शनिवार, 26 नवंबर 2016

आयकर नियमों में बदलाव की तैयारी में सरकार

संसद में पेश कर सकती है आयकर कानून संशोधन विधेयक
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले में बेसुमार धन रखने वालों द्वारा जनधन खातों का दुरुपयोग करने वाले धनकुबेरों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने आयकर नियमों में बदलाव करने की तैयारी कर ली है, जिसके लिए इस संसद सत्र में एक विधेयक पेश किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कालेधन के खिलाफ 500 व एक हजार के नोट बंद करने के फैसले के बावजूद बैंकों में जमा की जा रही धनराशि के लिए गड़बड़झाला होने की आशंका ही नहीं, बल्कि पुष्टि हो रही है। मसलन बेसुमार धनराशि रखने वाले धनकुबेर गरीबी की रेखा से नीचे यापन करने वाले परिवारों के दो साल पहले खोले गये बैंक खातों का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। हालांकि सरकार ने जनधन खातों में 50 हजार रुपये की समय सीमा तय कर दी है, लेकिन जनधन खातों में ढाई-ढाई लाख रुपये तक जमा हो चुके हैं, जबकि ऐसे खातों में सरकार के नोटबंदी वाले फैसले से ट्रांसजेक्शन ऐसा नहीं था। इसीलिए केंद्र सरकार ने आयक कानून में संशोधन लाने का प्रस्ताव किया है। सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद जिन बैंक खतों में ढाई लाख रुपये से ज्यादा धनराशि जमा हुई है सरकार ऐसी अघोषित धनराशि पर सरकार 60 फीसद आयकर लगाने पर विचार कर रही है। वहीं अघोषित राशि की निकासी पर चार तक प्रतिबंध लगाया जा सकता है। सरकार आयकर कानून में संशोधन के लिए मौजूदा संसद सत्र में ही आयकर कानून संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
इसलिए संशोधन का फैसला
नोटबंदी के बाद देश में खोले गये जन धन खातों में जमा कराए गये करीब 21,000 करोड़ रुपये के बाद सरकार सकते में हैं, वहीं आयकर स्लैब से ज्यादा अघोषित राशि पर निर्धारित कर के अलावा 200 प्रतिशत जुर्माने को लेकर आयकर विभाग असमंजस की स्थिति में भी नजर आ रहा था कि वह किस नियम के तहत जुर्माना वसूल करेगा। ऐसे में आयकर कानून में संशोधन लाना जरूरी माना गया और सरकार ने जुर्माने की राशि के बजाए अघोषित रकम पर 50 से 60 प्रतिशत आयकर तय करने पर विचार किया है। नोटबंदी के बाद बेहिसाब तरीके से कालाधन रखने वाले लोग अपने धन को सफेद करने में नए-नए तरीके अपना रहे हैं और गरीबों को लालच देकर उनके खातों में जमा कर रहे है। अब जन धन खातों में 21,000 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि जमा होने के बाद सरकार ज्यादा टैक्स वसूलने की तैयारी में है।
ये हो सकता है संशोधन
सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद 30 दिसंबर तक जमा की गई बेहिसाब राशि के बारे में अगर कर अधिकारियों के समक्ष घोषणा की जाती है, तो उस पर 50 प्रतिशत कर लगाने का प्रावधान हो सकता है, वहीं बैंक खातों में जमा हो चुकी धनराशि की निकासी पर चार साल के लिए रोक यानि लाक-इन अवधि को लागू करने का फैसला लिया जाने की संभावना है। इसके विपरीत यदि कोई अघोषित धन की घोषणा नहीं करेगा और आयकर विभाग ऐसे कालेधन का पता लगाएगी तो उस पर 60 प्रतिशत कर लगाने के साथ जुर्माना भी वसूला जा सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार इसे प्रभाव में लाने के लिये संसद के मौजूदा सत्र में आयकर कानून में संशोधन करने का फैसला कर चुकी है।
जमा धन पर हुए नियम बदलाव
नोटबंदी के बाद बैंकों और डाकघरों में जमा किए जा रहे कैश पर आयकर विभाग की पैनी नजर है। अब तक जिस नकदी का कहीं हिसाब-किताब नहीं था, ऐसी राशि को लेकर सेंट्रल बोर्ड आॅफ डायरेक्ट टैक्सेस ने कुछ आयकर नियमों में बदलाव किए हैं। आयकर-1962 के नियम 114ई के तहत अब तक बड़े लेन-देन की जानकारी वाले नियम में बदलाव किया गया है। नए प्रावधानों के तहत 9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच निर्धारित सीमा से ज्यादा कैश खाते में जमा किया गया, तो भी जवाब देना पड़ेगा। आयकर कानून के सेक्शन 285बीए के तहत बैंकों, म्युचुअल फंड्स के साथ ही बॉन्ड जारी करने वाले वित्तीय संस्थानों तथा रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रारों को अपने यहां के खातों में होने वाले बड़े लेन-देन का रिकॉर्ड रखना और आयकर विभाग को उनकी जानकारी देना जरूरी है।
सार्वजनिक नहीं नितिगत फैसले
सरकार की और से कैबिनेट में इस प्रकार के फैसले की पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि वित्त मंत्रालय की ओर से सामने आए एसे विचार को लेकर कहा गया है कि परंपरा के अनुसार संसद के सत्र के दौरान किसी भी नीतिगत फैसले की जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। जबकि बैंकों में जमा हुई अघोषित राशि को आयकर के दायरे में लाना चाहती है।
26Nov-2016

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