शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

छत्तीसगढ़ के पांच व मध्य प्रदेश के 27 बांधों का भी होगा पुनरुद्धार

तकनीक के जरिए सुरक्षित होंगे देश के खस्ताहाल बांध केंद्र सरकार ने दूसरे और तीसरे चरण की परियोजना को दी मंजूरी सुधार के लिए 736 बांधों में पांच छत्तीसगढ़ व 27 मध्य प्रदेश के बांधों का भी होगा पुनरुद्धार ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। देश में अंग्रेजी हकूमत के खस्ता हाल में आए बांधों की सुरक्षा के लिए तकनीक के जरिए मोदी सरकार की कार्ययोजना में पहले चरण में सात राज्यों के 225 बांधों का पुनरूद्धार किया जा चुका है। सरकार ने अब दो चरणों में 10,211 करोड़ रुपये की लागत से 736 बांधों की मरम्मत और सुधार करने का बीड़ा उठाया है। इस सुधार परियोजना में शामिल बांधों में पांच छत्तीसगढ़ और 27 मध्य प्रदेश के बांध भी शामिल हैं। दरअसल केंद्रीय मंत्रिमंडल में देश में बांधों की सुरक्षा के लिए गुरुवार को वित्तीय सहायता प्राप्त बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना के दूसरे और तीसरे चरण की मंजूरी दी है। इस मंजूरी के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि इन दोनों चरणों के लिए शुरू होने वाली परियोजना में 19 राज्यों व तीन केंद्रीय एजेंसियों के 736 बांधों की सुरक्षा के लिए मरम्मत और सुधार किया जाएगा, जिसके लिए दस वर्षीय परियोजना के तहत 10,211 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। दो चरणों में कार्यान्वित इस परियोजना के लिए चार-चार वर्ष की अवधि तय की गई है, जिसके साथ दो-दो साल का ओवरलैप होगा। उन्होंने बताया कि देश में 5334 बड़े बाधों के साथ भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है और इसके अलावा देश में 411 बड़े बांध निर्माणधीन है। शेखावत ने कहा कि इसके अलावा देश में छोटे और मझौले बांधों की संख्या भी कई हजार है। सूत्रों के अनुसार देश में करीब 4900 विशाल बांधों में 80 फीसदी बांध 25 साल से भी ज्यादा पुराने होने के कारण उनसे बाढ़ और भूकंप जैसी आपदा के खतरे की आशंकाएं बनी रहती है। दरअसल पुराने बांधों का निर्माण बाढ़ और भूकम्प के कुछ तय मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है। इसलिए सरकार ने इन बांधों को सुरक्षा के लिहाज से मजबूत करने का फैसला किया है। इससे पहले वर्ष 2017 में शुरू की गई पहले चरण की परियोजना के तहत सात राज्यों झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड के 225 बांधों के पुनर्वास और सुधार का कार्य पूरा किया जा चुका है। धर्मा बताएगा बांधों की स्थिति केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र शेखावत ने देश में बांधों के रखरखावएवं बेहतर कार्यान्वयन की दा में इस परियोजना के तहत ‘डेम हेल्थ एंड रिहाबिलीटेशन मोनिटरिंग एप्लीकेशन’ यानि डीएचएआरएमए मससल धर्मा नाम का एक अतिविशिष्ट सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म यानि पोर्टल विकसित किया है। इस पोर्टल पर फिलहाल 1500 से भी ज्यादा बांधों के रखरखाव की स्थिति एवं अन्य बिंदुओं पर तकनीकी जानकारियां उपलब्ध है, जिनका विस्तार किया जा रहा है। इसका मकसद इन चयनित बांधों के स्वास्थ्य और सुरक्षा संबन्धी को दूर करके जलाशयों की कार्यविधि को आगे बढ़ाना है। वहीं बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य विभिन्न ठोस उपाय भी किये गये हैं। इन राज्यों में होगा बांधों का पुरुद्धार देश के बांधों की सुरक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना के दूसरे चरण में जिन 19 राज्यों व तीन केंद्रीय एजेंसियों के बांधों को शामिल किया गया है, उनमें छत्तीसगढ़ के पांच, मध्य प्रदेश के 27, पंजाब के 12, राजस्थान के 189, उत्तर प्रदेश के 39 और उत्तरखंड, गुजरात व मेघालय के 6-6 बांध शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा 189 बांध राजस्थान और 167 बांध महाराष्ट्र के शामिल हैं। जबकि आंध्र प्रदेश के 31, झारखंड के 35, कर्नाटक के 41, केरल के 28, ओडिशा के 36, तमिलनाडु के 59,, तेलंगाना के 29, पश्चिम बंगाल के नौ, मणिपुर व गोवा के 2-2 बांधों का चयन किया गया है। जबकि केंद्रीय एजेंसियों में दो भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड, पांच दामोदर घाटी निगम और केंद्रीय जल आयोग के बांधों को भी परियोजना का हिस्सा बनाया गया है। 30Oct-2020

अब देश में जूट के बैग में होगी खाद्यान्न की पैकेजिंग

केंद्र सरकार ने जूट उत्पादक किसानों के लिय किया बड़ा ऐलान जूट की खेती को प्रोत्साहन व किसानों को मिलेगा आर्थिक लाभ हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लक्ष्य को छूने की दिशा में जूट का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। देश में जूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए खाद्यान्न की शत प्रतिशत पैंकेजिंग के लिए जूट के बैग को अनिवार्य कर दिया गया है। इससे जहां जूट के उत्पादन में इजाफा होगा, वहीं किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिए गये महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि देश में खाद्यान्नों की शत प्रतिशत और चीनी की कम से कम 20 फीसदी पैकेजिंग जूट के बैग में करना अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से जूट की मांग बढ़ेगी और जूट की खेती को बढ़ावा मिलेगा। मसलन जूट का उत्पादन करने वाले किसानों को आर्थिक लाभ होगा और देश में जूट की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन जूट के बैगों की कीमत का फैसला समिति करेगी। उन्होंने बताया कि देश में जूट परियोजना, आईकेयर के अंतर्गत क्षेत्र की तीन एजेंसियां भारतीय पटसन निगम, राष्ट्रीय जूट बोर्ड और सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जूट एंड एलाइड फाइबर्स हैं, जो जूट की मात्रा और गुणवत्ता के समग्र सुधार के लिए आधुनिक कृषि-विज्ञान आधारित प्रथाओं को बढ़ावा दे रहीं हैं। हर साल 6500 करोड़ के जूट बैग की सरकारी खरीद केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले से जूट उत्पादन क्षेत्र में काम करने वाले देश के करीब 3.7 लाख कामगारों और लाखों किसानों को फायदा होगा। जावडेकर ने कहा कि देश में इस फैसले से खासकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में रहने वाले किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जूट उद्योग मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र पर ही निर्भर है, इसलिए जूट क्षेत्र पर निर्भर कामगारों एवं किसानों की आजीविका में आवश्यक सहयोग के लिए सरकारी क्षेत्र में हर साल खाद्यान्न की पैकिंग के लिए 6500 करोड़ रुपये से भी अधिक कीमत की जूट बोरियां खरीदी जाती हैं। गौरतलब है कि हाल में जूट को लेकर किए कई और ऐलान केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय बीज निगम और भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर किए। देश में कच्चे जूट के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इससे उत्पादों के मूल्य संवर्धन से प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। जावडेकर ने कहा कि इस वर्ष फरवरी में घोषित राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन में जूट और जूट वस्त्र उत्पादों के लिए एक विशेष प्रावधान है। जल निकायों के तटबंध (लाइनिंग) बनाने में, सड़क निर्माण में और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन रोकने के लिए संरचनाओं के निर्माण में जूट के उपयोग को बढ़ाने की अपार संभावना है। एथेनॉल की कीमतें बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट के एक और महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी देते हुए प्रकाश जावडेकर ने कहा कि जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा एथेनॉल की खरीद के लिए तंत्र को मंजूरी दी है। मसलन कैबिनेट ने पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए एथेनॉल की कीमतों में 5 से 8 फीसदी बढ़ोतरी की, जिसके तहत गन्ने व चीनी से बनने वाले एथेनॉल की कीमत अब 62.65 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है, जिसमें बी हैवी की कीमत 57.61 रुपये और सी हैवी की कीमत 45.69 प्रति लीटर होगी। इससे शुगर मिलों के को फायदा होगा तो गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करना आसान हो जाएगा। गौरतलब है कि 10 फीसदी एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता है। बांधों की सुरक्षा और रखरखाव की नई योजना कैबिनेट बैठक में बांधों की सुरक्षा और मेंटनेंस के लिए नई योजना को मंजूरी दी गई है। इन परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इस योजना के तहत मौजूदा बांधों को नई तकनीक के आधार पर तैयार किया जाएगा, जो बांध काफी पुराने हो गए हैं उनमें सुधार किया जाएगा और अन्य कामों को पूरा किया जाएगा। इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देशभर में चयनित 736 बांधों की सुरक्षा और परिचालन प्रदर्शन में सुधार के लिए बाहरी सहायता प्राप्त 'बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना' के दूसरे और तीसरे चरण को मंजूरी दी है। इस परियोजना पर कुल 10,211 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस परियोजना को अप्रैल 2021 से मार्च 2031 तक लागू किया जाएगा। 30Oct-2020

छत्तीसगढ़ के नरवा कार्यक्रम को मिलेगा ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’

केन्द्र ने प्रथम पुरस्कार के लिए बिलासपुर और सूरजपूर जिले का किया चयन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जल स्रोतों के पुनरोद्धार करने के मामलों में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और सूरजपुर जिले को पहले राष्ट्रीय जल पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन जिलों में छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले दो सालों में नदी व नालों के पुनरोद्धार के लिए नरवा कार्यक्रम के तहत बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जो दूसरो राज्यों के लिए भी मिसाल बनेगी। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के कार्यो की उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और सूरजपुर जिलों को वर्ष 2019 का ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ के लिये चयनित किया है। इन पुरस्कारों में बिलासपुर जिले को ‘ईस्ट अण्डर रिवाइवल ऑफ रिवर’ कैटेगरी में और सूरजपुर जिले को ‘ईस्ट अण्डर वाटर कन्जर्वेशन’ कैटेगरी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार दिया जाएगा। यह पुरस्कार नवंबर माह में आयोजित होने वाले एक विशेष कार्यक्रम के दौरान प्रदान किया जाएगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में नई सरकार के गठन के साथ ही छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी ‘नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी’ ऐला बचाना है संगवारी के विजन के साथ प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया जीवन प्रदान जो बीड़ा उठाया है। वह अब धरातल पर साकार होता दिखाई देने लगा है। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना का एक महत्वपूर्ण घटक नरवा कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी जिलों में बड़ी संख्या में नदी और नालों के संरक्षण और संवर्धन के कार्य किए जा रहे हैं। इससे पेयजल की उपलब्धता, सिंचाई साधनों का विकास, भू-जल के रिचार्ज के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया जीवन प्रदान हो रहा है। बिलासपुर जिले की उपलब्धि छत्तीसगढ़ में ‘नरवा कार्यक्रम’ के तहत बिलासपुर जिले में विभिन्न नदियों एवं नालों में 47 स्ट्रक्चर्स का निर्माण किया एवं 17.508 मिलियन घन मीटर जल भराव क्षमता का सृजन किया गया तथा 152 किलोमीटर लम्बाई तक नदियों एवं नालों में जलभराव सुनिश्चित किया गया। वहीं जिले में 49 लघु जलाशय योजनायें निर्माणाधीन हैं, जिनसे 48.53 मिलियन घन मीटर जल भराव क्षमता सृजित होगी। इससे 181 किलोमीटर लम्बी नदी एवं नालों में जल भराव होगा। बिलासपुर जिले में प्रवाहित होने वाली 13 मुख्य नदियों एवं नालों तथा स्थानीय नालों की कुल लम्बाई 2352.56 किलोमीटर है। इसमें जल संसाधन विभाग ने एक वृहद, एक मध्यम तथा 165 लघु जलाशय एवं 117 एनिकट का निर्माण किया गया है। कुल 1146.90 किलोमीटर नदी नालों का पुनरोद्धार जल संसाधन विभाग ने किया है। इन नदी-नालों में 284 स्ट्रक्चर निर्मित किये गये हैं, जिनमें से खारंग नदी में 13, शिवनाथ में 5, लीलागर में 13, अरपा में 17, सोन नदी में 12, मनियारी नदी में 8, घोंघा नाला में 12, गोकने नाला में 5, तुंगन नाला में 3, नर्मदा नाला में 3, चांपी नाला में 3, एलान नाला में 4, जेवस नाला में 5 और लोकल नालों में 181 लघु जलाशय और एनीकट का निर्माण किया गया है। सूरजपुर जिले में डबरी महाभियान इसी प्रकार राज्य के सूरजपुर जिले में जल संरक्षण और भूमिगत जल के स्तर को उठाने के लिए डबरी महाभियान कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें हितग्राही मूलक डबरी, कूप के अलावा छोटे-बड़े नालों का चिन्हांकन कर उन्हें पुर्नजीवित करने के गैवियन, लुज बोल्डर चेक डेम, व्रश वुड जैसे संरचना का निर्माण किया गया। डबरी महाभियान के तहत पिछले दो सालों में लगभग 7 हजार डबरी और 4200 कूप का निर्माण किया गया है। इसमें लगभग 18 हजार एकड़ भूमि सिंचित हुई और किसान साल भर में दो बार फसल लेने लगे है। इसके अलावा पिछले दो साल में छोटे-बड़े नालों का चिन्हांकन कर उन्हें पुर्नजीवित करने का कार्य शुरू किया गया। इसमें 29 अरदन डेम, 55 गैब्रियन, 57 स्टाप डेम, 10 अंडर ग्राउंड डायक, 4500 एलबीसीडी स्ट्रक्चर तथा 10 हजार कन्टूर ट्रेंच तथा 30 हेक्टेयर में सव गली प्लग जैसी संरचनाओं का निर्माण किया गया। जिससे करीब 12 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई क्षमता का विकास हुआ है एवं भूमिगत जल में वृद्धि हुई है। 29Oct-2020

निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल वाहनों के लिए तय हुए नए सुरक्षा मानक

केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन के बाद सुरक्षा मानकों की अधिसूचना जारी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में सड़क हादसों और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले वाहनों के लिए नए सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करके अधिसूचना जारी की है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रालय ने निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले वाहनों के लिए जरूरी सुरक्षा मानकों पर अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना का उद्देश्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के साथ वाहन चलाने और उसका निर्माण कार्य में इस्तेमाल करने वाले ऑपरेटर और सड़क पर चलने वाले दूसरे वाहनों को ज्यादा सुरक्षित माहौल प्रदान करना है। अधिसूचना के अनुसार ये नए सुरक्षा मानक चरणबद्ध तरीके से दो चरणों में लागू होंगे। ये सुरक्षा मानक पहले चरण के लिए अप्रैल 2021 और दूसरा चरण के लिए 2024 तक लागू किए जाएंगे। अभी निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाले उपकरण वाहनों को केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम-1989 के तहत सुरक्षा मानकों का पालन करना जरूरी है। मंत्रालय के अनुसार निर्माण के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले वाहन का प्रमुख रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इन वाहनों का इस्तेमाल करने वाले ऑपरेटर के साथ सड़कों पर चलने वाले दूसरे वाहनों की सुरक्षा नए मानकों के जरिए हो सकेगी। इसलिए नए सुरक्षा मानकों को लागू करने का प्रस्ताव किया गया है। मोटर अधिनियम में संशोधान के लिए नए मसौदे की अधिसूचना गत 13 अगस्त 2020 जारी करके मंत्रालय ने आम लोगों और हितधारकों की की राय मांगी थी। क्या हैं नए सुरक्षा मानक मंत्रालय के अनुसार नए मानकों का मकसद ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड (एआईएस)-160 को लागू करना है। इसके तहत कई अहम सुरक्षा मानक लागू किए गए हैं। मसलन विजुअल डिस्प्ले, ऑपरेटर के लिए स्टेशन और रख-रखाव क्षेत्र, गैर मैटेलिक ईंधन टंकी, न्यूनतम पहुंच का दायरा, वाहन पर ऊपर चढ़ने के लिए स्टेप, वैकल्पिक निकलने और बैठने का रास्ता, रख-रखाव वाले हिस्से, हैंडरेल, हैंडहोल्ड, गार्ड, मशीन आधारित आवाज करने वाला अलार्म, ऑर्टीकुलेटेड फ्रेम लॉक, लिफ्ट आर्म को सहयोग देने वाला उपकरण, ऑपरेटर सीट की लंबाई-चौड़ाई, इलेक्ट्रो मैगनेटिकक कॉम्पैटिबिलिटी (ईएमसी), सीट बेल्ट और सीट बेल्ट को जोड़ने वाले स्थान, रोल ओवर प्रोटेक्शन स्ट्रक्चर, टिप ओवर प्रोटेक्शन स्ट्रक्चर, फॉलिंग ऑब्जेक्ट प्रोटेक्शन स्ट्रक्चर, ऑपरेटर को कार्यक्षेत्र देखने की उचित व्यवस्था, ऑपरेटर सीट वाइब्रेशन आदि फीचर जोड़े गए हैं। ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी तय मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम संशोधित प्रावधानों में ऑपरेटर के कान के पास उत्सर्जित होने वाली ध्वनि का स्तर तय किया गया है। वहीं उसका स्तर मापने का भी उपकरण लगाया जाएगा। इसके तहत ब्रेक संबंधित मानकों के लिए सीएमवीआर 96-ए, स्टीयरिंग और घुमाव के लिए जरूरी क्षेत्र के मानकों के लिए 98-ए में संशोधन किया गया है। अभी तक 28 जुलाई 2000 को जारी अधिसूचना के मानक इस तरह के वाहनों पर लागू होते थे। परिवहन सचिव ने एससीओ देशों की बैठक में लिया हिस्सा भारत की परिवहन प्रणालियों में सुधार के अनुभव को किया साझा हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। रूस की अध्यक्षता में हुई शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ के सदस्य देशों के मंत्रियों की हुई वर्चुअल बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन सचिव गिरिधर अरामने ने हिस्सा लिया। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय में सचिव गिरिधर अरामने ने बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ के सदस्य देशों के मंत्रियों की 8वीं बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया। भारत की ओर से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अरामने ने बैठक में बोलते हुए कहा कि हमारे समाज के बीच सहयोग और विश्वास के लिए एससीओ देशों के साथ सम्पर्क की भारत की प्राथमिकता है। इस दौरान उन्होंने कुशल परिवहन प्रणालियों में भारत के अनुभव को भी साझा किया। उन्होंने सदस्य देशों के परिवहन मंत्रालयों और विभागों के स्तर पर समन्वित कार्रवाइयों की आवश्यकता के बारे में बात की, ताकि कोविड-19 महामारी जैसी आपातकालीन परिस्थितियों में स्थायी परिवहन संचालन सुनिश्चित किया जा सके और सीमा क्षेत्रों में आपातकालीन स्थितियों के प्रसार को रोका जा सके। 28Oct-2020

केंद्र ने त्रिपुरा को दी नौ सड़क परियोजनाओं की सौगात

केंद्रीय मंत्री ने किया 2752 करोड़ की सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने त्रिपुरा के बुनियादी विकास को बढ़ावा देने के लिए 2752.49 करोड़ रुपये की 262.34 किलोमीटर की कुल नौ राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की नींव रखी। यहां नई दिल्ली में मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए त्रिपुरा के आयोजित एक समारोह में केंद्रीय केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने केंद्रीय डोनर मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह के साथ नौ राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की नींव रखी। इन परियोजनाओं के तहत त्रिपुरा में 261.339 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जिनकी अनुमानित लागत 2752.49 करोड़ रुपये होगी। इन परियोजनाओं में ब्रिज, पुल एवं अन्य कई मार्गो की मरम्मत और चौडीकरण भी शामिल है। इन सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास करने के बाद वर्चुअल समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहाकि त्रिपुरा में पिछले छह वर्षों में करीब 300 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ा गया है। आज राज्य में 850 किलोमीटर से अधिक एनएच हैं। उन्होंने बताया कि त्रिपुरा में 8 हजार करोड़ रुपये की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। गडकरी ने कहा कि वर्ष 2015 से 2020 के बीच राज्य में भूमि अधिग्रहण लागत के लिए 365 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द राज्य में दो महत्वपूर्ण परियोजनाएं पूरी होने जा रही है, जिसमें 750 करोड़ रुपये की लागत वाले उदयपुर-अगरतला मार्ग के साथ 49 किलोमीटर 2-लेन अगले महीने पूरा हो रहा है। वहीं 129 करोड़ रुपये की लागत से भारत की तरफ सेब्रम और बांग्लादेश की तरफ से रामगढ़ के बीच 1.8 किलोमीटर लंबा फेनी ब्रिज इस साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इस पुल सामाजिक, आर्थिक और रक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सब्रम और चटगांव के बीच की दूरी 75 किलोमीटर है, जिसके कारण इस पुल से चटगाँव और कोलकाता बंदरगाहों से परिवहन और माल की ढुलाई में आसानी होगी। इस परियोजना में सब्बुम के पास एक एकीकृत चेक पोस्ट भी प्रस्तावित है। समारोह में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए केंद्रीय सड़क राज्यमंत्री वीके सिंह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के अलावा सांसदों, विधायकों और केंद्र तथा राज्य के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बांग्लादेश तक मिलेगी कनेक्टिविटी केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि इन सड़क परियोजनाएं पूरी होने पर अंतर-राज्यीय और बांग्लादेश तक तेज और परेशानी मुक्त संपर्क मिल सकेगा और राज्य के पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक प्रमुख प्रगति होगी। नई परियोजनाएं पूरे राज्य में विभिन्न पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक स्थानों और धार्मिक स्थलों को यातायात का बेहतर संपर्क, तेज और सुरक्षित आवाजाही प्रदान करेगी। इससे क्षेत्र के अकुशल, अर्ध-कुशल और कुशल श्रमशक्ति के लिए बड़ी संख्या में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने की संभावना है। परियोजनाओं से वाहनों की यात्रा के समय और रख-रखाव लागत और ईंधन की खपत में कमी आएगी। परियोजना के कार्यान्वयन से इलाके की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। ये कृषि वस्तुओं के परिवहन में सुधार करेंगे और अधिक से अधिक बाजारों तक पहुंच बनाएंगे, जिससे माल और सेवाओं की लागत कम होगी। ये स्वास्थ्य देखभाल और आपातकालीन सेवाओं के लिए आसान और त्वरित पहुंच भी बनाएंगे। वहीं इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद यह इस क्षेत्र के पर्यटन, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क के विकास में लंबी छलांग होगी। आखिरकार इससे त्रिपुरा राज्य की जीडीपी को गति मिलेगी। 28Oct-2020

आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक संघर्ष को तेज करें ब्रिक्स देश: बिरला

वैश्विक महामारी के कारण सतत विकास लक्ष्य एजेंडा-2030 को प्राप्त करना जरुरी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। ब्रिक्स देशों को मानवता के लिए खतरा बने आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक संघर्ष को तेज करने की आवश्यकता है। वहीं वैश्विक कोरोना महामारी के कारण सतत विकास लक्ष्य एजेंडा-2030 को हासिल करने के लिए गरीबी, भुखमरी और बीमारी से भेदभाव रहित प्रयास जारी रहने चाहिए। यह बात मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ब्रिक्स संसदीय फोरम की बैठक को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कही। यह बैठक ‘वैश्विक स्थिरता, जनसाधारण की सुरक्षा और प्रगतिशील विकास की दृष्टि से ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच भागीदारी:संसदीय आयाम’ विषय पर आयोजित की गई है। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों से मानवता के लिख खतरा बने आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक संघर्ष को तेज करने का आव्हान किया। उन्होने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते सांसद मूकदर्शक नहीं बने रह सकते और उन्हें आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद से जुड़ी सभी गतिविधियों के लिए मिलने वाली धनराशि पर तत्काल रोक लगाने पर बल दिया, जिसमें आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद के पनपने के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों से निपटने की जरुरत है। उन्होंने ब्रिक्स के सदस्य देशों की संसदों को आतंकवाद को समाप्त करने संबंधी संधियों और समझौतों के समर्थन में अपने सामूहिक संकल्प को बल प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग करने पर भी बल दिया। ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका की संसदों के पीठासीन अधिकारियों ने भी फोरम को सम्बोधित किया। गरीबी व भुखमरी से एकजुट मुकाबला जरुरी बिरला ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लाखों निर्दोष लोगों की दु:खद मृत्यु होने से पैदा हुई गंभीर आर्थिक चुनौतियां से निपटने और अस्त-व्यस्त हुए सामान्य जनजीवन को पटरी पर लान के लिए वैश्विक एकता और सहयोग की सबसे अधिक आवश्यकता पर बल दिया। बिरला ने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच आपसी मतभेद होने के बावजूद वैश्विक गरीबी, भुखमरी और बीमारी की परिस्थितियों में एक न्यायसंगत और भेदभाव-रहित प्रयास करने की जरुरत है। ब्रिक्स के सदस्य देशों को यह सुनिश्चित करना है कि इस वैश्विक महामारी के कारण सतत विकास लक्ष्य एजेंडा-2030 को प्राप्त करने के मार्ग में कोई संकट पैदा न हो और वे भुखमरी, गरीबी का पूरी तरह से उन्मूलन करने और एक समावेशी तथा न्यायसंगत विश्व की स्थापना करने के अपने उद्देश्य की दिशा में एकसाथ मिलकर कार्य करते रहें। कोरोना नीतियों को साझा किया इस मौके पर बिरला ने कोविड-19 के इस अप्रत्याशित संकट का सामना करने में भारत के अनुभवों और कार्यनीतियों को साझा करते हुए उल्लेख किया कि भारत सरकार समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने, कृषि और कृषि से जुड़े व्यवसायों, एमएसएमई और अन्य उद्योगों को फिर से खड़ा करने की चुनौतियों का सामना करने के लिए 260 बिलियन डॉलर का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज दे रही है। उन्होंने यह कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी योजनाएं निर्धन लोगों, किसानों, शहरी कामकाजी वर्ग तथा मध्यम वर्ग का सशक्तिकरण करने में काफी सहायक होंगी। उन्होंने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि इस वैश्विक महामारी के फैलने के शुरूआती दिनों में भारत ने तीन सुविधाओं अर्थात विशिष्ट पहचान संख्या (आधार), एक बैंक खाता तथा मोबाइल कनेक्शन के आधार पर तेजी से और सफलतापूर्वक समाज के कमजोर वर्गों को नकद धनराशि का अंतरण किया। बिरला ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे लोगों के लाभ हेतु ‘गरीब कल्याण रोजगार योजना’ नामक एक व्यापक रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास योजना भी लागू की है। 28Oct-2020

