सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

पूर्वोत्तर राज्य के सदूर गांवों के ग्रामीणों में मुस्कान ला रहा है पानी

गांवों के कायाकल्प का सबब बना ‘जल जीवन मिशन’ नागालैंड के तीन गांवों में ऐसी बदली लोगों की जिंदगी ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। देश के ग्रामीण घरों में नल के जरिए गुणवत्तायुक्त पेयजल पानी मुहैया कराने की दिशा में चलाई जा रही मोदी सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना ‘जल जीवन मिशन’ देश के दूर दराज के गांवों के कायाकल्प का सबब बनी हुई है। खासतौर पर पूर्वोत्तर के सदूर गांवों में इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने की चुनौतियों के बावजूद ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के जरिए पानी मिलने से लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे इस मिशन को पूर्वोत्तर राज्यों के सदूर और ऊंचाई वाले गांवों में कार्यान्वित करना बेहद कठिन और मुश्किल चुनौतियों भरा है, लेकिन केंद्र सरकार के इस मिशन में इंजीनियरिंग चमत्कार के कारण अरुणाचल प्रदेश की तरह ही नागालैंड के फेकिन जिले के टेखौबा गांव के लोगों को नल कनेक्शन के जरिए पीने का पानी मुहैया हुआ तो यहां के लोगों के बीच सामुदायिक साझीदारी की भावना अन्य स्थानीय समुदायों के लिए प्रेरणादायी बनती नजर आ रही है। जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस समुदाय ने जल की कमी से निपटने के लिए अपना स्वदेशी तरीका विकसित किया। मसलन गांव से 5.5 किमी पर स्थित जल स्रोत के पास पर्याप्त डिस्चार्ज है, लेकिन वास्तविक चुनौती ऐसी पहाड़ी तराई में ग्रेविटी प्रणाली के जरिये गांव में पानी लाने की थी। ग्राम परिषद तथा स्थानीय जल एवं स्वच्छता (वाटसन) समिति के नेतृत्व में समुदाय ने पहले वन विभाग मंजूरी ली और फेसिंग, श्रम बल आवश्यकता पूरी करने के बाद जलापूर्ति प्रणाली के लिए भूमि भी दान में हासिल की। यह स्कीम 55 एलपीसीडी के न्यूनतम सेवा स्तर के साथ 553 परिवारों को कवर करती है। ग्राम परिषद प्रत्येक घर से वाटर यूजर चार्ज संग्रहित करता है तथा जलापूर्ति सुविधाओं के प्रचालन एवं रखरखाव व्यय की दिशा में इसका समुचित उपयोग भी सुनिश्चित करता है। पूर्वोत्तर के नागालैंड के इसी टेखौबा गांव की यह अकेली कहानी नहीं है, बल्कि इसी प्रकार वेडामी गांव के ग्रामीणों की मुस्कान भी जल जीवन मिशन की प्रेरणा से बहुत कुछ कह रही है, जब यहा के लोग इस नई ‘जीवन जीने की सुगमता‘ की स्थिति में खुद को पाते हैं, जिसकी परिकल्पना जल जीवन मिशन के तहत की गई है। इस गांव के प्रत्येक घर को अब नियमित आधार पर समुचित मात्रा में और अनुशंसित गुणवत्ता में आश्वस्त सुरक्षित जलापूर्ति का 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन उपलब्ध कराया जाता है और यह सामुदायिक भागीदारी तथा स्थानीय जल एवं स्वच्छता (वाटसन) समिति की सक्रिय भागीदारी से संभव हो पाया है। आकांक्षी गांव ग्रामीणो ने किया श्रमदान नागालैंड में ऐसी ही कहानी किफायर जिले में 65 घरों वाले सौंगपोग गांव की है, जो मिशन के तहत शामिल होने वाले पहले कुछ गांवों में से एक है। यह गांव नागालैंड का एकमात्र आकांक्षी गांव है। यहां भी अधिकांश ग्रेविटी स्कीमों की तरह ही मुख्य पाइपलाइन बिछाना एक दुष्कर कार्य था, क्योंकि सड़क संपर्क का यहां लगभग कोई अस्तित्व नहीं है। इस चुनौती ने समुदाय की भावना को बाधित नहीं किया, क्योंकि पूरा समुदाय एक साथ एकत्र हो गया और नल जल कनेक्शन पाने के अपने स्वप्न को साकार करने के लिए उदारतापूर्वक नकदी एवं श्रमदान दोनों रूप में योगदान दिया। इस गांव की वाटसन समिति अपनी जलापूर्ति प्रणाली की दीर्घकालिक संधारणीयता सुनिश्चित करते हुए प्रचालन और रखरखाव कार्यकलापों में भी अग्रणी भूमिका निभाती है। कई चुनौतियों का सामना करते हुए पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसे सुदूर गांवों की सफलता गाथायें ग्रामीण समुदायों के जीवन स्तर में सुधार लाने की मिशन की रूपांतरकारी भूमिका के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। अरुणाचल प्रदेश के भी ऐसे सदूर गांव में इस चुनौतियों से निपटते हुए पहली बार ग्रामीण घरों में नल के जरिए पानी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकी हैं। 18Oct-2020

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