रविवार, 27 नवंबर 2016

राग दरबार: विमुद्रीकरण पर स्वार्थ की सियासत...

कालेधन से नेताओं को सरोकार नहीं
देश में मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध करने वाले कुछ ऐसे लोगों और सियासी दलो पर ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ जैसी कहावत सटीक तौर पर चरितीर्थ होती नजर आ रही है, जिन्हे शायद अपने कालधन को खपाने का मौका या ठिकाना नहीं मिल रहा है। तभी तो पीएम मोदी के हकीकत बयान पर विपक्ष जनता की परेशानियों के बहाने बिफरतें नजर आ रहे है। जब कि जनता केंद्र सरकार ने कालेधन पर रोक लगाने के लिये 500 व 1000 के नोट को बंद करने के साहसिक निर्णय में इस नयी व्यवस्था लागू होने से 90 फीसदी आम देशवासी चंद परेशानियों से दो−चार होने के बावजूद खुश है। देश को उम्मीद है कि इससे कालाधन, भ्रष्टाचार,आतंकवाद, अवैध व्यापार, ड्रग्स कारोबार और जाली करेंसी पर रोक लगेगी। इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देशभर में दौड़ रही है, जिसमें इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सरकार के इस निर्णय के विरोध मे वहीं लोग व सियासी दल अनर्गल बयानबाजी, अफवाह फैलाकर सरकार की छवि धूमिल करने की जैसी कोशिशों में जुटे हैं उससे जाहिर है कि उन्हें देश या आम जनता से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि अपने और समर्थकों के खजाने को बचाने की मुहिम के तहत संसद और संसद से बाहर हंगामा ही नही कर रहे, बल्कि इस फैसले का विरोध करके ऐसे सियासी दल कालेधन समेत देश को कमजोर करने वाली कैंसर रूपी समस्याओं की चुनौती से निपटने की योजना में अड़चन पैदा कर रहे हैं? या सवाल होगातो इस फैसले से निजी तौर पर प्रधानमंत्री या सरकार को क्या कोई लाभ मिलने वाला है या फिर सरकार या प्रधानमंत्री का कोई निजी स्वार्थ सधने वाला है? असल में इस कदम से आने वाले समय में देश और देशवासियों को क्या भला होगा, यह समझने और जानने की बजाय अधकचरी जानकारी के आधार पर सरकार के फैसले को गर्म पानी पी−पीकर कोसने वाले कम नहीं हैं। यही चंद लोग स्वार्थ की सियासत कर देश की आम जनता को बरगलाने और अफवाह फैलाने का काम कर रहे हैं। जबकि चाहिए था कि देश में एक पारदर्शी व्यवस्था, विकसित राष्ट्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रधानमंत्री और सरकार का साथ देकर कालेधन जैसी बुराईयों से लडें।
जद-यू का दोहरा चेहरा
पीएम नरेन्द्र मोदी के चिरप्रतिद्वंद्वी और हमेशा विपक्ष में रहने वाले बिहार के सीएम नीतीश कुमार सरकार के नोटबंदी के निर्णय पर आरंभ से पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ कर रहे हैं। नीतीश ने तो यहां तक की संज्ञा दी कि नोटबंदी का ये साहसिक काम कोई शेर ही कर सकता है। जबकि जदयू मुखिया नीतीश कुमार व महासचिव केसी त्यागी के अलावा इस दल का सारा हिस्सा नोटबंदी के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम के साळा है, लेकिन नीतीश आत भी इस फैसले पर ऐसे में एक बार फिर से पीएम मोदी के मुरीद हो गए हैं। जदयू में इस फैसले को लेकर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने जदयू के एक सांसद पर तंज कसते हुए देखा गया, कि आपकी पार्टी के दो चेहरे क्यों? नीतीश जी को भी मनाओ! लेकिन नीतीश नोटबंदी से हो रही परेशानी से चिंतित तो हैं हैं, लेकिन इस उम्मीद है कि देश की व्यवस्था बदलेगी। इसीलिए नीतीश ने पीएम से इस बात का आग्रह किया है कि बेनामी संपत्ति रखने वालों पर भी कार्रवाई को तेज करने की जरूरत है, जहां काले धन की बड़ी मात्रा में खपत होती है।

लौटेगा मंत्रालयों की समीक्षा का मौसम...
वर्ष 2014 के मध्य में गठित हुए एनडीए सरकार के कार्यकाल को पूरा हुए करीब ढाई वर्ष का समय हो चुका है। इस दौरान केंद्र के सभी मंत्रालयों में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) न केवल सबसे मजबूत बनकर उभरा है। बल्कि समय-समय पर उसके द्वारा बाकी मंत्रालयों की कार्य समीक्षा भी की जाती है। ऐसी ही एक और समीक्षा के जल्द ही सरकारी महकमों में शुरू होने के कयास लगने लगे हैं। इसमें चर्चा यह सुनाई दे रही है कि इस बार पीएमओ सभी मंत्रालयों से बीते ढाई वर्ष के दौरान मंजूर की गई नीतियों, निर्णयों व योजनाओं के बारे में पूछेगा और उसके आधार पर विभाग को ग्रेडिंग दी जाएगी। आने वाले दिनों में ये समीक्षा और ग्रेडिंग केबिनेट फेरबदल और विभागीय मंत्रियों के प्रमोशन का आधार भी बन सकती है। इससे पूर्व में हुई विभागीय समीक्षा के बाद हुए केबिनेट फेरबदल में मोदी केबिनेट के कई मंत्रियों पर गाज भी गिर चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीएमओ की अध्यक्षता करते हैं।
-ओ.पी. पाल व कविता जोशी
27Nov-2016

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