मंगलवार, 24 अगस्त 2021

पैरा ओलंपिक: हरियाणा के चार अचूक निशानेबाजों से देश को बड़ी उम्मीद

तीन एयर पिस्टल और एक एयर रायफल के अचूक निशानेबाजों में शुमार 
ओ.पी. पाल.रोहतक। हरियाणा के चार निशानेबाज देश के लिए पदक जीतने के इरादे से टोक्यो पैरा ओलंपिक में निशाना लगाएंगे। जिला फरीदाबाद के मनीष नरवाल और सिंघराज अधाना, झज्जर के राहुल जाखड़ और अंबाला के दीपक सैनी सटीक निशाने साधने की क्षमता रखते हैं। उनके अंतर्राष्ट्रीय रिकार्ड और प्रदर्शन की बदौलत देश को भी इन चारो से पदक की उम्मीद है। 
मनीष नरवाल
टोक्यो पैरा ओलंपिक में पुरुषों की पी1–10 मीटर एयर पिस्टल एवं मिश्रित पी4–50 मीटर पिस्टल में निशाना लगाने को तैयार युवा निशानेबाज मनीष नरवाल का जन्म प्रदेश के सोनीपत जिले में दिलबाग सिंह नरवाल के परिवार में हुआ, लेकिन 1993 में वह अपने परिवार के साथ फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में आकर बस गए। मनीष का जन्म से ही एक हाथ खराब है। उसने निशानेबाजी के खेल में अभ्यास शुरू किया और पहली ही प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता, जिसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसकी यही मेहनत उसे पैरा ओलिंपक तक ले गई। 26 वर्षीय मनीष ने इसी साल इन स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक लेकर विश्व रिकार्ड तोड़ा, तो उन्हे अर्जुन अवार्ड के लिए नामित किया गया है। जहां तक मनीष की उपलब्धियों का सवाल है उसने पिछले नौ साल विश्वकप के दौरान नौ बार ही नए रिकार्ड कायम किये हैं। पिछले तीन सालों के दौरान ही मनीष ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 17 पदक और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 19 पदक अपने नाम किये हैं। जकार्ता पैरा एशियाई खेलों में नया रिकार्ड बनाते हुए स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है, तो वहीं पिछले साल व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में तीन कांस्य पदक अपने नाम किए थे। 2019 विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता नरवाल ने पैरालंपिक और विश्व चैंपियन निशानेबाजों को पछाड़कर पहला स्थान हासिल किया। उसके परिवार में छोटे भाई बहन भी उसी की राह पर चल पड़े। बहन शिखा भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज है, जिसने पिछले साल ही दोहा कतर में एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर निशाना साधा। जबकि भाई शिवा नरवाल दो वर्षों के खेलो इंडिया में शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक रिकार्ड बना रहे हैं।
सिंहराज अधाना
फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ के तिगांव में एक साधारण किसान प्रेम सिंह के परिवार में जन्मे सिंहराज अधाना का टोक्यो पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करने का लक्ष्य हैं। 39 वर्षीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज सिंहराज परिवार की आर्थिक जरुरतों को पूरा करने के लिए जबरदस्त संघर्ष करना पड़ा है, लेकिन पति के सपनों को पूरा करने के लिए इस महंगे खेल के लिए उनकी पत्नी ने गहने तक बेचने पड़े। इसी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता और ओलंपिक कोटा हासिल किया। परिवारिक माली हालत ठीक न होने के बावजूद गांव के स्कूल में 10 मीटर व 50मीटर एयर पिस्टल की रेंज तैयार करई। ओलंपिक की तैयारी के लिए सरकार से मिली इनामी राशि को सिंहराज ने पिता बुलंद हौंसले हो तो शारीरिक सीमाएं भी सपनो को पूरा करने से नहीं रोक सकती। सिंहराज ने इसी साल मार्च में अल ऐन (संयुक्त अरब अमीरात) विश्व निशानेबाजी पैरा स्पोर्ट विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक और रजत पदक जीता है। इससे पहले 2019 के सिडनी विश्व चैम्पियनशिप पदकधारी सिंहराज ने रियो 2016 कांस्य पदक विजेता को पछाड़कर स्वर्ण पदक जीता था। अधाना की शूटिंग की उपलब्धियों में 2018 में चेटौरस वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक और व्यक्तिगत स्पर्धाओं में रजत पदक, इंडोनेशिया के जकार्ता में पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक के अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीतकर इतिहास रच चुके हैं। अब सिंहराज सिंहराज टोक्यो पैरालिंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल करने का प्रयास करेंगे, जिनमें आत्मविश्वास, धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ दुनिया के बड़े निशानेबाजों को पछाड़ने की क्षमता है।
राहुल जाखड़
हरियाणा में झज्जर जिले में गांव अकेहड़ी मदनपुर के आजाद सिंह के परिवार में जन्मे राहुल जाखड़ का पैरा ओलंपिक के 25 मीटर शूटिंग में चयन हुआ है। अपने वर्ग में विश्व की दूसरी रैंकिंग के पैरा निशानेबाज जाखड का सपना है कि वह ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक लेकर वापस लौटे। पांच साल की उम्र में एक पैर से पोलियोग्रस्त हो गया था। एक पैर पोलियोग्रस्त होने के बावजूद राहुल ने कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई के कारण प्राइवेट स्कूल में ड्राइंग टीचर की नौकरी की, जिसके बाद गुरुग्राम में कंपनी में काम किया। राहुल ने मुंडाहेड़ा गांव के अश्वनी से सीख लेकर शूटिंग की शुरुआत की, तो वहीं भाई राजेश कुमार ने डेढ़ लाख की पिस्टल व 60 हजार की गोलियां राहुल दी थी, जिन्हें वह ओलंपिक तक सफर का श्रेय देने से नहीं चूकते। परिजनों के मिले प्रोत्साहन के कारण उसने निशानेबाजी को कैरियर बनाने में कड़ी मेहनत की। इसी प्रदर्शन के जरिए निशानेबाजी में राहुल जाखड़ ने अब तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाजी प्रतियोगिताओं में तीन स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य पदक अपने नाम किये हैं। छह साल पहले राहुल की माता का बीमारी के कारण निधन हो गया था, उसके बड़े भाई राजेश ने राहुल के सपनो को पूरा करने के लिए सहयोग दिया। राहुल जाखड़ की उपलब्धियों को देखा जाए तो पेरू के लीमा वर्ल्डकप और एशियन चैंपियनाश्प में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
दीपक सैनी
अंबाला कैंट के शाहपुर गांव के नाम को विश्वस्तर पर रोशन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज दीपक सैनी ने अपने अचूक निशाने से असाधारण चैंपियन का प्रमाण दिया है। दिव्यांग शूटर दीपक सैनी हाल ही में चौथी बार नेशनल चैंपियन बनकर उभरे। इनाम की राशि को भी उसने नए निशानेबाजों को समर्पित करते हुए अकादमी की स्थापना की, जहां शूटिंग रेंज बनाई गई। इस दिव्यांग खिलाड़ी के इस हौंसले को राज्य सरकार ने भी सहयोग दिया। दीपक सैनी का जीवन संघर्ष में बीता, जब वह नौ साल का था तो उसके पिता हरपाल सिंह का निधन हो गया। परिवार के पालन पोषण के लिए उसने टेलर बनने के सथ खेती का काम भी किया, लेकिन उसका सपना खेलों की ओर था तो उसे निशानेबाजी का शोक लगा और एक दोस्त ने उसकी मदद की। कुरुक्षेत्र के गुरुकुल में एक साल तक अभ्यास करने के बाद उसने बिना किसी कोच के ही दिल्ली की कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में अभ्यास किया। उसकी यह मेहनत रंग लाई और उसे नेशनल एयर राइफल प्रोन प्रतियोगिता में नेशनल गेम्स में खेलने का मौका मिला, जिसमें उसने रजत पदक लिया। पिछले करीब छह साल से 50 मीटर और 10 मीटर एयर राइफल प्रोन प्रतियोगिता में नेशनल चैंपियन हैं। वहीं पोलैंड, क्रयुशिया, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूएई में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। दीपक सैनी का लक्ष्य अब टोक्यो पैरा ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड पर निशाना लगाने का है। 
22Aug-2021

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