शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

सड़क हादसें के शिकार की मदद करने वालों को मिलेगी सुरक्षा

केंद्र सरकार सड़क सुरक्षा मजबूत बनाने में जुटी

पुलिस या कोई अधिकारी नेकी करने वालों से नहीं कर सकेगा पूछताछ

ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।  

देश में सड़क हादसों में हो रही मौतों पर अंकुश लगाने की दिशा में केंद्र सरकार ने नए मोटर वाहन अधिनियम में एक ऐसा नियम जारी किया है, जिसमें मानवीय व सामाजिक दृष्टिकोण से सड़क दुर्घटना में घायलों को अस्पताल पहुंचाने या संकट के समय मदद करने जैसी नेकी करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित हो होगी।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी इस नियम में गुड स्मार्टियन को अधिकार प्रदान किया गया है, जिसमें शामिल एक गुड स्मार्टियन के लिए नियमों में अधिकार की विस्तृत जानकारी दी गई है और धर्म, राष्ट्रीयता, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाएगा। कोई भी पुलिस अधिकारी या कोई अन्य व्यक्ति अपने नाम, पहचान, पता या ऐसे किसी भी व्यक्तिगत विवरण का खुलासा करने के लिए एक गुड स्मार्टियन को मजबूर नहीं करेगा। हालांकि वह स्वेच्छा से कोई जानकारी देने का विकल्प चुन सकता है। इस नियम के अनुसार प्रत्येक सार्वजनिक और निजी अस्पताल प्रवेश द्वार या अन्य विशिष्ट स्थान पर और अपनी वेबसाइट पर हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में एक चार्टर प्रकाशित करेगा और अधिनियम और बनाए गए नियम के तहत गुड स्मार्टियन के अधिकारों को बताएंगे। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से उस मामले में गवाह बनने के लिए सहमत हो गया है, जिसमें उसने एक गुड स्मार्टियन के रूप में काम किया है, तो उसे इस नियम के प्रावधानों के अनुसार जांच की जाएगी। नये मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम-2019 ने एक नई धारा 134 , अर्थात ‘गुड स्मार्टियन का संरक्षणडाला गया है, जिसमें प्रावधान हे कि एक गुड स्मार्टियन मोटर वाहन से जुड़े किसी दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की मृत्यु या मृत्यु के लिए किसी भी नागरिक या आपराधिक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं होगाजहां आपातकालीन चिकित्सा या गैर-चिकित्सा देखभाल या सहायता प्रदान करते समय कार्रवाई करने में असफल रहने या कार्रवाई करने में गुड स्मार्टियन की लापरवाही के कारण ऐसी चोट या मृत्यु हुई है और यह कि केंद्र सरकार के नियमों के आधार पर गुड स्मार्टियन के व्यक्तिगत सूचना का खुलासा और इससे संबंधित अन्य मामलों के लिए गुड स्मार्टियन से पूछताछ या जांच कर सकती है।

नियमों का उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई

केंद्र सरकार द्वारा जारी इन नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की जान बचाने की खातिर उसे किसी नजदीकी अस्पताल ले जाता है, उसे केवल उसका पता लिखकर तुरंत जाने की अनुमति होगी और अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को को उसके लिए उत्तरदायी नहीं माना जाएगा। वहीं पुलिस अथवा आपातकालीन सेवाओं को सड़क दुर्घटना के बारे में दूरभाष से सूचित करने वाले व्यक्ति को भी किसी प्रकार बाध्य नहीं करने के निर्देश हैं। यदि पीड़ित की सहायता करने वाला व्यक्ति दुर्घटना के बारे में स्वेच्छा से पुलिस की मदद करना चाहता है तो पुलिस जांच के लिए उससे केवल एक ही बार में पूछताछ कर सकेगी। ऐसे दिशा-निदेर्शों का पालन न करने पर संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। इसके दायरे में सरकारी और और सार्वजनिक अस्तपतालों के अलावा सभी निजी अस्पतालों में दुर्घटना की आपातकालीन स्थिति में डाक्टर द्वारा लापरवाही बरतने को व्यावसायिक दुर्व्यवहार की श्रेणी में शामिल किया जा रहा है

डर की वजह से नहीं मिलती मदद

मंत्रालय के एक अधिकारी ने हरिभूमि को बताया कि दरअसल सड़क दुर्घटनाओं के दौरान घायलों को चाहते हुए भी कोई भी व्यक्ति उन्हें अस्पताल ले जाने या उनकी मदद करने से इसलिए कतराता रहा है, कि ऐसे नेक लोगों को पुलिस पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित करने की प्रणाली ज्यादा अपनाती देखी गई है। इसी मानवीय और सामाजिक दृष्टिकोण के मद्देनजर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने दुर्घटना पीड़ितों को मौके से अस्पताल ले जाने वाले लोगों को प्रताड़ना से बचाने के लिए सितंबर-2015 के अलावा उच्चतम न्यायालय द्वारा गत 30 मार्च 16 को देश में होने वाली सड़क दुर्टनाओं में मदद की नेकी करने वाले लोगों के बारे में जारी निर्देश के आधार पर 22 अप्रैल 2016 को भी केंद्रीय सड़क परिवहन ने ऐसी अधिसूचना जारी की थी। ऐसे सभी दिशा-निर्देशों को मंत्रालय ने नए मोटर वाहन कानून में जोड़ा गया हैइसका मकसद घायलों की जान बचाना है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सभी पंजीकृत सार्वजनिक एवं निजी अस्पतालों को ऐसे दिशा-निर्देश जारी कर चुका है, घायलों सहायता करने वाले व्यक्ति से अस्पताल में घायल व्यक्ति के पंजीकरण और दाखिले या इलाज के लिए किसी प्रकार के शुल्क की मांग न की जाए और घायलों का तुरंत प्राथमिकता के आधार पर इलाज सुनिश्चित किया जाए। 

02Oct-2020


 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें