बुधवार, 4 अगस्त 2021

साक्षात्कार: संस्कृति व सभ्यता में लघुकथा साहित्य की भूमिका महत्वपूर्ण: डा. देवगुण

व्यक्तिगत परिचय 

नाम: डा. रूप देवगुण

जन्म: एक नवम्बर 1943 

जन्म स्थान: नरवड़ (लाहौर) पाकिस्तान

शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी और पंजाबी), बीएड., पीएचडी(मानद). 

कार्यक्षेत्र: हिंदी प्राध्यापक, राजकीय नेशनल महाविद्यालय सिरसा(हरियाणा)   

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हरियाणा में लघु कथा का इतिहास रचने वालों में शुमार सिरसा के प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार डा. रूप देवगुण को हरियाणा साहित्य अकादमी ने बाबू बालमुंकुंद गुप्त सम्मान-2018 से सम्मानित किया है। साहित्य के क्षेत्र में लघुकथाकार के रूप में समाज को दिशा देने की भूमिका निभाने वाले डा. देवगुण द्वारा लिखित कहानी संग्रह, काव्य संग्रह, गजल संग्रह और निबंध संग्रह में हरियाणा की संस्कृति, सभ्यता और सामाजिक रीति रिवाजों को भी अपने शब्दों में वर्णित किया है। डा. देवगुण का मानना है कि आज के इस आधुनिक युग में गुमनाम होती भारतीय संस्कृति और समाज को दिशा देने के लिए साहित्य की भूमिका अहम है, जिसकी प्रासांगिकता को कभी खत्म नहीं किया जा सकता। हरियाणा में लघुकथा साहित्य को ऐतिहासिक स्वरूप देने में अग्रणी साहित्यकारों में शामिल रहे साहित्यकार डा. रूप देवगुण ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान कई पहलुओं के साथ अपने अनुभव साझा किये हैं।

साहित्यकार डा. देवगुण का हरियाणा में लघुकथा साहित्य में विशेष स्थान है, जिन्होंने वर्ष 2016 में हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच की स्थापना करके 15 जिलों में इस मंच की शाखाएं खोल कर लघुकथा साहित्य में एक ऐसा मील का पत्थर स्थापित कर दिया है, जो भविष्य में समाज, खासकर युवा पीढ़ी के लिए एक इतिहास बनकर उभरेगी। हरियाणा का लघुकथा संसार व हरियाणा की प्रतिनिधि लघुकथाएं के संपादन के बाद रूप देवगुण ने समीक्षा-संग्रह 'हरियाणा के इक्कीस काव्य-संग्रह समीक्षात्मक अध्ययन' लिखा, जो राज्य के 21 रचनाकारों को लेकर रहा। यह संग्रह बेहद सुर्खियों में रहा है। हरियाणा में लघुकथा का इतिहास बनाने की दिशा में साहित्य को आगे बढ़ा रहे डा. रूप देवगुण का कहना है कि आज के इस आधुनिक युग में जिस प्रकार से अपनी भाषा, संस्कृति, रीति रिवाज और सामाजिक दायित्व गौण होते जा रहे हैं, उसका कारण बच्चों पर बढ़ते बैग का बोझ भी है, जिसमें अंग्रेजी और साइंस तथा तकनीकी शिक्षा का भी हावी है। पहले बच्चे और बड़े सभी पुस्तकालयों से साहित्य लेकर पढ़ते थे, जिसका प्रचलन भी कम हो रहा है। जबकि साहित्य ही एक ऐसा माध्यम है, जो समाज को दिशा दे सकता है। अपने साहित्य क्षेत्र के कैरियर के बारे में डा. देवगुण का कहना है कि वर्ष 1962-63 में उन्होंने साहित्य लेखन का कार्य शुरू किया था। वर्ष 1969 में नौकरी मिलने और गृहस्थी की जिम्मेदारी बढ़ने से कुछ अंतराल आया, लेकिन वर्ष 1981 से वे लगातार कविता संग्रह और कहानी संग्रह लिखने का काम कर रहे हैं। इसमें लघुकथाओं के जरिए हरियाणा की संस्कृति और सभ्यता तथा सामाजिक गतिविधियों पर आधारित कविताएं और कहानियां लिखकर समाज सेवा के दायित्व निभा रहे हैं। लघुकथा साहित्य को पढ़ने वाला आज भी बहुत बड़ा पाठक वर्ग है, जिसके विस्तार की प्रबल संभावनाएं रहती हैं।

प्रमुख पुस्तकें

डा. रूप देवगुण की लघुकथाओं, कहानी संग्रह, काव्य संग्रह और गजल संग्रह के रूप में लिखी और संपादित की गई 80 से ज्यादा पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है। प्रमुख रूप से काव्य संग्रह में ‘मिलन को दूर से देखो, जब तुम चुप रहती हो, आप सब है मेरे आसपास, गुलमोहर मेरे आँगन में, तुम झूठ मत बोला करो, खिड़की खोल कर तो देखो, नदी की तैरती सी आवाज़, धूप मुझे है बुला रही, पत्तों से छन कर आई चाँदनी आदमी शामिल हैं। कहानी संग्रह में छतें बिन मुंडरे की, कब सोता है यह शहर, अनजान हाथ की इबारत, मेरी प्रिय कहानियाँ आदि। एकल लघुकथाओं में संग्रह दूसरा सच, यह मत पूछो, मेरी प्रिय लघुकथाएँ, तो दिशु ऐसे कहता, आदि सुर्खियों में रही। जबकि ग़ज़ल संग्रह में ‘ये कभी सोचा न था, लघुकथा निबन्ध संग्रह हिन्दी लघुकथा: उलझते-सुलझते प्रश्न, समीक्षा पुस्तक हरियाणा के इक्कीस काव्य-संग्रह, आधुनिक हिन्दी लघुकथा:आधार एवं विश्लेषण आदि पंजाबी कहानी संग्रह सभ नूं चाही दै सहारा आदि पुस्तकें  प्रकाशित हुई है। साहित्यकार डा. देवगुण जी के साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालय से एक दर्जन से भी ज्यादा एमफिल और पीएचडी हासिल कर चुके हैं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के अलग अलग पाठ्यक्रम में उनकी रचनाओं को शमिल किया गया है।

पुरस्कार और सम्मान -

हरियाणा साहित्य अकादमी सिरसा के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.रुप देवगुण को दो लाख रुपये के बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान-2018 पुरस्कार से सम्मानित किया है। इससे पहले अकादमी वर्ष 2013 में विशेष साहित्यसेवी सम्मान से नवाज चुका है। यही नहीं हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला से उनकी आधा दर्जन से ज्यादा पुस्तकों के प्रकाशन पर अनुदान भी दिया है। देशभर के विभिन्न राज्यों में आयोजित कवि सम्मेलनों और समारोह में भ्रमण करने वाले इस साहित्यकार को विभिन्न संस्थाओं द्वारा भी चार दर्जन से अधिक पुरस्कार व सम्मान से नवाजा जा चुका है।

26July-2021


 

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