इस साल जजों की नियुक्तियों का बनेगा रिकार्ड
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
के उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार
और न्यायपालिका में भले ही तकरार चल रहा हो, लेकिन कॉलेजियम के नामों की
सिफारिश पर नियुक्तियों को मंजूरी देने का लगातार प्रयास कर रही है। इसके
सकारात्मक परिणाम भी सामने आए रहे हैं, जिसके तहत दो दिन पहले 34 जजों के
बाद 25 और जजों के नामों को मंजूरी दी है।
केंद्र सरकार ने
कॉलेजियम प्रणाली के तहत मिल रहे नामों की समीक्षा करके देशभर के उच्च
न्यायालयों में रिक्त पदों पर जजों की नियुक्तियों की मंजूरी के तहत 25 और
जजों की नियुक्ति के लिए आए नामों को मंजूरी दी है। शुक्रवार को भी केंद्र
सरकार ने कॉलेजियम प्रणाली के जरिए आए 34 जजों के नामों को मंजूरी दे दी थी
और एक दिन बाद ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 11 सहायक जजों की नियुक्ति
की है। हालांकि शुक्रवार को सरकार ने कॉलेजियम के 43 जजों के नामों को
नामंजूर करके वापस भेज दिया था। सरकार ने 34 जजों के बाद 25 और जजों के
नामों को मंजूरी देकर राष्टÑपति को भेजा दिया है। विधि एवं न्याय मंत्रालय
के अनुसार इससे पहले विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों में एक नवंबर मो
दस जजों की नियुक्तियां की गई, जबकि अक्टूबर में 24 और सितंबर में 26 जजों
की नियुक्तियां की गई थी। सराकर का दावा है कि इस साल जजों की नियुक्तियोंं
को रिकार्ड बनने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार पिछले चार सालों से उच्च
न्यायालयों में जजों की कमी बढ़ती जा रही है, जिसका परिणाम लंबित विवादों
के निपटारों में देरी हो रही है। ऐसे हालातों को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में
भारत के मुख्य न्यायाधीश केंद्र सरकार को समय-समय पर दलील और नसीहत भी
देते आ रहे हैं।
ऐसे हो रही हैं नियुक्तियां
गौरतलब
है कि कॉलेजियम हाइकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए जजों के नाम केंद्र
सरकार को भेजता है। आइबी रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार की तरफ से उन नामों
को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के पास भेजा जाता है। सुप्रीम कोर्ट की
कॉलेजियम से सहमति मिलने के बाद केंद्र सरकार उन नामों को राष्ट्रपति की
मंजूरी के लिए भेज देता है। अगर केंद्र सरकार की कॉलेजियम के फैसले से
असहमति होती है तो उन नामों को दोबारा कॉलेजियम के पास भेज दिया जाता है।
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार व न्यायपालिका में
मनमुटाव चल रहा है, जिसका कारण है कि केंद्र सरकार ने जजों की नियुक्ति
प्रक्रियाओं के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन को असंवैधानिक
करार देना रहा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति
प्रक्रिया के लिए कॉलेजियम प्रणाली को बहाल कर दिया था। इसी प्रणाली के
तहत फिलहाल नियुक्तियों की प्रक्रिया जारी है।
14Nov-2016
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