अब कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू-कश्मीर में खरीद सकता है जमीन

केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित आदेश किये जारी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। अब जम्मू-कश्मीर में कोई भी भारतीय नागरिक कृषि जमीन को छोड़कर घर, फैक्ट्री या दुकान के लिए जमीनों की खरीद-फरोख्त कर वहां बस भी सकता है। केंद्र सरकार ने सीमित विकल्पों के साथ जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए बहुप्रतीक्षित आदेश लागू करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के तहत देश के नागरिकों का वह इंतजार खत्म हो गया, जिसके लिए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद से ही इंतजार था। मसलन केंद्र सरकार ने मंगलवार शाम को एक अधिसूचना जारी करके जम्मू-कश्मीर में देश के किसी भी नागरिक को जमीन की खरीद-फरोख्त करने की अनुमति जारी कर दी है। मंत्रालय से जारी बहुप्रतीक्षित इन आदेशों के लिए जारी अधिसूचना में हालांकि जमीन खरीदने वालों के पास सीमित विकल्प होंगे। अधिसूचना के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में कृषि या खेतीबाड़ी के लिए जमीन की खरीद-फरोख्त पर अभी रोक जारी रहेगी, लेकिन घर, दुकान या फैक्ट्री आदि कारोबार के लिए कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकता है, जिसके लिए किसी को भी जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी का प्रमाण पत्र पेश करने की जरुरत नहीं होगी। गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि यह आदेश केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश-2020 के तहत जारी किया गया है। इस अधिसूचना के तहत जम्मू-कश्मीर में यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि साल 1897 के सामान्य आदेश अधिनियम इस आदेश की व्याख्या के लिए लागू होगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि यह भारत के पूरे क्षेत्र में लागू कानूनों की व्याख्या के लिए होगा। गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के साथ धारा 370 और 35ए को खत्म करके जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था, जो 31 अक्टूबर 2019 को अस्तित्व में आ गये थे। इसके बाद केंद्र सरकार चरणबद्ध तरीके से केंद्रीय कानूनों को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में लागू करती जा रही है। वहीं केंद्र सरकार ने अब जमीन के कानून में बदलाव करते हुए यह आदेश भी जारी कर दिया, जिसका देश के लोगों को जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद से ही इंतजार था। गौरतलब है कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 लागू होने के कारण सिर्फ उसी राज्य के मूल निवासी ही जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकते थे। मोदी सरकार की नई अधिसूचना के बाद अब जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोग भी यहां जमीन खरीद सकेंगे। 28Oct-2020

पाकिस्तान में बैठे भारत के 18 गुनाहगार आतंकी घोषित

मुंबई हमले से लेकर पठानकोट तक की आतंकी घटनाओं के भगोड़े भी शामिल 4-4 अंडरवर्ल्ड डी कंपनी व जैश-ए-मोहम्मद, पांच लश्कर-ए-तैयबा, तीन हिजबुल मुजाहिद्दीन तथा 2 इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने यूएपीए अधिनियम 1967(2019 में संशोधित) के प्रावधानों के तहत अठारह और व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित किया है। इनमें 1993 मुंबई सीरियल बम धमाकों, 26/11 मुंबई हमले, 2019 पुलवामा हमला, 2016 पठानकोट एयरफोर्स बेस अटैक, 1999 आईसी-814 इंडियन एयरलाइंस हाइजैकिंग, इंडियन मुजाहिद्दीन हमले और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल आतंकी हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए यूएपीए अधिनियम में संशोधन करके इस सख्त कानूनके तहत अब तक 31 लोगों को आतंकी घोषित किया जा चुका है। देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने या साजिश रचने वाले जिन 18 अपराधियों को आतंकवादी करार दिया है, उनमें 4-4 अंडरवर्ल्ड डी कंपनी व जैश-ए-मोहम्मद, पांच लश्कर-ए-तैयबा, तीन हिजबुल मुजाहिद्दीन तथा 2 इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी शामिल हैं। मंगलवार को घोषित आतंकियों की सूची में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के बहनोई, हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का खास साजिद मीर के अलावा डी-कंपनी के छोटा शकील व टाईगर मेमन और जावेद चिकना भी शामिल है। गृह मंत्रालय के अनुसार इन 18 आतंकियों में ज्यादातर पाकिस्तान में बैठकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। केंद्र सरकार ने 26/11 मुंबई हमले के आरोपी लश्कर-ए-तैयबा के यूसुफ मुजम्मिल, लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के बहनोई अब्दुर रहमान मक्की, 1999 में कंधार आईसी-814 विमान अपहरण के आरोपी युसूफ अजहर, अब्दुल रऊफ असगर, इब्राहिम अतहर, मुंबई बम विस्फोटों की साजिश रचने वाले टाइगर मेमन, छोटा शकील, हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन और इंडियन मुजाहिदीन के भटकल बंधुओं को भी आतंकवादी घोषित किया है। इनके अलावा जैश-ए-मोहम्मद का चीफ मौलाना मसूद अजहर का भाई अब्दुल रउफ असगर, आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक रियाज भटकल और उसका भाई इकबाल भटकल शामिल हैं। मंत्रालय के अनुसार इससे पहले पिछले साल सितंबर 2019 में मसूद अजहर, हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम और जकी-उर-रहमान लखवी को व्यक्तिगत आतंकी घोषित किया था, जबकि अमेरिका स्थित सिख फॉर जस्टिस के हेड गुरपतवंत सिंह समेत 9 खालिस्तानी आतंकियों को इसी साल जुलाई में आतंकी घोषित किया गया था। गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत इच्छाशक्ति वाले नेतृत्व में केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 को अगस्त 2019 में संशोधित किया था और इसमें किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया गया। इससे पहले केवल संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया जा सकता था। मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की प्रतिबद्धता के तहत आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए मोदी सरकार ऐसे लोगों को आतंकी घोषित करने की सख्त कार्रवाई कर रही है। 28Oct-2020

मध्य प्रदेश: जल जीवन मिशन में मिसाल बनेगा मझगुवां खुर्द!

दशकों पुराने दर्द की दवा साबित होगा कार्य योजना का तरीका ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। केंद्र सरकार के देशभर में सभी ग्रामीण घरों में पेयजल की आपूर्ति के लिए चल रहे जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले के बिजावर ब्लॉक में मझगुवां खुर्द के समुदाय ने जिस प्रकार कार्य योजना का प्रारुप अपनाया है। यह तौर तरीका गांव में खराब जलापूर्ति की वजह से महिलाओं की दशकों पुरानी कठिनाई और दर्द की दवा साबित होगा। दरअसल केंद्र सरकार के साल 2024 तक देशभर के ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के जरिए पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चलाए जा रहे जल शक्ति मंत्रालय के जरिए जल जीवन मिशन को स्वीकार करते हुए मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के मझगुवां खुर्द में ग्रामीण सुमदाय ने इसकी कार्य योजना का जो प्रारुप अपनाया है, वह जहां गांव में खासकर महिलाओं को पानी के लिए दशकों से जिस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है उसका समाधान तो होगा ही, वहीं इस गांव में मिशन के लिए बनाई गई अलग कार्य योजना अन्य ऐसे अनेक गांवों के लिए भी मिसाल से कम नहीं होगा। यही नहीं देश में जल आपूर्ति क्षेत्र के बेहतर कार्यान्वयन और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ाने वाली वाली पारदर्शिता को भी इस कार्य योजना में बढ़ावा मिलेगा। इसमें इस बात पर भी सहमति बनी है कि गांव का प्रत्येक व्यक्ति इस योजना के तहत विकसित किए गए जल स्रोतों का सम्मान करेगा और उसकी सुरक्षा करेगा। क्या है ग्राम कार्य योजना मंत्रालय ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत ग्राम कार्य योजना को ग्राम पंचायत में मौजूद जल स्रोतों, उपलब्ध हैंडपंपों और खराब पड़े नल कनेक्शनों के सर्वेक्षण के आधार पर बनाया गया है। इसमें ग्राम कार्य योजना में खराब नल कनेक्शनों को सूचीबद्ध किया गया है और सर्वे के आधार पर इन्हें दोबारा चालू करने के लिए धन आवंटित किया गया है। समुदाय ने एक साधारण ट्यूबवेल बनाने, एक पंप सेट लगाने, पानी की टंकी (ओवरहेड टैंक) की सुरक्षा के लिए चारों तरफ दीवार बनाने और एक बिजली कनेक्शन लेने का फैसला लिया है। लोक स्वास्थ्य एवं इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय समुदाय को सभी तकनीकी जानकारियां दी। ग्राम पंचायत सदस्यों को बताया गया कि जल जीवन मिशन के तहत 55 एपीसीटी पानी उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था की जाएगी। इस कार्य योजना में नीचे से ऊपर की ओर योजना निर्माण यानि बॉमट-अप प्लानिंग दृष्टिकोण, के साथ स्थानीय समुदायों और ग्राम पंचायतों का सशक्तिकरण और सामुदायिक सहयोग को सक्षम बनाने का प्रयास है, जो सामुदायिक भागीदारी जल जीवन मिशन का केंद्र बिंदु है। विभाग द्वारा 3 महीने के परीक्षण संचालन के बाद जल आपूर्ति ढांचे का प्रबंधन ग्राम पंचायत/ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को सौंप दिया जाएगा, जो ओ एंड एम के लिए जिम्मेदार होगी और समुदाय से ग्राम सभा द्वारा तय किए गए उपभोग शुल्क को एकत्रित करेगी। अपनी बैठक में ग्राम सभा ने एक प्रस्ताव पारित किया कि मझगुवां खुर्द के लोग जल जीवन मिशन के तहत बनाए गए बुनियादी ढांचे के नियोजन, कार्यान्वयन, संचालन और देखभाल की जिम्मेदारी लेंगे। 

क्या है गांव की दशा 
 मंत्रालय ने बताया कि मध्य प्रदेश के मझगुवां खुर्द में 1,652 लोगों की आबादी है, जिनका मुख्य पेशा कृषि है। यह गांव पानी की अपनी सभी तरह जरूरतों के लिए 100 फीसदी भूजल पर निर्भर है। पीने के पानी का स्रोत भूजल दिसंबर से फरवरी तक घटकर बहुत नीचे चला जाता है, क्योंकि इसका गेहूं की खेती के लिए बड़े पैमाने पर दोहन होता है। जून में प्रचंड गर्मी के दौरान भूजल स्तर अपनी सबसे निचले बिंदु पर पहुंच जाता है। यहां उपलब्ध भूजल के जरूरत से ज्यादा दोहन की वजह से मुश्किल समय में जल संकट पैदा हो जाता है। इस गांव में केवल 20 फीसदी घरों में ही पाइप पानी की आपूर्ति करने वाले कनेक्शन थे और गांव में पानी की जरूरत पूरी करने के लिए 8 हैंड पंपों का इस्तेमाल किया जाता है। मंत्रालय मानता है कि यह स्थानीय समुदायों के बीच स्वामित्व की भावना पैदा करने के साथ भरोसे का माहौल भी बनाता है। 
 इस योजना को भी अपनाया
मंत्रालय के अनुसार इससे पहले ग्रामीणों द्वारा अपशिष्ट जल प्रबंधन (ग्रे वाटर मैनेजमेंट) की भी योजना बनाई गई थी, क्योंकि यह समझा गया था कि हर घर में पहुंचने वाले कुल पानी का 60-70 फीसदी हिस्सा अपशिष्ट जल (ग्रे वाटर) में बदल जाएगा, जिसे अलग-अलग सोख्ता गड्ढों बनाकर प्रबंधित किया जा सकता है। जिन घरों में सोख्ता गड्ढे बनाने के लिए जगह नहीं थी, उनके लिए योजना के तहत सामुदायिक सोख्ता गड्ढे बनाने का प्रस्ताव किया गया था। इस ग्राम कार्य योजना में मवेशियों के लिए कुंड, सभी के लिए धुलाई की जगह और नहाने की जगह की जरूरत भी शामिल थी। 
  जम्मू-कश्मीर: जल्द मिलेगा हर स्कूल व आंगनवाड़ी केंद्रों में शुद्ध पानी जल जीवन मिशन दिसंबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य
 हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के तहत दो अक्टूबर से देशभर के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पेयजल की आपूर्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने जल्द ही इस लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। वहीं 2024 तक देशभर के सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के जरिए जलापूर्ति मुहैया कराने के लक्ष्य को जम्मू-कश्मीर में 2022 में ही पूरा करने की योजना है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और दिशा-निर्देश पर जल शक्ति मंत्रालय ने 2 अक्टूबर को देशभर के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 100-दिवसीय अभियान शुरू किया था। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इस तय अवधि के भीतर पूरा करने के लिए इस अभियान को तेजी से चलाया जा रहा है। वहीं जम्मू-कश्मीर में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की मध्यावधि आकलन के लिए जल शक्ति मंत्रालय की राष्ट्रीय जल जीवन मिशन टीम ने समीक्षा की है। इसके तहत जम्मू-कश्मीन ने केंद्र शासित प्रदेश में मिशन के कार्यान्वयन पर अपनी प्रगति प्रस्तुत की है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में जल जीवन मिशन को राष्ट्रीय लक्ष्य 2023-24 से पहले ही दिसंबर 2022 तक पूरा करने की योजना है। ऐसा करने से जम्मू-कश्मीर हर ग्रामीण घर को नल कनेक्शन प्रदान करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने में एक प्रमुख उदाहरण बन जाएगा। मिशन का 46 फीसदी काम पूरा जल जीवन मिशन की प्रगति रिपोर्ट के मुताबिक केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 18.17 लाख परिवार हैं, जिनमें से 8.38 लाख यानि 46 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पहले से ही नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए जा चुके हैं। इस वित्तीय वर्ष के लिए जेजेएम के तहत केंद्रीय हिस्से के रूप में केन्द्र शासित प्रदेश को 681.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। केन्द्र शासित प्रदेश भौतिक और वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त आवंटन के लिए पात्र है। जम्मू-कश्मीर ने 4,038 गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना (वीएपी) को अंतिम रूप दिया है। वीएपी में स्रोत को मजबूत करने, पानी की आपूर्ति, जल प्रबंधन तथा संचालन एवं रख-रखाव जैसे घटक शामिल हैं। स्रोत के सुदृढ़ीकरण, जल संचयन, जल संचयन, जल शोधन, जल उपचार और जल प्रबंधन इत्यादि के लिए निम्नतम स्तर अर्थात ग्राम व ग्राम पंचायत में अभिसरण योजना के लिए, महात्मा गांधी नरेगा से प्राप्त संसाधनों, पंचायती राज संस्थाओं के लिए 15वें वित्त आयोग से अनुदान, एसबीएम (जी), कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर), स्थानीय क्षेत्र विकास निधि आदि का विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया जा सकता है। 25Oct-2020

आईटीबीपी ने चीन सीमा विवाद के दौरान तोड़ा कई देशों के भ्रम

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के स्थापना दिवस पर बोले गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर चल रहे गतिरोध में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस यानि आईटीबीपी ने जिस साहस और शक्तिशाली सुरक्षा बल का परिचय दिया है, उससे आईटीबीपी ने कुछ देशों का यह भ्रम तोड़ दिया कि उनके पास शक्तिशाली सेना है। यह बात शनिवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने ग्रेटर नोएडा में आयोजित आईटीबीपी के 59वें स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए कही। स्थापना दिवस की अध्यक्षता करते हुए रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आईटीबीपी को पूर्ण रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ओर गृह मंत्री अमित शाह के प्रभावी नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने आईटीबीपी को अधिक सक्षम और आधुनिक बनाने के लिए कई महत्‍वपूर्ण कदम उठाए गये हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से लडाई हो या छत्तीसगढ़ में लेफ्ट विंग का संघर्ष अथवा लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध सभी जगह आईटीबीपी ने उत्कृष्टता के साथ साहसी प्रदर्शन किया है। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि पिछले महीनों में आईटीबीपी ने लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के साथ अपनी शक्तिशाली सेना का दम भरने वाले कई देशों का भ्रम तोड़ा है। रेड्डी ने कहा कि भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के दर्शन पर विश्वास रखता है और देश की संस्कृति हमें ‘शास्त्र और अस्त्र’ दोनों की पूजा करना यही सिखाती है कि शत्रु कभी भी और कहीं भी अपना सिर उठा सकता है, तो विषम परिस्थितियों के लिए हमें किसी भी अंदेशे का सामना के लिए तैयार रहना चाहिए और उसमें आईटीबीपी देश की उस तैयारी का एक अहम स्तंभ है। जो वर्ष 1962 में अपनी स्थापना के बाद से ही देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है। कितनी भी विषम परिस्थिति हो आइटीबीपी के जवान ऊंचे मनोबल से अपनी ड्यूटी का पालन करते हैं और भारत माता की सेवा में पूर्ण राष्‍ट्रभक्ति के साथ जमकर खड़े रहते हैं। गृह राज्‍य मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से लडाई हो या छत्तीसगढ़ में लेफ्ट विंग का संघर्ष सभी जगह आइटीबीपी ने उत्कृष्टता के साथ प्रदर्शन किया है। छत्तीसगढ़ में युवाओं को खेल से जोड़ना हो,आम जनता के लिए साफ पीने के पानी की व्यवस्था करना हो या दूर-दराज के इलाकों में मेडिकल कैंप लगाना सभी जगह आईटीबीपी के जवान बिना थके अपने मोर्चे पर ढटे रहे। जवानों ने कंधों पर उठाकर कई किलोमीटर तक मरीजों को मुश्किल रास्‍तों से चलते हुए अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाने का भी काम किया जो मानवता का प्रतिरूप है। यही नहीं कोविड-19 में आईटीबीपी के योगदान ने दुनिया को प्रभावित किया है। 47 बॉर्डर आउटपोस्ट की मंजूरी रेड्डी ने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा आईटीबीपी को 47 बॉर्डर आउटपोस्ट बनाने की मंजूरी दे दी गई है। जवानों को आवश्‍यक यूनीफार्म और मॉनिटरिंग इक्विपमेंट दिए गए है। एक वर्ष में 28 प्रकार के नए वाहनों की व्यवस्था की गई है। आईटीबीपी के लिए 7,223 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। साथ ही प्रबंधन के लिए 15 करोड़ से अधिक राशि मंजूर की गई है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की स्‍थापना 24 अक्टूबर 1962 को भारत-चीन सीमा पर चीनी आक्रमण के मद्देनजर की गई थी। आईटीबीपी को शुरू में सीमावर्ती आसूचना, अवैध घुसपैठ और तस्करी रोकने तथा एक गुरिल्‍ला बल के रूप में भारत-तिब्‍बत सीमा के साथ-साथ सुरक्षा स्‍थापित करने के लिए गठित किया गया था। प्रत्‍येक वर्ष इस दिन को आईटीबीपी कर्मियों का मनोबल बढ़ाने और इसकी वीरता तथा उपलब्धियों को याद करने के लिए बल के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। परेड की सलामी गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने आईटीबीपी के स्थापना दिवस पर आयोजित परेड की सलामी भी ली और देश की सेवा में बलिदान करने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह उन शहीदों के परिवाराजनों को विश्वास दिलाते हें कि पूरा देश और भारत सरकार सदैव उनके साथ है और आईटीबीपी के बलिदान और वीरता के लिए राष्ट्र हमेशा उनपर गर्व करेगा और उनका ऋणी रहेगा। उन्होंने बताया कि आईटीबीपी कर्मियों को छह राष्‍ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवाओं के लिए 23 पुलिस पदक प्रदान किए। इस मौके पर इससे पहले आइटीबीपी के महानिदेशक सुरजीत सिंह देशवाल ने जी किशन रेड्डी को आइटीबीपी के वर्तमान दायित्वों के बारे में जानकारी दी। देशवाल ने बताया कि गृह मंत्रालय के नेतृत्व में आईटीबीपी के मॉर्डनाइजेशन के लिए लगातार कोशिश की जा रही है जिसमें जवानों को आधुनिक गाड़ियां, जैकेट, हेलमेट आदि की खरीद शामिल है। इसके साथ ही राइफल को भी अपग्रेड किया गया है, सीमा पर बेहतर कम्युनिकेशन के लिए इक्विपमेंट भी लगाए गए हैं। 25Oct-2020

नए संसद भवन में बनेगा विशेष ‘संविधान कक्ष’

सांसदों की सुविधाओं से लैस होंगे अलग-अलग कार्यालय निगरानी समिति करेगी नए भवन के निर्माण कार्य की निगरानी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। नए संसद भवन के निर्माण में तेजी लाने की दिशा में एक निगरानी समिति का गठन करने का फैसला किया गया है। इस नए भवन में सभी अत्याधुनिक और सांसदों की सुविधाओं को फोकस किया गया है। वहीं खास बात यह होगी कि भारत लोकतांत्रिक विरासत को परोसने लिए इस नए भवन में एक विशेष ‘संविधान कक्ष’ का निर्माण भी किया जा रहा है। दरअसल शुक्रवार को संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने नए संसद भवन के निर्माण के संबंध में केन्द्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और संबन्धित विभागों व एजेंसियों के अधिकारियों क साथ एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक में बिरला को नए भवन के निर्माण के लिए प्रस्तावित क्षेत्र से मौजूदा सुविधाओं और अन्य संरचनाओं को स्थानांतरित किए जाने के संबंध में की गई प्रगति की जानकारी दी गई। इस क्षेत्र के आसपास घेरा बनाने और निर्माण प्रक्रिया के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण के लिए किए जाने वाले विभिन्न उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बिरला को यह भी बताया कि नए भवन के निर्माण की अवधि के दौरान और विशेषकर संसद सत्र के दौरान अति विशिष्ट व्यक्ति और स्टाफ के आने-जाने की व्यवस्था कैसी होगी। मौजूदा संसद भवन में संसदीय समारोहों के आयोजन के लिए अधिक उपयोगी स्थान की व्यवस्था के लिए इसे उपयुक्त सुविधाओं से लैस किया जाएगा, ताकि नए भवन के साथ ही इस भवन का उपयोग भी सुनिश्चित हो सके। बैठक में यह भी जानकारी दी गइर कि संसद के इस नए भवन के निर्माण का कार्य दिसंबर 2020 में शुरू होगा, जिसके अक्टूबर 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है। बैठक में लोकसभा की महासचिव श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव,लोक सभा सचिवालय में सचिव उत्पल कुमार सिंह,आवासन और शहरी सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा,लोक सभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी के अलावा आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, केलोनिवि और अन्य संबंधित एजेंसियों के अधिकारी भी शामिल हुए। जल्द गठित होगी निगरानी समिति नए संसद भवन की इस परियोजना को समय से पूरा किया जा सके। इसके लिए बैठक में लोकसभा अध्यक्ष बिरला के निर्देश पर फैसला किया गया है कि निर्माण कार्य की निगरानी के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जाएगा, जो निर्माण की गति को तेज रखने के साथ गुणवत्ता और अन्य संबन्धित पहलुओं की निगरानी करेगी। इस निगरानी समिति में अन्य व्यक्तियों के साथ-साथ लोक सभा सचिवालय, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, के लोक निर्माण विभाग, नई दिल्ली नगर पालिका के अधिकारी और परियोजना के आर्किटेक्ट व डिजाइनर भी शामिल होंगे। निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा करते हुए बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि संबंधित विभिन्न एजेंसियां नियमित आपस में तालमेल रखते हुए विभिन्न मुद्दों का समाधान करें। वहीं उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिये कि निर्माण कार्य को समय से पूरा करने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। कैसा होगा नया संसद भवन नए भवन में संसद सदस्यों के लिए अलग कार्यालय होंगे। सदस्यों के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली अन्य सुविधाओं में कक्षों में प्रत्येक संसद सदस्य की सीट अधिक आरामदेह होगी और उसमें डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध होंगी जो पेपरलेस कार्यालय की दिशा में एक अग्रणी कदम होगा। लोकसभा और राज्यसभा कक्षों के अलावा नए भवन में एक भव्य संविधान कक्ष होगा, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत दर्शाने के लिए अन्य वस्तुओं के साथ-साथ संविधान की मूल प्रति, डिजिटल डिस्पले आदि होंगे। इस बैठक के दौरान यह जानकारी दी गई कि आगंतुकों को इस हाल में जाने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वे संसदीय लोकतंत्र के रूप में भारत की यात्रा के बारे में जान सकें। नए भवन में संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, लाइब्रेरी, छह समिति कक्ष और डाइनिंग (भोजन) कक्ष भी होंगे। 24Oct-2020

अरुणाचल प्रदेश में ईएसआई योजना का विस्तार

लक्षद्वीप को छोड़ सभी राज्यों के 568 जिलों में लागू है ईएसआई योजना हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में श्रमिकों और कर्मचारियों के हित में लाभकारी योजनाओं को चीन से सटे अरुणाचल प्रदेश तक विस्तार कर दिया है। मसलन अब पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश में पहली बार कर्मचारी राज्य बीमा यानि ईएसआई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत ईटानगर में खोले गये नए औषधालय सह शाखा कार्यालय के जरिए चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था की जा रही है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि ईएसआई योजना के तहत अधिक श्रमिकों को कवर करने के अपने निरंतर प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने अब पहली बार अरुणाचल प्रदेश के लिए कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना शुरू करने के लिए राज्य के पापुम पारे जिले को अधिसूचित करने हेतु एक अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के पापुम पारे जिले में स्थित सभी कारखाने जिसमें 10 या अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं, वो ईएसआई अधिनियम-1948 के तहत कवरेज के लिए पात्र होंगे। ईएसआई योजना के तहत ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा वेबसाइट www.esic.in पर और केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के श्रम सुविधा पोर्टल पर उपलब्ध है। ईएसआई अधिनियम के तहत पंजीकरण के लिए कोई फिजिकल दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं है। इन कारखानों में काम करने वाले 21 हजार रुपये प्रति माह के अलावा विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए 25 हजार रुपये प्रति माह कमाने वाले कर्मचारी ईएसआई योजना के लिए पात्र होंगे। इस योजना के दायरे में आने वाले कर्मचारी और उनके आश्रित, कैशलेस मेडिकल केयर सर्विसेज, बीमारी लाभ, मातृत्व लाभ, चोट लगने के कारण मौत के मामले में रोजगार चोट लाभ और आश्रित लाभ बेरोजगारी लाभ आदि के पात्र बन जाएंगे। ईटानगर में एक नए खुले औषधालय सह शाखा कार्यालय (डीसीबीओ) के माध्यम से चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था की जा रही है। क्या है ईएसआई योजना मंत्रालय के अनुसार कर्मचारी राज्य बीमा निगम एक अग्रणी सामाजिक सुरक्षा संगठन है जो नौकरी के दौरान चोट, बीमारी, मृत्यु आदि की आवश्यकता के समय उचित चिकित्सा देखभाल और नकद लाभ की व्यापक सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करती है। यह कामगारों के करीब 3.49 करोड़ परिवार इकाइयों को कवर और अपने 13.56 करोड़ लाभार्थियों को अतुलनीय नकद लाभ और उचित चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रही है। आज इसके बुनियादी ढांचे में मोबाइल डिस्पेंसरी सहित 1520 डिस्पेंसरी, 307 आईएसएम यूनिट, 159 ईएसआई अस्पताल, 793 शाखा, पे-कार्यालय, 64 क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय कार्यालयों की कई क्षेत्रों में वृद्धि हुई है। ईएसआई योजना आज लक्षद्वीप को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 568 जिलों में लागू है। विभिन्न लाभों के अलावा ईएसआई योजना के तहत आने वाले कर्मचारी बेरोजगारी भत्ते के भी हकदार हैं। अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना (एबीवीकेवाई) और राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना (आरजीएसकेवाई) नामक दो बेरोजगारी भत्ता योजनाएं हैं। 24Oct-2020

अब यात्रियों का सामान उनके घर से ट्रेन में पहुंचाएगा रेलवे!

भारतीय रेलवे ने पहली बार शुरू की ऐप आधारित बैग्स ऑन व्हील्स सेवा सामान को घर से ट्रेन और ट्रेन से घर तक पहुंचाने के लिए करना होगा आवेदन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। भारतीय रेलवे यात्रियों की बेहतर सुविधाओं के लिए लगातार नए उपायों को अपनाकर रेलवे के राजस्व में इजाफा करने की कवायद में जुटा है। रेलवे भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार ऐप आधारित बैग्स ऑन व्हील्स सेवा की शुरूआत की है। मसलन ट्रेनों में यात्रा करने वाले को खाली हाथ रेलवे स्टेशन और रेलवे स्टेशन से घर पहुंचना होगा। बैग्स या सामान को लाने-ले जाने की जिम्मेदारी रेलवे संभालेगा। भारतीय रेल पहली बार बैग्स ऑन व्हील्स सेवा की शुरुआत करके यात्रियों को सुविधाएं देकर अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए नई तकनीकियों का इस्तेमाल कर रहा है। रेल यात्रियों के लिए इस ऐप आधारित बैग्स ऑन व्हील्स सेवा की शुरूआत गुरुवार को उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने की है। उत्तर एवं उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि रेलवे नित नए उपायों से राजस्व को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इसी दिशा में एक नया कदम बढ़ाते हुए दिल्ली मंडल ने हाल ही में गैर-किराया-राजस्व अर्जन योजना (एनआईएनएफआरआईएस) के अंतर्गत ऐप आधारित बैग्स ऑन व्हील्स सेवा के लिए ठेका प्रदान करके मील का पत्थर स्थापित किया है, जो भारतीय रेलवे में रेलयात्रियों के लिए इस प्रकार की यह अपनी तरह की पहली अनूठी सेवा है। रेल यात्रियों के आवेदन पर इस सेवा के तहत रेलवे उनके सामान को घर से रेलवे स्टेशन में ट्रेन के संबन्धित आरक्षित कोच तक पहुंचाएगा और इसी प्रकार ट्रेन से उनके घर तक पहुंचाएगा। यानि यात्रियों को ट्रेन का सफर करने के लिए खाली हाथ ही घर से स्टेशन और स्टेशन से घर पहुंचने की सुविधा इस नई रेलवे सेवा में दी जा रही है। ऐसे मिलेगी यात्रियों को सेवा उत्तर रेलवे के अनुसार बीओडब्ल्यू ऐप एंड्रॉयड और आई फोन उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगा, जिसके द्वारा रेलयात्री अपने सामान को अपने घर से रेलवे स्टेशन तक लाने अथवा रेलवे स्टेशन से घर तक पहुँचाने के लिए आवेदन करेंगे। यात्री का सामान सुरक्षित तरीके से लेकर रेलयात्री के बुकिंग विवरण के अनुसार उसके कोच और घर तक पहुँचाने का कार्य ठेकेदार द्वारा किया जायेगा। रेलवे के अनुसार रेल यात्रियों को नाम मात्र के शुल्क पर सामान की डोर-टू-डोर सेवा फर्म द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी और यात्री के घर से उसका सामान रेलगाड़ी में उसके कोच तक अथवा उसके कोच से उसके घर तक सुगमता से पहुँचाया जायेगा। यह सेवा रेलयात्रियों विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग जनों और अकेले यात्रा कर रही महिला यात्रियों के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी। रेलवे को मिलेगा राजस्व इस सेवा की खास खूबी यह है कि सामान की सुपुर्दगी रेलगाड़ी के प्रस्थान से पहले सुनिश्चित की जायेगी। इसके फलस्वरूप यात्री कोच तक सामान लाने/ले जाने की परेशानी से मुक्त हो एक अलग ही प्रकार की यात्रा का अनुभव करेंगें। शुरूआत में यह सेवा नई दिल्ली, दिल्ली जं., हज़रत निजामुद्दीन, दिल्ली छावनी, दिल्ली सराय रौहिल्ला, ग़ाज़ियाबाद और गुडगांव रेलवे स्टेशनों से चढ़ने वाले रेलयात्रियों के लिए उपलब्ध होगी। इस सेवा से न केवल यात्री लाभान्वित होंगे बल्कि रेलवे को भी सालाना 50 लाख रुपये के गैर किराया राजस्व की प्राप्ति के साथ ही साथ में एक वर्ष की अवधि के लिए 10 फीसदी की हिस्सेदारी भी प्राप्त होगी। भारतीय रेलवे के यात्रियों ने अब तक पैलेस ऑन व्हील्स सेवा का आनंद उठाया है, अब वे बैग्स ऑन व्हील्स सेवा का भी आनन्द ले सकेंगे। 23Oct-2020

रेलकर्मियों को पीएलबी भुगतान से पड़ेगा 2081.68 करोड़ का बोझ

रेलवे के 11.58 लाख अराजपत्रित कर्मचारियों को मिलेगा दीवाली बोनस का लाभ
हरिभूमि ब्यूरो
.नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के 78 दिनों के वेतन के बराबर उत्पादकता से जुड़े बोनस यानि पीएलबी के भुगतान के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जिसमें रेलवे अनुमानित 2081.68 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ उठाकर करीब 11.58 लाख अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों को दीवाली के इस बोनस का भुगतान करेगा। रेल मंत्रालय के अनुसार एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में रेल मंत्रालय के सभी पात्र अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों के लिए वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए 78 दिनों के वेतन के बराबर उत्पादकता से जुड़े बोनस (पीएलबी) के भुगतान के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। रेलवे बोर्ड ने इस फैसले के बाद गुरुवार को कहा कि रेलवे कर्मचारियों को 78 दिनों के पीएलबी के भुगतान के रूप में 2081.68 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इन रेलवे कर्मचारियों में रेलवे सुरक्षा बल यानि आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मचारी शामिल नहीं हैं। रेलवे के अनुसार जिन पात्र अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान किया जाना है, उनके वेतन की सीमा प्रतिमाह 7,000 रुपये तय की गई। पात्र रेलवे कर्मचारी को देय अधिकतम राशि 78 दिनों के लिए 17,951 रुपये है। इस प्रकार ऐसे लगभग 11.58 लाख अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों को फैसले से लाभ होने की संभावना है। रेलवे की ओर से यह उत्पादकता से जुड़ा बोनस आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को छोड़कर पूरे देश में फैले सभी अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों को दिया जाएगा। पात्र रेलवे कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान प्रत्येक वर्ष दशहरा/पूजा की छुट्टियों से पहले किया जाता है। मंत्रिमंडल के निर्णय को इस वर्ष की छुट्टियां शुरू होने से पहले ही लागू किया जाएगा। उम्‍मीद है कि इससे कर्मचारियों को रेलवे के प्रदर्शन में सुधार करने की प्रेरणा मिलेगी। रेलवे ने कहा कि इस फैसले से रेलवे के प्रदर्शन में सुधार की दिशा में काम करने के लिए कर्मचारियों को प्रेरित करने की उम्मीद है। बोनस के हकदार हैं रेलकर्मी रेलवे ने माना है कि इस बोनस भुगतान के लिए रेलवे कर्मचारी पूरी तरह से हकदार हैं, हालांकि यह भुगतान पिछले साल के प्रदर्शन यानी 2019-20 के लिए किया जा रहा है, लेकिन इस साल भी कोविड की अवधि के दौरान रेलवे कर्मचारियों ने श्रमिक स्‍पेशल गाडि़यां चलाने, आवश्यक वस्तुओं,जिसमें खाद्यान्न, उर्वरक, कोयला आदि शामिल हैं, को लाने-ले जाने के लिए और लॉकडाउन अवधि के दौरान 200 से अधिक महत्वपूर्ण रखरखाव परियोजनाओं को पूरा करने के लिएबहुत मेहनत की जो रेलवे परिचालन में सुरक्षा और सर्वांगीण दक्षता को बढ़ावा देगा। माल भाड़े के मामले में भी कोविड लॉकडाउन काल के बाद प्रमुख सुधार हुआ है। पिछले साल की तुलना में माल ढुलाई की गति अब लगभग दोगुनी हो गई है। पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अक्टूबर 2020 की इसी अवधि में माल लदान में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। --------------- आंदोलन के दबाव में स्वीकारा बोनस रेलकर्मचारियों के लिए मंजूर किये गये पीएलबी भुगतान को लेकर एनएफआईआर के प्रेस सचिव एस.एन. मलिक ने दावा किया है कि केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों को 78 दिन का बोनस नेशनल फैडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के दबाव में यह निर्णय लिया है। यह बात रेलवे ने भी स्वीकार की है कि कोरोना संकट के कारण इस बोनस के भुगतान में देरी के विरोध में बीते 20 अक्टूबर मंगलवार को रेलवे कर्मचारियों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया था। यह विरोध प्रदर्शन एनएफआईआर के महामंत्री डा. एम. राघवैया के आव्हान पर सभी यूनियनों भारतीय रेलवे के प्रत्येक जोन में रैलियां आयोजित करके किया। इसके अगले दिन ही केंद्र सरकार ने रेलकर्मियों को 78 दिन के पीएलबी भुगतान के बोनस का ऐलान कर दिया। इस निर्णय की जानकारी एनएफआईआर के महामंत्री को खुद रेल मत्री पियूष गोयल ने देते हुए बधाई भी दी। 23Oct-2020

भारत में आठ माह बाद फिर आ सकेंगे विदेशी नागरिक

केंद्र सरकार ने वीजा और यात्रा प्रतिबंधों में दी श्रेणीबद्ध छूट हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। वैश्विक कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट के बीच फरवरी में प्रतिबंधित की गई अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की गतिविधियों को आठ माह बाद शुरू करने के निर्णय के तहत केंद्र सरकार ने वीजा और यात्रा प्रतिबंधों में श्रेणीबद्ध छूट दी है। इस निर्णय के तहत एक बार फिर से कुछ चुनिंदा विदेशी और भारतीय नागरिकों को भारत की यात्रा करने की अनुमति होगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर भारत सरकार ने फरवरी 2020 में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की आने और जाने गतिविधि को रोकने के लिए कई कदम उठाए थे। केंद्र सरकार ने अब भारत आने या जाने के इच्छुक विदेशी नागरिक (ओसीआई) और भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) को अधिक श्रेणियों के लिए वीजा और यात्रा प्रतिबंधों में क्रमिक छूट देने का निर्णय लिया है। मसलन भारत के विदेशी नागरिक (ओसीआई) और भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) कार्ड रखने वाले सभी व्यक्तियों समेत सभी विदेशी नागरिक अब किसी भी उद्देश्य से भारत की यात्रा कर सकते हैं। इस कारण से अधिकृत हवाई अड्डों और बंदरगाह के आव्रजन चेक पोस्ट के माध्यम से हवाई या पानी के मार्गों से प्रवेश करने के लिए एक पर्यटक वीजा को छोड़कर सभी ओसीआई और पीआईओ कार्ड धारकों और अन्य सभी विदेशी नागरिकों को किसी भी उद्देश्य के लिए भारत आने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। जबकि इलेक्ट्रॉनिक वीजा, टूरिस्ट वीजा और मेडिकल वीजा धारक किसी भी यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर अभी प्रतिबंध जारी रहेगा। कोरोना दिशानिर्देशों का पालन अनिवार्य इसमें वंदे भारत मिशन, एयर ट्रांसपोर्ट बबल की व्यवस्था के तहत या नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अनुमति के अनुसार किसी भी गैर अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों द्वारा संचालित उड़ानें शामिल हैं। हालांकि ऐसे सभी यात्रियों को क्वारन्टीन और अन्य स्वास्थ्य अथवा कोविड-19 मामलों के बारे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। इस श्रेणीबद्ध छूट के तहत भारत सरकार ने सभी मौजूदा वीजा को तत्काल प्रभाव से बहाल करने का फैसले के तहत यदि ऐसे वीजा की वैधता समाप्त हो गई है, तो उपयुक्त श्रेणियों के नए वीजा संबंधित भारतीय मिशन या डाक से प्राप्त किए जा सकते हैं। चिकित्सा उपचार के लिए भारत आने के इच्छुक विदेशी नागरिक अपने मेडिकल परिचारकों के लिए मेडिकल वीजा सहित आवेदन कर सकते हैं। इसलिए इस निर्णय से विदेशी नागरिक विभिन्न उद्देश्यों जैसे व्यवसाय, सम्मेलन, रोजगार, अध्ययन, अनुसंधान, चिकित्सा आदि के लिए भारत आने में सक्षम हो सकेंगे। 23Oct-2020

देश के 30.67 लाख कर्मचारियों को दीवाली बोनस का तोहफा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी उत्पादकता से जुड़े बोनस भुगतान को मंजूरी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उत्पादकता से जुड़े बोनस भुगतान करने को अपनी मंजूरी दी है। इस मंजूरी से 30.67 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और सरकारी खजाने पर 3737 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने साल 2019-2020 के लिए उत्पादकता से जुड़े बोनस भुगतान करने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। दीवाली बोनस की घोषणा से 30.67 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और कुल वित्तीय भार 3,737 करोड़ रुपया होगा। वहीं इस निर्णय से रेलवे, डाक, रक्षा, ईपीएफओ, ईएसआईसी, इत्यादि जैसे व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के 16.97 लाख अराजपत्रित कर्मचारी लाभान्वित होंगे और वित्तीय भार 2,791 करोड़ रुपया होगा। इसी प्रकार गैर-पीएलबी या एडहॉक बोनस 13.70 लाख अराजपत्रित केन्द्रीय कर्मचारियों को भी दिया जाएगा। इसके लिए सरकार 946 करोड़ रुपये का खर्च वहन करेगी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हुए इन फैसलों की जानकारी बुधवार को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में देते हुए बताया कि पिछले साल अराजपत्रित कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन के लिए बोनस का भुगतान आमतौर पर दुर्गा पूजा या दशहरा के पर्व से पहले कर दिया जाता था। सरकार अपने अराजपत्रित कर्मचारियों के लिए उत्पादकता से जुड़े बोनस (पीएलबी) और एडहॉक बोनस के तत्काल भुगतान की घोषणा कर रही है। ----------------------------------------------- जम्मू एवं कश्मीर में सेब की खरीद के लिए स्कीम का विस्तार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सत्र यानी 2019-20 में जिस तरह से जम्मू कश्मीर में नियम और शर्तों का पालन किया गया था, उसी तरह वर्तमान सत्र यानी 2020-21 में भी जम्मू एवं कश्मीर में सेब खरीद के लिए मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के विस्तार को मंजूरी दे दी है। सेब की खरीद केंद्रीय खरीद एजेंसी यानी राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड) द्वारा राज्य नामित एजेंसी योजना और विपणन निदेशालय, बागवानी और जम्मू और कश्मीर बागवानी प्रसंस्करण और विपणन निगम (जेकेएचपीएमसी) के माध्यम से जम्मू एवं कश्मीर के सेब किसानों से सीधे की जाएगी और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से भुगतान किया जाएगा। इस योजना के तहत 12 लाख मीट्रिक टन सेब खरीदे जा सकते हैं। सरकार ने नैफेड को इस अभियान के लिए 2,500 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी उपयोग करने की भी अनुमति दी है। इस अभियान में अगर कोई नुकसान होता है तो उसे 50:50 के आधार पर केंद्र सरकार और जम्मू एवं कश्मीर के केन्द्र शासित प्रदेश प्रशासन के बीच साझा किया जाएगा। पिछले सत्र में गठित नामित मूल्य समिति को इस सीजन के लिए भी सेब के विभिन्न प्रकार और सेब के ग्रेड की कीमत निर्धारण के लिए जारी रखा जाएगा। जम्मू कश्मीर का केन्द्र शासित प्रशासन निर्दिष्ट मंडियों में मूलभूत सुविधाओं का प्रावधान सुनिश्चित करेगा। खरीद प्रक्रिया के सुचारू और निरंतर कार्यान्वयन की निगरानी केंद्रीय स्तर पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित निगरानी समिति द्वारा की जाएगी और केन्द्र शासित स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्यान्वयन और समन्वय समिति का गठन किया जाएगा। ---------------- जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम को मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम-1989 को लागू करने की दी गई मंजूरी की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इससे देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के तीनों स्तरों को स्थापित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि लोग अब चुनाव से अपने प्रतिनिधि चुन सकेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद भारत के कई जन कल्याण के कानून वहां लागू होना शुरू हो गए हैं। पिछले सप्ताह ही त्रिस्तरीय पंचायत समिति का कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो गया। यही तो कश्मीर पर अन्याय था। जन कल्याण के अनेक कानून भारत में होकर भी लागू नहीं होते थे, लेकिन आज उस निर्णय पर मुहर लग गई है। उन्होंने कहा कि यह कानून लागू होने से केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होगी। लोगों के हाथ में सत्ता आएगी। कश्मीर का एक दुख था कि सत्ता लोगों के पास नहीं चंद लोगों के पास थी। अब वह आम जनता के पास आ गई है। यह बहुत बड़ा बदलाव है। जावड़ेकर ने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर के लोग इस बदलाव का स्वागत करेंगे। 22Oct-2020

एससी/एसटी बहुल गांवों में एक साल पहले नल कनेक्शन देने का लक्ष्य

सिक्किम के सभी ग्रामीणों को 2021-22 तक मिलेगा पानी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 2024 तक नल कनेक्शन के जरिए पीने का शुद्ध जल मुहैया कराने के मकसद से केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम ‘जल जीवन मिशन’ के तहत सार्वभौमिक कवरेज के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का आकलन किया जा रहा है। इस मिशन के तहत पूर्वोत्तर के सिक्किम राज्य ने इस मिशन को वर्ष 2021-22 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बुधवार को राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की मध्यावधि प्रगति का आकलन करने की प्रक्रिया के तहत हुई एक बैठक में सिक्किम ने मंत्रालय के सामने राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की अपनी मध्यावधि प्रगति की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के मुताबिक सिक्किम राज्य ने वर्ष 2021-22 तक सभी घरों में शत-प्रतिशत नल कनेक्शन देने की योजना बनाई है। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार सिक्किम में करीब 1.05 लाख घर हैं, जिनमें से 70,525 यानि 67 प्रतिशत घरों में नल का कनेक्शन है। राज्य में एक अच्छी जल आपूर्ति अवसंरचना भी है और 411 गांवों में उसकी जलापूर्ति योजनाएं चल रही हैं। राज्य की योजना वर्ष 2020-21 तक सभी एससी/एसटी बहुल गांवों और अन्‍य महत्‍वाकांक्षी जिलों के गांवों में नल कनेक्‍शन मुहैया कराने की है। पीडब्‍ल्‍यूएस सिस्टम वाले गांवों में से, केवल 81 ने ‘हर घर जल गांव’ का दर्जा हासिल किया है। लगभग 211 अतिरिक्‍त गांवों में 7,798 नल कनेक्शन प्रदान करने से यह संख्‍या शत-प्रतिशत हो जाएगी। सिक्किम को 31.36 करोड़ का आवंटन जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2020-21 में सिक्किम को जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 31.36 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से 7.84 करोड़ रुपये अब तक जारी किए जा चुके हैं। पहली किस्‍त के दूसरे हिस्‍से को प्राप्‍त करने के लिए राज्य को अपने कोष के उपयोग में तेजी लानी होगी। सिक्किम को 15वें वित्त आयोग अनुदान के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 42 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस राशि के 50 प्रतिशत का उपयोग पानी की आपूर्ति और स्वच्छता अर्थात पानी की आपूर्ति, अपशिष्‍ट जल के उपचार और उसके पुनः चक्रण के लिए होना है। वहीं लंबे समय तक जलापूर्ति योजनाओं का संचालन और रखरखाव करना होगा। अपने पर्याप्त जल संसाधनों के लिए पहचाने जाने वाले सिक्किम में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या और शहरीकरण के कारण पानी औरगुणवत्‍ता दोनों प्रभावित हो रही है। मिशन में तेजी लाने पर बल बैठक में ग्राम कार्य योजना और ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के गठन जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। इस बात पर जोर दिया गया कि योजना, कार्यान्वयन, संचालन और पानी की आपूर्ति व्‍यवस्‍था के रखरखाव के लिए स्वैच्छिक संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों और महिला एसएचजी को कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों के रूप में जोड़ा जाए। राज्य को ग्राम पंचायत पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों के क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए कहा गया और गांव स्तर पर प्रशिक्षित मानव संसाधनों का एक पूल बनाने के लिए गांवों में कौशल विकास प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया। यह इस मिशन और ओ एंड एम पानी की आपूर्ति प्रणाली के कार्यान्वयन में बहुत मददगार होगा। राज्य को पेयजल स्रोतों का अनिवार्य रासायनिक परीक्षण और जीवाणु परीक्षण कराने की सलाह दी गई। कटारिया ने किया ऐप लॉन्च केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने बुधवार को मंत्रालय के तहत डब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर विभाग के प्रधान मंत्री कृषि सिचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के घटकों की जियो टैगिंग के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऐप लॉन्च करने के अवसर पर मंत्री कटारिया ने कहा कि 2016-17 में राज्यों के परामर्श से केंद्रीय सरकार ने 99 परियोजनाएं शुरू की, जिनके पूरा होने से पूरे देश में 34.64 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन होगा, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षात्मक सिंचाई होगी और ग्रामीण वांछित समृद्धि आएगी। 99 परियोजनाओं में से 44 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और 21.33 लाख हेक्टेयर लक्षित सिंचाई क्षमता हासिल की है। 22Oct-2020

देश की सीमाओं को तकनीकी के जरिए अभेध बनाने का काम तेज

आतंकवाद, साइबर अपराध और सीमा सुरक्षा की नई चुनौतियों से निपटने को पुलिस आधुनिकीकरण पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश की सेवा में अपना बलिदान न्यौछावर करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए मनाए जा रहे पुलिस स्मृति दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश सीमाओं को अभेद बनाने के लिए मानव बल के साथ तकनीकी के काम को तेजी से अंजाम दिया जा रहा है। वहीं देश में आतंकवाद, साइबर अपराध और सीमा सुरक्षा की नई चुनौतियों से निपटने के मकसद से पुलिस आधुनिकीकरण लिए देश की पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैयार करने के लिए एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर ‘पुलिस स्मृति दिवस’ के मौके पर पुलिस और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के जवानों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए शाह ने यह जानकारी दी। यहां पहुंचकर गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर देश की सुरक्षा, एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात सशस्त्र बलों के जवानों और देशभर के सभी पुलिसकर्मियों के सर्वोच्च बलिदान के लिए समग्र देश की ओर से कृतज्ञतापूर्वक नम आँखों से श्रद्धांजलि अर्पित की। शाह ने कहा कि 2014 में जब मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने एक ऐसे स्मारक का निर्माण करने का फैसला लिया जो देश के लोगों को पुलिसकर्मियों के बलिदान की याद दिलाता रहे। उन्होंने कहा कि यह स्मारक सिर्फ पत्थर, ईंट, चूने और सीमेंट से बना स्मारक नहीं है, यह स्मारक हमें हमेशा याद दिलाता है कि इन वीर जवानों ने देश की आजादी को अमरत्व देने का काम किया है। गृह मंत्री ने कहा कि उनके खून का एक-एक कतरा देश को विकास के पथ पर आगे ले गया है, कई नौनिहालों के भविष्य को संवारा है और देश के आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में अपनी जान गंवाने वाले 343 पुलिसकर्मियों के बलिदान को भी यहां स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस के सामने आतंकवाद, फेक करेंसी, नारकोटिक्स कंट्रोल, शस्त्रों की तस्करी, मानव तस्करी, साइबर क्राइम और महिलाओं के विरुद्ध अपराध जैसे बहुत सारी नई चुनौतियां आ रही हैं। केंद्र सरकार ने इन नई चुनौतियों और बढ़ते डाइमेंशन के लिए एक सुगठित पुलिस मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम शुरू किया है। वहीं देश की सीमाओं को अभेध बनाने के लिए मानव बल के साथ टेक्नोलॉजी को भी जोड़ने की जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार विस्तार से काम कर रही है। उन्होंने इस मौके पर यह भी जानकारी दी कि हाल ही में संसद सत्र के दौरान रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी और फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी संबन्धित दो विधेयक पारित किए गए। रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी से छात्रों को इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने में मदद मिलेगी। इसी तरह फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के माध्यम से वैज्ञानिकों की कमी पूरी करने का प्रयास किया जाएगा। इसलिए मनाया जाता है स्मृति दिवस गृह मंत्रालय के अनुसार लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में 21 अक्तूबर 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में भारी हथियारों से लैस चीनी सेना द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में शहीद हुए दस पुलिसकर्मियों की याद में हर साल ‘पुलिस स्मृति दिवस’ मनाया जाता है। राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, आईबी निदेशक अरविंद कुमार, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। पीएम मोदी ने भी दी श्रद्धांजलि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने पुलिस स्‍मृति दिवस पर कर्तव्य निभाने के दौरान शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने कहा कि पुलिस स्‍मृति दिवस पर हम पूरे भारत में कार्यरत पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहीद हुए सभी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देते हैं। उनके बलिदान और सेवा को हमेशा याद किया जाएगा। आपदा प्रबंधन में सहायता से लेकर कोविड-19 से लड़ने तथा भयावह अपराधों को सुलझाने से लेकर कानून और व्यवस्था को बनाए रखने तक हमारे पुलिसकर्मी हमेशा बिना हिचके अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। हमें उनके परिश्रम और नागरिकों की सहायता के प्रति तत्परता पर गर्व है। 22Oct-2020

अब फुटवियर में भी नजर आएगी ‘खादी’ की दस्तकारी!

नितिन गडकरी ने किया खादी के अनोखे जूतों का शुभारंभ केवीआईसी का फुटवियर से पांच हजार करोड़ रुपये के व्यापार का लक्ष्य ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा डिजाइन और खादी के कपड़े से बने भारत के पहले फुटवियर यानि जूतों में खादी दस्तकारी महसूस की जा सकेगी। स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देने की दिशा में केवीआईसी द्वारा डिज़ाइन हुए रेशमी, सूती और ऊनी खादी के कपड़े से बने फुटवियर बाजार में उतारा दिया है। केन्द्रीय सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा डिज़ाइन खादी के कपड़े से बने फुटवियर का शुभारंभ करते हुए केवीआईसी के ई-पोर्टल www.khadiindia.gov.in के माध्यम से इनकी ऑनलाइन बिक्री की भी शुरूआत की। ये फुटवियर रेशमी, सूती और ऊनी खादी के कपड़े से बने हैं। गडकरी ने केवीआईसी के ई-पोर्टल www.khadiindia.gov.inके माध्यम से खादी के इन 25 डिजाइन वाले फुटवियरों की ऑनलाइन बिक्री की भी शुरूआत की। गडकरी ने खादी के कपड़े से बने फुटवियरों जैसे इस तरह के अनूठे उत्पादों में अंतरराष्ट्रीय बाजार पर कब्जा करने की अपार क्षमता को बढ़ाने वाला कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि खादी कपड़े के फुटवियर हमारे कारीगरों के लिए अतिरिक्त रोजगार और अपेक्षाकृत उच्च आय पैदा करेंगे। उन्होंने केवीआईसी से महिलाओं के हैंडबैग, पर्स, बटुआ जैसे चमड़े के उत्पादों के विकल्प का विकास दस्तकारी किये हुए खादी के कपड़ों में करने का भी आग्रह किया। ऐसे वैकल्पिक उत्पादों की विदेशी बाजारों में व्यापक संभावनाओं को रेखांकित करते हुए गडकरी ने कहा कि खादी का फुटवियर एक अनूठा उत्पाद है। इसमें अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और पटोला सिल्क, बनारसी सिल्क, सूती, डेनिम का उपयोग युवाओं को आकर्षित करेगा जो सस्ते होने के कारण ऑनलाइन खरीददारी आसान हो सकेगी। गडकरी ने उम्मीद जताई कि ऐसे उत्पादों का विकास और विदेशों में विपणन करके खादी इंडिया 5 हजार करोड़ रुपये के बाजार पर कब्जा कर सकता है। इस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े एमएसएमई राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि खादी के कपड़े के फुटवियर न केवल पर्यावरण और त्वचा के अनुकूल हैं, बल्कि ये खादी के उन कारीगरों की कड़ी मेहनत को दर्शाते हैं जिन्हें इन फुटवियरों के लिए कपड़े बनाने के लिए रखा गया है। 25 डिजाइन में तैयार खादी फुटवियर ये फुटवियर महिलाओं के लिए 15 डिज़ाइनों और पुरुषों के लिए 10 डिज़ाइनों में लॉन्च किए गए हैं। इन फुटवियरों को अनूठा एवं फैशनेबल बनाने के लिए गुजरात के पटोला सिल्क, बनारसी सिल्क, बिहार के मधुबनी प्रिंटेड सिल्क, खादी डेनिम, तसर सिल्क, मटका-कटिया सिल्क, विभिन्न प्रकार के सूती कपड़े, ट्वीड ऊन और खादी के पॉली वस्त्र जैसे उत्तम खादी उत्पादों का उपयोग किया गया है। डिजाइन, रंग और प्रिंट की एक विस्तृत श्रृंखला में उपलब्ध, इन फुटवियरों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए पहने जाने वाले कपड़ों, औपचारिक, आकस्मिक और उत्सव के अवसर के अनुकूल लगने के लिए डिज़ाइन किया गया है। खादी के इन फुटवियरों की कीमत 1100 रुपये से लेकर 3300 रुपये प्रति जोड़ी रखी गई है। लोकल से वोकल का दृष्टिकोण खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री के ‘स्थानीय से वैश्विक’ दृष्टिकोण की परिकल्पना के अनुरूप नए क्षेत्रों में कदम रखना, नए बाजारों का दोहन करना और उत्पाद श्रृंखला में विविधता लाना पिछले छह वर्षों में खादी की शानदार सफलता का मंत्र रहा है। उन्होंने कहा कि खादी के कपड़े के फुटवियर को लॉन्च करने के पीछे का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय बाजार का दोहन करना था जहां अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग तेजी से शाकाहारी हो रहा है और इसलिए खादी इस वर्ग का पसंदीदा विकल्प बन जाएगा। लोगों के लिए खादी के कपड़े का फुटवियर भले ही एक छोटा कदम है, लेकिन यह हमारे खादी के कारीगरों के लिए एक विशाल छलांग होगा। फुटवियर में सूती, सिल्क और ऊन जैसे महीन कपड़ों का इस्तेमाल करने की वजह से कारीगरों द्वारा कपड़े के उत्पादन के साथ-साथ इसकी खपत में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले केवीआईसी ने टाइटन के साथ मिलकर अपनी पहली खादी कलाई घड़ी सफलतापूर्वक लॉन्च की थी, जोकि एक ट्रेंड सेटर रही है। 22Oct-2020

रायपुर, भोपाल, अंबाला व हिसार में बनेगा मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क!

असम में रखी गई देश के पहले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की आधारशिला इस पार्क से सीधे हवाई, सड़क, रेल व जलमार्ग की होगी कनेक्टिविटी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में बुनियादी ढांचे को मजबूत कर आर्थिक व्यवस्था में सुधार करने की दिशा में केंद्र सरकारी की प्रस्तावित 22 परियोजना छत्तीसगढ़ के रायपुर, मध्य प्रदेश के भोपाल और हरियाणा के अंबाला व हिसार में भी जल्द पटरी पर आएगी। इस परियोजना के तहत असम के जोगीघोपा में देश में पहले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की आधारशिला रख दी गई है, जिससे लोगों को सीधे सीधे हवाई, सड़क, रेल व जल मार्ग की सीधे कनेक्टिविटी मिलेगी। देश में आर्थिक सुधारों को गति देने की दिशा में केंद्र सरकार की मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क परियोजना के तहत मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए असम के जोगीघोपा में 693.97 करोड़ रुपये की लागत वाले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की आधारशिला रखी, जो देश का ऐसा पहला मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनेगा, जिसमें इस पार्क से लोगों को सीधे हवाई, सड़क, रेल व जल मार्ग की सीधे कनेक्टिविटी मिलेगी। इसके लिए यह बुनियादी विकास केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत किया जाएगा। असम के जोगीघोपा में यह पार्क ब्रह्मपुत्र नदी से लगी 317 एकड़ भूमि में विकसित किया जा रहा है, जिसके निर्माण का पहला चरण 2023 तक पूरा होगा। उन्होंने बताया कि 280 करोड़ रुपये के कार्य पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं, जिसमें सड़क निर्माण के लिए 171 करोड़ रुपये, ढांचा खड़ा करने के लिए 87 करोड़ रुपये और रेल लाइन बिछाने के लिए 23 करोड़ रुपये के कार्य शामिल हैं। अगले महीने काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस परियोजना से राज्य के लगभग 20 लाख युवाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इस परियोजना के लिए असम सरकार, एनएचआईडीसीएल और अशोक पेपर मिल्‍स के बीच जोगीघोपा में भूमि और लॉजिस्टिक में भागीदारी के एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। लोगों को मिलेगी सभी सुविधाएं गडकरी ने कहा कि जोगीघोपा और गुवाहाटी के बीच की 154 किलोमीटर की दूरी को इस खंड पर चार-लेन की सड़क बनाकर कवर किया जाएगा। वहीं तीन किलोमीटर की रेल लाइन जोगीघोपा स्टेशन को एमएमएलपी से जोड़ेगी। एक अन्य तीन किलोमीटर की रेल लाइन इसे आईडब्ल्यूटी से जोड़ेगी और नए विकसित रूपसी हवाई अड्डे से आसान कनेक्टिविटी के लिए मौजूदा सड़क को चार लेन में अपग्रेड किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एमएमएलपी में गोदाम, रेलवे साइडिंग, प्रशीतन गृह, कस्टम क्लीयरेंस हाउस, यार्ड सुविधा, वर्कशॉप, पेट्रोल पंप, ट्रक पार्किंग, प्रशासनिक भवन, रहने और खाने पीने की सुविधाएं, खानपान की जगहें और जल के उपचार का संयंत्र आदि सभी सुविधाएं होंगी। इस वर्चुअल समारोह की अध्यक्षता असम के मुख्यमंत्री सर्बानद सोनोवाल ने की। जबकि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, सड़क परिवहन राज्‍य मंत्री डॉ.वी.के सिंह, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली, असम के मंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा, चंद्र मोहन पटवारी और फणी भूषण चौधरी के अलावा असम के मंत्री, सांसद, विधायक और केंद्र तथा राज्य के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। देश में 22 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाने की योजना इस मौके पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय देश में 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क यानि एमएमएलपी विकसित करने की परिकल्पना करता है, जिनमें फिलहाल 22 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाने की योजना के लिए डीपीआर और व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने पर काम चल रहा है। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के रायपुर, मध्य प्रदेश के भोपाल और हरियाणा के अंबाला व हिसार के अलावा दिल्ली, अहमदाबाद, राजकोट, कांडला, वडोदरा, लुधियाना, अमृतसर, जालंघर, भटिंडा, कोटा, जयपुर, जगतसिंहपुर, सुंदरनगर, कोलकाता, पुणे, नाशिक, पणजी और जम्मू शहर में इस योजना को पटरी पर उतारने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क परियोजना का काम भी एनएचआईडीसीएल को दिया गया है, जो पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में सड़क परियोजनाओं जैसी बुनियादी ढांचें को मजबूत करने में जुटा है। ------------------- 80 हजार करोड़ की परियोजनाओं का ऐलान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय की असम में 80 हजार करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य कराने की योजना है। उन्होंने कहा कि 3,545 करोड़ रूपये की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग के 575 किलोमीटर क्षेत्र के लिए निर्माण कार्य इस वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्‍मीद है। लगभग 15 हजार करोड़ रुपये की लागत के राष्‍ट्रीय राजमार्ग निर्माण के कार्यों को अगले वर्ष तक आवंटित किया जाएगा, जबकि 21 हजार करोड़ रुपये के कार्यों के लिए डीपीआर पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि सीआरआईएफ योजना के तहत वर्ष 2020-21 में 610 करोड़ रुपये की लागत से राष्‍ट्रीय राजमार्ग के 203 किलोमीटर के क्षेत्र में कार्य कराया जाएगा। मंत्री ने राज्य के विभिन्न सांसदों और विधायकों के द्वारा भेजे गए कई सड़क प्रस्तावों को मंजूरी देने की भी घोषणा की। गडकरी ने यह भी बताया कि असम में राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 12 दुर्घटना ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है, जिनमें से तीन में अस्थायी तौर पर सुधार किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 तक ये सभी ब्लैक स्पॉट हटा दिए जाएंगे। 21Oct-2020

