शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

कड़े फैसलों पर समर्थन में जुटी सरकार

संसद सत्र से एक दिन पहले बुलाई सर्वदलीय बैठक
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले केंद्र की मोदी सरकार अपने बड़े नोटों पर बैन और सीमा पर तनाव के बीच सर्जिकल स्ट्राइक, समान नागरिक संहिता के साथ तीन तलाक और जीएसटी के मुद्दों पर लिए गये फैसलों पर विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने में जुट गई है। इसलिए 15 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है, जिसमें इन समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दो पर चर्चा होने की संभावना है।
मोदी सरकार ने 16 नवंबर से शुरू होने जा रहे संसद का शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले यानि 15 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसमें नोटों को अमान्य किए जाने, लक्षित हमले और तीन बार तलाक जैसे मुद्दों पर चर्चा करके विपक्षी दलों की ओर से आ रही विरोधात्मक प्रतिक्रियाओं को लेकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास होगा। सरकार चाहती है कि शीतकालीन सत्र की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाई जा सके, जिसमें सरकार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक भी बिना किसी विरोध के पारित कराने की चुनौती है। जीएसटी और बजट प्रक्रियाओं को समय से पूरा कराने के इरादे से सरकार ने शीतकालीन सत्र एक सप्ताह पहले शुरू कराने का प्रस्ताव किया था। सूत्रों के अनुसार पिछले एक-दो माह में केंद्र सरकार द्वारा लिए गये कई महत्वपूर्ण फैसलों को लेकर संसद से बाहर विपक्षी दलों की विरोधाभासी टिप्पणियां आई है, जिसमें कुछ दलों ने मोदी सरकार पर निशाना भी साधा है। हाल के इस फैसले जिसमें सरकार ने कालेधन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर नकेल कसने की दिशा में 500 और 1000 के पुराने नोट अमान्य करके नए डिजाइन के नोट लाने का फैसला भी कई विपक्षी दलों को रास नहीं आ रहा है। ऐसे तमाम फैसलों पर विपक्षी दलों की आशंकाएं दूर करके उनका समर्थन हासिल करने का इस बार की सर्वदलीय बैठक में सरकार प्रमुख मकसद माना जा रहा है। इस बैठक में खुद पीएम नरेन्द्र मोदी के अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे तो ऐसे विभिन्न मुद्दो पर खुलकर चर्चा हो सकती है।

जीएसटी सरकार की प्राथमिकता
शीतकालीन सत्र के समयपूर्व बुलाने का मकसद केंद्र सरकार केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी)को जल्द से जल्द पास करवाना है, ताकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का रास्ता साफ हो सके। सरकारी सूत्रों के अनुसार जीएसटी से जुड़े कानूनों के अलावा 15 नए बिल भी पेश करने की योजना है, जिसमें शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश पारित करने पर भी जोर होगा। इसका कारण केंद्र ने पचास साल पुराने शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन के लिए चौथी बार अध्यादेश को लागू करने का मुद्दा भी सामने होगा।
ये हो सकते हैं चर्चा के मुद्दे
माना जा रहा है कि सर्वदलीय बैठक में भारत-पाक सीमा पर सेना द्वारा किए गए लक्षित हमले को लेकर कुछ पार्टियां अपने आरोप पर केंद्र सरकार से जवाब मांगने की तैयारी में है। वहीं ताजा फैसले के तहत 500 और 1,000 रुपए के नोटों को अमान्य करार देना, बजट सत्र को समयपूर्व बुलाने के प्रस्ताव के अलावा तीन तलाक पर चल रही देशभर में बहस का मुद्दा भी सरकार के सामने होगा।
11Nov-2016

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