मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

..तो राज्यसभा में बदल जाएगा सपा का नेतृत्व?

रेवती हो सकते हैं सपा संसदीय दल के नेता
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले अपने चरम पर समाजवादी पार्टी की कलह का ग्रास बने सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव की अब राज्यसभा में भी सीट बदल जाएगी। सपा से निष्कासित सांसद रामगोपाल के स्थान पर अब उच्च सदन में सपा संसदीय दल के नेता के रूप में रेवती रमन और बेनी प्रसाद के नाम की अटकले लगाई जा रही है। इस औपचारिकता के लिए सपा राज्यसभा के सभापति को एक पत्र भेजने जा रही है।
संसद का शीतकालीन सत्र आगामी 16 नवंबर से शुरू होने जा रहा है और उससे पहले यूपी की सियासत की सुर्खियों में चरम पर सपा की आपसी कलह के चलते समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव को पार्टी से बर्खास्त कर छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। सपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी रामगोपाल की राज्यसभा की सदस्यता भी वापस लेने पर विचार कर रही है। राज्यसभा के नियम के अनुसार इसके लिए समाजवादी पार्टी को अधिकृत रूप से राज्यसभा को रामगोपाल के पार्टी से निष्कासन और सदस्यता वापस लेने के लिए पत्र देना होगा। सूत्रोें के अनुसार समाजवादी पार्टी इसकी औपचारिकता पूरी करने के लिए राज्यसभा चेयरमैन को पत्र लिखने की तैयारी कर रही है। राज्यसभा को सपा को यह भी सूचना देना होगा कि रामगोपाल यादव के स्थान पर सदन में पार्टी नेता कौन होगा। सूत्रों के अनुसार प्रो. रामगोपाल यादव फिलहाल उच्च सदन में सपा संसदीय दल के नेता हैं और नरेश अग्रवाल उप नेता हैं। रामगोपाल के स्थान पर पार्टी सूत्रों के अनुसार राज्यसभा सांसद रेवती रमण सिंह और बेनी प्रसाद के नाम की चर्चा चल रही है। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर का दल है, जिसके 19 सदस्य हैं। यदि पार्टी किसी सुलहवश प्रो. रामगोपाल के निष्कासन को वापस लेती है तो सदन में उनकी सीट को लेकर कोई बदलाव नहीं होगा।
राज्यसभा सदस्य बने रहेंगे
राज्यसभा के पूर्व महासचिव एवं संविधान विशेषज्ञ डा. योगेन्द्र नारायण ने उच्च सदन के नियमों की जानकारी देते हुए कहा कि यदि समाजवादी पार्टी प्रो. रामगोपाल यादव के पार्टी से निष्कासन की जानकारी देती है तो भी वे सदन की सदस्यता से निष्कासित नहीं होंगे, बल्कि उन्हें एक निर्दलीय सदस्य के रूप में अलग सीट आवंटित की जाएगी। मसलन उनकी सीट सपा के खेमे में नहीं होगी और उनकी सीट सपा के उस सदस्य को दे दी जाएगी, जिसे पार्टी सदन में अपना नेता की अधिकृत घोषणा करके सदन को लिखित में सूचना देगी। राज्यसभा के नियमों के अनुसार प्रो. रामगोपाल यादव निर्वाचित होकर सदन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, भले ही वह पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुए हों, लेकिन राज्यसभा की सदस्यता उनके द्वारा स्वयं इस्तीफा देने के बाद ही समाप्त की जा सकती है, न कि संबन्धित राजनीतिक दल की सिफारिश पर।
पार्टी से निष्कासन
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी में चल रही परिवारिक कलह के कारण यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पक्ष लेने वाले राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव को रविवार को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पार्टी गतिविधियों के खिलाफ साजिश करके सांप्रदायिक ताकतों के साथ मिलने के आरोप में बर्खास्त कर छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। सपा प्रमुख मुलायम के हवाले से प्रो. रामगोपाल यादव को इस कार्यवाही की जानकारी एक पत्र के जरिए सपा प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव ने दी थी।
25Oct-2016

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