शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

कृषि व ग्रामीण क्षेत्र में इस्‍पात के इस्‍तेमाल को बढ़ा देने में जुटी सरकार

ग्रामीण विकास और अर्थव्यवस्था में इस्पात क्षेत्र की होगी अहम भूमिका हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के कई मंत्रालय एक मंच पर आए। सरकार का प्रयास है कि इस मिशन के तहत हमारे गांवों के विकास एवं समृद्धि और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने में भारत के इस्पात क्षेत्र की भूमिका हो सकती है। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानि सीआईआई के सहयोग से मंगलवार को यहां इस्पात मंत्रालय द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत: ग्रामीण अर्थव्यवस्था-कृषि, ग्रामीण विकास, पशुपालन और डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण में स्टील के उपयोग को बढ़ावा देने’ पर आयोजित एक वेबिनार केंद्रीय इस्पात मंत्री ने देश के ग्रामीण विकास एवं समृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने में भारत के इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर संबन्धित मंत्रालयों के साथ चर्चा की। इस वेबिनार में केन्द्रीय ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते प्रमुख रूप से शामिल हुए और कृषि तथा ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की दिशा में अपने अपने विचारों को साझा किया। वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में इस्पात मंत्री प्रधान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की मांग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के संवितरण के साथ कई नए क्षेत्रों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल कर रही है। उन्होंने बताया कि हम देशभर में 5 हजार कम्प्रेस्ड बॉयो-गैस (सीबीजी) संयंत्र विकसित करने के साथ चावल से इथेनॉल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। प्रधान ने इस बात का उल्लेख किया कि देश में प्रति व्यक्ति इस्पात उपयोग को बढ़ाने में ग्रामीण भारत की अहम भूमिका है। यह समाज में अधिक सशक्त बनाएगा, ग्रामीण विकास सुनिश्चित करेगा और रोजगार पैदा करेगा। कार्यदल के गठन का सुझाव केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन को साकार करने का मार्ग आत्मनिर्भर गांवों से होकर जाता है, इसलिए हमारे गांवों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने में इस्पात को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की आवश्यकता को देखने और घरेलू इस्पात उत्पादन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यदल के गठन का भी सुझाव दिया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू इस्पात के अधिक उपयोग के लिए बेहतर समन्वय, योजनाबद्ध दृष्टिकोण तैयार हो सकेगा। तोमर ने कहा कि इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण आवास, खाद्य भंडारण, कृषि उपकरण विनिर्माण आदि को कवर करने वाले ग्रामीण क्षेत्र में अपार अवसर उपलब्ध हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में इस्पात का अधिक उपयोग भी शामिल है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, डेयरी, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-उपकरण आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में विकास का ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत पर सकारात्मक असर पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेगी इस्पात की मांग केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण परिदृश्य को बदलने के लिए कई पहल की है। इसी के तहत ‘आत्मानिर्भर भारत: फ़ॉस्टरिंग स्टील यूज़ इन रूरल इकोनॉमी’ पर इस वेबिनार का मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लौह और इस्पात क्षेत्र के लिए उपलब्ध विशाल क्षमता का दोहन करने के लिए किया गया है, जो बहुत तेज़ दर से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में ग्रामीण क्षेत्र से इस्पात की मांग बढ़ती मांग मददगार हो रही है। इस्पात उद्योग के प्रमुख, इस्पात, ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और मत्स्य पालन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और यूपी, बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य सरकारों और सीआईआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने वेबिनार में भाग लिया। 21Oct-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें