शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

अब देश में जूट के बैग में होगी खाद्यान्न की पैकेजिंग

केंद्र सरकार ने जूट उत्पादक किसानों के लिय किया बड़ा ऐलान जूट की खेती को प्रोत्साहन व किसानों को मिलेगा आर्थिक लाभ हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लक्ष्य को छूने की दिशा में जूट का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। देश में जूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए खाद्यान्न की शत प्रतिशत पैंकेजिंग के लिए जूट के बैग को अनिवार्य कर दिया गया है। इससे जहां जूट के उत्पादन में इजाफा होगा, वहीं किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिए गये महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि देश में खाद्यान्नों की शत प्रतिशत और चीनी की कम से कम 20 फीसदी पैकेजिंग जूट के बैग में करना अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से जूट की मांग बढ़ेगी और जूट की खेती को बढ़ावा मिलेगा। मसलन जूट का उत्पादन करने वाले किसानों को आर्थिक लाभ होगा और देश में जूट की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन जूट के बैगों की कीमत का फैसला समिति करेगी। उन्होंने बताया कि देश में जूट परियोजना, आईकेयर के अंतर्गत क्षेत्र की तीन एजेंसियां भारतीय पटसन निगम, राष्ट्रीय जूट बोर्ड और सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर जूट एंड एलाइड फाइबर्स हैं, जो जूट की मात्रा और गुणवत्ता के समग्र सुधार के लिए आधुनिक कृषि-विज्ञान आधारित प्रथाओं को बढ़ावा दे रहीं हैं। हर साल 6500 करोड़ के जूट बैग की सरकारी खरीद केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले से जूट उत्पादन क्षेत्र में काम करने वाले देश के करीब 3.7 लाख कामगारों और लाखों किसानों को फायदा होगा। जावडेकर ने कहा कि देश में इस फैसले से खासकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में रहने वाले किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जूट उद्योग मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र पर ही निर्भर है, इसलिए जूट क्षेत्र पर निर्भर कामगारों एवं किसानों की आजीविका में आवश्यक सहयोग के लिए सरकारी क्षेत्र में हर साल खाद्यान्न की पैकिंग के लिए 6500 करोड़ रुपये से भी अधिक कीमत की जूट बोरियां खरीदी जाती हैं। गौरतलब है कि हाल में जूट को लेकर किए कई और ऐलान केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय बीज निगम और भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर किए। देश में कच्चे जूट के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इससे उत्पादों के मूल्य संवर्धन से प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। जावडेकर ने कहा कि इस वर्ष फरवरी में घोषित राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन में जूट और जूट वस्त्र उत्पादों के लिए एक विशेष प्रावधान है। जल निकायों के तटबंध (लाइनिंग) बनाने में, सड़क निर्माण में और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन रोकने के लिए संरचनाओं के निर्माण में जूट के उपयोग को बढ़ाने की अपार संभावना है। एथेनॉल की कीमतें बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट के एक और महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी देते हुए प्रकाश जावडेकर ने कहा कि जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा एथेनॉल की खरीद के लिए तंत्र को मंजूरी दी है। मसलन कैबिनेट ने पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए एथेनॉल की कीमतों में 5 से 8 फीसदी बढ़ोतरी की, जिसके तहत गन्ने व चीनी से बनने वाले एथेनॉल की कीमत अब 62.65 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है, जिसमें बी हैवी की कीमत 57.61 रुपये और सी हैवी की कीमत 45.69 प्रति लीटर होगी। इससे शुगर मिलों के को फायदा होगा तो गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करना आसान हो जाएगा। गौरतलब है कि 10 फीसदी एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता है। बांधों की सुरक्षा और रखरखाव की नई योजना कैबिनेट बैठक में बांधों की सुरक्षा और मेंटनेंस के लिए नई योजना को मंजूरी दी गई है। इन परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इस योजना के तहत मौजूदा बांधों को नई तकनीक के आधार पर तैयार किया जाएगा, जो बांध काफी पुराने हो गए हैं उनमें सुधार किया जाएगा और अन्य कामों को पूरा किया जाएगा। इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देशभर में चयनित 736 बांधों की सुरक्षा और परिचालन प्रदर्शन में सुधार के लिए बाहरी सहायता प्राप्त 'बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना' के दूसरे और तीसरे चरण को मंजूरी दी है। इस परियोजना पर कुल 10,211 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस परियोजना को अप्रैल 2021 से मार्च 2031 तक लागू किया जाएगा। 30Oct-2020

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