मंगलवार, 24 अगस्त 2021

पैरा ओलंपिक: नीरज के बाद अब हरियाणा की चौकड़ी का पदको पर होगा निशाना

चारो भाला फेंक पैरा खिलाड़ियों में है देश के लिए इतिहास रचने का दम 
ओ.पी. पाल.रोहतक। टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड ब्वॉय बनकर इतिहास रचने वाले एथलीट नीरज चोपड़ा से निश्चित रूप से पैरा ओलंपिक में भला फेंक स्पर्धा में हिस्सा ले रहे हरियाणा के चार खिलाड़ी प्रेरित हुए होंगे? अब पैरा ओलंपिक में प्रदेश के जिले पानीपत के नवदीप, सोनीपत के सुमित अंतिल, फरीदाबाबाद के रणजीत भाटी और रेवाडी के टेकचंद का भी पदक पर भाला फेंकने का लक्ष्य होगा। अपने प्रदेश और देश के मान सम्मान के लिए लिए पदक हासिल करना ही इन पैरा एथलीटों का लक्ष्य है।
नवदीप
पानीपत के गांव बुआना लाखू निवासी 20 वर्षीय नवदीप ने पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य तय करके टोक्यो जाने स पहले जमकर अभ्यास किया है। भाला फेंक में विश्व रैंकिंग के तीन नंबर पैरा खिलाड़ी नवदीप का कद चार फुट यानि बेहद छोटा है, जो पहले कुश्ती में अपनी किश्मत आजमा रहे थे, लेकिन कमर में चोट के कारण उसने इसी खेल के खिलाडी संदीप की सलाह पर भाला फेंक के खेल को अपना कैरियर बनाया। इसमें उसे अपने परिवार का भी भरपूर सहयोग मिला। नवदीप की भाला फेंकने की प्रतिभावान क्षमता को देखकर परिजनों ने आर्थिक तंगी के बावजूद उसके इस खेल के खर्चो के बोझ को उठाया। यह लगन और प्रोत्साहन नवदीप को एफ41 श्रेणी में ओलंपिक तक लेकर गई है। उसके पिता दलबीर भी खुद एथलीट थे, जो राष्ट्रीय स्तर से आगे नहीं जा सके, लेकिन बेटे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को रोशन करता देखना चाहते हैं। नवदीप का अपने वर्ग में अब तक सर्वश्रेष्ठ 43.78 मीटर भाला फेंक चुका है, जो विश्व रिकार्ड से महज 50 सेंटीमीटर दूर है। टोक्यो पैरा ओलंपिक अंडर-20 भाला फेंक में वह नया रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीतने का सपना संजोए हुए है। जहां तक नवदीप की उपलब्धियों का सवाल है उन्होंने 2019 में स्विटजरलैंड पैरा विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप और दुबई विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाई है। इसके अलावा वह जूनियर व अंडर-20 पैरा नेशनल चैंपियनशिप में चार स्वर्ण पदक जीतकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुके हैं।
सुमित अंतिल
टोक्यो पैरालंपिक के लिए एफ64 वर्ग के भाला फेंकने जा रहे सोनीपत के गांव खेवडा निवासी 22 वर्षीय युवा एथलीट सुमति अंतिल ने इसी साल मार्च में भारतीय ग्रां प्री में एंटिल ने 66.43 मीटर पर भाला फेंक कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के दौरान टोक्यो पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद सुमित अंतिल ने नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप बेंगलुरू में 66.90 मीटर भाला फेंकर स्वर्ण पदक हासिल किया। लेकिन यह दुर्भाग्य से रिकॉर्ड नहीं माना जाएगा, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाता है। फिर भी ऐसे में उससे देश को पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक की उम्मीदे करना स्वाभाविक हैं। अपने प्रदर्शन में सुधार करके एफ44 से एफ64 कटैगरी तक पहुंचे सुमित ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के दौरान टोक्यो पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई किया। पहलवान बनने का सपना संजाए सुमति अंतिल का छह साल पहले हुई एक दुर्घटना ने जीवन ही बदल दिया, जिसके बाएं पैर को काटकर अलग करना पड़ा। इसके बावजूद हरियाणा के इस युवा खिलाड़ी ने हिम्मत नहीं हारी और भाला फेंक में एक नया