बुधवार, 4 अगस्त 2021

साक्षात्कार: सात समंदर पार तक आकर्षण का केंद्र बनी संजय की कलाकृतियां

कैनवास पर उकरे रंगों में कला तकनीक ने दी अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार की पहचान

साक्षात्कार: ओ.पी. पाल

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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के दृश्य कला विभाग में सहायक प्रोफेसर संजय कुमार ने कला की विभिन्न विधाओं में रंगों अभिनव प्रयोग करते हुए कैनवास पर रंगों के तकनीकी प्रयोग से कला को नया आयाम दिया है। इसी तकनीकी कला की बदौलत उनकी कलाकृतियां देश-विदेश की आर्ट गैलरियों, संग्राहलयों और नामी हस्तियों के निजी आवासों की शोभा बढ़ा रहे हैं। हरियाणा के प्रतिभाशाली कलाकार संजय कुमार कला के इतिहास, सौंदर्यशास्त्र, प्रकृति, छाया चित्रण, फोटोग्राफी, लीथोग्राफी, मिट्टी की मूर्तिया जैसे हरेक कैनवास पर प्राकृतिक रंगों की इस कला तकनीक से छात्र छात्राओं को निपुण करने में जुटे हैं।

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देश के महानतम चित्रकारों में शुमार संजय कुमार ने हरिभूमि संवाददाता से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि इस आधुनिक युग में फाइन आर्ट एक संवेदनशील चित्रण के साथ युवा पीढ़ियों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ने में सक्षम है, जिस कहानियों को शब्दों में लिखा जाता है उसी कहानी को चित्रण के लिए रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करती है। कला के इतिहास और सौंदर्यशास्त्र की कला तकनीक पर संवेदनशील संजय कुमार का कहना है कि हमारे इतिहास और पौराणिक कथाओं से जुड़ी कहानियों को कला यानि चित्रण के माध्यम से एक नए दृष्टिकोण से देखने में मदद मिलती है। कला के क्षेत्र के लिथोग्राफ  में कैनवास पर प्रकृति, पर्यावरण, या राष्ट्रभक्ति से प्रेरित संदेश भी कैनवास के रंग समाज में नई दिशा देने में सहायक साबित हो सकते हैं। कला के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं के लिए लंबे संघर्ष के बाद इस मुकाम तक पहुंचे मशहूर चित्रकार संजय कुमार का मानना है कि अन्य कलाकारों से विचारों का आदान प्रदान करने से कला के क्षेत्र में कुछ नया प्रयोगात्मक काम करने में मदद मिलती है। उनका निरंतर प्रयास रहता है कि वे कुछ इस क्षेत्र में नए तरीकों को खोजकर उनको कला के रूप में विकसित किया जाए। कैनवास पर चित्रकला के लिए रंगों के रूप में उनका ज्यादा जोर रोली, महेंदी, घेरू, हल्दी, काजल जैसे प्राकृतिक उत्पादों के इस्तेमाल पर होता है। देश विदेशों में आयोजित कला महोत्सव और कला प्रदर्शनियों में उनकी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाता है। इसके लिए विदेशों से मिले निमंत्रण पर संजय ने जर्मनी, चीन, हांगकांग, सींगापुर, मैक्सिको व नीदरलैंड आदि कई अन्य देशों का दौरा करके अपनी कला का लोहा मनवाया है।

