गुरुवार, 17 नवंबर 2016

संसद का शीतकालीन सत्र: राज्यसभा में नोटबंदी पर नेताओं ने निकाली भड़ास

बेइमानों का हुआ फैसले से नुकसान: सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत नोटबंदी के फैसले पर सरकार की घेराबंदी के साथ हुई, जिसमें राज्यसभा की पहले दिन की कार्यवाही नोटबंदी पर कराई गई चर्चा के नाम रही। उच्च सदन में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर देश में आर्थिक अराजकता और आम जनता विरोधी फैसला करार दिया। वहीं सरकार की और से इस फैसले को कालेधन रखने वाले बेइमानों के खिलाफ बताकर विपक्ष पर पलटवार किया गया। उधर लोकसभा को टीएमसी की एक दिवंगत सांसद को श्रद्धांजलि के बाद कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा में मोदी सरकार की नोटबंदी के फैसले पर चर्चा के लिए 13 नोटिस दिये गये, जहां कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामे जैसा माहौल बना दिया और पीठासीन ने इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कराने की अनुमति दी। चर्चा के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे न केवल देश में आर्थिक अराजकता पैदा हो गई, बल्कि पूरी दुनिया में यह संदेश गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में काले धन का बोलबाला है। राज्यसभा में शीतकालीन सत्र के पहले दिन नोटबंदी और इससे आम जनता को हो रही परेशानी के मुद्दे को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा को शुरू करते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से देश के लोगों को विशेषकर गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को परेशानी में डालने वाला करार दिया। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने नोटबंदी के मुद्दे पर कहा कि आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को मध्य रात्रि से अमान्य किए जाने का ऐलान काले धन, आतंकवाद पर रोक के लिए जरूरी बताया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आतंकवाद,काला धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा के मुद्दे पर पूरा सदन एकजुट है और इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन शर्मा ने सरकार से कालेधन की परिभाषा को भी जानने को प्रयास किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल आर्थिक अराजकता पैदा की बल्कि नगदी से चलने वाली अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही तोड़ दी। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था नगदी के लेन देन की है और आम आदमी,छोटे व्यापारी, किसान, गृहणियां अपने साथ क्रेडिट कार्ड और चेकबुक ले कर नहीं चलते। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बड़े फैसले में गोपनीयता होती है, लेकिन यहां तो सूचना चयनित तरीके से भाजपा के मित्रों को लीक की गई। सदन में सरकार की जवाबदेही तय होनी चाहिए। इस चर्चा के दौरान विपक्षी दलों की ओर से बसपा की मायावती, जदयू के शरद यादव, सपा के प्रो. रामगोपाल यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, एडीएमके के नवीनकृष्ण, ने नोटों की पाबंदी वाले फैसले पर चर्चा में हिस्सा लिया।
सरकार ने ऐसे किया पलटवार
राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सरकार पर देश के अपमान का आरोप लगाया तो सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश का नहीं, बल्कि बेईमानों का अपमान हुआ है। पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार की तरफ से भ्रष्टाचार पर जबरदस्त कुठाराघात किया गया है, जिसका चौतरफा सभी स्वागत करते नजर आ रहे हैं। आम आदमी इसको लेकर हो रही दिक्कत के बावजूद आम जनता सरकार के समर्थन में है, जिनकी दिक्कतों को सरकार समीक्षा करके दूर भी कर रही है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि कालेधन और आतंकवाद जैसी समस्या के खिलाफ उठाए गये कदम को लेकर विपक्ष बेवजह इसको लेकर लोगों के बीच भ्रम फैला रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को चाहिए कि वह कालेधन को रोकने के लिए उठाए गए इस कदम पर सरकार का साथ दे। सरकार का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि सरकार शुरू से ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और कामकाज में पारदर्शिता बरतने को लेकर दृढ संकल्प है। यही वजह है कि स्पैक्ट्रम समेत कोयला नीलामी पर सरकार ने सही निर्णय लेते हुए पारदर्शिता बरती है। ईमानदारी के पैसे और इसको जमा करने वालों को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सरकार किसी भी भ्रष्टाचारी और कालाधन रखने वालों को नहीं छोड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार लगातार कालेधन को लेकर नीति लाती रही है, लेकिन अब सरकार ने इसको रोकने के लिए कठोर फैसला करने का निर्णय ले लिया है। विपक्ष के बार-बार विदेशों में मौजूद कालाधन वापस लाने के मुद्दे और विदेशी बैंकों में कालाधन जमा करने वालों का नाम सार्वजनिक किए जाने के सवाल पर पीयूष गोयल ने कहा कि यदि सरकार कालेधन वालों के नाम का खुलासा कर दे तो विेदेशी बैंकों से मिलने वाली जानकारी मिलनी बंद हो जाएगी।
जेपीसी की मांग
इससे पहले बुधवार को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही राज्यसभा में इस मुद्दे पर हंगामा भी शुरू हो गया। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस पर संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) की मांग की है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी को लेकर सदन में बहस के लिए पीएम मोदी के हिस्सा लेने की मांग की। मायावती ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। हम चाहते हैं कि पीएम राज्यसभा में नोटबंदी पर हो रही बहस में हिस्सा लें। इसके साथ ही मायावती ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर तंज कसते हुए कहा कि जेटली पिछले कुछ दिनों से काफी दुखी दिखाई दे रहे हैं।
लोकसभा की कार्यवाही स्थगित
लोकसभा के दिवंगत सांसदों को श्रद्धांजलि देने के बाद कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित हो गई है। इसका कारण टीएमसी की कूचबिहार से सांसद रेणुका सिन्हा का निधन हो गया था। उन्हें आज लोकसभा के द्वारा श्रद्धांजलि देकर कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई, जबकि राज्यसभा की कार्यवाही चलती रही, जिसमें नोटबंदी पर चर्चा शुरू की गई।