सपना देखा, जिसे वह ओलंपिक में पूरा करने का प्रयास करेगा। दरअसल उसने कुश्ती और पढाई में कुछ करके नौकरी पाने का सपना था। अंतिल ने पैरा भाला फेंक में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। सुमित नीरज चोपडा और शिवपाल उसे लगातार ज्यादा से ज्यादा दूरी पर भाला फेंकने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। अंतिल के कोच नवल सिंह मानते हैं कि सुमित टोक्यो पैरा ओलंपिक में 70 मीटर के निशान को छूने की क्षमता है और वह उसके लिए लगातार प्रयासरत है।
रणजीत भाटी
फरीदाबाद के बल्लभगढ निवासी एफ57 श्रेणी के भाला फेंक स्पर्धा में पैरा ओलंपिक में चयनित हुए हैं। रणजीत भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर आई फिल्म से प्ररेणा लेकर नौकरी छोड़ने छोड़कर खेल को अपना कैरियर बना चुके हैं। उनका यह निर्णय उनके लिए वरदान भी साबित हुआ, जिन्हों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एथलीट के रूप में पहचान बनाई। रणजीत ने वर्ष 2019 में मोरक्को ग्रांड प्रिक्स में हिस्सा लेते हुए चौथा स्थान प्राप्त किया था। इसी साल गुरुग्राम में हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता और बेंगलुरु में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर पहली बार पैरालिंपिक में जगह बनाई। दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी को आइना दिखाकर खेल की तरफ बढ़े रणजीत के फैसले से उसके पिता रामबीर और मां वैजंती बेहद नाराज थी, क्योंकि खेल से उसके परिवार का दूर तक भी कोई नाता नहीं था। भाला फेंकने में लगातार उंचाईयां छूते रणजीत की प्रतिभा उसे पैरा ओलंपिक तक ले गई तो अब सभी उसके फैसले को सराहने में लगे और माता पिता भी प्रोत्साहित करने लगे। रणजीत ने दिल्ली में हुए पैरालिंपिक ट्रायल में 44.50 मीटर भाला फेंककर टोक्यो पैरालंपिक का टिकट प्राप्त किया है। परिजनों के मुताबिक वर्ष 2012 में वह एक सडक हादसे में गंभीर रुप से घायल हो गये थे और उनका एक पैर क्षतिग्रस्त हो गया था। रणजीत का सपना देश के लिए पदक हासिल करना है।
टेकचंद
विश्व में भाला फेंक में छठे स्थान रैंकिंग पर 36 वर्षीय एथलीट टेकचंद रेवाडी जिले के बावल के रहने वाले हैं। उनका जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में 24 जुलाई 1984 को हुआ। टेकचंद के पिता रमेशचंद का बीस साल पहले निधन हो चुका हैं। बेटे की उपलब्धि पर मां विद्यादेवी की आखें खुशी से नम हैं। 2005 में एक सड़क हादसे में दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने हौंसला नहीं छोड़ा। पैरा ओलंपिक में एफ-54 वर्ग के भाला फेंक के लिए चुने गये टेकचंद 2018 में जकार्ता में आयोजित एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीतकर अंतर्राष्ट्रीय एथलीट के रूप में सुर्खियों में आए। वहीं 2019 में दुबई में हुई विश्व चैंपियनशिप में छठा रैंक हासिल किया। इसी साल राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में भाला फेंक, डिस्कस और शाटपुट में भी एक-एक स्वर्ण पदक जीतकर भाला फेंक में ओलंपिक का टिकट पाया है। हरफनमौला एथलीट टेकचंद अंतराष्ट्रीय शॉटपुट व भाला प्रतियोगिता में भी हिस्सेदारी कर चुके हैं। टेकचंद का सपना ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने का है। टेकचंद खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग में प्रशिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उनका कहना है कि टोक्यों के सफर तक ले जाने में उनके प्रशिक्षक नजफगढ़ निवासी अरुण कुमार और एस्कोर्ट के रूप में सहायक प्रदीप कुमार का अहम योगदान रहा है। 21Aug-2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें