बुधवार, 4 अगस्त 2021

मंडे स्पेशल:पानी को लेकर दोहरे संकट के मुहाने पर खड़ा प्रदेश

पानी नहीं, मीठा जहर पी रहे हैं हम---- प्रदेश के 21 जिलों के अधिकांश इलाकों के भूजल में खुला नाइट्रेट--- ओ.पी. पाल.रोहतक।--- भूजल को लेकर प्रदेश दोहरी तलवार पर खड़ा है। एक और तो भूजल पाताल में जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जो भूजल मिल रहा है वह मीठे जहर से कम नहीं है। राज्य के 22 से 21 जिलों के भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाईट्रेट, लोहा, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, निकल, सीसा, जस्ता व पारा जैसी भारी धातु का मिश्रण मिलना अपने आप में बड़े खतरे का संकेत देता है। उम्मीद से ज्यादा फ्लोराइड ने तो हाल बेहाल कर रखा है। हालांकि जल जीवन मिशन के तहत सरकार ब्लॉक स्तर पर जल जांच के लिए विशेष अभियान चला रही है। इसके लिए अलग-अलग मोबाल टीमें भी गठित की गई हैं। इसके चलते हालात सुधरने की उम्मीद तो जगी है, लेकिन विकट स्थिति उन लोगों की है जो नहरी पानी न पीकर ट्यूबवैल का पानी पीना पसंद करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुएं के पानी को ही बेहतर माना जाता है। ग्रामीण यह नहीं जानते कि वे पानी नहीं, बल्कि मीठे जहर का सेवन कर रहे हैं। ------ हरियाणा सरकार प्रदेश में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’के तहत गिरते भूजल और भूजल की जांच कराने के लिए विशेष अभियान चला रही है। सरकार का तो यह भी दावा है कि जल जीवन मिशन के 2024 तक के राष्ट्रीय लक्ष्य से पहले ही 2022 तक हरियाणा में सभी घरो तक जल कनेक्शन से पीने का शुद्ध पानी मुहैया हो जाएगा। राज्य में मिशन के तहत भिवानी, सोनीपत और चरखी दादरी जिलों को ‘हर घर जल’ का दर्जा मिलने के बाद 12 जिलों में इस मिशन का लक्ष्य पूरा हो चुका है। ऐसे नौ जिलों में अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, पानीपत और रोहतक शामिल हैं। बाकी 10 जिलों में से 6 जिलों में 98 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य पूरा हो चुका है। हरियाणा राज्य में 31.03 लाख ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से 26.93 लाख यानि 86.8 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को 31 मार्च 2021 तक नल से जल के कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। राज्य सरकार की वर्ष 2021-22 में राज्य में 4.09 लाख नल से जल के कनेक्शन प्रदान करने की योजना है। इसी योजना के तहत गिरते भूजल और भूजल की गुणवत्ता की जांच प्रणाली को लागू करने के लिए मोबाइल टीमों का गठन किया है। राज्य में सबसे बड़ी समस्या बचे हुए भूजल में घुले जहरील रसायन तत्व हैं, जिनके कारण लोगों को जलजनित गंभीर बीमारियों का खतरा बना हुआ है। वैसे तो सभी तत्व मानव के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, लेकिन फ्लोराइड और आर्सेनिक ऐसे रसायनिक तत्व हैं जो मानव को ही नहीं, पशुधन को भी बीमार बनाने में सक्षम हैं। --------------- फ्लोराड ने बिगाड़े ज्यादा हालात------------ केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर जलशक्ति मंत्रालय के पिछले दिनों जारी आंकड़ो पर गौर करें तो हरियाणा के 21 जिलों के भूजल में नाइट्रेट और 20 जिलों में फ्लोराइड, आयरन व लेड जैसे जहरीले तत्वों की सांद्रता निर्धारित मानकता से कहीं ज्यादा पाई गई है। इसके अलावा 15 जिलों के 43 प्रतिशत हिस्से के भूजल में आर्सेनिक जैसे विशाक्त तत्वों का मिश्रण भूजल में घुला हुआ है। प्रदेश के सात जिलों में कैडियम और एक जिले में क्रोमियम तत्व का मिश्रण पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ साल में दक्षिणी और पश्चिमी हरियाणा के 11 जिलों के अधिकांश इलाकों में भूजल का स्वाद विषैला है। यहां कस्बों गांवों के कुओं और नलकूपों का पानी फ्लोराइड, लौह तत्व या नाईट्रेट की अधिकता के कारण अनुपयोगी हो चुका है। हालात यहां तक बिगडे हैं कि कई जगह पानी खेती लायक नहीं बचा है। --------------------- इन जिलों में पीने लायक नहीं पानी---------------- रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा प्रभावित भिवानी, झज्जर, मेवात और सिरसा जिले में पानी को लेकर हालात खराब हैं। मसलन इन जिलों में कुओं और हैंड पंपों से लिए गए 70 प्रतिशत नमूने टेस्ट में फेल हुए हैं, जिसमें जहरीले तत्व रासायनिक पैरामीटर औसतन सीमा से अधिक मिले। सीजीडब्ल्यूबी की रिपोर्ट के अनुसार हालात इतने बद से बदतर हैं कि इन जिलों में भूजल केवल पीने के लिए बल्कि सिंचाई के लिए भी बेहतर नहीं है। भारतीय मानक ब्यूरो के मानक अनुसार पांच अन्य जिलों में फरीदाबाद, गुड़गांव , हिसार, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी में 30 से 50 प्रतिशत तक पानी की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। जबकि अंबाला, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, पलवल, पानीपत, पंचकुला, रोहतक, सोनीपत और यमुनानगर के भूजल में ही 50 प्रतिशत से अधिक सैंपल में जल की गुणवत्ता पीने लायक पायी गई है। ----------- किस जिले के भूजल में खुला कौन सा जहर------------- हरियाणा के अंबाला और पलवल जिले के भूजल में भी फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। यानि फिलहाल राज्य के 20 जिलों के भूजल में फ्लोराइड, 19 जिलों में नाईट्रेट, 15 जिलों में आर्सेनिक, 17 जिलों में लौह व शीशा तथा सात जिलों में कैडमियम जैसे जहरीले तत्वों की सांद्रता निर्धारित मानकता से कहीं ज्यादा पाई गई है। जिन जिलों के भूजल में फ्लोराइड जैसा जहर मिला है उनमें अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, महेन्द्रगढ़, पंचकूला, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर शामिल हैं। जबकि पलवल, फरीदाबाद व महेंद्रगढ़ को छोड़कर 14 जिलों में नाईट्रेट की मात्रा भी ज्यादा पायी गई है। जबकि 15 जिलों अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, झज्जर, जींद, करनाल, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, महेन्द्रगढ़ व पलवल के भूजल में आर्सेनिक की ज्यादा मात्रा पाई गई है। हरियाणा के 17 जिलों अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुडगांव, हिसार, झज्जर, जिंद, कैथल, करनाल, महेन्द्रगढ़, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर के भूजल में लोह शीशे जैसे तत्वों की मात्रा भी स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक बताई गई है। --------------------- मानव के स्वास्थ्य के लिये बड़ा खतरा-------- विशेषज्ञों के अनुसार भूजल में फ्लोराइड, नाइट्रेट, आर्सेनिक, आयरन, क्रोमियम, लेड, कैडमियम और लवणता अधिकतम निर्धारित मात्रा मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकानदायक है। फ्लोराइड ऐसा रसायन है जो हड्डियों और दांतों को कमजोर करता है और जोड़ों में दर्द के साथ थाइराइड की ग्रंथियों को क्षति पहुंचाता है। जबकि नाइट्रेट से मेथेमोग्लोबिनेमिया की स्थिति उत्पन्न होने से खून से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। आयरन की कमी से दिल, लीवर और पेनक्रियाज को नुकसान पहुंचता है। आयरन की मात्रा बढ़ने से मधुमेह होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आर्सेनिक की मात्रा का बढ़ना भी काफी खतरनाक होता है। आर्सेनिक की अधिक मात्रा से त्वचा रोग, आंखों के रोग, कैंसर, फेंफड़ों और किडनी से संबंधित आदि बीमारियों के होने का खतरा रहता है। इसी प्रकार क्रोमियम से पेट में अल्सर, कैंसर, किडनी और लीवर की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, तो लेड की मात्रा बढ़ने से दिमाग का विकास कम हो जाता है और तंत्रिका तंत्र कमजोर पड़ने लगता है। कैडमियम की अधिकता बढ़ने से लीवर का नुकसान पहुंचता है। गुर्दे खराब होने लगते हैं और शरीर में ऐंठन और खबराहट महसूस होने लगती है। लवणता बढ़ने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इसलिए देश में पानी जैसे जैसे पानी प्रदूषित हो रहा है, उसी के कारण ये बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। 19July-2021

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