दोनों सदनों में हंगामेदार शुरूआत के आसार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
के शीतकालीन सत्र की शुरूआत हंगामेदार होने के आसार के बीच संसद के दोनों
सदनों में नोट बंदी के मामले में हंगामा होना तय माना जा रहा है। इस मुद्दे
पर जहां विपक्ष लामबंद हो चुका है, वहीं सरकार पर विपक्ष को इस मुद्दे
समेत अन्य सभी विपक्षी मुद्दों का जवाब देने के लिए ठोस रणनीति बना चुकी
है।
बुधवार को शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र को सुचारू रूप
से चलाने के लिए पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और फिर मंगलवार को
केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में 500 और एक हजार के नोटों को बंद
करने के फैसले पर विपक्षी दलों के तल्ख तेवर देखने को मिले और विपक्षी दल
खासकर नोटबंदी मुद्दे को जोर-शोर से दोनों सदनों में उठाने के लिए कमर कस
चुका है। इसके लिए विपक्षी दलों ने दोनों सदनों में नोटिस भी दे दिये हैं।
वहीं विपक्षी दलों का सदनों में मुकाबला करने के लिए भाजपा और राजग के
सहयोगी दल भी एकजुटता के साथ सरकार द्वारा बनाई गई ठोस रणनीति के तहत पूरी
तैयारी से सदन में आएंगे। सर्वदलीय बैठक में सरकार के साथ लगभग तमाम दलों
की 500-1000 के नोटों पर बैन, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सैन्य कार्रवाई,
कश्मीर के हालात, जीएसटी जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई है,
लेकिन देश में नोटबंदी पर बने मौजूदा हालात को लेकर विपक्षी दल सरकार पर इस
फैसले को वापस लेने की मांग करते नजर आए, लेकिन सरकार इस फैसले पर बैकपुट
पर आने के मूड में नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय
बैठक में सभी दलों को शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय हित के लिए मदद करने की
अपील की है और विपक्ष के सभी मुद्दों पर चर्चा कराने का भरोसा दिया। इसके
बावजूद संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और विपक्ष के आक्रमक तेवरों से
आमने-सामने होने का संकेत मिल रहा है, जिसे देखते हुए संसद सत्र की शुरूआत
हंगामेदार होने की संभावना है।
एक-दूसरे पर हमले की रणनीति
संसद
के बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में नोट बंदी के मामले पर एकजुट
विपक्षी दलों कांग्रेस, टीएमसी, भाकपा, माकपा,राजद, जदयू, वाईएसआर कांग्रेस
और झामुमो ने संयुक्त बैठक कर सरकार पर नोटबंदी के मुद्दे पर हमला बोलने
की ठोस रणनीति तैयार की तो कांग्रेस ने भी सोनिया गांधी के साथ बैठक कर
रणनीति बनाई है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में मंगलवार को
हुई भाजपा संसदीय समिति की बैठक में विपक्ष पर जवाबी हमला बोलने की रणनीति
तैयार की गई, जिसमें स्वयं पीएम मोदी ने विपक्ष के दबाव में नोटबंदी के
फैसले पर न झुकने का ऐलान किया। सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना और अकाली
दल ने नोटबंदी के कदम पर सवाल उठाने के बाद संसद में सरकार का साथ देने का
निर्णय लिया है। संसद सत्र की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए हुई राजग
नेताओं की बैठक में सरकार के सभी सहयोगी दलों ने नोटबंदी के मामले पर सरकार
के साथ एकजुटता दिखाई है।
विपक्ष के हाथ मुद्दे
संसद
में सरकार की घेराबंदी के लिए विपक्षी दलों के सामने मुद्दों की कमी नहीं
हैं, जो नोटबंदी के अलावा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सैन्य कार्रवाई,
कश्मीर के हालात, तीन तलाक, ओआरओपी के साथ मध्य प्रदेश में जेल से भागे
सिमी के कथित आतंकवादियों के और महंगाई जैसे कई मुद्दों का पिटारा खोलने की
तैयारी में हैं। कांग्रेस, टीएमसी, सपा, बीएसपी, जेडीयू और आप समेत कई
दलों ने केंद्र सरकार के नोटबंदी समेत कई फैसलों का विरोध है। नोटबंदी के
फैसले के खिलाफ तो इन विपक्षी दलों ने तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी की अगुवाई
में राष्टÑपति भवन तक मार्च निकालने की तैयारी भी कर ली है।
संयुक्त विपक्षी दलों की सहमति
मोदी
सरकार को संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामे के सहारे घेरने के लिए विपक्षी
दलों की संयुक्त बैठक में एकजुट हमले की रणनीति की जो जमीन तैयार हो गई
है। उसमें नोटबंदी के प्रमुख मुद्दे के अलावा नोट बंदी के फैसले के दिन
पश्चिम बंगाल में भाजपा के खाते में जमा हुई एक करोड़ की रकम के मुद्दे को
उठाने, नोट बंदी पर श्वेत पत्र लाने, भाजपा के राज्य इकाईयों और केंद्रीय
मुख्यालय से जुड़े खातों में आई रकम सार्वजनिक करने की मांग करने पर सहमति
बनाई गई है। उधर शिवसेना नेता आनंद राव अडसूल ने कहा है कि संसद में विपक्ष
को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए राजग के सभी दल एकजुट हैं। जबकि रामविलास
पासवान की पार्टी लोजपा ने भी विपक्ष को करारा जवाब देने की बात कही है।
16Nov-2016
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