मंगलवार, 29 नवंबर 2016

संसद में नोटबंदी पर नहीं थमा हंगामा-जन आक्रोश दिवस पर नहीं मिला विपक्ष को समर्थन


संसद में नोटबंदी पर नहीं थमा हंगामा
राज्यसभा में अपनी मांगों पर अड़िग विपक्ष
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे सप्ताह की कार्यवाही भी नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे के साथ ही शुरू हुई और विपक्ष पीएम मोदी की मौजूदगी में चर्चा की मांग के साथ उनके द्वारा की गई टिप्पणी पर माफी की मांग करते हुए दोनों सदनों में हंगामा करते नजर आया। इस हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही ठप रही और पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
सोमवार को राज्यसभा की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्षी दलों ने सदन में पीएम मोदी को बुलाने की मांग को लेकर हंगामा किया और नोटबंदी के मुद्दे पर उनसे सदन में जवाब देने की मांग की। राज्यसभा के उपसभापति प्रो. पीजे कुरियन के लगातार आग्रह के बाद भी विपक्षी दलों के नेता शांत होने को तैयार नहीं हुए और लगातार आसन के करीब आकर नारेबाजी के साथ हंगामा करते रहे, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। दोपहर बाद दो बजे भी विपक्षी दलों का यही अडियल रवैया और हंगामा रहा तो सदन की कार्यवाही को मंगलवार तक स्थगित करनी पड़ी। सदन में विपक्ष के हंगामे के कारण सोमवार को भी शून्यकाल व प्रश्नकाल नहीं हो सका। मोदी सरकार के इस फैसले पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी दलों के निशाने पर प्रधानमंत्री से सदन में आकर जवाब देने की मांग पर अड़िग विपक्षी दल चुनौती भी दे रहे हैं, जिसमें राज्यसभा सदस्य बसपा सुप्रीमो ने तो यहां तक कहा कि मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र संसद से बाहर बड़ी-बड़ी और चौड़ी बातें कर सकते हैं लेकिन उनमें सदन में सवालों के जवाब देने की हिम्मत नहीं है। राज्यसभा में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि भाजपा कह रही है विपक्ष ने भारत बंद बुलाया है, लेकिन असलियत यह है कि पीएम के फैसले से यह पहले ही हो चुका है। गौरतलब है कि राज्यसभा में 16 नवंबर को नोटबंदी पर चर्चा शुरू हुई थी जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है।
विपक्ष का आरोप
विपक्ष का नोटबंदी के फैसले को लेकर आरोप है कि पीएम मोदी के इस फैसले के कारण गरीब, मजदूर, असंगठित क्षेत्र के लोग, किसान, महिलाएं आदि काफी प्रभावित हुए हैं। लोग एक पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। देश की आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो रही है। विपक्ष की मांग है कि सरकार के नोटबंदी के फैसले के कारण जनता को जो तकलीफ हो रही है, उसके बारे में हमारे कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूर किया जाए। गौरतलब है कि विपक्ष मांग कर रहा है कि पीएम सदन में आकर जवाब दें और बहस का हिस्सा बनें। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी सदन के बाहर इतना बोलते हैं तो संसद में जवाब क्यों नहीं देते। वहीं मायावती ने भी कहा कि पीएम बाहर लंबी-लंबी और चौड़ी बातें करते हैं लेकिन उनमें सदन में बोलने की हिम्मत नहीं है।
सरकार की दलील
विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार का तर्क है और दलील दी जा रही है कि नोटबंदी का यह फैसला राष्ट्रहित में लिया गया क्रांतिकारी, साहसिक और गरीबोन्मुखी कदम है और किसी ने भी यह सवाल नहीं उठाया कि यह गलत नीयत से लिया गया फैसला है। इस फैसले पर किसी ने सवाल नहीं उठाया। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री से संसद में बहस के दौरान उपस्थित रहने पर जोर दिये जाने पर प्रधानमंत्री संसद में आएं, तो सदन में भी आएंगे और बहस में हस्तक्षेप भी करेंगे। सरकार पहले दिन से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हम इस बारे में विपक्ष के सुझावों पर भी विचार करने को तैयार हैं।

कर्मचारियों तक ऐसे पहुंचेगा वेतन!

सरकार आरबीआई के साथ बना रही है विशेष योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने नोटबंदी के फैसले के बाद वेतन को लेकर बढ़ती सरकारी कर्मचारियों की चिंता को संज्ञान में लेते हुए योजना बनाना शुरू कर दिया है कि बैंकों में लगी लंबी कतारों से अलग कर्मचारियों को वेतन की राशि किस तरीके से पहुंचाई जाए।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने नौकरीपेशें वालों की इस चिंता पर काम करना शुरू कर दिया है और योजनाओं पर विचार किया जा रहा कि नवबंर माह समाप्त होते ही वेतन वितरण की व्यवस्था किस योजना के तहत पूरी की जाए। गौरतलब है कि देशभर में जिस प्रकार से बैंकों में पुराने नोट जमा करने के लिए लंबी कतारे अभी तक खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, लिहाजा अपने वेतन को हासिल करने के लिए नौकरीपेशा करने वाले लोगों की चिंताएं स्वाभाविक हैं। शायद इसी समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने आरबीआई और बैंकों के साथ समन्वय कायम करके तैयारियों को तेज कर दिया है।
ऐसे हो रही हैं तैयारियां
सूत्रों के अनुसार सरकारी कर्मचारियों की जेब में वेतन की रकम पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मुंद्रा की अगुवाई में एक विशेष दल का गठन किया है और यह दल वेतन वितरण के नियत दिन तक ऐसी रणनीति व योजना बनाने में जुटा है कि कर्मचारियों के वेतन वितरण में कोई अडचन न आ सके। ऐसी रणनीतियों के तहत पिछले महीने के आंकड़ों के को आधार बनाकर यह आकलन किया जा रहा है कि इस महीने कितनी धनराशि की आवश्यकता होगी। सरकार की इस योजना में जिस इलाके में जितने पैसे निकाले जाते हैं, उसी आधार पर उस इलाके में नकदी भेजने पर विचार हो रहा है।

सोमवार, 28 नवंबर 2016

नोटबंदी: ‘आक्रोश दिवस’ पर बंटा विपक्ष!


नीतीश व ममता ने भी बनाई दूरी, अन्य दल भी बेचैन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी वाले फैसले के विरोध में जनसमर्थन न मिलने के कारण विपक्ष की लामंबदी टूटती नजर आने लगी है। मसलन इस मुद्दे पर पीएम मोदी पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में बसपा, आप और वामदल जैसे एकजुट हुए विपक्ष की सोमवार को आक्रोश दिवस में भारत बंद की मुहिम को जद-यू और तृणमूल कांग्रेस ने तगड़ा झटका दिया है, जो इस आक्रोश दिवस से अपने कदम वापस खींचने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं नोटबंदी को राजनीतिक मुद्दा बनाने वाले विपक्षी दलों की व्यापारिक और अन्य संगठनों समेत जनसमर्थन की उम्मीदें भी क्षीण हो गई हैं।
संसद से लेकर सड़क तक नोटबंदी के फैसले को वापस लेने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में बसपा, आप और वामदल जैसे कई दल एकजुट होकर मोदी पर दबाव बनाने का प्रयास करते आ रहे है, जिसके लिए सोमवार को आक्रोश दिवस के रूप में भारत बंद का आव्हान किया हुआ है। इस आक्रोश दिवस से पहले ही इस मुद्दे का विरोध कर रहे विपक्षी दलों की एकजुटता बिखरने लगी, जिसमें नोटबंदी के फैसले पर पीएम मोदी के फैसले का आरंभ से ही समर्थन कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐलान किया है कि इस आक्रोश दिवस में जदयू हिस्सा नहीं लेगी। वहीं अभी तक विपक्ष की लामबंदी में शामिल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी खुद अपने राज्य में इसी मुद्दे पर लेμट पार्टियों की हड़ताल को गलत करार करते हुए इस विरोध को तगड़ा झटका दिया है। माना जा रहा है कि कुछ अन्य पार्टी में भी विपक्ष के बंटने की संभावनाओं से अपनी रणनीति बदल सकती हैं।
कांग्रेस ने बदला पैंतरा
संसद के शीतकालीन सत्र के दो सप्ताह की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में हंगामा करते विपक्षी दलों की लामबंदी टूटने की स्थिति में कांग्रेस ने भी अपन पैंतरा बदला है। कांग्रेस आक्रोश दिवस से एक दिन पहले यह कहने को मजबूर हो रही है कि उनकी पार्टी ने सोमवार को 'भारत बंद' का आह्वान नहीं किया है और कांग्रेस नोटबंदी के मुद्दे पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने रविवार को ऐसा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल सोमवार को 'जन आक्रोश दिवस' मनाएंगे और देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे, न कि भारत बंद।
असमंजस में सपा
समाजवादी पार्टी के विवादित नेता अमर सिंह देश में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुरीद होते नजर आए, जिन्होंने मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि यह कालाधन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा को खत्म करने का एक साहसिक प्रयोग है और एक देशवासी के तौर पर मुझे गर्व है कि हमें एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जो भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए समर्पित हैं। अमर सिंह ने दावा किया कि नोटबंदी के फैसले से अमीर और गरीब के बीच की खाई कम हुई है और अब लोग कर चोरी करने की बजाय कर अदा करेंगे। अमर सिंह ने यहां तक कहा कि इस फैसले से अब काला धन जमा रखने वालों की दिन का चैन और रात की नींद हराम हो गई है।
विपक्ष को नहीं मिला जनसमर्थन
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को राजनीतिक मुद्दा बनाने की विपक्षी दलों को दिल्ली के बाजारों की एसोसिएशनों ने समर्थन देने से साफ इन्कार कर दिया है, जो केवल इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराना चाहते हैं। दिल्ली के व्यापारियों के रुख को देखते हुए दिल्ली में सत्तारूढ़ और नोटबंदी की मुखर आलोचक आम आदमी पार्टी के ट्रेड विंग ने भी आक्रोश दिवस पर तटस्थ रुख अपना लिया है। विंग के संयोजक बृजेश गोयल का कहना है कि राष्टÑीय स्तर की ट्रेड विंग ने यह फैसला दिल्ली के व्यापारियों पर ही छोड़ा है कि वह क्या रुख अपनाते हैं, जो इस विरोध के पक्ष में नहीं हैं। यहां प्रमुख व्यापारियों ने स्पष्ट किया कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री के फैसले के साथ हैं। फेडरेशन आॅफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव ने साफ कर दिया है 28 नवंबर को सदर बाजार की सभी दुकानें खुली रहेंगी। वहीं भारतीय उद्योग व्यापार मंडल दिल्ली के महासचिव व नया बाजार में खाद्य तेल कारोबारी हेमंत गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के कारोबारी विपक्ष के भारत बंद के साथ नहीं है, क्योंकि नोटबंदी का यह देशहित में लिया गया फैसला है। वहीं चांदनी चैक सर्व व्यापार मंडल के महासचिव संजय भार्गव के मुताबिक नोटबंदी के बाद व्यापारियों को होने वाली समस्याओं को दूर करने की सरकार ने काफी कोशिशें की हैं। इसलिए दुकानदार विपक्ष के साथ नहीं है।
भारत बंद के समर्थन बेइमान: मनोज तिवारी
नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष द्वारा 28 नवंबर को बुलाए गए भारत बंद का कही समर्थन हो रहा है तो कहीं विरोध। इस बीच भोजपुरी गायक और उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने नोटबंदी का विरोध कर रहे लोगों पर कटाक्ष करते हुए कहा की ये वही लोग है जिन्हें तैयारी का पूरा मौका नहीं मिला। वहीं विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा की 28 तारीख को जो लोग भारत बंद में शामिल होने जा रहे है वो देश के बेईमान लोग है।

