रविवार, 30 अक्तूबर 2016

समुद्री कारोबार में चीन से आगे भारत!

घाटे के दौर से गुजर रहे हैं दुनियाभर के बंदरगाह
भारत ने कमाया छह हजार करोड़ रुपये का मुनाफा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश के समुद्री कारोबार की सेहत सुधारने की दिशा में बंदरगाहों के अत्याधुनिक विकास की परियोजनाओं का नतीजा सामने आने लगा है। मसलन जहां दुनियाभर के बंदरगाह घाटे के दौर से गुजर रहे है, वहीं भारत के बंदरगाहों से भारत को छह हजार करोड़ का मुनाफा हुआ है। भारत ने चीन जैसे देश को भी बंदरगाह के विकास और कारोबार में पीछे छोड़ दिया है।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय भारत के बंदरगाहों को मुनाफे में आने की उपलब्धि के मद्देनजर देश में बंदरगाहों के विस्तार की योजना बना रहा है। मसलन देश में प्रमुख 12 बंदरगाहों के अत्याधुनिक विकास और उनकी समुद्री कारोबार क्षमता बढ़ाने के साथ ही छह और बंदरगाह बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मंत्रालय के अनुसार मौजूदा दौर में जहां दुनियाभर के बंदरगाह घाटे के दौर से गुजर रहे हैं, वहीं भारत के बंदरगाहों ने छह हजार करोड़क का मुनाफा कमाते हुए इस क्षेत्र में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जो केंद्र सरकार की परियोजनाओं का नतीजा माना जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार सागरमाल कार्यक्रम के जरिए बंदरगाहों के विकास और उसके कारोबार में भारत ने सकल घरेलू उत्पाद के मामले में चीन को भी पीछे धकेल दिया है। इस मामले में इस क्षेत्र में भारत का जीडीपी 19 प्रतिशत है, तो चीन 12.5 प्रतिशत जीडीपी दर पर सिमट गया। यही नहीं बंदरगाह के जीडीपी योगदान में इंडोनेशिया 15.72 प्रतिशत और ब्रिटेन 13.43 प्रतिशत की दर से चीन से आगे हैं। मसलन दुनियाभर के बंदरगाहों की जीडीपी में भारत सबसे ऊपर आ चुका है।
वरदान बनी सागरमाला
मंत्रालय के अनुसार बंदरगाहों के विकास में चलाई जा रही सागरमाला परियोजना जैसे महत्वकांक्षी कार्यक्रम ने भारत के माल ढुलाई के मॉडल को ही बदलना शुरू कर दिया है, जिसमें बंदरगाहों और उनके संपर्क मार्ग जैसे बुनियादी ढांचों के लिए सागरमाला कार्यक्रम ने सस्ती माल ढुलाई और समुद्री कारोबार के आर्थिक घाटे को मुनाफे में बदलने के संकेत सामने आने लगे हैं। सागरमाला कार्यक्रम के तहत भारत का वर्ष 2025 तक 35 से 40 हजार करोड़ रुपये तक माल ढुलाई की बचत करके बंदरगाहों का मुनाफा बढ़ाने का लक्ष्य है। मंत्रालय के अनुसार सागरमाल कार्यक्रम के तहत तटीय मार्ग के माध्यम से कोयले की आवाजाही 2025 तक 129 मिलियन टन प्रतिवर्ष करने का लक्ष्य है, जो मौजूदा वित्तीय वर्ष 2016 में 27 लाख टन प्रतिवर्ष से बढ़कर और मोडल मिश्रण में अंतदेर्शीय जलमार्ग और तटीय शिपिंग की हिस्सेदारी बढ़ाने के 6 से 12 प्रतिशत तक बढने का अनुमान है। मंत्रालय इस कार्यक्रम के तहत हुए एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि तटीय शिपिंग और अंतदेर्शीय जलमार्ग सड़क और रेल परिवहन की तुलना में करीब 70 प्रतिशत सस्ता है। जलमार्ग का उपयोग कच्चे माल और तैयार उत्पादों हिल के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता निहित है। इस दिशा में तटीय शिपिंग के जरिए इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, पीओएल और खाद्यान्न के रूप में अन्य वस्तुओं की भी ढुलाई की जा रही है, जिसकी क्षमता वर्ष 2025 तक अतिरिक्त 80-85 बारे करोड़ टन की सीमा तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
बेहतर विकल्प होगा जलमार्ग
देश में सड़क और रेल मार्ग के अलावा राष्ट्रीय जल परिवहन परियोजना माल ढुलाई की क्षमता बढ़ाएगी, जिसके लिए केंद्र सरकार ने देश में 111 नदियों को जलमार्ग में तब्दील करके जल परिवहन के रूप में एक किफायती विकल्प पर काम करना शुरू किया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जल मार्ग को देश के परिवहन व्यवस्था में एक बेहतर कदम करार देते हुए कहते आ रहे हैं कि इस कदम से देश विदेश में माल भेजने के मद में होने वाले खर्च में भारी कमी आएगी और माल ढुलाई क्षमता में इजाफा होगा। हालांकि फिलहाल देश में पांच अंतर्राज्यीय जलमार्ग है, जिनके विस्तार के लिए 106 नए जलमार्ग शुरू करने की योजना को आगे बढ़ाया गया है। इसका मकसद सड़क व रेल मार्ग पर बढ़ते यातायात के बोझ को कम करना भी है। सरकार ने देश में 2000 वाटर पोर्ट्स बनाने की योजना तैयार की है।
30Oct-2016

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