चुकी हैं, जो पिछले पांच वर्ष से एशिया में पहली रैंप पर हैं। एकता भ्याण एशियन पैरा गेम्स जकार्ता और टयूनीशिया की वर्ल्ड पैरा एथलेक्टिस ग्रांड प्रीक्स में क्लब थ्रो में गोल्ड तथा डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक हासिल करने वाली एकता जीत चुकी हैं। करीब 18 वर्ष पहले एकता सड़क दुर्घटना गंभीर रुप से घायल हो गई थी। पिता डॉ. बलजीत सिंह भ्याण ने उसका काफी इलाज कराया, लेकिन वह वह व्हील चेयर पर आ गई। इसके बावजूद एकता नक साबित किया कि शारीरिक ताकत से ज्यादा हौंसला आगे की राह दिखाता है और सपने को काई भी बाधित नही कर सकता। 23Aug-2021

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