लोस व विस के एकसाथ चुनाव की कवायद तेज

कुछ राज्यों के कार्यकाल में कटौती, तो कुछ में विस्तार से होगा संभव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चुनाव आयोग के साथ नीति आयोग ने भी देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की कवायद का समर्थन किया है। यह मुहिम देश के कम से कम आधे राज्यों के कार्यकाल में कटौती कर उन्हें छोटा करने के बाद ही संभव हो सकती है। नीति आयोग तो मानता है कि ऐसे राज्यों की सरकारों का कार्यकाल तीन से 15 महीने तक छोटा करना पड़ सकता है।
नीति आयोग का देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का समर्थन उसके जारी एक रिपोर्ट 'एनालिसिस आॅफ साइमल्टेनीअस इलेक्शंस: द व्हाट, व्हाई एंड हाऊ' में किया गया है। इसके लिए आयोग ने कहा कि देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित कराने के लिए आधे राज्यों की सरकारों का कार्यकाल तीन से 15 महीने तक छोटा करना होगा। वहीं बाकी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल एक साल तक बढ़ाना होगा।
ऐसे हो कटौती और विस्तार
रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में चुनाव कराने पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान की विधानसभा का कार्यकाल 5 महीने, मिजोरम 6 महीने और कर्नाटक का 12 महीने बढ़ाना होगा। तो वहीं हरियाणा व महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 5 महीने, झारखंड का 7 महीने और दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 8 महीने कम करना होगा। वहीं दूसरे चरण में एक साथ चुनाव कराने पर तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुदुचेरी, असम और केरल विधानसभा का कार्यकाल 6 महीने, जम्मू कश्मीर का 9 महीने और बिहार का 13 महीने कार्यकाल बढ़ाना होगा। जबकि गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड का 3 महीने, उत्तर प्रदेश का 5 महीने, हिमाचल प्रदेश व गुजरात का 13 महीने और मेघालय, त्रिपुरा व नागालैंड का कार्यकाल 15 महीने का कार्यकाल कम करने की जरूरत होगी।
आयोग ने तैयार की रिपोर्ट
केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में यह बात कही गई है। नीति आयोग के पेपर रुपी इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई ने माना है कि लगातार चुनाव होते रहने से नीति निर्माण में बदलाव करने होते हैं, क्योंकि देश में संरचनात्मक सुधारों के बजाय अदूरदर्शी लोकलुभावन और राजनीतिक सुरक्षा के उपायों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की वकालत कर चुके हैं, जिसका समर्थन चुनाव आयोग भी कर चुका है और इसके लिए सर्वदलीय बैठक में राय लेने के पक्ष में रहा है। इसका कारण है कि इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए सभी दलों की आमसहमति बनाना भी जरूरी है।

रविवार, 27 नवंबर 2016

राग दरबार: विमुद्रीकरण पर स्वार्थ की सियासत...

कालेधन से नेताओं को सरोकार नहीं
देश में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध करने वाले कुछ ऐसे लोगों और सियासी दलो पर ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ जैसी कहावत सटीक तौर पर चरितीर्थ होती नजर आ रही है, जिन्हे शायद अपने कालधन को खपाने का मौका या ठिकाना नहीं मिल रहा है। तभी तो पीएम मोदी के हकीकत बयान पर विपक्ष जनता की परेशानियों के बहाने बिफरतें नजर आ रहे है। जब कि जनता केंद्र सरकार ने कालेधन पर रोक लगाने के लिये 500 व 1000 के नोट को बंद करने के साहसिक निर्णय में इस नयी व्यवस्था लागू होने से 90 फीसदी आम देशवासी चंद परेशानियों से दो−चार होने के बावजूद खुश है। देश को उम्मीद है कि इससे कालाधन, भ्रष्टाचार,आतंकवाद, अवैध व्यापार, ड्रग्स कारोबार और जाली करेंसी पर रोक लगेगी। इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देशभर में दौड़ रही है, जिसमें इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सरकार के इस निर्णय के विरोध मे वहीं लोग व सियासी दल अनर्गल बयानबाजी, अफवाह फैलाकर सरकार की छवि धूमिल करने की जैसी कोशिशों में जुटे हैं उससे जाहिर है कि उन्हें देश या आम जनता से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि अपने और समर्थकों के खजाने को बचाने की मुहिम के तहत संसद और संसद से बाहर हंगामा ही नही कर रहे, बल्कि इस फैसले का विरोध करके ऐसे सियासी दल कालेधन समेत देश को कमजोर करने वाली कैंसर रूपी समस्याओं की चुनौती से निपटने की योजना में अड़चन पैदा कर रहे हैं? या सवाल होगातो इस फैसले से निजी तौर पर प्रधानमंत्री या सरकार को क्या कोई लाभ मिलने वाला है या फिर सरकार या प्रधानमंत्री का कोई निजी स्वार्थ सधने वाला है? असल में इस कदम से आने वाले समय में देश और देशवासियों को क्या भला होगा, यह समझने और जानने की बजाय अधकचरी जानकारी के आधार पर सरकार के फैसले को गर्म पानी पी−पीकर कोसने वाले कम नहीं हैं। यही चंद लोग स्वार्थ की सियासत कर देश की आम जनता को बरगलाने और अफवाह फैलाने का काम कर रहे हैं। जबकि चाहिए था कि देश में एक पारदर्शी व्यवस्था, विकसित राष्ट्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रधानमंत्री और सरकार का साथ देकर कालेधन जैसी बुराईयों से लडें।
जद-यू का दोहरा चेहरा
पीएम नरेन्द्र मोदी के चिरप्रतिद्वंद्वी और हमेशा विपक्ष में रहने वाले बिहार के सीएम नीतीश कुमार सरकार के नोटबंदी के निर्णय पर आरंभ से पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ कर रहे हैं। नीतीश ने तो यहां तक की संज्ञा दी कि नोटबंदी का ये साहसिक काम कोई शेर ही कर सकता है। जबकि जदयू मुखिया नीतीश कुमार व महासचिव केसी त्यागी के अलावा इस दल का सारा हिस्सा नोटबंदी के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम के साळा है, लेकिन नीतीश आत भी इस फैसले पर ऐसे में एक बार फिर से पीएम मोदी के मुरीद हो गए हैं। जदयू में इस फैसले को लेकर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने जदयू के एक सांसद पर तंज कसते हुए देखा गया, कि आपकी पार्टी के दो चेहरे क्यों? नीतीश जी को भी मनाओ! लेकिन नीतीश नोटबंदी से हो रही परेशानी से चिंतित तो हैं हैं, लेकिन इस उम्मीद है कि देश की व्यवस्था बदलेगी। इसीलिए नीतीश ने पीएम से इस बात का आग्रह किया है कि बेनामी संपत्ति रखने वालों पर भी कार्रवाई को तेज करने की जरूरत है, जहां काले धन की बड़ी मात्रा में खपत होती है।

शनिवार, 26 नवंबर 2016

आयकर नियमों में बदलाव की तैयारी में सरकार

संसद में पेश कर सकती है आयकर कानून संशोधन विधेयक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले में बेसुमार धन रखने वालों द्वारा जनधन खातों का दुरुपयोग करने वाले धनकुबेरों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने आयकर नियमों में बदलाव करने की तैयारी कर ली है, जिसके लिए इस संसद सत्र में एक विधेयक पेश किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कालेधन के खिलाफ 500 व एक हजार के नोट बंद करने के फैसले के बावजूद बैंकों में जमा की जा रही धनराशि के लिए गड़बड़झाला होने की आशंका ही नहीं, बल्कि पुष्टि हो रही है। मसलन बेसुमार धनराशि रखने वाले धनकुबेर गरीबी की रेखा से नीचे यापन करने वाले परिवारों के दो साल पहले खोले गये बैंक खातों का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। हालांकि सरकार ने जनधन खातों में 50 हजार रुपये की समय सीमा तय कर दी है, लेकिन जनधन खातों में ढाई-ढाई लाख रुपये तक जमा हो चुके हैं, जबकि ऐसे खातों में सरकार के नोटबंदी वाले फैसले से ट्रांसजेक्शन ऐसा नहीं था। इसीलिए केंद्र सरकार ने आयक कानून में संशोधन लाने का प्रस्ताव किया है। सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद जिन बैंक खतों में ढाई लाख रुपये से ज्यादा धनराशि जमा हुई है सरकार ऐसी अघोषित धनराशि पर सरकार 60 फीसद आयकर लगाने पर विचार कर रही है। वहीं अघोषित राशि की निकासी पर चार तक प्रतिबंध लगाया जा सकता है। सरकार आयकर कानून में संशोधन के लिए मौजूदा संसद सत्र में ही आयकर कानून संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
इसलिए संशोधन का फैसला
नोटबंदी के बाद देश में खोले गये जन धन खातों में जमा कराए गये करीब 21,000 करोड़ रुपये के बाद सरकार सकते में हैं, वहीं आयकर स्लैब से ज्यादा अघोषित राशि पर निर्धारित कर के अलावा 200 प्रतिशत जुर्माने को लेकर आयकर विभाग असमंजस की स्थिति में भी नजर आ रहा था कि वह किस नियम के तहत जुर्माना वसूल करेगा। ऐसे में आयकर कानून में संशोधन लाना जरूरी माना गया और सरकार ने जुर्माने की राशि के बजाए अघोषित रकम पर 50 से 60 प्रतिशत आयकर तय करने पर विचार किया है। नोटबंदी के बाद बेहिसाब तरीके से कालाधन रखने वाले लोग अपने धन को सफेद करने में नए-नए तरीके अपना रहे हैं और गरीबों को लालच देकर उनके खातों में जमा कर रहे है। अब जन धन खातों में 21,000 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि जमा होने के बाद सरकार ज्यादा टैक्स वसूलने की तैयारी में है।
ये हो सकता है संशोधन
सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद 30 दिसंबर तक जमा की गई बेहिसाब राशि के बारे में अगर कर अधिकारियों के समक्ष घोषणा की जाती है, तो उस पर 50 प्रतिशत कर लगाने का प्रावधान हो सकता है, वहीं बैंक खातों में जमा हो चुकी धनराशि की निकासी पर चार साल के लिए रोक यानि लाक-इन अवधि को लागू करने का फैसला लिया जाने की संभावना है। इसके विपरीत यदि कोई अघोषित धन की घोषणा नहीं करेगा और आयकर विभाग ऐसे कालेधन का पता लगाएगी तो उस पर 60 प्रतिशत कर लगाने के साथ जुर्माना भी वसूला जा सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार इसे प्रभाव में लाने के लिये संसद के मौजूदा सत्र में आयकर कानून में संशोधन करने का फैसला कर चुकी है।