एनएचएआई की टीओटी परियोजना में 5011 करोड़ रुपये मंजूर

यूपी, बिहार, झारखंड व तमिलनाडु में चलेगी तीसरी बंडल परियोजना हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानि एनएचएआई ने अपने महत्वाकांक्षी टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर यानि टीओटी मॉडल के तहत उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और तमिलनाडु राज्य में 566 किलोमीटर लंबाई की 9 टोल प्लाजा से युक्त तीसरी बंडल परियोजना चलाई जाएगी। केंद्रीय सड़क परवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यहां नई दिल्ली में केन्द्रीय संड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित एक समारोह में एनएचएआई ने इन चार राज्यों में शुरू होने वाली टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर यानि टीओटी बंडल वाली तीसरी परियोजना का अनुबंध मेसर्स क्यूब मोबिलिटी इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। इस परियोजना के लिए मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से 5,011 करोड़ रूपए की अग्रिम राशि को मंजूर दे दी है। इस मौके पर सड़क परिवहन राज्य मंत्री जनरल वी. के. सिंह, एनएचएआई के अध्यक्ष एस एस संधू, एनएचएआई के सदस्य और मेसर्स क्यूब हाईवे के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। मंत्रालय ने बताया कि इस टीओटी की कुल अनुबंध अवधि 30 वर्ष की होगी। इस दौरान ठेका पाने वाली कंपनी को संबंधित राजमार्ग पर टोल संग्रह करने उसका रखरखाव करने और संचालन करने का अधिकार होगा। यह टीओटी मॉडल के तहत दिया गया दूसरा अनुबंध है। मंत्रालय ने एनएचएआई की इस परियोजना के लिए पहला अनुबंध 10 टोल प्लाजा युक्त राजमार्ग के 681 किलोमीटर लंबे हिस्से के लिए प्रदान किया गया था। यह अनुबंध मेसर्स एमएआईएफ को 2018 में दिया गया था, जिसके लिए 9,681.5 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई थी। एनएचएआई अपनी पूरी हो चुकी सार्वजनिक वित्त पोषित परियोजनाओं के उन्नयन के वास्ते इसके अधिक से अधिक हिस्सों को टीओटी मॉडल के तहत अनुबंध देने की प्रक्रिया में है। ------------------------- वाई.एस. मलिक समिति की सिफारिशों पर की चर्चा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी यानि आईएएचई की 5वीं सामान्य परिषद की बैठक में आईएएचई महापरिषद ने राजमार्ग क्षेत्र में भारतीय राजमार्ग अभियंता अकादमी को विश्व स्तर के संस्थान में बदलने के लिये वाई.एस. मलिक समिति की सिफ़ारिशों पर विचार-विमर्श किया। बैठक में सड़क परिवहन राज्य मंत्री डॉ. वी. के. सिंह, सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव और महानिदेशक (आरडी) और एसएस और शासन परिषद के सदस्य उपस्थित थे। बैठक में राजमार्ग विकास कार्यक्रमों में बेहतर योगदान देने के लिए आईएएचई की गतिविधियों में काफी विस्तार और सुधार करने की आवश्यकता महसूस की गई। इसके अनुसार मंत्रालय ने राजमार्ग क्षेत्र में विश्व स्तर के प्रमुख संस्थान के रूप में आईएएचई को बदलने के लिए सिफ़ारिशें देने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह मलिक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। परिषद ने आईएएचई का दायरा बढ़ाने के लिए समिति की सिफारिशों को तीन अलग-अलग कार्यों के लिये दी थी। इसमें प्रशिक्षण, राजमार्ग और सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में लागू अनुसंधान और विकास और तीसरे कार्य में सड़क सुरक्षा और विनियमन शामिल था। समिति ने आईएएचई को राजमार्ग क्षेत्र में एक विश्व स्तरीय प्रीमियर संस्थान में बदलने के लिए और आवश्यक कार्रवाई करने का फैसला किया। 21Oct-2020

कृषि व ग्रामीण क्षेत्र में इस्‍पात के इस्‍तेमाल को बढ़ा देने में जुटी सरकार

ग्रामीण विकास और अर्थव्यवस्था में इस्पात क्षेत्र की होगी अहम भूमिका हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के कई मंत्रालय एक मंच पर आए। सरकार का प्रयास है कि इस मिशन के तहत हमारे गांवों के विकास एवं समृद्धि और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने में भारत के इस्पात क्षेत्र की भूमिका हो सकती है। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानि सीआईआई के सहयोग से मंगलवार को यहां इस्पात मंत्रालय द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत: ग्रामीण अर्थव्यवस्था-कृषि, ग्रामीण विकास, पशुपालन और डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण में स्टील के उपयोग को बढ़ावा देने’ पर आयोजित एक वेबिनार केंद्रीय इस्पात मंत्री ने देश के ग्रामीण विकास एवं समृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने में भारत के इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर संबन्धित मंत्रालयों के साथ चर्चा की। इस वेबिनार में केन्द्रीय ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते प्रमुख रूप से शामिल हुए और कृषि तथा ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की दिशा में अपने अपने विचारों को साझा किया। वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में इस्पात मंत्री प्रधान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की मांग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के संवितरण के साथ कई नए क्षेत्रों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल कर रही है। उन्होंने बताया कि हम देशभर में 5 हजार कम्प्रेस्ड बॉयो-गैस (सीबीजी) संयंत्र विकसित करने के साथ चावल से इथेनॉल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। प्रधान ने इस बात का उल्लेख किया कि देश में प्रति व्यक्ति इस्पात उपयोग को बढ़ाने में ग्रामीण भारत की अहम भूमिका है। यह समाज में अधिक सशक्त बनाएगा, ग्रामीण विकास सुनिश्चित करेगा और रोजगार पैदा करेगा। कार्यदल के गठन का सुझाव केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन को साकार करने का मार्ग आत्मनिर्भर गांवों से होकर जाता है, इसलिए हमारे गांवों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने में इस्पात को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की आवश्यकता को देखने और घरेलू इस्पात उत्पादन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यदल के गठन का भी सुझाव दिया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू इस्पात के अधिक उपयोग के लिए बेहतर समन्वय, योजनाबद्ध दृष्टिकोण तैयार हो सकेगा। तोमर ने कहा कि इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण आवास, खाद्य भंडारण, कृषि उपकरण विनिर्माण आदि को कवर करने वाले ग्रामीण क्षेत्र में अपार अवसर उपलब्ध हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में इस्पात का अधिक उपयोग भी शामिल है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, डेयरी, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-उपकरण आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में विकास का ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत पर सकारात्मक असर पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेगी इस्पात की मांग केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण परिदृश्य को बदलने के लिए कई पहल की है। इसी के तहत ‘आत्मानिर्भर भारत: फ़ॉस्टरिंग स्टील यूज़ इन रूरल इकोनॉमी’ पर इस वेबिनार का मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लौह और इस्पात क्षेत्र के लिए उपलब्ध विशाल क्षमता का दोहन करने के लिए किया गया है, जो बहुत तेज़ दर से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में ग्रामीण क्षेत्र से इस्पात की मांग बढ़ती मांग मददगार हो रही है। इस्पात उद्योग के प्रमुख, इस्पात, ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और मत्स्य पालन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और यूपी, बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य सरकारों और सीआईआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने वेबिनार में भाग लिया। 21Oct-2020

पिछले पांच माह में ईपीएफओ से जुड़े 20 लाख अंशधारक

पेरोल आंकड़ा: ईपीएफओ ने अगस्त में 10.06 लाख लाभार्थी जोड़े हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस के कारण कर्मचारियों को राहत देने के लिए कई योजनाओं में बदलाव किया। इस संकट के बावजूद कर्मचारियों को राहत देने वाले ईपीएफओ ने चालू वित्तीय वर्ष के पहले पांच महीनों में 20 लाख से ज्यादा नए अंशधारकों को जोड़ा है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को ईपीएफओ के प्रकाशित आरंभिक पेरोल आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती पांच महीनों के दौरान ईपीएफओ के अंशधारकों यानि लाभार्थियों की संख्या में लगभग 20 लाख की वृद्धि हुई है। ईपीएफओ के आंकड़ो के मुताबिक जुलाई के दौरान लगभग 7.49 लाख नए लाभार्थी जोड़े गए, जो पिछले वर्ष के इसी महीने यानि जुलाई के दौरान जुड़े लाभार्थियों की कुल संख्या का लगभग 64 फीसदी है। जबकि इस साल अगस्त में 10.06 लाख की वृद्धि के साथ पिछले साल अगस्त में दर्ज सदस्यता की तुलना में लगभग 93 फीसदी लाभार्थी जुड़े। ईपीएफओ ने नए सदस्यों के जुडने के मामले में जुलाई 2020 की तुलना में अगस्त 2020 में 34% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। इस साल अगस्त के महीने में सदस्य संख्या में इस वृद्धि का आधार अधिक से अधिक संख्या में नए लाभार्थियों का जुड़ना और पुराने सदस्यों का संगठन न छोड़ना है। इस साल जुलाई में जहां 6.48 लाख नए सदस्य ईपीएफ़ओ से जुड़े, वहीं अगस्त में 6.70 लाख लाभार्थी जुड़े। पेरोल कर्मियों के ईपीएफ़ओ सदस्य बनने के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि जून-जुलाई-अगस्त, 2020 के दौरान संगठन का सदस्य बनने वाले कुल 21.40 लाख नए सदस्यों में से लगभग 57 फीसदी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा राज्य से हैं। ईपीएफओ की सदस्य संख्या में वृद्धि के संबंध में इसे सामान्य स्थिति की तरफ पहुँचने का संकेतक के तौर पर माना जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते देश भर में लागू लॉकडाउन के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान नामांकन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। हालांकि जुलाई और अगस्त के लिए आरंभिक पेरोल आंकड़े कोराना महामारी के नकारात्मक प्रभाव को कम करता हुआ दिखाई देते हैं और पूर्व-कोविड स्तर पर पहुँचने के संकेत देते हैं। 21Oct-2020

कोरोना: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश पर निर्भर होगी हज यात्रा

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने की हजयात्रा-2021 को लेकर समीक्षा बैठक हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण इस साल रद्द हुई हज यात्रा के बाद हज यात्रा-2021 को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि सऊदी अरब एवं भारत सरकार की प्राथमिकता लोगों की सेहत व सुरक्षा है, इसलिए हज यात्रा-2021 कोरोना महामारी के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों पर निर्भर करेगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को नई दिल्ली में हज 2021 के सम्बन्ध में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हज 2021 जून-जुलाई के महीने में होनी है, लेकिन कोरोना संकट और महामारी के प्रभाव की संपूर्ण समीक्षा और सऊदी अरब सरकार एवं भारत सरकार के लोगों की सेहत व सुरक्षा के मद्देनजर दिशानिर्देशों को उच्च प्राथमिकता में लेते हुए हुए हज यात्रा-2021 पर अंतिम फैसला लिया जायेगा। नकवी ने कहा कि हज यात्रा-2021 की तैयारी के तहत हज कमेटी ऑफ इंडिया तथा अन्य भारतीय एजेंसियों द्वारा इसके लिए लोगों के आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जायेगी। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब सरकार की तरफ से हज-2021 के संबंध में फैसले के बाद आवेदन करने और अन्य प्रकिया को लेकर औपचारिक घोषणा की जाएगी। नकवी ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए हज व्यवस्थाओं में बड़े पैमाने पर परिवर्तन आ सकता है। इनमें भारत एवं सऊदी अरब में आवास, यातायात, स्वास्थ्य एवं अन्य व्यवस्थाएं शामिल हैं। नकवी ने कहा कि कोरोना के चलते हज यात्रियों की सेहत-सलामती सरकार की प्राथमिकता है। भारत सरकार एवं अन्य सम्बंधित एजेंसियां इस दिशा में आवश्यक इंतजाम करेंगी। सरकार एवं हज कमेटी ने इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी है। हज यात्रियों को लौटाया 2100 करोड़ बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री नकवी कहा कि कोरोना काल के दौरान भारत की शत प्रतिशत डिजिटल और ऑनलाइन प्रक्रिया के बेहतर नतीजे सामने आए, जिसके जरिए कोरोना के चलते हज-2020 पर ना जा पाने वाले एक लाख 23 हजार लोगों के 2100 करोड़ रूपए बिना किसी कटौती के डीबीटी के माध्यम से वापस कर दिए हैं। सऊदी अरब सरकार ने भी वर्ष 2018-19 का हज यात्रियों के यातायात का लगभग 100 करोड़ रूपए वापस किया है। नकवी ने कहा कि इसके अलावा पिछले 3 साल के दौरान हज यात्रियों का लगभग 514 करोड़ सरप्लस पैसा भी कोरोना काल में वापस किया गया है। भारत में शत प्रतिशत डिजिटल हज व्यवस्था के तहत आपदा काल में भी पैसे सीधे खाते में भेजे गए, जो कि हज प्रक्रिया के इतिहास में पहली बार हुआ है। सऊदी के अधिकारियों ने भी लिया हिस्सा इस हज-2021 समीक्षा बैठक में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव पी. के. दास एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव विपुल, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस के मिश्रा उपस्थित रहे। इसके अलावा सऊदी अरब में भारत के राजदूत डा. औसाफ सईद, जेद्दा में भारत के एक्टिंग कौंसल जनरल वाई साबिर, हज कमेटी ऑफ इंडिया के सीईओ एम. ए. खान एवं स्वास्थ्य विभाग, एयर इंडिया आदि विभागों के अधिकारी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये इस बैठक में शामिल हुए। गौरतलब है कि कोरोना संकट महामारी के कारण सऊदी अरब सरकार ने सीमित संख्या में लोगों को इस साल हज की मंजूरी दी थी, लेकिन इसी कारण से भारत से हज यात्री नहीं सऊदी नहीं जा सके। 20Oct-2020