राज्यसभा: ऐसे ली नेताओं ने आपस में चुटकियां
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देशभर में नोटबंदी पर नोटबंदी के बाद जिस प्रकार से आम जनता बैंकों और एटीएम की लाइनों में लगाकर अपनी मुद्रा बदलने में लगी है और इस फैसले के पक्ष और विपक्ष में सोशल मीडिया पर भी तमाम तरह से चुटकी ली जा रही है, तो उसी तरह सत्तापक्ष और विपक्षी दलों के नेताओं ने सदन के अंदर आपस में एक-दूसरे की चुटकियां लेते हुए तर्क-वितर्क पेश करने का भी प्रयास किया।
उच्च सदन में चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा भी तमाम गंभीर बातों के बीच इस मुद्दे पर चुटकी लेने से बाज नहीं आए। उन्होंने कहा कि 2000 का जो नया नोट लाया गया है, वह बिल्कुल बचपन में मिलने वाली चूरन वाली पुड़िया जैसा है। उन्होंने यहां तक तंज कसा कि पीओके की तहर ही कालेधन की सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर भी मोदी जी की सरकार में बिना डॉक्टरी के बहुत सारे सर्जन बन गए हैं। हर चीज पर सर्जिकल स्ट्राइक हो रहा है। कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक हो गया। उन्होंने कहा कि आपके पास जानकारी है कि स्विस बैंक में किसका काला धन है ये जानकारी आपके पास है। आपके पास सूची है ऐसे लोगों की। उन्होंने मांग उठाई कि ऐसे लोगों के नाम देश को बताएं। अगर कालेधन पर कार्रवाई करनी है तो सूची जारी करें। दो साल में कितने हजार करोड़ के कर्जे माफ किये। ऐसे लोगों के नाम भी आम जनता को बताएं जिनके कर्ज माफ किये गए। वहीं सीपीआई नेता सीताराम येचुरी ने अपनी जेब से 2000 रुपये का नोट निकालते हुए कहा कि 9 तारीख से यह जेब में पड़ा है, जिसे कोई लेने को तैयार ही नहीं है।
गोयल भी नहीं हिचके
सरकार के इस फैसले पर चुटकी का जवाब देने में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी नहीं हिचके और उन्होंने विपक्ष के तमाम आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के आरोप का जवाब देते हुए यहां तक कह डाला कि देश का नहीं, बल्कि बेईमानों का अपमान हुआ है। यही नहीं जिस तरह से आनंद शर्मा ने सरकार पर ताबड़तोड़ आरोप लगाए थे, उनका जवाब देते हुए गोयल ने यह कहने में भी कोई हिचकिचहाट नहीं दिखाई कि शायद आनंद शर्मा अर्थशास्त्र नहीं जानते।
17Nov-2016

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