संसद में नहीं थमा नोटबंदी पर महासंग्राम

पीएम मोदी की टिप्पणी पर बिफरा विपक्ष
माफी मांगने की मांग पर दोनों सदनों में हंगामा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र का दूसरा सप्ताह भी नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया है। नोटबंदी के फैसले का विरोध कर रहे विपक्षी दलों ने शुक्रवार को दोनों सदनों में पीएम मोदी द्वारा कालेधन के खिलाफ लिए गये इस फैसले पर आलोचना करने वालों पर की गई टिप्पणी पर विपक्षी दल ऐसे बिफरते नजर आए कि दोनों सदनों में विपक्ष ने पीएम से माफी मांगने को लेकर जमकर हंगामा किया और संसद की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के फैसले के खिलाफ विपक्ष के तीखे तेवर लगातार जारी रहने के कारण संसद के शीतकालीन सत्र में दूसरे सप्ताह की कार्यवाही भी हंगामे की भेंट चढ़ गई। शुक्रवार को भी लोकसभा व राज्यसभा में इस मुद्दे पर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबंदी का विरोध कर आलोचना करने वालों पर की टिप्पणी के कारण विपक्षी दल ऐसे बिफरे कि सरकार के खिलाफ चल रहा गतिरोध और तल्ख नजर आया। मसलन अभी तक नोटबंदी पर चर्चा के वक्त मोदी की मौजूदगी की मांग कर रहे विपक्ष ने दोनोें सदनों में विरोध करने वालों पर की गई टिप्पणी पर पीएम मोदी से माफी मांगने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। राज्यसभा में शुक्रवार को सुबह कार्यवाही शुरू होते ही पीएम नरेंद्र मोदी के सदन में मौजूद रहने की मांग पर अड़े रहने के साथ टिप्पणी पर माफी मांगने को लेकर कांग्रेस, बसपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी के साथ हंगामा करने लगे। इसी हंगामे के बीच ही कुरियन ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। इस हंगामे के कारण दो बार के स्थगन के अलावा ढाई बजे बाद सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
लोकसभा में भी बरपा हंगामा
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों का हंगामा जारी रहने के चलते सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले बड़े नोटों को अमान्य करने के मोदी सरकार के निर्णय के विरोध में लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण प्रश्नकाल बाधित रहा। सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के 20 मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष सदन के कार्य स्थगित करके मतविभाजन वाले नियम 56 के तहत तत्काल चर्चा कराने की मांग के अलावा आज एक समारोह में नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का विरोध करते हुए विपक्षी दलों कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ, प्रधानमंत्री सदन में बोलो’ जैसे नारे लगाए। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने एक समारोह में प्रधानमंत्री के बयान पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कहा वह ठीक नहीं है। उन्हें सदन में बोलना चाहिए क्योंकि सत्र चल रहा है। इस दौरान कुछ प्रश्न भी लिये गए और संबंधित मंत्रियों ने उसके जवाब भी दिये। हालांकि विपक्षी सदस्यों का शोर शराबा जारी रहा। व्यवस्था बनते नहीं देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के 20 मिनट बाद स्थगन के अलावा बाद में पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
पीएम जिंदाबाद बनाम मुरदाबाद
राज्यसभा में आसन के करीब विपक्षी दल प्रधानमंत्री सदन में आओ, प्रधानमंत्री मुरदाबाद जैसे नारे लगा रहे थे तो दूसरी ओर सत्ता पक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री जिंदाबाद के नारे लगाते रहे। इस शोर शराबे ओर नारेबाजी के साथ हुए हंगामे के कारण उपसभा पति ने ढाई बजे की कार्यवाही के दौरान गैर सरकारी कामकाज को पूरा कराया और सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
राज्यसभा: दीपेन घोष को श्रद्धांजलि
राज्यसभा के पूर्व सदस्य और जाने माने मजदूर नेता दीपेन घोष को शुक्रवार को सदन में श्रद्धांजलि दी गयी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति हामिद अंसारी ने कहा कि घोष का निधन 13 नवंबर को हो गया था। उनका जन्म 1929 में हुआ था। उनकी पढ़ाई कोलकाता विश्वविद्यालय में हुई थी। अंसारी ने कहा कि स्वर्गीय घोष 1981 से 1986 तक तथा 1987 से 1993 तक राज्यसभा के सदस्य रहे थे। श्री अंसारी ने कहा कि श्री घोष के निधन से देश ने एक महान मजदूर नेता खो दिया है। बाद में सदस्यों ने एक मिनट मौन खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पीएम मोदी ने क्या कहा
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि नोटबंदी के ऐलान से पहले सरकार की ओर से पूरी तैयारी नहीं होने की आलोचना करने वालों को इस बात की पीड़ा है कि उन्हें खुद तैयारी का समय नहीं मिला। अगर उन्हें 72 घंटे तैयारी के लिए मिल गये होते तो वह प्रधानमंत्री की तारीफ कर रहे होते। सदनों में विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने पूरे विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाकर अपमान किया है। विपक्ष का तर्क था कि राज्यसभा, लोकसभा, राज्यों की विधायिकाओं (विधानसभा एवं विधान परिषद) में विपक्षी सदस्य हैं। विपक्ष पर जब इस तरह के गंभीर आरोप लगाए जाएंगे तो विपक्ष चुप नहीं रह सकता।

शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

15 दिसंबर तक चलेगा 500 का पुराना नोट

अब बैंकों व डाकघरों में नहीं बदले जा सकेंगे पुराने नोट
एक हजार के नोट का प्रचलन बंद, 500 के साथ बैंक खातों हो सकेंगे जमा
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार ने नोटबंदी के कारण परेशान देश की जनता को बड़ी राहत देने का ऐलान कर दिया है। सरकार ने 500 रुपये के पुराने नोट के उन सभी जगह चलाने की मियाद को बढ़ाकर 15 दिसंबर तक कर दिया है, जबकि 1000 और 500 के नोट बैंकों और पोस्ट आॅफिस में बदले नहीं जा सकेंगे। लेकिन इन नोटों से जरूरी भुगतान अभी भी किये जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में देर रात हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नोटबंदी के फैसले की समीक्षा और विचार करने के बाद फैसला किया गया है कि पुराने नोटों के प्रचलन पर जनता को अभी राहत देने की जरूरत महसूस की जा रही है। कैबिनेट में सरकार द्वारा लिए गये फैसले का ऐलान सरकार की ओर से किया गया है और साफ कर दिया है कि 500 और एक हजार के पुराने नोट अब बैंकों और पोस्ट आॅफिस में नहीं बदले जा सकेंगे, लेकिन उन रुपयों से कुछ जरूरी भुगतान अब भी किए जा सकते हैं।
सरकार का कहना है कि एक हजार के नोट अब इस्तेमाल नहीं होंगे, लेकिन 500 रुपये के नोट को 15 दिसंबर तक कुछ जरूरी कामों के लिए इस्तेमाल करने के साथ केंद्रीय स्कूलों, राज्यों के सरकारी स्कूलों, नगर निगम और नगर पालिका के स्कूलों में 2000 रुपये तक की फीस पुराने नोटों से जमा कराई जा सकती है। वहीं मेट्रो, रेलवे, सरकारी बसों, पेट्रोल पंपों और सरकारी अस्पतालों में भी 15 दिसंबर तक केवल 500 के पुराने नोट चलाए जा सकते हैं। इसी प्रकार सरकार ने नोट बदलने की समयावधि तो नहीं बढ़ाई है, लेकिन 500 के नोट चलाने की मियाद 20 दिन और बढ़ा दी है। मोबाइल के टॉप अप में भी 500 का पुराना नोट चलेगा , लेकिन यहां प्रति टॉप अप 500 रुपये की सीमा होगी। इसके अलावा सहकारी दुकानों के 5000 रुपये तक की खरीदारी भी पुराने 500 के नोट से की जा सकती है।
हजार के नोट अब इस्तेमाल नहीं 
सरकार का कहना है कि एक हजार के नोट अब इस्तेमाल नहीं होंगे, लेकिन 500 रुपये के नोट को 15 दिसंबर तक कुछ जरूरी कामों के लिए इस्तेमाल करने के साथ केंद्रीय स्कूलों, राज्यों के सरकारी स्कूलों, नगर निगम और नगर पालिका के स्कूलों में 2000 रुपये तक की फीस पुराने नोटों से जमा कराई जा सकती है। वहीं मेट्रो, रेलवे, सरकारी बसों, पेट्रोल पंपों और सरकारी अस्पतालों में भी 15 दिसंबर तक केवल 500 के पुराने नोट चलाए जा सकते हैं। इसी प्रकार सरकार ने नोट बदलने की समयावधि तो नहीं बढ़ाई है, लेकिन 500 के नोट चलाने की मियाद 20 दिन और बढ़ा दी है। मोबाइल के टॉप अप में भी 500 का पुराना नोट चलेगा, लेकिन यहां प्रति टॉप अप 500 रुपये की सीमा होगी। इसके अलावा सहकारी दुकानों के 5000 रुपये तक की खरीदारी भी पुराने 500 के नोट से की जा सकती है।
निकासी राशि में बदलाव नहीं
फिलहाल प्रति सप्ताह निकासी की सीमा 24,000 रुपये को बरकरार रखा गया है। एटीएम से 2500 रुपये प्रतिदिन निकाले जा सकते हैं। देश के दो लाख एटीएम को नए नोट निकालने के अनुकूल बना दिया गया है।
 सरकार का तर्क
सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि यह तथ्य सामने आया है कि बैंकों में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों की अदला-बदली में कमी आ रही है। लिहाजा काउंटर पर होने वाली अदला-बदली को आज रात से बंद किया जा रहा है। पुराने नोट के इस्तेमाल की अवधि भी सरकार ने बढ़ा दी है। सफर के टिकटों, स्कूलों में पुराने नोट स्वीकार किए जाएंगे। 

यूपी में बेफिक्र घूमें पीएम मोदी, कानून व्यवस्था दुरस्त

राज्यसभा: पीएम की मौजूदगी में नोटबंदी पर चर्चा
कटाक्ष भरा रहा सपा के नरेश अग्रवाल का भाषण
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में गुरुवार को नोटबंदी पर अधूरी चर्चा आगे बढ़ी, लेकिन विपक्ष ने फैसले के खिलाफ सरकार पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने तो चर्चा के दौरान सरकार पर ऐसे तीखे, पर अजीबो गरीब कटाक्ष किये कि पीएम मोदी समेत सदन में हंसी-मजाक का माहौल नजर आया और लगा जैसे सरकार और विपक्ष का गतिरोध टूट रहा है। 
दरअसल मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले से खफा विपक्ष की प्रधानमंत्री की मौजूदगी में चर्चा कराने की मांग पहले दिन से ही हो रही थी। गुरुवार को वैसे भी पीएम मोदी प्रश्नकाल के दौरान सदन में आते हैं और वो सदन में आए तो प्रश्नकाल के बजाए नोटबंदी पर पहले दिन की चर्चा को आगे बढ़ाया गया। चर्चा के दौरान जब नोटबंदी पर सपा सांसद नरेश अग्रवाल बोल रहे थे तो उनके भाषण में कटाक्ष ज्यादा रहे, जहां तीखे थे तो वहीं ऐसे थे जिनसे सदन का माहौल खुशनुमां नजर आया। ऐसे ही अग्रवाल ने जब पीएम मोदी को इंगित करते हुए कहा कि वे जब भावुक होकर जान को खतरा होने की बात करते हैं, तो हमें बहुत दुख होता है। उन्होंने कहा कि आप उत्तर प्रदेश में बेफिक्र होकर घूम सकते हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश में सपा के राज में कानून व्यवस्था सबसे बेहतर है। इस कटाक्ष पर सदन में ऐसा हंसी का माहौल बना कि खुद पीएम नरेन्द्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली भी अपनी खिलखिलाती हंसी नहीं रोक पाए। हालांकि नरेश अग्रवाल की अगली सीट पर बैठक बसपा सुप्रीमो मायावती भी सपा सांसद को मुस्कराहट के साथ ताकती नजर आई।
पाक से देश रक्षा का सवाल
पीएम मोदी की जान के खतरे पर कटाक्ष करते हुए अग्रवाल ने यहां तक ताना कसा कि यदि हमारे प्रधानमंत्री को ही जान का खतरा हो सकता है, तो पाकिस्तान से हमारे देश की रक्षा कौन करेगा? उन्होंने पीएम से अपील की है कि अब वह भावुकता का भाषण छोड़कर सभ्यता के भाषण देना शुरू करें, नहीं तो अफवाहों का दौर खत्म नहीं हो पाएगा।
जेटली जरूर कान में बता देते
सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने नोटबंदी की चर्चा पर बोलते हुए मोदी सरकार की चुटकी ली कि इतनी गोपनीयता कि वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी नोटबंदी के फैसले की जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यदि इस फैसले की जानकारी जेटली को होती तो शायद वह उन्हें कान में जरूर बता देते। इस कटाक्ष पर भी मोदी और जेटली समेत सदन सदस्यों के ठहाको से गंूज उठा। मसलन अग्रवाल की बातों पर सदन में ऐसे कई मौके आएं जब सदन में हंसी का माहौल बना। जिसमें स्त्रीधन यानि महिलाओं की जमा-पूंजी की पोल उनके पतियों के सामने खुलने पर चुटकी लेने से अग्रवाल बाज नहीं आए।

