बुधवार, 2 नवंबर 2016

मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजे दस जजो के नाम

हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति का मामला
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली
देश में उच्च न्यायालयों में जजो की कमी को पूरा करने के लिए जजो की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट के बीच तकरार अभी खत्म नहीं हुआ है। हाल ही में इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट और गुवाहाटी हाई कोर्ट में जजो की भर्ती के लिए दस नामों को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजे हैं।
सुप्रीम कोर्ट समेत देश के सभी उच्च न्यायालयों में जजों के पदों की रिक्तियां बढ़ती जा रही हैं, जिनका असर अदालतों में लंबित विवादों के निपटान की देरी के रूप में सामने आ रहा है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल असंवैधानिक करार करके खारिज कर दिया था और कॉलेजियम प्रणाली को बहाल करके जजों की निुयक्तियां करने की प्रक्रिया करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट समेत देश के उच्च न्यायालयों में जजों की रिक्तियों को भरने के लिए नियुक्तियों को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के आयोग गठन के प्रस्ताव को खारिज करके पुरानी प्रणाली कॉलेजियम को ही पारदर्शी और सुदृढ़ बनाने पर बल दिया था, लेकिन इसके बावजूद हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं, इसलिए हाईकोर्ट में जजों की नियुक्तियों में देरी हो रही है। पिछले सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने गुवाहाटी और दिल्ली और गुवाहाटी हाईकोर्ट में जजों की भर्ती के लिए 10 नामों को हरी झंडी दिखाई और उन नामों की मंजूरी हासिल करने के लिए इन दस जजों के नाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजे हैं। विधि मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दिल्ली हाइकोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति न्यायिक सेवा परीक्षा के तहत होनी है, जबकि गुवाहाटी हाइकोर्ट के पांच जजों की नियुक्ति बार और राज्य न्यायिक सेवा के तहत की जाएगी।
केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया में न्यायालय की स्क्रुटनी अथॉरिटी के अतिरिक्त एक बाहरी एजेंसी द्वारा भी जजों के नाम पर विचार करने के पक्ष में है, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने साफ कर दिया कि केंद्र सरकार का ये प्रस्ताव न्यायिक व्यवस्था में दखल है। पिछले सप्ताह ही भारत के मुख्य न्यायाधीश टाएस ठाकुर ने केंद्र सरकार के प्रति टिप्पणी की थी और उसके बाद एक समारोह में न्यायापालिका के मुद्दे पर विभिन्न वक्ताओं ने जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार इलाहाबाद हाइकोर्ट के लिए भी 35 जजों की नियुक्ति पर विचार कर रही है, जहां गत जनवरी से 8 जजों की रिक्त हुई जगह नियुक्तियों की बाट जोह रही है।
02Nov-2016

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