परियोजना की विशेष समिति में हुआ गहन मंथन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
की मोदी सरकार अटल बिहारी वाजपेयी के ‘नदियों को आपस में जोड़ना’ के ड्रीम
प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने के लिए तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसमें यूपी
व मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की प्यास बुझाने में संकटमोचक बनने वाली
केन-बेतवा परियोजना शुरू होने के मुहाने पर है। केंद्र सरकार इन
परियोजनाओं में पेयजल के अलावा सिंचित भूमि, असिंचित भूमि, कृषि उत्पाद और
उनके बाजार सहित देश की कृषि भूमि का विस्तृत अध्ययन को आधार बना रही है।

केंद्रीय
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार आजाद भारत में नदियों को आपस में जोड़कर बाढ़
और सूखे की समस्या के साथ जल संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार देश में
सभी प्रस्तावित 30 परियोजनाओं को समयबद्ध पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही
है। केंद्र सरकार ने इन परियोजनाओं में विभिन्न पहलुओं को अध्ययन करने के
लिए जल संसाधन मंत्रालय के तहत एक विशेष समिति गठित की थी, जिसकी बुधवार को
यहां 11वीं बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय जल संसाधन,
नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री विजय गोयल ने इस बात पर बल दिया कि
सभी परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना जरूरी है। बैठक में
परियोयजनाओं में देरी का कारण बन रही अड़चनों को दूर करने पर भी मंथन किया
गया है। इन परियोजनाओं में पेयजल की समस्या के साथ कृषि क्षेत्र और कृषि
सिंचाई क्षमता बढ़ाने का अध्ययन को प्राथमिकता दी जा रही है। गोयल ने
विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी नए उत्साह के साथ काम
करेगी और नदियों को जोड़ने वाली विलंबित परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से
पूरा करेगी।
केन-बेतवा परियोजना जल्द
उत्तर
प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के लिए वरदान बनने जा रही करीब 9393
करोड़ रुपये की केन-बेतवा लिंक परियोजना देश की ऐसी पहली परियोजना होगी,
जिससे देश में सूखे और बाढ़ की समस्या के साथ जल संकट को दूर करने में मदद
मिलेगी। इस परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी मिलते ही जल्द शुरू कर दिया
जाएगा। बैठक के दौरान केन-बेतवा संपर्क परियोजना के पहले चरण की विभिन्न
वैधानिक मंजूरियों की स्थिति के साथ उसके दूसरे चरण की विस्तृत परियोजना
रिपोर्ट यानि डीपीआर की स्थिति की भी समीक्षा की गई है। इस परियोजना के
शुरू होने से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड
क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा, जिन्हें
पर्याप्त पानी, फसलों की सिंचाई और रोजगार की समस्या से भी निजात मिलेगी।
इसके बाद इस परियोजना के तहत रडार पर दमनगंगा-पिंजल तथा पार-तापी-नर्मदा
संपर्क परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की स्थिति, महानदी-गोदावरी का
प्रणाली अनुकरण अध्ययन, नदियों को जोड़ने के लिए नदी बेसिन में सुरक्षित जल
भंडार, अंतर राज्य संपर्क प्रस्तावों की स्थिति तथा राष्ट्रीय जल विकास
एजेंसी के नवीनीकरण जैसे विषयों पर भी विशेष समिति ने समीक्षा की है।
केंद्रीय
मंत्रीमंडल द्वारा 24 जुलाई 2014 को मिली मंजूरी के बाद केंद्रीय जल
संसाधन मंत्रालय ने नदियों को जोड़ने के लिए 23 सितंबर 2014 को विशेष समिति
का गठन किया गया था, जिसकी अब तक 11 बैठकें हो चुकी हैं। यह समति इन
परियोजनाओं में पेयजल के अलावा सिंचित भूमि, असिंचित भूमि, कृषि उत्पाद और
उनके बाजार सहित देश की कृषि भूमि का विस्तृत अध्ययन करने अपनी रिपोर्ट
तैयार करती है, जिसकी समीक्षा के बाद परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का सिलसिला
जारी है। समिति सभी हितधारकों की राय पर विचार करने के बाद संदर्भ के
अनुसार नदियों को जोड़ने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
वैकल्पिक योजनाओं के विकास के लिए सहमति कायम करने के प्रयास किए जा रहे
हैं और परियोजनाओं को पूरा करने की योजना भी बनाई जा रही है।
10Nov-2016
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