भारत ने स्वीडन में विकसित तकनीक पर मांगा प्रस्ताव
प्रदूषण की समस्या से निपटना होगा आसान
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में सड़क सुरक्षा की दिशा में परिवहन प्रणाली में सुधार करने में जुटी
केंद्र सरकार प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने की दिशा में सड़क परियोजनाओं
में तकनीकी का इस्तेमाल कर रही है। देश में डीजल वाहनों को जहां इलेक्ट्रिक
वाहनों में तब्दील करने की योजना चलाई जा रही है, तो वहीं इलेक्ट्रिक
राजमार्गो का निर्माण करने की भी योजना का रोडमैप तैयार हो रहा है, जिसमें
स्वीडन में विकसित तकनीक की मदद ली जाएगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन
एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ऐसे संकेत देते हुए बताया कि मंत्रालय ने देश में
इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाने की योजना का फैसला पिछले दिनों स्वीडन के
मंत्री माइकल डैम्बर्ग से केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी की हुई मुलाकात के
दौरान चर्चा के बाद लिया गया है। इस दिशा में मंत्रालय में भी इलेक्ट्रिक
राजमार्ग बनाने जैसी योजनाओं पर काम शुरू करने की तैयारी हो रही है। दरअसल
पिछले सप्ताह केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने
भारत-स्वीडन बिजनेस गोलमेज सम्मेलन के दौरान हुई स्वीडन के साथ विस्तार से
चर्चा के बाद भारत गंभीर है। भारत में इलेक्ट्रिक राजमार्ग के निर्माण
संभावना को हकीकत में बदलने के लिए स्वीडन की मदद ली जाएगी, जिसके लिए
स्वीडन तैयार है। इसके लिए भारत ने स्वीडन से प्रस्ताव भी मांगा है। हाल ही
में स्कैनिया एक सार्वजनिक निजी मॉडल पर स्वीडन में दुनिया का पहला
इलेक्ट्रिक राजमार्ग का निर्माण किया गया है। स्वीडिश सरकार के साथ सहयोग
में सीमेंस द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी में परिवहन उद्योग के पाठ्यक्रम को
बदलने की क्षमता है। यह तकनीक एक तरह से नई दिल्ली में चलने वाली मेट्रो
ट्रेनों के समान हैं। एक बार बिजली लाइन समाप्त हो जाती है, ट्रक या तो दहन
इंजन की या बैटरी संचालित इंजन मोटर्स के माध्यम से मदद के साथ अपनी
यात्रा जारी रख सकते हैं।
ई-वाहन की मेगा योजना
केंद्र
सरकार की देश में बढ़ते र्इंधन के खर्च और प्रदूषण की समस्या से निपटने के
लिए मेगा योजना के तहत अगले डेढ़ दशक के भीतर देशभर में चलने वाले वाहनों को
शत प्रतिशत इलेक्ट्रिक मोड़ पर लाने का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि डीजल
और पेट्रोल चलित वाहनों को अगले दो साल के भीतर ई-वाहन में तब्दील करने का
फैसला किया है। प्रदूषण की समस्या से निपटने की दिशा में केंद्रीय सड़क
परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की हरित राजमार्ग नीति का मकसद राष्ट्रीय
राजमार्गो एवं अन्य सड़कों को हराभरा बनाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने के साथ
सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों को भी वैकल्पिक र्इंधन से जोड़ने की योजना है।
देश की बदलेगी तस्वीर
देश
में यदि इस तकनीक को सडक निर्माण और उसके अनुरूप वाहन निर्माण के लिए
इस्तेमाल किया गया, तो देश की तस्वीर बदलने की संभावनाएं ज्यादा होंगी।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा परिवहन प्रणालियों में से एक है और कार्बन
फुटप्रिंट में लाखों टन उत्पादन करता है। खासबात है कि बिजली राजमार्ग
अवधारणा केवल प्रदूषण कटौती नहीं होगी, वहीं इससे विभिन्न जीवाश्म ईंधन के
आयात पर खर्च की लागत भी कम की जा सकेगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार पहले
से ही भारत में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है
और र्इंधन की लागत कम करने की दिशा में लिथियम आयन बैटरीज विकसित करने के
लिए इसरो की मदद ली जा रही है। इसी योजना के तहत केंद्र सरकार के अनुरोध पर
इंडियन स्पेस रिसर्च आॅर्गनाइजेशन (इसरो) ने फोर व्हीलर्स, ई-रिक्शाओं और
बसेस के लिए बैटरी बनाने का काम शुरू किया हुआ है।
क्या होगी तकनीक
मंत्रालय
के अनुसार स्वीडन ने ऐसी एक नई इलेक्ट्रिक राजमार्ग प्रौद्योगिकी विकसित
की है, जिसकी मदद से इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाए जा सकते हैं और स्वीडन सरकार
और निजी क्षेत्र के बीच कई सालों के सहयोग का नतीजा है। इसमें ट्रकों को
इलेक्ट्रिफाइड सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में और अन्य समय पर नियमित
हाइब्रिड वाहनों के रूप में दौड़ने की अनुमति मिलती है। गौरतलब है कि इस
विकसित की गई तकनीक से सबसे पहले स्वीडन ने ही इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाया
था। इस मार्ग के अनुरूप ही स्वीडन में ऐसे ट्रकों का निर्माण किया गया, जो
हाइवे पर ट्रेन की तरह बिजली की तार से जुड़कर चलते हैं। जहां पर उन्हें इस
तार से अलग होना होता है, वहां पर वैकल्पिक र्इंधन से अपने वाहन को चलाकर
गंतव्य तक पहुंचते हैं।
24Nov-2016
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