मंगलवार, 24 अगस्त 2021

पैरा ओलंपिक: भारत्तोलक, ऊंची कूद, बैडमिंटन और शॉटपुट में दिखेगा हरियाणा का दम

आज से शुरू हो रहे गेम्स में हरियाणा के सर्वाधिक 19 दिव्यांग खिलाड़ी शामिल 
ओ.पी. पाल.रोहतक। टोक्यो में मंगलवार से शुरू हो रहे पैरा ओलंपिक में रोहतक के जयदीप देशवाल पावरलिफ्टिंग, झज्जर के ऊंची कूद और हिसार के तरुण ढ़िल्लो बैडमिंटन व अरविन्द मलिक शॉटपुट में अपना दम दिखाने को तैयार हैं। देश और प्रदेश को इन खिलाड़ियों की उपलब्धियों और अनुभवों के आधार पर बेहतर प्रदर्शन की बदौलत पदक की उम्मीद है। 
जयदीप देशवाल
रोहतक जिले के गांव भैंयापुर लाढौत निवासी जयदीप देशवाल जयदीप साईं में सोनीपत के बहालगढ़ केंद्र में एथलेटिक्स कोच हैं, जिन्हें भारत्तोलक 65 किग्रा वर्ग में टोक्यो पैरा ओलिंपक गेम्स में अपनी किस्मत आजमाने का मौका मिला। इससे पहले वे लंदन पैरालिपिक में चक्का फेंक स्पर्धा में भारतीय एथलीट टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। जबकि ओलंपिक में कंधे की चोट के कारण हिस्सा नहीं ले सके थे। इसलिए अब ओलंपिक के दूसरे सफर को टोक्यों में पदक झटकर यादगार बनाना चाहते हैं। परिजनों के अनुसार बचपन में आए बुखार के दौरान एक गलत इंजेक्शन के कारण एक टांग कमजोर पड़ गई थी। पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त पिता समुंद्र सिंह और माता दिलवती को बेटे की चिंता हुई, लेकिन उसकी खेलों के प्रति दिलचस्पी के बावजूद अच्छी पढ़ाई पर जोर दिया। इस युवा खिलाड़ी ने 2007 में अपने चाचा और दोस्तों के प्यार में पड़ने के बाद इस खेल को फिर से शुरू किया। यहां राजीव गांधी स्टेडियम में कोच की सलाह पर चक्का फेंकना शुरू किया और लंदन ओलंपिक का सफर करके अपने कैरियर को जाहिर किया। रियो ओलंपिक से पहले कंधे की चोट के कारण चिकित्सकों ने उन्हें खेल छोड़ने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने खेल के कैरियर को बरकरार रखने के लिए पावरलिफ्टिंग में जोर आजमाइश शुरू कर दी। जहां तक उनकी उपलब्धियों का सवाल है उसमें 2012 लंदन पैरालिपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने के अलावा वर्ष 2018 की राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक चैम्पियनशिप में उन्होंने डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक हासिल किया। जबकि व‌र्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप, ग्लोसगो 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों और एशियन गेम्स में चौथा स्थान हासिल करके अंतर्राष्ट्रीय एथलीट के रूप में नाम कमाया है। टोक्यो पैरा ओलंपिक में जयदीप का सपना देश के लिए पदक जीतना है।
रामपाल चाहर
टोक्यो पैरा ओलंपिक में झज्जर जिले में माछरौली गांव के 32 वर्षीय रामपाल चाहर देश के लिए पदक जीतकर अपने किसान पिता का सपना पूरा करना चाहते हैं। रामपाल एथलीट में अच्छे प्रदर्शन के कारण जाने जाते है, जिन पर टोक्यो ओलंपिक में चाहर पर नजरें लगी है। रामपाल चाहर का बचपन में चार साल की उग्र में ही चारा मशीन में एक हाथ कट गया थ, लेकिन एक हाथ के बावजूद वे दुनिया को जीतने की क्षमता रखते हैं। परिजना का कहना है कि रामपाल ने 2011 में पैरा एथलेटिक्स शुरू करके लंदन पैरालंपिक में खेलने का सपना देखा, जिसे उन्होंने टोक्यो पैरा ओलंपिक में पूरा कर लिया है। रामपाल सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने वर्ष 2018 में एशियन पैरा गेम्स में रजत पदक हासिल किया, तो उनके जज्बे को खुद पीएम मोदी ने भी सलाम किया। यही नहीं खेल कोटे से उन्हें केंद्र सरकार में आयकर विभाग में नौकरी भी मिली। इसी साल रामपाल चाहर ने पंचकूला के नेशनल पैरा गेम्स स्वर्ण पदक जीता और फिर बंगलूरू में हुई नेशनल चैंपियनशिप में रामपाल ने रजत पदक जीता। इसी प्रदर्शन को ज्यादा बेहतर तरीके से वे टोक्यो ओलंपिक में करके पदक जीतना चाहत हैं। पॉलिटेक्नीक डिप्लोमाधारी रामपाल ने स्नातक, बीएड व बीलिब की डिग्री भी हासिल की है। इसी साल 2021 में हरियाणा सरकार में रामपाल को खेल विभाग में उपनिदेशक नियुक्त किया है।