नोटबंदी: राज्यसभा में टूटा गतिरोध फिर बढ़ा

पीएम मोदी की मौजूदगी में नोटबंदी पर चर्चा
 मनमोहन सिंह ने फैसले की गिनाई खामियां
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही अभी तक पटरी पर नहीं आ सकी है और नोटबंदी के मुद्दे विपक्ष लगातार सरकार को घेरते आ रहा है, लेकिन गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्यसभा में उपस्थिति से सरकार और विपक्ष के गतिरोध टूटता नजर आया और इस मुद्दे पर अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाया गया। जब पीएम भोजनावकाश के बाद सदन नहीं पहुंचे तो विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
संसद नोटबंदी के मुद्दे पर पिछले छह दिन से ठप चल रही राज्यसभा की कार्यवाही में गुरुवार को उस समय गतिरोध की बर्फ पिंघलती नजर आई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रश्नकाल के समय सदन में आए और उन्होंने एक घंटे तक कार्यस्थगन प्रस्ताव पर फिर से शुरू कराई गई चर्चा को बड़े गौर से सुना। भोजनावकाश के लिए स्थगगित हुई सदन की कार्यवाही से पहले चर्चा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, भाजपा सांसद भूपेन्द्र यादव, सपा सांसद नरेश अग्रवाल, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक अब्राहम जैसे नेता अपना पक्ष रख चुके थे। भोजनावकाश के बाद पीएम मोदी सदन में नहीं आए,तो विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष के हंगामे पर सदन के बार जेटली ने विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए पीएम के दोबारा सदन में न आने की बात करते हुए तर्क दिये कि जहां पूरा देश नोटबंदी का स्वागत कर रहा है, वहीं विपक्ष विरोध करके जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।
इस अंदाज में पहुंचे पीएम
उच्च सदन में गुरुवार को बारह बजे जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ काले रंग की बंडी और सफेद चूड़ीदार पाजामा-कुरते में मोदी ने सदन में प्रवेश किया और सबसे आगे की सीट पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के बगल में चुपचाप बैठ गए। सदन की कार्यवाही शुरू हुई और नोटबंदी पर अधूरी चर्चा फिर से शुरू हो गई। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में आए हैं तो वह पूरी चर्चा के दौरान उपस्थित रहें और चर्चा में हस्तक्षेप भी करें, अगर ऐसा नहीं होता है तो हमारी पुरानी मांग बनी रहेगी। भोजनावकाश से पहले बसपा नेता मायावती ने भी इसी बात को दोहराया। इसके जवाब में सदन के नेता जेटली ने कहा कि अब कोई किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए, क्योंकि प्रधानमंत्री चर्चा में हस्तक्षेप भी करेंगे।
मनमोहन ने गिनाई नोटबंदी की खामियां
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चर्चा के दौरान मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय को लागू करने के तरीके पर निशाना साधा और इसके कारण देशभर में जमकर ‘संगठित’ तथा ‘कानूनी लूट मार’ से आम आदमी को भारी परेशानियों का जिक्र किया। सिंह ने राज्यसभा में नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर कई सवाल दागे और यह भी साफ किया वह खुद और कांग्रेस पार्टी काले धन तथा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी के विरोध में नहीं है, लेकिन इसे लागू करने के तरीके में सरकार की एक नहीं अनेक खामियां उजागार हो रही है, जो इस फैसले की विफलता साबित करती हैं। सिंह ने कहा कि इस निर्णय के कारण आम आदमी को हो रही परेशानियों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री को रचनात्मक और व्यवहारिक उपायों की घोषणा करनी चाहिए। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दलील दी है कि यह कदम काले धन पर अंकुश लगाने तथा आतंकवादियों को हो रही फंडिंग रोकने के लिए उठाया गया है। वह इससे असहमत नहीं हैं लेकिन इस निर्णय को लागू करने में सरकार ने भारी गलतियां की हैं और वह पूरी तरह विफल रही है।
दो फीसदी के पास कालाधन
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में नोटबंदी पर सरकार की घेराबंदी करते हुए कहा कि देश में केवल 2 फीसदी लोगों के पास ही काला धन है। तो फिर देश के 98 प्रतिशत लोग क्यों इसकी वजह से परेशान हों। उन्होंने ये भी कहा कि हम सुझाव देना चाहते हैं कि 500 के नोट को और अधिक समय तक इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए।
नोटबंदी पर माया का समर्थन
राज्यसभा में भोजनावकाश से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में बहस के दौरान मौजूद रहे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पीएम से इस मुद्दे पर बोलने की मांग की। उन्होंने ये भी कहा कि वह नोटबंदी के फैसले के समर्थन में तो हैं लेकिन इसे लागू करने के तरीके को गलत बताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी चर्चा के दौरान सदन फिर मौजूद होकर विपक्ष की राय जाने।
पीएम का सर्वे झूठा: मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी के मुद्दे पर कहा कि आज विपक्ष को अच्छी सफलता मिली है, लेकिन पूरी कामयाबी नहीं मिली। अभी प्रधानमंत्री का बोलना बाकी है। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी का सर्वे झूठा है और देश के 90 प्रतिशत पीएम के साथ नहीं बल्कि विरोध में हैं। अगर अभी चुनाव हो तो जवाब मिल जाएगा।
28 तक बात नहीं करेगा विपक्ष
संसद में नोटबंदी पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार की कोशिश को विपक्ष ने झटका दिया है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि विपक्षी दलों ने तय किया है कि वो सरकार से इस मुद्दे पर 28 नवंबर तक कोई आत नहीं करेगा। दरअसल सरकार की तरफ से गृहमंत्री ने सर्वदलिय बैठक बुलाई थी वहीं संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार भी विपक्ष से संपर्क साधने की कोशिश में थे, ताकि संसद में चर्चा हो सके। यही कारण है कि संसद में लगातार जारी गतिरोध को दूर करने के लिए अब सरकार आगे आई है और इसके लिए गृहमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी लेकिन खबर है कि विपक्ष ने इस बैठक से दूरी बनाए रखी।
जेटली ने दी सफाई
राज्यसभा में पीएम की गैरमौजूदगी पर विपक्ष के हंगामे पर सफाई देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पीएम सदन में इसलिए नहीं आए। देशभर के लोग नोटबंदी का स्वागत कर रहे हैं, जबकि विपक्षी पार्टियां इस पर बेमतलब का हंगामा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कहने को कुछ नहीं है, इसलिए वो चर्चा को टाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा नहीं चाहता और जब प्रधानमंत्री सदन में पहुंचे तो विपक्ष आश्चर्य चकित रह गया। जेटली ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर सकारात्मक चर्चा चाहती है ताकि गतिरोध दूर हो सके। सरकार पहले सी सदन को फैसले के बारे में अवगत करा चुकी है। 
जेटली ने मनमोहन पर किया पलटवार
संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार का पक्ष रखते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। वित्त मंत्री ने कहा कि जिन लोगों को बड़े-बड़े घोटाले कभी ब्लंडर नहीं लगे उन्हें नोटबंदी ब्लंडर नजर आ रही है। जो पार्टी एक वक्त में देश के सभी बड़े घोटाले का हिस्सा थी आज नोटबंदी का विरोध कर रही है। जेटली ने कांग्रेस को निशाना बनाते हुए आगे कहा कि उनकी सरकार में सबसे ज्यादा घोटाले हुए और काला धन देश में पैदा हुआ। 2जी स्कैम और कोल स्कैम जैसे घोटाले उनके शासनकाल में ही हुए। पूरे देश ने वो घोटले वाली सरकार भी देखी है जिसके राज में कालाधन पैदा हुआ था।

गुरुवार, 24 नवंबर 2016

देश में बनेंगे इलेक्ट्रिक राजमार्ग!

भारत ने स्वीडन में विकसित तकनीक पर मांगा प्रस्ताव
प्रदूषण की समस्या से निपटना होगा आसान
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सड़क सुरक्षा की दिशा में परिवहन प्रणाली में सुधार करने में जुटी केंद्र सरकार प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने की दिशा में सड़क परियोजनाओं में तकनीकी का इस्तेमाल कर रही है। देश में डीजल वाहनों को जहां इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की योजना चलाई जा रही है, तो वहीं इलेक्ट्रिक राजमार्गो का निर्माण करने की भी योजना का रोडमैप तैयार हो रहा है, जिसमें स्वीडन में विकसित तकनीक की मदद ली जाएगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ऐसे संकेत देते हुए बताया कि मंत्रालय ने देश में इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाने की योजना का फैसला पिछले दिनों स्वीडन के मंत्री माइकल डैम्बर्ग से केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी की हुई मुलाकात के दौरान चर्चा के बाद लिया गया है। इस दिशा में मंत्रालय में भी इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाने जैसी योजनाओं पर काम शुरू करने की तैयारी हो रही है। दरअसल पिछले सप्ताह केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत-स्वीडन बिजनेस गोलमेज सम्मेलन के दौरान हुई स्वीडन के साथ विस्तार से चर्चा के बाद भारत गंभीर है। भारत में इलेक्ट्रिक राजमार्ग के निर्माण संभावना को हकीकत में बदलने के लिए स्वीडन की मदद ली जाएगी, जिसके लिए स्वीडन तैयार है। इसके लिए भारत ने स्वीडन से प्रस्ताव भी मांगा है। हाल ही में स्कैनिया एक सार्वजनिक निजी मॉडल पर स्वीडन में दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक राजमार्ग का निर्माण किया गया है। स्वीडिश सरकार के साथ सहयोग में सीमेंस द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी में परिवहन उद्योग के पाठ्यक्रम को बदलने की क्षमता है। यह तकनीक एक तरह से नई दिल्ली में चलने वाली मेट्रो ट्रेनों के समान हैं। एक बार बिजली लाइन समाप्त हो जाती है, ट्रक या तो दहन इंजन की या बैटरी संचालित इंजन मोटर्स के माध्यम से मदद के साथ अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं।
ई-वाहन की मेगा योजना
केंद्र सरकार की देश में बढ़ते र्इंधन के खर्च और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए मेगा योजना के तहत अगले डेढ़ दशक के भीतर देशभर में चलने वाले वाहनों को शत प्रतिशत इलेक्ट्रिक मोड़ पर लाने का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि डीजल और पेट्रोल चलित वाहनों को अगले दो साल के भीतर ई-वाहन में तब्दील करने का फैसला किया है। प्रदूषण की समस्या से निपटने की दिशा में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की हरित राजमार्ग नीति का मकसद राष्ट्रीय राजमार्गो एवं अन्य सड़कों को हराभरा बनाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने के साथ सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों को भी वैकल्पिक र्इंधन से जोड़ने की योजना है।
देश की बदलेगी तस्वीर
देश में यदि इस तकनीक को सडक निर्माण और उसके अनुरूप वाहन निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया, तो देश की तस्वीर बदलने की संभावनाएं ज्यादा होंगी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा परिवहन प्रणालियों में से एक है और कार्बन फुटप्रिंट में लाखों टन उत्पादन करता है। खासबात है कि बिजली राजमार्ग अवधारणा केवल प्रदूषण कटौती नहीं होगी, वहीं इससे विभिन्न जीवाश्म ईंधन के आयात पर खर्च की लागत भी कम की जा सकेगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार पहले से ही भारत में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है और र्इंधन की लागत कम करने की दिशा में लिथियम आयन बैटरीज विकसित करने के लिए इसरो की मदद ली जा रही है। इसी योजना के तहत केंद्र सरकार के अनुरोध पर इंडियन स्पेस रिसर्च आॅर्गनाइजेशन (इसरो) ने फोर व्हीलर्स, ई-रिक्शाओं और बसेस के लिए बैटरी बनाने का काम शुरू किया हुआ है।
क्या होगी तकनीक
मंत्रालय के अनुसार स्वीडन ने ऐसी एक नई इलेक्ट्रिक राजमार्ग प्रौद्योगिकी विकसित की है, जिसकी मदद से इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाए जा सकते हैं और स्वीडन सरकार और निजी क्षेत्र के बीच कई सालों के सहयोग का नतीजा है। इसमें ट्रकों को इलेक्ट्रिफाइड सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में और अन्य समय पर नियमित हाइब्रिड वाहनों के रूप में दौड़ने की अनुमति मिलती है। गौरतलब है कि इस विकसित की गई तकनीक से सबसे पहले स्वीडन ने ही इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाया था। इस मार्ग के अनुरूप ही स्वीडन में ऐसे ट्रकों का निर्माण किया गया, जो हाइवे पर ट्रेन की तरह बिजली की तार से जुड़कर चलते हैं। जहां पर उन्हें इस तार से अलग होना होता है, वहां पर वैकल्पिक र्इंधन से अपने वाहन को चलाकर गंतव्य तक पहुंचते हैं।
24Nov-2016


