बुधवार, 4 अगस्त 2021

टोक्यो ओलंपिक: अमित पंघाल व विकास कृष्ण के मुक्के में है गोल्ड पर

निशाना लगाने का दम विश्व मुक्केबाजी रैंकिंग में की टॉप टेन में दोनों ही पहले व छठे नंबर के बॉक्सर 
ओ.पी. पाल.रोहतक। 
 दुनिया में अपने पंच की धूम मचाने वाले हरियाणा के अमित पंघाल और विकास कृष्ण यादव ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजों में शुमार है, जिनके पास देश और प्रदेश का नाम रोशन करने के लिए टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने की क्षमता है। अमित पंघाल विश्व मुक्केबाजी रैंकिंग में पहले नंबर तथा विकास कृष्ण छठे नंबर के मुक्केबाज हैं। अमित पंघाल 
विश्व के नंबर एक मुक्केबाज अमित पंघाल को भारत के लिए स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा है। रोहतक जिले के मायना गांव में किसान विजेन्दर सिंह के परिवार में 16 अक्तूबर 1995 को जन्मे अमित पंघाल ने महज 22 साल की उम्र में ही ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट को हराकर इतिहास रचा और अंतर्राष्ट्रीय नक्शे पर आए। अमित पंघाल मार्च 2018 में भारतीय सेना में जेसीओ के पद पर नियुक्ति मिली, जिसके बड़े भाई अजय भी भारतीय सेना में तैनात हैं।एक सेना के जवान में जो नियंत्रित आक्रामकता और रणनीतिक कौशल का अच्छा मिश्रण माना जाता है, उसी के तहत पंघाल ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक के लक्ष्य तक पहुंचने के मकसद से पूर्व अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज एवं अपने गुरु अनिल धनखड़ की निगरानी में पिछले कई साल से कमजोरियों को दूर करने के लिए लगातार पसीना बहाया है। भारत के इस दिग्गज मुक्केबाज ने टोक्यों ओलंपिक के लिए अपने 49 किग्रा को 52 किग्रा भार वर्ग में बदलकर मुक्के का ज्यादा दम दिखाने के लिए तैयार है। समूचे भारत की निगाहें उस पर इस उम्मीद से टिकी हुई है कि वह अपनी क्षमता का बेहतर प्रदर्शन करते हुए भारत को स्वर्ण पदक दिलाएगा।
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22 साल की उम्र में बटोरी सुर्खिंया-----
वर्ष 2017 में राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद पंघाल उसी साल में एशियन चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीतते ही सुर्खियों में आया, जिसके कारण उसे विश्व चैंपियनशिप में पहली बार जगह मिली। भले ही वह अंतिम चार के मुकाबले में बाहर हो गये हो, लेकिन इस हार से पंघाल को मजबूती करने की सीख मिली। मसलन वर्ष 2018 राष्ट्रमंडल खेल में मुक्के का दम दिखाने का जुनून था और उसने फाइनल में जगह बनाई, लेकिन उसे रजत पदक पर संतोष करना पड़ा। उसी साल एशियाई खेलों में अमित पंघाल ने इस हार का बदला चुकता करते हुए 49 किलोग्राम भार वर्ग में रियो ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट उजबेकिस्तान के दुश्मातोव जमकर धुनाई करके भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल करके इतिहास रच डाला। इससे पहले भारतीय मुक्केबाज को इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक ही मिलते रहे, लेकिन उसने पदक के रंग को सोने में बदला। इसके अलावा वह स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार दो बार स्वर्ण पदक हासिल कर चुका है। 
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अमित की उपलब्धियां------ 
2017-राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप मे स्वर्ण पदक 
2017-एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक 
2018-राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक 
2019-एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक 
 2019-एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक 
 2019-विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक 
2021-एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक
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विकास कृष्ण यादव 
अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी में देश का नाम रोशन करते आ रहे विकास कृष्ण यादव का जन्म 10 फरवरी 1992 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था। विकास की माता दर्शना देवी के अनुसार विकास बचपन में वह अक्सर बीमार रहता था। खेल में बेहद रुचि रखने वाले विकास ने स्वास्थ्य रहने के लिए बैडमिंटन खेलना शुरू किया, लेकिन भिवानी मुक्केबाजी का गढ़ माना जाता है और उसके साथ मुक्केबाजी करते हैं तो उसने भी बचपन में ही नौ साल की उम्र में मुक्केबाजी में पंच के दांव पेंच आजमाने शुरू कर दिये थे। उस समय उसने सोचा भी नहीं होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय पटल पर मुक्केबाजी का परचम लहराएगा। जब उसने पहली बार 18 साल की उम्र में 2010 के एशियाई खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर महाद्वीपीय प्रतियोगिता में भारत के लिए 12 साल के स्वर्ण पदक के सूखे को खत्म किया था। विकास कृष्ण के पिता कृष्ण यादव ने उम्मीद जताई कि उनका बेटा इस बार ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल करने अपने सपने को पूरा करेगा। परिवार या उसके गांव को ही नहीं सूबे और देश को भी विकास से स्वर्ण पदक लेकर आने की इसलिए भी उम्मीद है, क्योंकि उसके पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल, युवा ओलंपिक खेल, एशियन चैंपियनशिप, युवा विश्व चैंपियनशिप में मुक्केबाजी का अनुभव और पंच में दांव पेंच की तकनीक भी है। 
  ----छठें नंबर के बॉक्सर---- 
विश्व में छठे नंबर की रैंकिंग में शामिल मुक्केबाज विकास कृष्ण अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। विकास यादव हरियाणा के हिसार में डीएसपी के पद पर तैनात है। ओलंपिक के लिए तीसरी बार मुक्केबाजी टीम का हिस्सा बन रहे विकास का सपना देश के लिए पदक हासिल करना है। इससे पहले 2012 में लंदन ओलंपिक में पहले दौर में ही बाहर हो गये, लेकिन 2016 के रियो ओलंपिक में उन्होंन अंतिम चार यानि क्वार्टर फाइनल तक का सफर किया। अपने पिछले दो ओलंपिक में पदक न जीतने के मलाल को भूल जाने के मकसद से टोक्यो ओलंपिक में 69 किलोग्राम भार वर्ग में विकास को अपने मुक्के के पंच से पदक निकलने की उम्मीद है। विकास कृष्ण यादव भारत के विजेन्दर सिंह के बाद ऐसे दूसरे मुक्केबाज है, जिन्होंने तीन बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। 
  ----उपलब्धियां----- 
2010-एशियाई यूथ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक। 
2011-विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक। 
2015-एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रजत पदक। 
2018-राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक। 
2018-एशियाई खेलों में कांस्य पदक। 
2020- एशियाई मुक्केबाजी में ओलंपिक क्वालीफायर। 
2015-एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रजत।
 -------------21July-2021

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