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कला की विधाओं के धनी

आर्टिस्ट संजय कुमार कला की विभिन्न विधाओं के धनी है। कला की विधाओं में ही शामिल दृश्य कला अब अधिकांश शिक्षा प्रणालियों में एक वैकल्पिक विषय बन गया है। कला की इस विधा में सिरेमिक, ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्तिकला, प्रिंटमेकिंग, डिजाइन, शिल्प, फोटोग्राफी, वीडियो, फिल्म निर्माण और वास्तुकला जैसे रूप दृश्य कलाएं हैं। दृश्य कलाओं के भीतर शामिल औद्योगिक कला, ग्राफिक डिजाइन, फैशन डिजाइन, आंतरिक डिजाइन और सजावटी कला जैसी कलाओं के अलावा कई कलात्मक विषयों के तहत प्रदर्शन कला, वैचारिक कला, वस्त्र कला में दृश्य कला के पहलुओं के साथ-साथ अन्य प्रकार की कलाएं शामिल हैं। इस कला में आम तौर पर एक उपकरण से सतह पर निशान बनाना शामिल होता है या फिर ड्राई मीडिया जैसे ग्रेफाइट पेंसिल, पेन और स्याही, स्याही वाले ब्रश, मोम रंग पेंसिल, क्रेयॉन, चारकोल, पेस्टल और मार्कर के माध्यम से सतह पर एक उपकरण को स्थानांतरित किया जाता है। फाइन आर्ट यानि ललित कला में भी वह कार्य कर रहे हैं, जिसमें सौंदर्य या लालित्य के आश्रय से व्यक्त होने वाली कलाएँ इसमें शामिल हैं। यानि गीत, संगीत, नृत्य, नाट्य और अन्य प्रकार की चित्रकलाएँ जिसमें अभिव्यंजन में सुकुमारता और सौंदर्य की अपेक्षा की जाती हो। संजय कुमार दृश्य कला विभाग में इस तकनीकी कला के लिए एक प्रिंटमेकर के रूप में भी पहचाने जाते हैं। वैसे तो कला यानि आर्ट अपने आप में व्यापक है, लेकिन भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं का नाम है, जिनमें कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। उनका कहना है की कलाकृतियां सिर्फ कला दीर्घाओं या संग्राहलयों की ही शोभा नहीं बढ़ातीं, बल्कि घर को इनसे एक अलग पहचान मिलती है। प्रिंटमेकिंग के बारे में उन्होंने बताया कि प्रिंटमेकिंग कलात्मक उद्देश्य के लिए एक मैटिक्स पर छवि उतारी जाती है, जिसमें प्रमुख रूप से  वुडकट, लाइन उत्कीर्णन, नक़्क़ाशी, लिथोग्राफी, और स्क्रीनप्रिंटिंग शामिल होती हैं। जबकि फोटोग्राफी की कला प्रकाश के माध्यम से चित्र बनाने की प्रक्रिया है।

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देश विदेश में सजी कलाकृतियां

संजय कुमार द्वारा कैनवास पर उतारी गई पेंटिंग, स्केच, छाया चित्र जैसी कलाकृतियां देश में नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली,  गढ़ी स्टूडियो दिल्ली, ललित कला अकादमी नई दिल्ली, संग्रहालय और आर्ट गैलरी चंडीगढ़, आर.एलकेके, लखनऊ, राष्ट्रीय बाल भवन नई दिल्ली, साहित्य कला परिषद नई दिल्ली, गोवा में कला और संस्कृति निदेशालय पणजी, हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन, करनाल जनसंपर्क और सांस्कृतिक मामलों का विभाग, हरियाणा, कॉलेज ऑफ आर्ट चंडीगढ़,  एलायंस-डी-फ्रैंसेज चंडीगढ़, जेएंडके आर्ट कल्चर एंड लैंग्वेज एकेडमी जम्मू, एआईएफएसीएस नई दिल्ली, नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला और चंडीगढ़। एमडीयू रोहतक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, रासा आर्ट गैलरी कोलकाता वैश्य महा ट्रस्ट, भिवानी, राज्य शिक्षा संस्थान चंडीगढ़ में आकर्षशण का केंद्र बनी हुई हैं। यही नहीं न्यूजर्सी कनाडा, लंदन, जर्मनी, जापान, स्पेन, मास्को, दुबई, अबूधाबी, आस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड और मॉरीशस जैसे देशों के संग्रालय में भी संजय की कलाकृतियां इस भारतीय कला की शोभा बढ़ा रही हैं।

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व्यक्तिगत परिचय

हरियाणा के भिवानी में 27 जनवरी 1972 को जन्मे संजय कुमार ने 1995 में चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स से बीएफए(पेंटिंग) की डिग्री हासिल करने के बाद जामिया मीलिया इस्लामिया नई दिल्ली से फाईन आर्ट यानि पेंटिंग में मास्टर डिग्री ली। वर्ष 2000 में दृश्य कला में यूजीसी से नेट और 2001 में पीटीए नई दिल्ली से एजुकेशन एडमिनेस्ट्रेशन एंड टीचर काउंसलर किया। 2011 में वे महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में दृश्य कला विभाग में सहायक प्रोफेसर नियुक्त हो गये।

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पुरस्कार और सम्मान

कला के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं में महारथ हासिल करने वाले संजय कुमार को वर्ष 2020 को सार्विया के अंतर्राष्ट्रीय लिथोप्रिंट पुरस्कार मिला। जबकि इससे पहले फाइन आर्ट में 2006 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया और वर्ष 1996 में भारत सरकार के अंतर्गत ललित कला अकादमी द्वारा रिसर्च ग्रांट फैलोशिप और 2001 में एनजैडसीसी पटियाला द्वारा रिसर्च ग्रांट से नवाजा गया। उनकी ग्राफिक प्रिंट को कला के काम को एआईएफएसीएस नई दिल्ली, एचआईएफए चंडीगढ़, करनाल के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में उनकी अलग विधाओं के लिए पुरस्कार को दिया गया। चंडीगढ़ आर्ट महाविद्यालय ने उन्हें वर्ष 1992 में उन्हें विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित किया था। इसके अलावा राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तर पर भी उन्हें अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं।

02Aug-2021

 

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