सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

भारत-भूटान सीमा तक पहुंचा मोदी सरकार का ‘जल जीवन मिशन’

अरुणाचल में तीन हजार मीटर ऊंचे सुदूर गांवों को मिला पीने का शुद्ध पानी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। भारत और भूटान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी केमेंग जिले में ब्रोकसार्थंग नामक एक गांव के लोग एक साल पहले तक जलापूर्ति की समस्या से जूझ रहे थे, लेकन करीब 2,900 मीटर की मध्य समुद्री ऊंचाई पर बसे इस छोटे से गांव के लिए मोदी सरकार का जल जीवन मिशन एक नई जिंदगी लेकर सामने आया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के ब्रोकसार्थंग गांव में ‘ब्रोकपा‘ समुदाय से संबंधित 170 व्यक्तियों की मौजूदा आबादी के रूप में 22 परिवार हैं। ब्रोकपा याक के पालन पोषण एवं खानाबदोश जीवनशैली के लिए विख्यात हैं। यह गांव जिला मुख्यालय बोमडिला से लगभग 76 किमी की दूरी पर तथा निकटतम शहर दिरांग से 36 किमी की दूरी पर है। इससे पहले 2019 तक गांववासी जलापूर्ति की बड़ी कमी से जूझ रहे थे, लेकिन जल जीवन मिशन के तहत राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग ने 2020 में गांव के सभी परिवारों को उपचारित जलापूर्ति उपलब्ध करा दी। सभी परिवारों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति मुहैया होने पर यहां के ग्रामीणों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है, जो इसे पहल को नई जिंदगी के रूप में देख रहे हैं। इस परियोजना के पूरा होने पर इस गांव के प्रसन्नचित ग्रामीणों ने प्रार्थना के समय हाथों में पारंपरिक ‘कड़ा‘ बांधने के साथ अपने घरों में पानी प्राप्त किया है। 67 लाख रुपये की लागत से पूरा हुआ मिशन यह स्कीम पाइप्ड ग्रेविटी सिस्टम पर आधारित है और इसमें उपचार संयंत्र के प्रावधान के साथ 67 लाख रुपये की अनुमानित लागत के साथ इसकी रूपरेखा भविष्य की आबादी को ध्यान में रखकर भी बनाई गई है। स्कीम के योजना निर्माण एवं कार्यान्वयन में समुदाय को भी जोड़ा गया था। उन्होंने श्रम के रूप में जलापूर्ति स्कीम में गांव के संस्थानिक घटक के 5 प्रतिशत का योगदान दिया। ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति सक्रिय है और समिति प्रणाली के ओएंडएम का भार ग्रहण करने की प्रक्रिया में है। जल जीवन मिशन जलापूर्ति स्कीमों के योजना निर्माण, कार्यान्वयन, प्रचालन और रखरखाव में स्थानीय समुदाय की भागीदारी अधिदेशित करता है। आसान नहीं था जल कनेक्शन मंत्रालय की माने तो इस दुर्गम क्षेत्र, जहां सर्दियों में शून्य से नीचे के तापमान से लेकर मानसून में लगातार वर्षा के कारण उपचारित जलापूर्ति उपलब्ध कराने का दायित्व आसान नहीं था। निर्माण कार्य सबसे दुष्कर हिस्सा था क्योंकि एक तो कुशल राजगीरों और मजदूरों को ढूंढना बहुत कठिन था और दूसरा अत्यधिक ठंड और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण वे अक्सर काम छोड़ते रहे। जमी हुई बर्फीली सड़क, कोहरे के कारण शून्य दृश्यता और अक्सर होने वाले भूस्खलनों के कारण निर्माण के दौरान सामग्रियों की मालढुलाई और निगरानी भी उतना ही मुश्किल था। लेकिन इन सभी कठिनाइयों के बीच चुनौतियों का सामना करते हुए निर्धारित स्कीम में परिकल्पित योजना के अनुरूप काम पूरा कर लिया गया। 16Oct-2020

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