रविवार, 18 अक्तूबर 2020

मध्य प्रदेश समेत छह राज्यों में लागू होगी ‘स्टार्स’ परियोजना

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिए कई महत्वपूर्ण फैसले विश्‍व बैंक की मदद से 571 8 करोड़ रुपये से स्कूली शिक्षा में सुधार को मंजूरी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमली जामा पहनाने के लिए ‘स्ट्रेंगथनिंग टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्‍टेट्स (एसटीएआरएस) यानि स्टार्स परियोजना शुरू करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस परियोजना को विश्व बैंक की आर्थिक मदद से छह राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल व ओडिशा में शुरू किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यह जानकारी देते हुए बातया कि सरकार ने विश्‍व बैंक से 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि करीब 3700 करोड़ रुपये राशि की सहायता से 5718 करोड़ रुपये की लागत वाली ‘स्ट्रेंगथनिंग टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्‍टेट्स (एसटीएआरएस)’ परियोजना का कार्यान्वयन शुरू करने का फैसला लिया है। जावड़ेकर ने कहा कि यह योजना सुनिश्चित करेगी, कि अब शिक्षा का मतलब रट्टा लगाकर पढ़ाई करना नहीं, बल्कि समझ कर सीखना होगा। शिक्षा मंत्रालय के स्‍कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के तहत स्‍टार्स परियोजना केन्‍द्र सरकार द्वारा प्रायोजित एक नई योजना के रूप में छह राज्यों में शुरू की जाएगी, जिनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल व ओडिशा शामिल हैं। इस परियोजना के जरिए इन चिन्हित छह राज्यों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के विभिन्‍न उपायों के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इस परियोजना के अतिरिक्‍त 5 राज्‍यों गुजरात, तमिलनाडु, उत्तराखंड, झारखंड और असम में इसी प्रकार की एडीबी वित्त पोषित परियोजना लागू करने की भी कल्‍पना भी की गई है। सभी राज्‍य अपने अनुभव और श्रेष्‍ठ प्रक्रियाएं साझा करने के लिए एक दूसरे राज्‍य के साथ भागीदारी करेंगे। इस स्‍टार्स परियोजना का मकसद बेहतर श्रम बाजार परिणामों के लिए बेहतर शिक्षा परिणामों और स्‍कूलों द्वारा पारगमन रणनीतियों के साथ काम करने के लिए प्रत्‍यक्ष जुड़ाव के साथ उपायों को विकसित करने, लागू करने, आकलन करने और सुधार करने में राज्‍यों की मदद करना है। स्‍टार्स परियोजना का समग्र फोकस और इसके घटक गुणवत्ता आधारित शिक्षण परिणामों की राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्‍यों के तहत शुरू की जा रही है। इस परियोजना में चुनिंदा राज्‍यों में हस्‍तक्षेपों के माध्‍यम से भारतीय स्‍कूली शिक्षा प्रणाली में समग्र निगरानी और मापक गतिविधियों में सुधार लाने की कल्‍पना की गई है। यह परियोजना इन परिणामों के साथ निधियों की प्राप्ति और वितरण को जोड़कर वास्‍तविक परिणामों के साथ इनपुट और आउटपुट के रखरखाव के प्रावधान से ध्‍यान केन्द्रित करने में बदलाव करती है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मिला विशेष पैकेज कैबिनेट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका अभियान-दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत 520 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज को अनुमति दी। यह पांच साल के लिए रहेगा और इसका फायदा 10.58 लाख परिवारों को होगा। केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 तक यानि पांच वर्ष की अवधि के लिए केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख को 520 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने की मंजूरी दी और केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में इस विस्‍तारित अवधि के दौरान आवंटन को गरीबी अनुपात से जोड़े बिना मांग जनित आधार पर केंद्र द्वारा प्रायोजित दीनदयाल अंत्‍योदय योजना-राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का वित्त पोषण सुनिश्चित करने के तहत निधियों के आवंटन को भी मंजूरी दी है। मूल रूप से पांच वर्ष की अवधि के लिए इस प्रस्‍ताव के लिए वित्तीय परिव्‍यय 755.32 करोड़ रुपये है, जिसमें केन्‍द्र का हिस्‍सा 679.78 करोड़ रुपये था। केंद्र सरकार की मंजूरी से इन दोनों केन्‍द्र शासित प्रदेशों की जरूरत के आधार पर इस मिशन के तहत पर्याप्‍त धन सुनिश्चित होगा और यह एक समयबद्ध तरीके से केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में सभी केन्‍द्र प्रायोजित उन्‍मुख योजनाओं को सार्वभौमिक बनाने में मदद मिलेगी। खासतौर से यह पैकेज ग्रामीण परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और महिलाओं के सशक्तिकरण तथा केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में बदली हुई परिस्थितियों के लिए एक मिशन की क्षमता का द्योतक होगा। जिसका मकसद गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए विविध आजीविकाओं के संवर्धन द्वारा ग्रामीण गरीबी का उन्‍मूलन करना है, जिसमें प्रत्‍येक ग्रामीण गरीब परिवार को लगातार और दीर्घकाल तक सहायता उपलब्‍ध कराने के क्रम में पेशेवर मानव संसाधनों का उपयोग किया गया है। ------------------------------- एनएमडीसी से अलग होगा नागरनार इस्‍पात संयंत्र केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बुधवार को राष्‍ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) लिमिटेड से नागरनार इस्‍पात संयंत्र (एनएसपी) को अलग करने तथा अलग की गई कंपनी में निहित भारत सरकार की पूरी हिस्‍सेदारी को एक रणनीतिक खरीददार के लिए विक्रय द्वारा इसके रणनीतिक विनिवेश को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। नागरनार इस्‍पात संयंत्र छत्‍तीसगढ़ में बस्‍तर जिले के नागरनार में एनएमडीसी द्वारा स्‍थापित तीन मिलियन प्रति‍वर्ष क्षमता वाला एक एकीकृत इस्‍पात संयंत्र है। यह संयंत्र 1980 एकड़ क्षेत्र में फैला है और इसकी संशोधित लागत 23,140 करोड़ रूपये है। गत 14 जुलाई को एनएमडीसी ने इस परियोजना पर 17,186 करोड़ रूपये निवेश किए हैं, जिसमें से 16,662 करोड़ रूपये एनएमडीसी के अपने कोस्‍ट से तथा 524 करोड़ रूपये बॉन्ड बाजार से जुटाए गए हैं। इस मंजूरी के साथ ही मंत्रिमंडल समिति ने एनएमडीसी की एक इकाई के रूप में नागरनार इस्‍पात संयंत्र में निवेश हेतु 27 अक्‍टूबर 2016 को लिए गए अपने पूर्ववर्ती निर्णय में भी संशोधन किया है। मंत्रिमंडल की इस मंजूरी से अलगाव और विनिवेश की प्रक्रिया एक साथ शुरू की जाएगी और अलग की गई कंपनी (एनएसपी) के विनिवेश का कार्य सितंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है। एनएमडीसी इस्‍पात मंत्रालय के तहत एक सूचीबद्ध केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम है और इस कंपनी में भारत सरकार की 69.65 प्रतिशत की हिस्‍सेदारी है। भूजल प्रबंधन में आस्ट्रेलिया की मदद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल को केन्‍द्रीय भूजल बोर्ड, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, भारत और मैनेजिंग ऐक्वफर रिचार्ज एंड सस्‍टेनिंग ग्राउंड वॉटर यूज थ्रू विलेज लेवल इंटरवेंशन (एमएआरवीआई) पार्टनर्स, ऑस्‍ट्रेलिया के बीच अक्‍टूबर 2019 में हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। इस समझौता ज्ञापन पर कृषि, शहरी, औद्योगिक और पर्यावरण संबंधी उद्देश्‍यों के लिए जल सुरक्षा अर्जित करने के लिए धरातल और भूजल प्रशिक्षण, शिक्षा और अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए हस्‍ताक्षर किए गए हैं। 15Oct-2020

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