संसद में नोटबंदी पर मचा रहा सियासी घमासान

राज्यसभा: एक्शन मोड में नजर आए उपसभापति कुरियन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही नोटबंदी के विरोध में विपक्ष के हंगामे के कारण पटरी पर आने को तैयार नहीं है। नोटबंदी के फैसले पर मतविभाजन के तहत चर्चा कराने और राज्यसभा में पीएम से चर्चा का जवाब देने की मांग कर रहे विपक्षी दलों के हंगामे
के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बुधवार को भी ठप रही, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
राज्यसभा में बुधवार को कार्यवाही शुरू होते ही नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सदन में मौजूदगी की मांग को लेकर विपक्षी दल के सदस्यों ने भारी शोरगुल और हंगामा किया, जिसके कारण शून्यकाल एवं प्रश्नकाल नहीं हो सका तथा सदन की कार्यवाही को दो बार के स्थगन के बाद करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा। दो बजे बाद जब कार्यवाही शुरू हुई तो उप सभापति प्रो. पीजे कुरियन ने नोटबंदी पर पहले दिन की अधूरी चर्चा को आगे शुरू करने को कहा तो सपा के नरेश अग्रवाल ने संविधान में पीठ के संपूर्ण अधिकारों का तर्क देते हुए पीठ से प्रधानमंत्री मोदी को सदन में बुलाने को कहा, लेकिन इसके जवाब में कुरियन ने कहा कि यह मामला वित्त मंत्रालय से संबन्धित है जिसके लिए परंपरा के तहत वह वित्त मं़त्री को बुलाने को कह सकते हैं।
इससे पहले सदन में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग की और हंगाम कर दिया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पडी। इसके बाद 12 बजे शुरू हुई कार्यवाही के दौरान सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा की, लेकिन कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दलों, जनता दल (यू) और द्रमुक के सदस्य एक साथ अपनी सीट के निकट खड़े हो गये और प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग करने लगे।
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी अपनी सीट से जोर-जोर से बोलने लगे। सदन में भारी शोरगुल के दौरान ही अंसारी ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध किया लेकिन तृणमूल और कांग्रेस के सदस्य सदन के बीच में आ गये और प्रधानमंत्री को बुलाने को लेकर नारे लगाने लगे।
सत्ता पक्ष को फटकार
राज्यसभा के उप सभापति प्रो. पीजे कुरियन ने भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी को विपक्षी पार्टियों के प्वाइंट आॅफ आॅर्डर पर बार-बार बाधा पैदा करने का आरोप लगाते हुए चेताया कि यदि उनका रवैया ऐसा रहा तो वह सत्तापक्ष के सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए बाध्य हो जाएंगे। दरअसल राज्यसभा में नरेश अग्रवाल और आनंद शर्मा को प्वाइंट आॅफ आॅर्डर के लिए समय दिया गया था। तभी भाजपा सदस्य और मंत्री नकवी विरोध करने लगे, कि उन्हें किस नियम के तहत मौका दिया गया है। इसी के बाद उप सभापति कुरियन एक्शन मोड में नजर आए।
कांग्रेस के तर्क खारिज
इसी बीच नोटबंदी में आरबीाआई एक्ट के अनुच्छेदों का उल्लंघन होने का आरोप लगा रहे कांग्रेस के आनंद शर्मा व अन्य नेता पीजे कुरियन की दलील के सामने उस समय बगले झांकते नजर आए, जब वे यह साबित करने में असफल रहे कि किन अनुच्छेद के तहत संविधान का उल्लंघन हुआ है। इस पर कुरियन को कहना पड़ा कि राजनीतिक आरोप के तहत संविधान के उल्लंघन को लेकर उठाए जा रहे औचित्य के प्रश्न को खारिज किया जाता है।
लोकसभा में विपक्ष का प्रस्ताव नामंजूर
सदन में कार्य स्थगित करके मतविभाजन वाले नियम 56 के तहत तत्काल चर्चा कराने की विपक्ष की मांग को लेकर शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बार दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं सरकार का कहना है कि यह कदम कालाधन, भ्रष्टाचार और जाली नोट के खिलाफ उठाया गया है और वह नियम 193 के तहत चर्चा कराने को तैयार है हालांकि विपक्षी दल कार्य स्थगित करके चर्चा कराने की मांग पर अड़े हुए हैं।
नोटबंदी के पक्ष में जनता: अनंत कुमार
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है। लेकिन इस प्रकार से बैनर, पोस्टर दिखाना कांग्रेस जैसे दल के लिए ठीक नहीं है जिसने देश पर 50 साल से अधिक समय तक शासन किया। अनंत कुमार ने कहा कि नोटबंदी पर एक-दो या तीन दिन भी चर्चा की जा सकती है, हम उसके लिए तैयार हैं। लेकिन इस प्रकार से सदन की कार्यवाही बाधित करना ठीक नहीं है।
नोटबंदी जरूरी कदम: शिवसेना
शिवसेना के आनंदराव अडसुल ने कहा कि हमने 500, 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले का स्वागत किया है। यह जरूरी कदम था। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ढाई साल से चर्चा हो रही थी। इसे चलन से बाहर करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि कल प्रधानमंत्री ने हमें आश्वासन दिया था कि जनता को राहत दी जाएगी और आज कुछ निर्णय लिये गये हैं जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।
पीएम सदस्यों की राय नहीं  
आरएसपी के एम के प्रेमचंद्रन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के मुद्दे पर मोबाइल एप के जरिये जनता की राय जानने के लिए जनता के बीच सर्वेक्षण शुरू किया है लेकिन सदन में सदस्यों की राय नहीं जानना चाहते।
नोटबंदी अच्छा फैसला: अकाली 
अकाली दल के प्रेमसिंह चंदूमाजरा ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि अच्छा निर्णय है और कतारों में खड़े गरीब लोग भी मोदी जी की तारीफ कर रहे हैं।
संसद परिसर में विपक्षी दलों का प्रदर्शन
संसद में लगातार नोटबंदी के मुद्दे को लेकर हंगामा करके दोनों सदनों की कार्यवाही ठप करते आ रहे विपक्षी दलों ने बुधवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना देकर प्रदर्शन किया।
नोटबंदी के फैसले के खिलाफ इस विरोध प्रदर्शन में करीब एक दर्जन विपक्षी दलों के करीब 200 एकत्र हुए और उन्होंने काफी देर तक अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। उन्होंने नोट बंदी पर दोनों सदनों में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मौजूद रहने के साथ ही इस मुद्दे पर लोकसभा में नियम 56 के तहत काम रोको प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा करने की मांग दोहराई। विपक्षी दल अपनी इन मांगों को लेकर पिछले चार दिन से भारी हंगामा कर रहे हैं, जिसके कारण दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो पाया है। धरना प्रदर्शन में शामिल नेताओं में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय तथा डेरेक ओ ब्रायन के अलावा जनता दल-यू के शरद यादव,सपा के रामगोपाल यादव, बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा, द्रमुक के त्रिचिशिवा,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तारिक अनवर के अलावा वाम दलों, राष्ट्रीय जनता दल आदि के सांसद शामिल थे।
नोटबंदी पर विपक्षी एकता में दरार 
जय ललिता की आॅल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के दस सांसद अपनी पार्टी के कांग्रेस ने नेतृत्व में नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन के फैसले को लेकर नाराज हैं। कांग्रेस ने बुधवार को संसद के अंदर महात्मा गांधी स्मारक के पास नोटबंदी के फैसले का विरोध किया। इस विरोध प्रदर्शन में एआईएडीएमके की प्रतिद्वन्द्वी पार्टी डीएमके ने भी हिस्सा लिया था। एआईएडीएमके सांसदों को ‘2जी घोटाले के आरोपी’ द्रविड़ मुनेत्र कषगम के साथ मंच साझा करने का अपनी पार्टी का विचार पसंद नहीं आया। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर पार्टी की सुप्रिमो जयललिता के फैसले पर भी संशय बना हुआ है। जयललिता अभी अस्पताल में हैं। सांसदों का मानना है कि अगर जयललिता के मंजूरी से एआईएडीएमके ने नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया है तो उन्होंने इस मामले में लिखित बयान क्यों जारी नहीं किया।
24Nov-2016

