राज्यसभा: एक्शन मोड में नजर आए उपसभापति कुरियन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही नोटबंदी के विरोध में विपक्ष के हंगामे के
कारण पटरी पर आने को तैयार नहीं है। नोटबंदी के फैसले पर मतविभाजन के तहत
चर्चा कराने और राज्यसभा में पीएम से चर्चा का जवाब देने की मांग कर रहे
विपक्षी दलों के हंगामे
के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बुधवार को भी ठप रही, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
राज्यसभा
में बुधवार को कार्यवाही शुरू होते ही नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के सदन में मौजूदगी की मांग को लेकर विपक्षी दल के सदस्यों
ने भारी शोरगुल और हंगामा किया, जिसके कारण शून्यकाल एवं प्रश्नकाल नहीं हो
सका तथा सदन की कार्यवाही को दो बार के स्थगन के बाद करीब ढाई बजे पूरे
दिन के लिए स्थगित करना पड़ा। दो बजे बाद जब कार्यवाही शुरू हुई तो उप
सभापति प्रो. पीजे कुरियन ने नोटबंदी पर पहले दिन की अधूरी चर्चा को आगे
शुरू करने को कहा तो सपा के नरेश अग्रवाल ने संविधान में पीठ के संपूर्ण
अधिकारों का तर्क देते हुए पीठ से प्रधानमंत्री मोदी को सदन में बुलाने को
कहा, लेकिन इसके जवाब में कुरियन ने कहा कि यह मामला वित्त मंत्रालय से
संबन्धित है जिसके लिए परंपरा के तहत वह वित्त मं़त्री को बुलाने को कह
सकते हैं।
इससे पहले सदन में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी
दलों ने प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग की और हंगाम कर दिया,
जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पडी। इसके बाद 12 बजे शुरू हुई
कार्यवाही के दौरान सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल शुरू करने की
घोषणा की, लेकिन कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल
कांग्रेस, वामपंथी दलों, जनता दल (यू) और द्रमुक के सदस्य एक साथ अपनी सीट
के निकट खड़े हो गये और प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग करने लगे।
इसके
बाद भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी अपनी सीट से जोर-जोर से बोलने लगे।
सदन में भारी शोरगुल के दौरान ही अंसारी ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने
का अनुरोध किया लेकिन तृणमूल और कांग्रेस के सदस्य सदन के बीच में आ गये
और प्रधानमंत्री को बुलाने को लेकर नारे लगाने लगे।
सत्ता पक्ष को फटकार
राज्यसभा
के उप सभापति प्रो. पीजे कुरियन ने भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी को
विपक्षी पार्टियों के प्वाइंट आॅफ आॅर्डर पर बार-बार बाधा पैदा करने का
आरोप लगाते हुए चेताया कि यदि उनका रवैया ऐसा रहा तो वह सत्तापक्ष के
सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए बाध्य हो जाएंगे। दरअसल राज्यसभा
में नरेश अग्रवाल और आनंद शर्मा को प्वाइंट आॅफ आॅर्डर के लिए समय दिया गया
था। तभी भाजपा सदस्य और मंत्री नकवी विरोध करने लगे, कि उन्हें किस नियम
के तहत मौका दिया गया है। इसी के बाद उप सभापति कुरियन एक्शन मोड में नजर
आए।
कांग्रेस के तर्क खारिज
इसी बीच नोटबंदी
में आरबीाआई एक्ट के अनुच्छेदों का उल्लंघन होने का आरोप लगा रहे कांग्रेस
के आनंद शर्मा व अन्य नेता पीजे कुरियन की दलील के सामने उस समय बगले
झांकते नजर आए, जब वे यह साबित करने में असफल रहे कि किन अनुच्छेद के तहत
संविधान का उल्लंघन हुआ है। इस पर कुरियन को कहना पड़ा कि राजनीतिक आरोप के
तहत संविधान के उल्लंघन को लेकर उठाए जा रहे औचित्य के प्रश्न को खारिज
किया जाता है।
लोकसभा में विपक्ष का प्रस्ताव नामंजूर
सदन
में कार्य स्थगित करके मतविभाजन वाले नियम 56 के तहत तत्काल चर्चा कराने
की विपक्ष की मांग को लेकर शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने
के कुछ ही देर बार दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं सरकार का
कहना है कि यह कदम कालाधन, भ्रष्टाचार और जाली नोट के खिलाफ उठाया गया है
और वह नियम 193 के तहत चर्चा कराने को तैयार है हालांकि विपक्षी दल कार्य
स्थगित करके चर्चा कराने की मांग पर अड़े हुए हैं।
नोटबंदी के पक्ष में जनता: अनंत कुमार
संसदीय
कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार
है। लेकिन इस प्रकार से बैनर, पोस्टर दिखाना कांग्रेस जैसे दल के लिए ठीक
नहीं है जिसने देश पर 50 साल से अधिक समय तक शासन किया। अनंत कुमार ने कहा
कि नोटबंदी पर एक-दो या तीन दिन भी चर्चा की जा सकती है, हम उसके लिए तैयार
हैं। लेकिन इस प्रकार से सदन की कार्यवाही बाधित करना ठीक नहीं है।
नोटबंदी जरूरी कदम: शिवसेना
शिवसेना
के आनंदराव अडसुल ने कहा कि हमने 500, 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के
फैसले का स्वागत किया है। यह जरूरी कदम था। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए
ढाई साल से चर्चा हो रही थी। इसे चलन से बाहर करना जरूरी था। उन्होंने कहा
कि कल प्रधानमंत्री ने हमें आश्वासन दिया था कि जनता को राहत दी जाएगी और
आज कुछ निर्णय लिये गये हैं जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।
पीएम सदस्यों की राय नहीं
आरएसपी
के एम के प्रेमचंद्रन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के मुद्दे पर
मोबाइल एप के जरिये जनता की राय जानने के लिए जनता के बीच सर्वेक्षण शुरू
किया है लेकिन सदन में सदस्यों की राय नहीं जानना चाहते।
नोटबंदी अच्छा फैसला: अकाली
अकाली
दल के प्रेमसिंह चंदूमाजरा ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की तारीफ
करते हुए कहा कि अच्छा निर्णय है और कतारों में खड़े गरीब लोग भी मोदी जी की
तारीफ कर रहे हैं।
संसद परिसर में विपक्षी दलों का प्रदर्शन
संसद
में लगातार नोटबंदी के मुद्दे को लेकर हंगामा करके दोनों सदनों की
कार्यवाही ठप करते आ रहे विपक्षी दलों ने बुधवार को संसद की कार्यवाही शुरू
होने से पहले संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना देकर
प्रदर्शन किया।
नोटबंदी के फैसले के खिलाफ इस विरोध प्रदर्शन
में करीब एक दर्जन विपक्षी दलों के करीब 200 एकत्र हुए और उन्होंने काफी
देर तक अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। उन्होंने नोट बंदी पर
दोनों सदनों में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मौजूद रहने
के साथ ही इस मुद्दे पर लोकसभा में नियम 56 के तहत काम रोको प्रस्ताव के
माध्यम से चर्चा करने की मांग दोहराई। विपक्षी दल अपनी इन मांगों को लेकर
पिछले चार दिन से भारी हंगामा कर रहे हैं, जिसके कारण दोनों सदनों में कोई
कामकाज नहीं हो पाया है। धरना प्रदर्शन में शामिल नेताओं में कांग्रेस
उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद,
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप
बंदोपाध्याय तथा डेरेक ओ ब्रायन के अलावा जनता दल-यू के शरद यादव,सपा के
रामगोपाल यादव, बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा, द्रमुक के
त्रिचिशिवा,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तारिक अनवर के अलावा वाम दलों,
राष्ट्रीय जनता दल आदि के सांसद शामिल थे।
नोटबंदी पर विपक्षी एकता में दरार
जय
ललिता की आॅल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के दस सांसद
अपनी पार्टी के कांग्रेस ने नेतृत्व में नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन के
फैसले को लेकर नाराज हैं। कांग्रेस ने बुधवार को संसद के अंदर महात्मा
गांधी स्मारक के पास नोटबंदी के फैसले का विरोध किया। इस विरोध प्रदर्शन
में एआईएडीएमके की प्रतिद्वन्द्वी पार्टी डीएमके ने भी हिस्सा लिया था।
एआईएडीएमके सांसदों को ‘2जी घोटाले के आरोपी’ द्रविड़ मुनेत्र कषगम के साथ
मंच साझा करने का अपनी पार्टी का विचार पसंद नहीं आया। गौरतलब है कि इस
मामले को लेकर पार्टी की सुप्रिमो जयललिता के फैसले पर भी संशय बना हुआ है।
जयललिता अभी अस्पताल में हैं। सांसदों का मानना है कि अगर जयललिता के
मंजूरी से एआईएडीएमके ने नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया है तो
उन्होंने इस मामले में लिखित बयान क्यों जारी नहीं किया।
24Nov-2016