शनिवार, 12 नवंबर 2016

सड़क सुरक्षा में वरदान बनेगी आईटीएस प्रणाली!

प्रणाली लागू होते ही होगा आटोमैटिक चालान
तकनीक जाम की समस्या से निपटने में भी सक्षम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश की सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में परिवहन प्रणाली में व्यापक सुधार के कदम उठा रही है, इसी दिशा में दुनियाभर के देशों में यातायात सुधार का सबब बन रही इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईटीएस) तकनीक को भारत में लागू किया जा रहा है। इस प्रणाली के इस्तेमाल से जहां सुरक्षित सड़को का निर्माण होगा, वहीं परिवहन प्रणाली में ऐसा सुधारात्मक बदलाव की गुंजाइश होगी, जो सड़को पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए आॅटोमैटिक चालान का जरिया भी बनेगी।
केंद्र सरकार ने देश जिस प्रकार से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं उसी तरह देश सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की दिशा में अब इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम तथा इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लाने का फैसला किया है। यह ऐसी प्रणाली साबित होगी जिसमें भविष्य में यह प्रणाली यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को अपने दायरे में लेगी यानि आटोमैटिक चालान का माध्यम भी बनेगी। मसलन देश की यातयात व्यवस्था केवल पुलिस के भरोसे नहीं रहेगी। एनएचएआई का इस तकनकी प्रणाली यानि आईटीएमएस को इस साल के अंत तक चालू करने का प्रयास है। इसके अलावा एनएचआईए मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक देशभर में इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह हेतु 5-6 लाख फास्टैग जारी करने का लक्ष्य है, जिसमें अब एक लाख फास्टैग जारी किए जा चुके हैं। दरअसल शुक्रवार को ही इंटरनेशनल रोड फेडरेशन तथा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा नेशनल इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर संपन्न हुए दो दिवसीय अंतर्राष्टÑीय गोलमेज सम्मेलन में इस प्रणाली के इस्तेमाल के लिए आईआरएफ के अध्यक्ष केके कपिला ने बताया कि सम्मेलन में इस तकनीक पर डेवलपमेंट एक्शन प्लान तैयार करने का खाका खींचा गया है। कपिला भारत में सड़क सुरक्षा और सड़क हादसों पर केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। देश में आईटीएस प्रणाली को परिवहन क्षेत्र में अपनाने के लिए सड़क सुरक्षा की दिशा में खासकर सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए दुनियाभर में काम कर रही इंटरनेशनल रोड फेडरेशन ने इस तकनीक को भारत में उतारने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है।
आईटीएस पर आगे आया निति आयोग
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के सूत्रों ने अनुसार केंद्रीय नेशनल इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर आयोजित इस गोल मेज सम्मेलन में सड़क और परिवहन क्षेत्र में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि आयोग भी इस प्रणाली को लेकर सरकार के साथ मिलकर तेजी से काम कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि इस प्रणाली के भारत के अव्यवस्थित सड़क यातायात को सुव्यवस्थित ही नहीं, बल्कि काफी हद तक दुर्घटनामुक्त बनाया जा सकेगा। इसके लिए आईटीएस के मानक व लिए क्लियरिंग हाउस स्थापित करने के अलावा एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमएस) स्थापित किया जा रहा है। एटीएमएस के लिए केंद्र व राज्यों के स्तर पर नोडल सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें सड़क उपयोगकतार्ओं से संबंधित सारा महत्वपूर्ण डेटा होगा। राष्ट्रीय एटीएमएस सेंटर की स्थापना दिल्ली-गुड़गांव राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुराने टोल प्लाजा के निकट की जा रही है। इसके अलावा आइटीएस अभिलेखागार (आर्काइव) भी स्थापित किया जा रहा है, जहां सड़क उपयोग का पूरा डेटा सुरक्षित रखा जाएगा।
‘मेक इन इंडिया’ आधारित कार्ययोजना
निति आयोग के सीईओ की माने तो इस तकनीकी प्रणाली को कामयाब के शिखर पर ले जाने के लिए भारत समेत दुनियाभर की आईटीएस कंपनियों से मिलकर काम करने और एक कार्ययोजना बनाने की योजना है और आईटीएस को देश राष्ट्रीय राजमार्गो, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर तथा स्मार्ट शहरों में अगले साल से लागू करने का प्रस्ताव इसलिए किया गया है कि भारत में 'स्मार्ट मोबिलिटी' के लिए आईटीएस पर तेजी से काम करने की जरूरत है। वहीं केंद्र सरकार ऐसी कार्ययोजना की रणनीति बनाने की तैयारी कर रही है जिससे आइटीएस से संबंधित उपकरणों का 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत में ही निर्माण शुरू किया जा सके।
तकनीक एक-समाधान अनेक
आईटीएस तकनीक भारत में सड़क परिवहन की दो प्रमुख समस्याओं को दूर करने में वरदान साबित हो सकेगी, जिसमें सड़क सुरक्षा-ट्रैफिक नियमों और उनके अनुपालन के बीच के अंतर को खत्म करना और दूसरा ट्रैफिक जाम की समस्या का समाधान होना तय माना जा रहा है। यही नहीं देश में वाहनों की गति पर बेहतर नियंत्रण, ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने, ईंधन की बचत से पर्यावरण को होने वाली हानि होने जैसे मुद्दों का समाधान भी होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पहले से ही दुनिया में सड़क हादसों के कलंक से छुटकारा पाने के लिए अगले दो साल में दुर्घटनाओं में हो रही मौतों को 50 फीसदी कम करने का लक्ष्य तय कर चुका है।
12Nov-2016

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