मंगलवार, 22 नवंबर 2016

पटरी पर नहीं चढ़ पायी संसद की कार्यवाही

नोटबंदी पर विपक्ष के हंगामे में दोनों सदन स्थगित
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के जारी तकरार के कारण सोमवार को भी दोनों सदनों की कार्यवाही पटरी पर नहीं आ सकी। मसलन दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।
मोदी सरकार की नोटबंदी के मुद्दे पर घेराबंदी करने के किसी भी मौके को विपक्ष गंवाना नहीं चाहता और इसी कारण संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे सप्ताह की शुरूआत भी हंगामे के साथ शुरू हुई। विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे बरपते रहे हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी और दोपहर बाद पूरे दिन के लिए कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। गौरतलब है कि इस सत्र के पहले तीन दिन की कार्यवाही भी इस मुद्दे की भेंट चढ़ चुकी है।
पीएम के खिलाफ हुई नारेबाजी 
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा स्थगन प्रस्ताव की इजाजत नहीं दिए जाने पर विपक्षी सदस्य शोर शराबा और नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य वित्तीय आपातकाल लिखे नारों वाली तख्तियां हाथ में थामे अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। हंगामे के बीच भी अध्यक्ष ने प्रश्नकाल की कार्यवाही जारी रखी। इस दौरान कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस,अन्नाद्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल तथा वाम दलों के साथ ही विपक्ष के सभी सदस्य लगातार हंगामा करते हुए प्रधानमंत्री होश में आओ, मोदी सरकार हाय-हाय, अमीरों की सरकार हाय-हाय, गली-गली में शोर है और चैड़ी छाती कहां गयी जैसे नारे लगाते रहे।
हंगामे के बीच पेश हुए विधेयक
लोकसभा में एक बार स्थगन के बाद जैसे ही बारह बजे कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य नोटबंदी पर चर्चा कराने को लेकर फिर से हंगामा करने लगे। इसी शोर-शराबे के बीच रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पुखरायाँ रेल हादसे पर अपना बयान पढ़ा। तो वहीं लोकसभा अध्यक्ष ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। यही नहीं हंगामे के दौरान ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार
कल्याण मंत्री जेपी नड्ढा ने सरोगेसी विनियमन विधेयक और केंद्रीस सड़क परिवहन व जहारानी राज्यमंत्री मनसुख लाल मांडविया ने नावधिकरण समुद्री दावा की अधिकारिता एवं निपटारा विधेयक पेश कर दिया। हालांकि इन बिलों पर चर्चा होना बाकी है।
रेल हादसे पर दुख
संसद के दोनों सदनों में सोमवार को कानपुर के पास रेल दुर्घटना में मारे गए लोगों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई और उनकी स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। लोकसभा में अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही शुरू होने पर शोक सन्देश पढ़ा जबकि राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी ने शोक सन्देश पढ़ा। वहीं लोकसभा में विपक्ष के नोटबंदी को लेकर चल रहे हंगामे के बीच रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेल दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस हादसे की फॉरेंसिक जांच होगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। आपको बता दें कि इस हादसे में अब तक 147 लोगों की मौत हो चुकी है।
सरकार ने भी किया पलटवार 
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार, कालाधन और जाली नोट को खत्म करने और इसके ऊपर पनपने वाले आतंकवाद को खत्म करने वाले कदम को पूरे देश में एक स्वर से समर्थन मिला है। विपक्ष की आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार इस विषय पर नियम 193 के तहत चर्चा कराने को तैयार हैं। इसके विपरीत विपक्षी सदस्य हंगामा करने की रणनीति पर कायम रहे और कार्यस्थगित करके चर्चा कराने की मांग करते रहे।
विपक्ष ने बनाई रणनीति
सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों की विपक्षी पार्टियों ने बैठक की। इसी के तहत सोमवार सुबह बैठक में विपक्ष ने तय किया कि वे इस मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पर जोर देना जारी रखेंगे। विपक्षी दलों की इस बैठक में ये भी सुझाव आये कि सदन में किसी दूसरे नियम के तहत चर्चा शुरू करायी जा सकती है जिसमें मतविभाजन का प्रावधान नहीं हो और इस बारे में एक औपचारिक प्रस्ताव पेश किया जाए। बैठक में इस मुद्दे पर धरना के बाद राष्ट्रपति से मिलने के बारे में भी चर्चा हुई लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका।

अब ऐसे होगा ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट!

विकसित हुई तकनीक में कार नहीं, सड़क चलेगी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सड़क सुरक्षा की दिशा में चलाई जा रही सड़क परियोजनाओं और यातायात व्यवस्था बदलने की जारी कवायद के बीच ही एक ऐसी तकनीक विकसित की गई है, जिसमें वाहन चालकों की क्षमता का आकलन किया जा सकेगा। मसलन ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने वाले दक्षता के लिए होने वाले टेस्ट का स्वरूप ही बदल जाएगा और टेस्ट में कार नहीं, बल्कि सड़क चलती नजर
आएगी।
दुनियाभर के देशों के मुकाबले भारत में हो रहे सर्वाधिक सड़क हादसों से चिंतित सरकार को केंद्रीय सड़क अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक की सौगात दी है, जिसमें वाहन चलाने वाले वाले लोगों की चालक दक्षता को आंकना आसान होगा। सूत्रों के
अनुसार जल्द ही सीआरआरआई के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीक में ऐसा कार सिम्युलेटर तैयार किया गया है, जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस के लिए होने वाले टेस्ट में सामने स्क्रीन होगी। जिसमें इस कार में बैठे व्यक्ति के सामने वाली स्क्रीन पर सड़क चलती नजर आएगी और उसे महसूस होगा कि वह सड़क पर कार चला रहा है। जबकि टेस्ट के दौरान वास्तव में कार स्थिर होगी और स्क्रीन पर सड़क चलेगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस कार सिम्युलेटर का इस्तेमाल ड्राइविंग ट्रेनिंग के लिए भी किया जा सकेगा। सड़क सुरक्षा से संबन्धित परियोजना पर काम कर रहे संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. कामिनी गुप्ता की माने तो उनकी यह परियोजना लगभग पूरी हो चुकी है तथा अगले साल फरवरी तक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण होने की उम्मीद है।
चार साल में पूरी हुई परियोजना
सूत्रों के अनुसार देश में सड़क हादसों को रोकने की दिशा में उच्चतम न्यायालय भी समय-समय पर दिशानिर्देश देता रहा है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सड़क सुरक्षा पर बनाई गई समिति ने भी नई दिल्ली स्थित सीआरआरआई का दौरा करके आरटीओ कार्यालयों में ड्राइविंग टेस्ट के लिए ऐसी तकनीक विकसित करने पर बल दिया था, ताकि चालकों की दक्षता का आकलन होने के बाद ही उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस जारी किये जा सकें। इस कार सिम्युलेटर तैयार करने में सीआरआरआई ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) की अन्य प्रयोगशालाओं नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी तथा सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट आॅगेर्नाइजेशन की भी मदद ली है। इस तकनीक को लाने के लिए वर्ष 2012 में परियोजना पर काम शुरू किया गया था, जिसे पूरा करने में चार साल का समय लगा।

सोमवार, 21 नवंबर 2016

नोटबंदी पर संसद में गतिरोध खत्म होने के आसार नहीं!

सरकार की ओर से दोनों सदनों में आ सकता है बयान
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में पहला सप्ताह की कार्यवाही नोटबंदी पर विपक्ष के हंगामे के कारण पटरी पर नहीं आ सकी। कल सोमवार से शुरू होने वाली कार्यवाही में भी इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष का तकरार खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि सोमवार को संसद के दोनों सदनो में सरकार की ओर से इस मुद्दे पर बयान दिये जाने की संभावना है। शायद इसीलिए भाजपा की ओर से अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया गया है।
संसद के शीतकालीन सत्र में पहले तीन दिन की कार्यवाही विपक्षी हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद अब कल सोमवार से दूसरे सप्ताह की कार्यवाही शुरू होगी। सरकार के पास इस सत्र के लिए जीएसटी जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयक के अलावा अन्य सरकारी कामकाज का बोझ है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कालेधन के खिलाफ मुहिम चलाने की दिशा में 500 और एक हजार के बड़े नोट अमान्य करने का विरोध कर रहे विपक्षी दल लामबंदी कर चुके हैं और इस फैसले को वापस लेने का संसद और संसद से बाहर लगातार विरोध करके दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलवाने के लिए सरकार इस प्रयास में है कि विपक्षी दलों के विरोध को बिना किसी दबाव के खत्म करके जरूरी कामकाज को अंजाम दिया जाए। हालांकि सोमवार को भी इस मुद्दे पर गतिरोध खत्म होने के आसार कम हैं, लेकिन सरकार नोटबंदी पर दोनों सदनों में बयान देकर विपक्ष को इस फैसले के तर्क देकर शांत करने का प्रयास करेगी। ऐसी संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि सरकार विपक्ष की मांग पर इस मुद्दे पर चर्चा कराके मतविभाजन कराए। भाजपा द्वारा दोनों सदनों में सोमवार से बुधवार तक अपनी पार्टी के सांसदों को कार्यवाही के दौरान मौजूद रहने के लिए जारी किये गये व्हिप से ऐसी ही संभावना के कयास लगाए जा रहे हैं।
सरकार का तर्क
संसद में नोटबंदी के फैसले का विरोध कर रहे विपक्षी दलों के विरोध पर सरकार का तर्क है कि यह फैसला कालेधन के साथ आतंकवाद, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा पर लगाम कसने का काम करेगा और इसके लिए विपक्षी दल भी पहले कार्यवाही करने की मांग करते रहे हैं। इसके वावजूद विपक्षी दलों का इस फैसले को वापस लेने का दबाव समझ से परे है। गौरतलब है कि संसद के सत्र के पहले ही दिन से इस फैसले के खिलाफ दोनों सदनों में हंगामा करके दोनों सदनों में कार्यवाही पूरी तरह से ठप रखा।

रविवार, 20 नवंबर 2016

राग दरबार: मन बेमन सपनो का भारत...

नोटबंदी का बेमन का विरोध
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद देश की अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालातों पर सवालों और समस्याओं की बहुत बात हो रही है। कमोबेश उन सवालों को उठा भी दिया जो नोटबंदी के कारण हो रही तकलीफों से जुड़े हैं। कुछ मन की बातें थीं, कुछ बेमन से। कुछ भय है, कुछ सच है कुछ आक्रोश है। इसे आगे भी आवाज देते रहेंगे। इस सबका परत-दर-परत आकलन होता रहेगा। पर मोटा-मोटी मेहनतकश और टैक्स भरने वाला तो खुश है और उसको तो अपने सपनों का भारत बनते हुए दिख रहा है। उसे लगता है कि सचमुच अच्छे दिन आ गए हैं। इसके विपरीत अब काला धन कमाने वाले लोगों मुँह नहीं चिढ़ा पाएंगे। वहीं वे लोग और उनके हितों को साधने या खुद के स्वार्थवश कुछ सियासी दल भी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं,लेकिन कालेधन, भ्रष्टाचार जैसे माामलों के खिलाफ आवाज बुलंद करते दलो का विरोध बेमन की बात लगता है, जिसमें उनका निजी या सियासी स्वार्थ हो सकता है। इस नोटबंदी पर दिग्गज अर्थशास्त्रियों की माने तो इस फैसले से कई तरह के बदलाव होंगे। बोरियों में पैसे रखने वाले लोग अब फरार्टे से अपनी चमचमाती आॅडी, या बीएमड्ब्ल्यू या मर्सिडीज लेकर मेरी मारुति के सामने से नहीं निकल पाएंगे। उसकी कोठियाँ और यूरोप की यात्राएं मुझे मुँह नहीं चिढ़ाएंगी। नहीं, ये नहीं कि मुझे उसके गाड़ी, बंगले और सुख सुविधाओं से कोई दिक्कत है। दिक्कत तो इसी बात से है कि वो मेरी ईमानदारी पर हंसता था। मेरे ईमानदारी से टैक्स भरने की खिल्ली उड़ाता था। मुझे बेवकूफ बताता था। तो मैं तो ऐश-अय्याशी कर रहा है तो फिर मुझे उससे बहुत दिक्कत है। दिक्कत तो इसी बात से है कि वो मेरी ईमानदारी पर हंसता था। मेरे ईमानदारी से टैक्स भरने की खिल्ली उड़ाता था। मुझे बेवकूफ बताता था। तो मैं यानि ईमानदारी तो खुश है।
संकेतों का हड़कंप
देश में मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोटों का चलन बन्द करने एवं नए 2000 के नोटों को लाने के फैसले को बड़े आथ्र्किि सुधार के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका चौतरफा कुछ दिक्कतों के बावजूद इस बदलाव वाले फैसले का समर्थन हो रहा है, तो ये फैसला मोदी सरकार की शुरूआत भर है और अब जो संकेत सामने आए हैं उनमें सरकार कालाधन और भ्रष्टाचार से हासिल की गई संपत्ति रखने वालों पर भी सख्त होगी। मसलन कालेधन के खिलाफ जंग में नोटबंदी को मिल रहे समर्थन के मद्देनजर अब सरकार भ्रष्टचारियों और संपत्तियों में निवेश कर कालेधन को सुरक्षित रखने वालों पर कार्रवाई करने के लिए जो कदम उठाने जा रही है उसमें बेनामी संपत्तियां निशाना होंगी यानि इस कार्यवाई में भी बेइमानों पर ही साधे चोट लगने जा रही है। बेनामी संपत्तियों का हिसाब किताब करने व्के लिए तो सरकार पहले कानून पास करा चुकी है। लिहाजा अकूत संपत्ति अर्जित करने वालों में हड़कंप मचना स्वाभाविक है।

शनिवार, 19 नवंबर 2016

अब बेनामी संपत्ति की सर्जिकल स्ट्राइक!

सरकार ने आईटी व अन्य विभागों की टीमों को किया सक्रिय
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश की व्यवस्था बदलने में जुटी मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद अब बेनामी संपत्ति के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने में जुट गई है। कालेधन के हिस्से के रूप में मानी जा रही बेनामी संपत्ति के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी गई है। सरकार के फैसले के तहत आयकर विभाग की दो सौ टीमों ने ऐसी बेनामी संपत्तियों की जांच करने की कार्यवाही शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के कड़े फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से काले धन पर जबरदस्त चोट करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्रवाई शुरू की गई है। इस कार्यवाही में अब बेनामी संपत्तियों और महंगी प्रॉपर्टी पर खास नजरे रखे आयकर विभाग जांच में जुट गया है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने फिलहाल गठित की गई आयकर और संबन्धित विभागों की 200 टीमों को देशभर में बेनामी संपत्तियों की जांच में सक्रिय कर दिया है। खासतौर से ये टीमें कमर्शियल प्लॉट्स, हाईवे के किनारे की जमीने और औद्योगिक जमीनों की जांच कर रही है। इसके अलावा देश के प्रमुख शहरों के वीआईपी इलाको में मौजूद जायदादों की जांच भी की जा रही है। प्रमुख औद्योगिक प्लॉटों और कॉमर्शियल μलैटों, दुकानों की जांच की जा रही है। वहीं केंद्र सरकार ने तमाम विभागों से सरकारी जमीनों का भी ब्यौरा भी तलब किया है, ताकि इस बात का पता लगया जा सके कि सरकारी जमीनों पर कहां-कहां और किस-किसके कब्जे हैं। ऐसी एक सूची तैयार की जा रही है। वहीं आयकर विभाग और अन्य विभागों की मदद से इन सब संपत्तियों का वेरीफिकेशन किया जा रहा है।
कार्यवाही का आधार
सूत्रों के अनुसार ये टीम अभी संदेह के आधार पर जांच कर रही है और जो लोग बेनामी संपत्ति के मालिक पाए जाएंगे, उनके खिलाफ गत एक नवंबर से लागू हो चुके बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट 2016 कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस कानून के तहत बेनामी संपत्ति को जब्त करने के अलावा दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा का भी प्रावधान है।
क्या है बेनामी संपत्तियां
बेनामी का मतलब है बिना नाम के प्रॉपर्टी लेना। इस ट्रांजैक्शन में जो आदमी पैसा देता है वो अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं करवाता है। जिसके नाम पर ये प्रॉपर्टी खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहा जाता है। इस तरह खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेनामी प्रॉपर्टी कहा जाता है। इसमें जो व्यक्ति पैसे देता है घर का मालिक वही होता है। ये प्रॉपर्टी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से पैसे देने वाले का फायदा करती है।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

नोटबंदी की सियासत में फंसी संसद की कार्यवाही

दोनों सदनों में फैसले को वापस लेने पर विपक्ष का हंगामा 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में नोटबंदी के मुद्दें पर दोनों सदनों में विपक्ष का जमकर हंगामा हुआ और संसद की कार्यवाही विपक्षी दलों की सरकार पर हमला करके नारेबाजी व हंगामे की भेंट चढ़ गई। राज्यसभा में इस मुद्दे पर विपक्ष पीएम मोदी को सदन में बुलाने की मांग करता रहा, तो लोकसभा में नोटबंदी पर चर्चा कराने की मांग को लेकर जमकर हंगामा बरपता रहा।
मोदी सरकार द्वारा 500 व 1000 के नोटों को अमान्य करने के निर्णय के मुद्दे पर आज संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया। लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने सदन का कार्य स्थगित करके तत्काल चर्चा कराने की मांग की। जबकि सरकार ने तर्को के साथ कहा कि यह कदम कालाधन, भ्रष्टाचार और जाली नोट के खिलाफ उठाया गया है और वह नियम 193 के तहत चर्चा कराने को तैयार है, विपक्षी सदस्य इस पर तैयार नहीं थे और कार्यस्थगित करके चर्चा कराने की मांग करते रहे। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सरकार चर्चा कराने को तैयार है। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि हमने नियम 56 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस दिया है। सभी दल चाहते हैं कि इस पर कार्य स्थगित करके चर्चा करायी जाए। इसी सियासत में विपक्षी दल कार्यस्थगित करके चर्चा कराने की मांग पर अड़े रहे और हंगामा करते रहे। सदन में इस मुद्दे पर अपनी मांग के समर्थन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल, अन्नाद्रमुक के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस, तृणमूल, वाम दलों ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने के कारण आम लोगों को हो रही परेशानियों और इस निर्णय को कथित तौर पर चुनिंदा लीक करने का मुद्दा भी उठाया और कार्यस्थगित करके तत्काल चर्चा शुरू कराने की मांग की।
विपक्षी सदस्य इस पर तैयार नहीं थे और कार्यस्थगित करके चर्चा कराने की मांग करते रहे। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सरकार चर्चा कराने को तैयार है। क्या आप चर्चा करना नहीं चाहते। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि हमने नियम 56 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस दिया है। सभी दल चाहते हैं कि इस पर कार्य स्थगित करके चर्चा करायी जाए।
आतंकवाद खत्म करना प्राथमिकता
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार, कालाधन और जाली नोट को खत्म करने और इसके उपर पनपने वाले आतंकवाद को खत्म करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है और इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने यह पहल की है। उन्होंने कहा कि हम इस विषय पर चर्चा कराने को तैयार हैं। विपक्ष इस पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया है। केंद्र सरकार इस पर नियम 193 के तहत चर्चा कराने को तैयार है।

राज्यसभा में भिड़े पक्ष-विपक्ष, तीखी झड़पे
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
नोटबंदी के मुद्दे पर गुरुवार को राज्यसभा में सत्तापक्ष और कांग्रेस के सदस्यों के बीच उस समय तीखी नोंकझोंक हुई, जब सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह दावा किया कि नोटबंदी के फैसले के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या उरी में पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलीबारी के शिकार लोगों से ज्यादा है।

तकनीकी रूप से निष्कासित नहीं थे प्रो. रामगोपाल!

नोटबंदी पर सपा का पक्ष मजबूत करने पर वापसी का मजबूर हुए मुलायम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पिछले महीने पार्टी से निकाले गए प्रोफेसर रामगोपाल यादव का निष्कासन आज रद्द कर दिया, जो तकनीकी रूप से पार्टी से निष्कासित नहीं थे। इसी तकनीकी खामियों का नतीजा था कि उन्होंने नोटबंदी के मुद्दे पर राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान सपा नेता के रूप में ही पार्टी का पक्ष रखा। माना जा रहा है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने सपा के प्रति समर्पित देख इस खामियों का अहसास करते हुए उन्हें पार्टी में वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
बहरहाल समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की ओर से आज जारी बयान में कहा कि प्रो. रामगोपाल का सपा से निष्कासन रद्द किया जाता है और वह पहले की ही तरह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता, महासचिव एवं संसदीय बोर्ड के सदस्य के रूप में काम करते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि रामगोपाल को पिछली 23 अक्टूबर को भाजपा के साथ साठगांठ करने और पार्टी के साथ अनुशासनहीनता के आरोप में छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया था। उनके निष्कासन का पत्र सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने जारी किया था। हालांकि बुधवार को राज्यसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर हुई चर्चा के दौरान प्रो. रामगोपाल को सपा सदस्य के रूप में मौका मिला, जिसका कारण था कि सपा की ओर से राज्यसभा को उनके निष्कासन के संबन्ध में कोई अधिकृत पत्र नहीं दिया गया था। इसी लिहाज से गुरुवार को उनके निष्कासन के बाद सपा की पिछले दिनों चली अंदरूनी रार में रामगोपाल यादव के निष्कासन का नाटकबाजी करार दिया जा रहा है।
सदन में झेलने पड़े ताने
राज्यसभा में एक दिन पहले बुधवार को जब नोटबंदी पर चर्चा के दौरान रामगोपाल यादव ने समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व किया और केंद्र सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए, तो उस दौरान कुछ पार्टियों ने सवाल खड़े किये कि वह किस पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, क्या समाजवादी पार्टी के पास फिलहाल ऐसा कोई नेता नहीं है, जो सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर सके। दरअसल संसद का मौजूदा सत्र शुरू होने से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भी राज्यसभा सचिवालय को इस बारे में औपचारिक तौर पर कोई सूचना नहीं दी थी, कि रामगोपाल यादव को पार्टी से 25 दिन पहले निकाल दिया गया था। शायद ऐसे में मुलायम सिंह यादव को संसद में विरोधियों के ताने से बचने के लिए रामगोपाल की पार्टी में वापसी का फैसला तत्काल करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
सभी दल थे अचंभित
राज्यसभा में एक दिन पहले सपा के नेता के तौर पर अपना पक्ष रखने वाले रामगोपाल के भाषण से ही अटकले लगना शुरू हो गया था कि कि प्रो.रामगोपाल यादव के लिए सपा में वापसी के दरवाजे बंद नहीं किये गये हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन ही इन अटकलों का पटाक्षेप हो गया, जब उनके छह साल के किये गये निष्कासन को रद्द करने की सूचना खुद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के हस्ताक्षरों से जारी की गई। जबकि उनके निष्कासन पत्र पर सपा के यूपी अध्यक्ष शिवपाल यादव के हस्ताक्षर थे।
निष्कासन में थी तकनीकी खामियां
दरअसल प्रो. रामगोपाल का जब 23 अक्टूबर को निष्कासन किया गया था, तो उन्हें समाजवादी पार्टी से निकाले जाने का ऐलान शिवपाल यादव की ओर से किया गया और निष्कासन पत्र भी लिखित में उन्होंने ही सपा प्रमुख मुलायम के निर्देशों का हवाला देते हुए सौंपा, जबकि प्रो. रामगोपाल उस वक्त समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे, जबकि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष थे। तकनीकी तौर पर देखा जाए, तो पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही राष्ट्रीय महासचिव को बर्खास्त कर सकता है, पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं। यही नहीं रामगोपाल को सपा से निकाले जाने का फरमान भी मुलायम के बजाए शिवपाल यादव के लेटरहेड पर जारी हुआ था। ऐसे में इस मसले पर तकनीकी पेंच फंसा हुआ था, कि रामगोपाल वाकई समाजवादी पार्टी से बाहर किए गए हैं या नहीं।

गुरुवार, 17 नवंबर 2016

नोटबंदी से टूटी नक्सलियों की आर्थिक कमर!

जंगलों में दबे पैसे को निकालने पर खुफिया नजर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की कालेधन के खिलाफ नोटबंदी के एक फैसले ने कई ऐसे कलंक को निशाना बना लिया हे, जो देश की अर्थव्यवस्था के साथ जनता विरोधी गतिविधियों को दीमक लगता रहा था। यानि कालेधन के साथ भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद जैसी आर्थिक कमर तोड़ने का सबब भी बनता नजर आया है।
देश में खुफिया तंत्र और सुरक्षा एजेंसियों की एक सप्ताह के दौरान आकलन रिपोर्ट इस बात की पुष्टि कर रही है कि मोदी सरकार ने जब से 500 और 1000 के नोट बंद करने का ऐलान किया है तो कालेधन के साथ आतंकियों, नक्सलियों और उग्रवादियों से लड़ने के फार्मूले का भी तर्क दिया गया। सरकार का यह फैसला इस तर्क की सार्थकता को साबित करता नजर आ रहा है। मसलन में अलगाववादी संगठनों के इशारे पर स्कूलों को फूंकने व पत्थरबाजी की घटनाओं पर अचानक रोक लगी है और सीमा पर भी आतंकवाद की गतिविधियों पर भी प्रभाव नजर आया है। खासकर देश के अंदर नक्सलवाद की गतिविधियों की तो इस फैसले ने आर्थिक कमर तोड़कर रख दी है। रिपोर्ट के अनुसार नक्सलियों के जमीनों में गाड़े हुए हजारों करोड़ों में 500-100 के नोट डंप हो रहे हैं, जिनका कचरा होने के अलावा और कुछ नहीं होगा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले में वर्ष 2014 के मार्च महीने में पकड़े गए नक्सलियों की निशानदेही पर जंगल में डंप किए गए एक गड्ढे से 29 लाख रुपये बरामद किए गए थे। वहीं पुलिस ने इस वर्ष मई महीने में गरियाबंद जिले में मुठभेड़ के बाद घटनास्थल से आठ लाख रूपए बरामद किए थे, जबकि जुलाई महीने में सुकमा जिले में नक्सलियों से एक लाख रुपये बरामद होने से सरकार की नोटबंदी के फैसला कारगर साबित होता नजर आ रहा है।
सबसे बड़ा आपरेशन
आतंकवाद व नक्सलवाद विशेषज्ञों का भी यही मानना है कि सरकार के इस एक फैसले से कई राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर सीधा निशाना लगाया जा चुका है। सरकार का नक्सलवाद के खिलाफ यह एक ही फैसला ऐसा है जो पिछले कई दशकों से चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों से कहीं ज्यादा कारगर साबित होगा। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे नक्सली गढ़ के जंगलों में नक्सलवादी संगठनों के पास बडे पैमाने पर करोड़ो की रकम मौजूद है, जिसे वे जंगलों में जमीन के भीतर गाड़कर रखते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार के इस फैसले से आर्थिक रूप से पस्त होते नक्सलियों द्वारा हालांकि इस रकम को जंगलों से बाहर लाकर बचाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन ऐसी गतिविधियों पर खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजरें लगी हुई हैं।
उगाही की रकम
विशेषज्ञों के अनुसार नक्सलियों के पास यह धन विभिन्न जगहों से उगाही किए गए पैसों का ही हिस्सा है, जो पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों के रूप में ही एकत्रित किया गया होता है। देश में नक्सलवाद को लेकर पहले से ही ऐसी पुष्टि संबन्धित राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा की जाती रही है कि नक्सली राज्य से प्रति वर्ष डेढ़ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा तक की उगाही नक्सली करते रहे हैं। खासकर यह धनराशि खदानो, विभिन्न उद्योगों, तेंदूपत्ता और सड़क ठेकेदारों, परिवहन व्यवसायियों, लकड़ी व्यापारियों से और अन्य स्रोतों से उगाही का हिस्सा होता है। इस धन का इस्तेमाल नक्सली नेता अलग-अलग जगहों में अपनी गतिविधियों और हथियार की खरीदों पर खर्च करते हैं।
17Nov-2016

संसद का शीतकालीन सत्र: राज्यसभा में नोटबंदी पर नेताओं ने निकाली भड़ास

बेइमानों का हुआ फैसले से नुकसान: सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत नोटबंदी के फैसले पर सरकार की घेराबंदी के साथ हुई, जिसमें राज्यसभा की पहले दिन की कार्यवाही नोटबंदी पर कराई गई चर्चा के नाम रही। उच्च सदन में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर देश में आर्थिक अराजकता और आम जनता विरोधी फैसला करार दिया। वहीं सरकार की और से इस फैसले को कालेधन रखने वाले बेइमानों के खिलाफ बताकर विपक्ष पर पलटवार किया गया। उधर लोकसभा को टीएमसी की एक दिवंगत सांसद को श्रद्धांजलि के बाद कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा में मोदी सरकार की नोटबंदी के फैसले पर चर्चा के लिए 13 नोटिस दिये गये, जहां कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामे जैसा माहौल बना दिया और पीठासीन ने इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कराने की अनुमति दी। चर्चा के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे न केवल देश में आर्थिक अराजकता पैदा हो गई, बल्कि पूरी दुनिया में यह संदेश गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में काले धन का बोलबाला है। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के पहले दिन नोटबंदी और इससे आम जनता को हो रही परेशानी के मुद्दे को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा को शुरू करते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से देश के लोगों को विशेषकर गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को परेशानी में डालने वाला करार दिया। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने नोटबंदी के मुद्दे पर कहा कि आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को मध्य रात्रि से अमान्य किए जाने का ऐलान काले धन, आतंकवाद पर रोक के लिए जरूरी बताया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आतंकवाद,काला धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा के मुद्दे पर पूरा सदन एकजुट है और इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन शर्मा ने सरकार से कालेधन की परिभाषा को भी जानने को प्रयास किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल आर्थिक अराजकता पैदा की बल्कि नगदी से चलने वाली अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही तोड़ दी। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था नगदी के लेन देन की है और आम आदमी,छोटे व्यापारी, किसान, गृहणियां अपने साथ क्रेडिट कार्ड और चेकबुक ले कर नहीं चलते। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बड़े फैसले में गोपनीयता होती है, लेकिन यहां तो सूचना चयनित तरीके से भाजपा के मित्रों को लीक की गई। सदन में सरकार की जवाबदेही तय होनी चाहिए। इस चर्चा के दौरान विपक्षी दलों की ओर से बसपा की मायावती, जदयू के शरद यादव, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, एडीएमके के नवीनकृष्ण, ने नोटों की पाबंदी वाले फैसले पर चर्चा में हिस्सा लिया।
सरकार ने ऐसे किया पलटवार
राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सरकार पर देश के अपमान का आरोप लगाया तो सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश का नहीं, बल्कि बेईमानों का अपमान हुआ है। पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार की तरफ से भ्रष्टाचार पर जबरदस्त कुठाराघात किया गया है, जिसका चौतरफा सभी स्वागत करते नजर आ रहे हैं। आम आदमी इसको लेकर हो रही दिक्कत के बावजूद आम जनता सरकार के समर्थन में है, जिनकी दिक्कतों को सरकार समीक्षा करके दूर भी कर रही है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि कालेधन और आतंकवाद जैसी समस्या के खिलाफ उठाए गये कदम को लेकर विपक्ष बेवजह इसको लेकर लोगों के बीच भ्रम फैला रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को चाहिए कि वह कालेधन को रोकने के लिए उठाए गए इस कदम पर सरकार का साथ दे। सरकार का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि सरकार शुरू से ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और कामकाज में पारदर्शिता बरतने को लेकर दृढ संकल्प है। यही वजह है कि स्पैक्ट्रम समेत कोयला नीलामी पर सरकार ने सही निर्णय लेते हुए पारदर्शिता बरती है। ईमानदारी के पैसे और इसको जमा करने वालों को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सरकार किसी भी भ्रष्टाचारी और कालाधन रखने वालों को नहीं छोड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार लगातार कालेधन को लेकर नीति लाती रही है, लेकिन अब सरकार ने इसको रोकने के लिए कठोर फैसला करने का निर्णय ले लिया है। विपक्ष के बार-बार विदेशों में मौजूद कालाधन वापस लाने के मुद्दे और विदेशी बैंकों में कालाधन जमा करने वालों का नाम सार्वजनिक किए जाने के सवाल पर पीयूष गोयल ने कहा कि यदि सरकार कालेधन वालों के नाम का खुलासा कर दे तो विेदेशी बैंकों से मिलने वाली जानकारी मिलनी बंद हो जाएगी।
जेपीसी की मांग
इससे पहले बुधवार को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही राज्यसभा में इस मुद्दे पर हंगामा भी शुरू हो गया। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस पर संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) की मांग की है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी को लेकर सदन में बहस के लिए पीएम मोदी के हिस्सा लेने की मांग की। मायावती ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। हम चाहते हैं कि पीएम राज्यसभा में नोटबंदी पर हो रही बहस में हिस्सा लें। इसके साथ ही मायावती ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर तंज कसते हुए कहा कि जेटली पिछले कुछ दिनों से काफी दुखी दिखाई दे रहे हैं।

बुधवार, 16 नवंबर 2016

संसद का शीतकालीन सत्र: नोट बंदी पर सरकार व विपक्ष आए आमने-सामने!

दोनों सदनों में हंगामेदार शुरूआत के आसार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत हंगामेदार होने के आसार के बीच संसद के दोनों सदनों में नोट बंदी के मामले में हंगामा होना तय माना जा रहा है। इस मुद्दे पर जहां विपक्ष लामबंद हो चुका है, वहीं सरकार पर विपक्ष को इस मुद्दे समेत अन्य सभी विपक्षी मुद्दों का जवाब देने के लिए ठोस रणनीति बना चुकी है।
बुधवार को शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और फिर मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में 500 और एक हजार के नोटों को बंद करने के फैसले पर विपक्षी दलों के तल्ख तेवर देखने को मिले और विपक्षी दल खासकर नोटबंदी मुद्दे को जोर-शोर से दोनों सदनों में उठाने के लिए कमर कस चुका है। इसके लिए विपक्षी दलों ने दोनों सदनों में नोटिस भी दे दिये हैं। वहीं विपक्षी दलों का सदनों में मुकाबला करने के लिए भाजपा और राजग के सहयोगी दल भी एकजुटता के साथ सरकार द्वारा बनाई गई ठोस रणनीति के तहत पूरी तैयारी से सदन में आएंगे। सर्वदलीय बैठक में सरकार के साथ लगभग तमाम दलों की 500-1000 के नोटों पर बैन, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सैन्य कार्रवाई, कश्मीर के हालात, जीएसटी जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई है, लेकिन देश में नोटबंदी पर बने मौजूदा हालात को लेकर विपक्षी दल सरकार पर इस फैसले को वापस लेने की मांग करते नजर आए, लेकिन सरकार इस फैसले पर बैकपुट पर आने के मूड में नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में सभी दलों को शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय हित के लिए मदद करने की अपील की है और विपक्ष के सभी मुद्दों पर चर्चा कराने का भरोसा दिया। इसके बावजूद संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और विपक्ष के आक्रमक तेवरों से आमने-सामने होने का संकेत मिल रहा है, जिसे देखते हुए संसद सत्र की शुरूआत हंगामेदार होने की संभावना है।
एक-दूसरे पर हमले की रणनीति
संसद के बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में नोट बंदी के मामले पर एकजुट विपक्षी दलों कांग्रेस, टीएमसी, भाकपा, माकपा,राजद, जदयू, वाईएसआर कांग्रेस और झामुमो ने संयुक्त बैठक कर सरकार पर नोटबंदी के मुद्दे पर हमला बोलने की ठोस रणनीति तैयार की तो कांग्रेस ने भी सोनिया गांधी के साथ बैठक कर रणनीति बनाई है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में मंगलवार को हुई भाजपा संसदीय समिति की बैठक में विपक्ष पर जवाबी हमला बोलने की रणनीति तैयार की गई, जिसमें स्वयं पीएम मोदी ने विपक्ष के दबाव में नोटबंदी के फैसले पर न झुकने का ऐलान किया। सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना और अकाली दल ने नोटबंदी के कदम पर सवाल उठाने के बाद संसद में सरकार का साथ देने का निर्णय लिया है। संसद सत्र की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए हुई राजग नेताओं की बैठक में सरकार के सभी सहयोगी दलों ने नोटबंदी के मामले पर सरकार के साथ एकजुटता दिखाई है।