सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

‘स्टेट वाटर ग्रिड’ के निर्माण से दूर होगी महाराष्ट्र में बाढ़ की समस्या

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार से डीपीआर तैयार करने का आग्रह हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र में बाढ़ के संकट से निपटने के स्थायी समाधान हेतु ‘स्टेट वाटर ग्रिड’ के निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट यानि डीपीआर तैयार करने का अनुरोध किया है। वाटर ग्रिड का यह प्रयास बाढ़ संकट से निपटने के साथ सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता के लिए भी मददगार साबित होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने ने महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रीय विद्युतीकरण ग्रिड और राजमार्ग ग्रिड की तर्ज पर राज्य में स्टेट वाटर ग्रिड की महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू करने का सुझाव दिया है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने गडकरी द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके कैबिनेट सहयोगियों तथा संसद सदस्य शरद पवार को इस संबन्ध में सुझाव के लिए लिखे पत्र की जानकारी देते हुए बताया कि इस पत्र में राज्य सरकार से इस मुद्दे पर जल्द निर्णय लेने का अनुरोध किया है ताकि इस पर क्रियान्वयन यथाशीघ्र शुरू हो सके। गडकरी ने अपने पत्र में कहा कि बाढ़ के चलते राज्य के विभिन्न भागों में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, इसलिए इस प्राकृतिक आपदा के बेहतर प्रबंधन के लिए तत्काल कारगर योजना तैयार करने की आवश्यकता है। यह प्राकृतिक आपदा मानव निर्मित विभिन्न विसंगतियों के चलते अधिक भयावह होती जा रही है। इसके लिए केंद्र पूरा सहयोग करने को तैयार है। गडकरी ने कहा कि राज्य में वाटर ग्रिड की महत्वाकांक्षी परियोजना से ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की नदियों का पानी राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों की तरफ मोड़ना संभव होगा है। वहीं इससे असिंचित क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे किसानों की आत्महत्याओं के मामलों में व्यापक कमी आएगी। यहीं नहीं इस व्यवस्था से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और ग्रामीण तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बुलढाणा पैटर्न पर हो काम केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय राजमार्गों के निर्माण के लिए जलाशयों, नालों और नदियों से मिट्टी व रेत निकाल कर जल संरक्षण को भी सुनिश्चित कर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और जल संरक्षण के बीच यह तालमेल न सिर्फ जल भंडारण क्षमता को बढ़ाएगा। महाराष्ट्र में ही यह प्रयोग महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में पायलट परियोजना के तौर पर शुरू किया गया, जिसे बुलढाणा पैटर्न नाम दिया गया। इसी तरह की गतिविधि में महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में 225 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी और रेत नदियों, नालों तथा जलाशयों से लिए गए जिनका इस्तेमाल राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में हुआ और इसके परिणामस्वरूप 22500 टीसीएम जल भंडारण की क्षमता बढ़ी, जिसके लिए राज्य सरकार पर खर्च का बोझ नहीं आया। इससे भू-जल स्तर में सुधार आया, नदियों, जलाशयों और नालों में गहराई बढ़ने के कारण बाढ़ की घटनाओं में कमी आई। कम गहराई होने के चलते पहले जहां नदियों, नालों और जलाशयों की जलग्रहण क्षमता कम थी, बाढ़ का पानी आसपास के इलाकों में भरने के बजाए अब इन जल स्रोतों में संग्रहित होने लगा। इसी प्रकार उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को जानकारी दी है कि वर्धा और नागपुर जिलों में तमस्वदा पैटर्न अपनाया गया है, जो वर्षा जल संचयन और भू-जल भरण का एक अन्य प्रयास है। यह कार्य पूरी तरह से वैज्ञानिक विधि से छोटे तथा सूक्ष्म वाटर शेड के निर्माण से किया जा रहा है जो जल अभियांत्रिकी और सिविल इंजीनियरिंग पर आधारित है। तमस्वदा पैटर्न वर्षा जल संचयन और भू-जल संग्रहण की दिशा में सबसे मददगार साबित हुआ है। यह शोधित जल भंडारण के साथ क्षेत्र को बाढ़ और सूखा मुक्त करता है। इस तरह के कार्यों के परिणामस्वरूप पारंपरिक और प्राकृतिक जल श्रोतों का संरक्षण हो रहा है। 18Oct-2020

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