तरुण ढिल्लो
हिसार जिले में सातरोड़ कलां के पैरा खिलाड़ी तरुण ढिल्लों का टोक्यो पैरा ओलंपिक में बैडमिंटन के लिए चयन हुआ है, जिनसे देश और प्रदेश को बहुत ज्यादा अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। क्रिकेटर रहे अपने स्वर्गीय पिता सतीश कुमार से मिली प्रेरणा से तरुण ढ़िल्लो के अंदर खेल के कैरियर में कुछ करने का जुनून पैदा हुआ। गृहणी माता सलोचना देवी बेटे की दिव्यांगता से चिंतित थी, लेकिन तरुण के सपने को पंख लगाने में भी पूरा सहयोग किया। तरुण ने दिव्यांग होने के कारण बैडमिंटन में जो सपना देखा, वह टोक्यो पैरा ओलंपिक में पूरा होने जा रहा है। हालांकि बचपन में तरुण ने फुटबाल खेना शुरू किया था, लेकिन उसके पैर में ऐसी चोट लगी कि संक्रमण बढ़न के कारण उसके दो आपरेशन करने पड़े। दिव्यांगता की बाधा के बिना उन्होंने इसके बाद बैडमिंटन को कैरियर बनाया। टोक्यो पैरा ओलंपिक के लिए अभ्यास के दौरान मेहनत कर पसीना बहाया। पिछले पांच साल से करनाल के कर्ण स्टेडियम में अभ्यास करते आ रहे हैं, लेकिन ओलपिंक की तैयारी के लिए तरुण ने लखनऊ के साईं सेंटर में बैडमिंटन का विशेष प्रशिक्षण लिया। 2018 जकार्ता में एशियाई पैरा खेलों के स्वर्ण पदक से पहले तरुण ढ़िल्लो ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उस समय सुर्खियां बटोरी, जब वर्ष 2013 में उन्होंने बीडब्ल्यूएफ पैरा बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप का एकल मुकाबाल जीत और फिर 2015 में अपने दूसरे विश्व खिताब के लिए अपने स्वर्णिम प्रदर्शन को दोहराया। दो साल बाद ही तरुण ने पुरुष एकल और युगल में रजत पदक हासिल किया। 2019 में फ्रांस पैरा बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप के फाइनल के दौरान ढिल्लों के दाहिने घुटने में चोट लगने के बावजूद उन्होंने दूसरा स्थाल लिया। 
अरविंद मलिक
हिसार में गांव ढंढेरी निवासी रोहतक में पुलिस सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात जोगेन्द्र सिंह मलिक के परिवार में जन्मे अरविन्द मलिक टोक्यो पैरा ओलंपिक में शॉटपुट स्पर्धा में अपना दम दिखाने को तैयार है। अरविंद ने अपनी फेसबुक वॉल पर खुद लिखा है कि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं, हम वो सब कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, जो आज तक हमने नहीं सोचा। ऐसे विचार रखने वाले अपने लक्ष्य के प्रति ढृढ अरविन्द मलिक में अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए पैरा ओलंपिक में देश के लिए कुछ करने का जुनून है। करीब 21 साल पहले बचपन में क्रिकेट खेलते समय उनके सिर में लगी चोट पैरालाइज हो गई थी। इसके बावजूद उसने डिस्कस थ्रो के खेल में मेहनत करना शुरू किया और नेशनल स्तर पर छह पदक जीते। वर्ष वर्ष 2018 में एशियन चैंपियनशिप के दौरान उन्होंने अपने इस खेल को बदला और चार किलोग्राम शॉटपुट को कैरियर बनाया, जिसमें वे टोक्यों में दो सितंबर को होने वाले अपने मुकाबले में भारत की झोली में खुशी डाल सकते हैं। अरविंद का छोटा भाई नितिन मलिक हिसार में हैमर थ्रो में अभ्यास करता है। अरविंद ने इसी साल बंगलुरू की नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के शार्टपुट थ्रो में स्वर्ण पदक जीता। इससे पहले उसने 2018 में इंडोनेशिया एशियन गेम्स में पांचवां स्थान हिसल किया। जबकि 2016 में दुबई एशिया ओशियाना पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, 2017 में जयपुर नेशनल स्तरीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, वर्ष 2017 में ही लंदन वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनिशप में पांचवां स्थान और 2014 में एशियन गेम्स के डिस्कस थ्रो में आठवां स्थान हासिल किया था। 
  --24Aug-2021

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